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नमस्कार दोस्तो, कैसे हो आप? मेरा नाम निखिल है, कानपुर का रहने वाला हूँ, अभी उच्च अध्ययन कर रहा हूँ। कॉलेज में मैं बहुत सी लड़कियों को चोद चुका हूँ। मेरी उम्र 23 साल है, कद 5 फीट 9 इंच है, अच्छा खासा व्यक्तित्व है। मेरा लंड आठ इंच लम्बा है और बहुत मोटा है।
मैंने अन्तर्वासना की हर कहानी पढ़ रखी है। आज मैं भी अपना एक ख़ुद का अनुभव लिख रहा हूँ। यह जो मैं कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी मौसी और मेरी है।
एक दिन मैं सुबह उठा तो मुझे पता चला कि मेरी मामी की छोटी बहन यानी रिश्ते में मेरी मौसी अंजलि शाम तक हमारे घर आ रही हैं। वो विधवा थीं। उनकी शादी को बस कुछ महीने ही हुए थे कि मौसा जी की मौत हो गई। मैं शाम का इंतज़ार कर रहा था कि अचानक घर की घंटी बजी, मैंने दरवाज़ा खोला तो अंजलि मौसी सामने थीं, मैं मौसी को देखता ही रह गया।
कहीं से भी वो विधवा नहीं लग रही थीं। मेरी मौसी की उमर 26 साल है, नाम अंजलि, ऊँचाई 5 फीट 5 इंच, वक्ष का आकार 38 लगभग, पूरा फिगर 38-29-38 का रहा होगा। रंग गेहुँआ, लम्बे घने बाल, गांड तक आते हैं। कसम से दोस्तों वो बहुत खूबसूरत थीं। वो मेरी कई गर्ल-फ्रेंड से भी ज्यादा सेक्सी और सुन्दर थीं।
शायद यही वजह थी कि मैं उन्हें देखते ही उनकी कमसिन जवानी पर मर मिटा था। मौसी के आने के बाद हम में अच्छी बनने लगी।
कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। फिर मुझे पता लगा कि घर वालों को पापा के एक दोस्त के बेटे की शादी में दिल्ली जाना है। मैंने तुरंत ही सोच लिया कि मैं नहीं जाऊँगा। पापा ने मुझसे चलने को कहा तो मैंने मना कर दिया और चौंकने वाली बात यह कि मौसी ने भी मना कर दिया।
घर वाले सब चले गए और अब मैं और मौसी ही घर पर थे। अगले दिन से ही मेरा दिमाग ख़राब होना शुरू हो गया। जब भी वो झुक कर झाड़ू-पौंछा करती थीं, तब मैं उनके बड़े-बड़े, गोरे-गोरे और कसे हुए स्तन देखता था। बाथरूम में जाकर उनको चोदने का सोच-सोच मुठ मारता था, पर उनसे बात कैसे करूँ, कैसे उसे चोदूँ, उनकी छोटी सी गुलाबी चूत कैसी होगी? यही सोचता रहता था।
मैंने धीरे-धीरे काम के बहाने से ही उनसे बातचीत चालू की, बीच-बीच में उन्हें हँसाने की भी कोशिश करता था। उन्हें भी शायद अच्छा लगता था।
एक-दो दिन में उनसे अच्छी दोस्ती हो गई, और हँसी-मजाक भी शुरू हो गई। मैं कभी-कभी मजाक में उनके ऊपर थोड़ा सा पानी डाल देता था। वो गीली हो जाती थीं तो उनकी ब्रा और वक्ष दिखते थे। मैं उनके आस पास ही रहता था। उनके कमसिन जिस्म से बड़ी ही मादक खुशबू आती थी। मैंने सोच लिया कि अब कुछ करना होगा, वरना सब वापस आ जायेंगे और मैं कुछ नहीं कर पाऊँगा।
एक दिन शाम को मैंने देखा कि अंजलि मौसी टीवी देख रही हैं। मैं अपने कमरे में गया और अपना लंड निकाल कर बैठ गया।
मौसी का कमरा मेरे कमरे के बाद था, सो मुझे पता था कि वो जब अपने कमरे में जाएँगी, तो मेरे कमरे में जरूर देखेंगी। मेरा प्लान काम कर गया और उन्होंने मेरे खड़े लंड को देख लिया।
मुझे पता था कि वो ज्यादा नहीं पिली हैं, तो आग तो उनमें मुझसे ज्यादा ही होगी। वो मेरा लंड देख के अपने कमरे में भाग गईं।
मेरा काम हो गया था, मैंने उन्हें उस चीज़ के दर्शन करा दिए थे, जो उन्हें शादी के बाद भी मिला ही नहीं।
अगले दिन जब मौसी पोंछा लगा रही थीं, तो मैं उधर से गुजरा। इस बार उन्होंने मेरे साथ मजाक किया और पानी मेरे ऊपर फेंका। मैं समझ गया कि मौसी तो गईं अब।
मैंने भी अंजलि मौसी को मजाक में बोला- मौसी अब मत फेंकना पानी, वरना आपको बाथरूम में शॉवर के नीचे ले जाकर पूरा भिगो दूँगा। इस पर उन्होंने मुस्कुराते कहा- जाओ-जाओ… बहुत देखे हैं तुम्हारे जैसे…!
मैंने सोचा कि अच्छा मौका है पर मुझे थोड़ा सा डर लग रहा था, इसलिए मैं सीधा बाथरूम में गया, मैंने एक भरा हुआ मग पानी लाकर उनकी साड़ी के ऊपर डाल दिया जिससे मौसी अच्छी-खासी गीली हो गई।
मैंने कहा- अब बोलो मौसी… और अब फिर से पानी फेंका न… तो पूरा नहला दूँगा, फिर मुझे मत बोलना।
मेरा नौ इंच का लंड खड़ा हो चुका था। फिर जैसे ही मेरा ध्यान थोड़ा सा हटा, उन्होंने मेरे सर पर भी पानी डाल दिया। मुझे जिस मौके की तलाश थी, वो मिल गया था।
मैंने उनसे बोला- मौसी… अब तो आप गई काम से।
और पीछे से उनकी कमर से पकड़ कर उठाया जिससे मेरे हाथ उनके वक्ष के ऊपर थे। मैं तो मदहोश हो रहा था, मौसी को जबरदस्ती बाथरूम के अन्दर ले गया।
वो अपने को हँसते हुए छुड़ाने की कोशिश कर रही थी पर मेरी पकड़ उनके बदन पर मजबूत थी। बाथरूम में जाकर मैंने शॉवर चालू कर दिया और वो भीगने लगीं। मैं जैसे ही जाने लगा तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- मैं अकेले नहीं, तुम भी भीगोगे मेरे साथ।
अब मैं और मौसी भीगने लगे। मैं समझ गया कि मेरा काम हो गया।
मैं तो पागल हुआ जा रहा था, पर किसी तरह अपने पर काबू रखा और उनसे कहा- देखा मौसी, अब मेरे से पंगा मत लेना।
वो भीगते हुए फिर से मुझे चिड़ाने लगी। अब मैंने सोच लिया कि अब तो मैं इन्हें चोद कर ही रहूँगा, जो होगा देखा जाएगा।
इस बार मैंने अंजलि मौसी को पीछे से सीधे उसकी चूचियाँ ही पकड़ कर उठाया और शॉवर के पास भिगोने लगा। वो फिर से हँसते हुए छुड़ाने की कोशिश करने लगीं। पर अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका था, मैं उन्हें पागलों की तरह चूमने लगा, शॉवर के नीचे ही उनके स्तन दबाने लगा।
फिर मैंने ज्यादा देर न करते हुए मौसी को चूमते हुए, स्तन दबाते हुए कमरे में लेकर जाने लगा, पर अब वो मेरे इरादे समझ चुकी थीं, इसलिए वो घबराने लगीं।
शायद वो डर गई थीं और अपने पूरे जोर से अपने आप को छुड़ाने लगीं। पर मैं तो पागल हो चुका था, मैंने उन्हें बेड पर पटका।
पर अब वो लगातार हँसे जा रही थी और मुझे छोड़ने के लिए भी कह रही थीं। पर मैं कहाँ सुनने वाला था, मैं उनके ऊपर चढ़ गया। वो अभी भी मुझसे छूटना चाहती थीं या वो चाहती थीं कि पहल मैं करूँ।
मैं उन्हें नंगा करना चाहता था, उनकी प्यारी चूत और बड़े और गोरे स्तन देखना चाहता था और चाटना चाहता था।
फिर मैंने दिमाग से काम लिया, उनके सर की तरफ जाकर उनके हाथों को अपने घुटनों के नीचे दबा दिया ताकि उनके हाथ चलना बंद हो सके और मैं उनकी साड़ी उतार सकूँ। मेरा विचार काम कर गया, मैंने उनकी साड़ी उतार दी। फिर मैंने उनके ब्लाउज और ब्रा को भी उतार फेंका।
क्या गोरी-गोरी चूचियाँ थीं उसकी और क्या गुलाबी चुचूक थे उनके…!
मैं तो जन्नत में आ गया था।
वो हँस-हँस कर मुझे छोड़ने को कह रही थीं मगर मैं उनके चुचूक को चूसने लगा और खूब चूसा। फिर होंठों पर भी जोर से चूम रहा था। धीरे-धीरे उनका विरोध ख़त्म हो रहा था। अब वो चुपचाप मेरा साथ देने लगीं, मज़ा लेने लगीं।
मैं फिर उनके ऊपर आ गया और पागलों की तरह उन्हें चूमता और चूचियाँ चूसता जा रहा था और वो जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थीं। अब मैं निश्चिंत होकर उनके ऊपर आ गया और उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। उनकी चड्डी चूत-रस से गीली हो चुकी थी और अपनी मादक खुशबू से मुझे पागल किए जा रही थीं।
मैंने उनकी चड्डी भी उतार दी और खुद भी पूरा नंगा हो गया। अब हम दोनों नंगे थे। उनकी चूत फ़ूल चुकी थी।
क्या गोरी चूत थी उनकी… और ऊपर से सुनहरे रोयेंदार बाल…!
मुझे तो ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी कुंवारी लड़की की चूत देख रहा होऊँ। उनकी चूत का दाना और फांकें मुझे जानवर होने पर मजबूर कर रहे थे। मैंने धीरे से एक ऊँगली मौसी की चूत के अन्दर डाल दी और ऊँगली से उसे चोदने लगा। वो तड़प उठी और सिसकारने लगी।
फिर मैंने उनकी चूत के अन्दर अपनी जीभ घुसेड़ दी और उनकी चूत चाटने लगा। मौसी उचक-उचक कर तड़पने लगीं और सिसकारने लगीं, “उईईइ अह्ह्ह्हह” की आवाज़ें निकालने लगीं।
मैंने भी उनको जीभ से चोदने की गति बढ़ा दी और उनकी चूत को पागलों के जैसे चूसने और चाटने लगा। अचानक उन्होंने मुझे जकड़ लिया और मेरा मुँह अपनी चूत के ऊपर और जोर से दबा दिया। वो झड़ गई थीं। मैंने उनकी चूत-रस का स्वाद चखा। बड़ा ही रसीला और मादक था। जैसे मुझ पर नशा चढ़ गया, उन्हें भी बहुत आनन्द आ रहा था और मुझे ख़ुशी हो रही थी कि अब मैं इस चूत को तरीके से चोद सकता हूँ।
पर अब तो असल चुदाई शुरू होने वाली थी क्योंकि अब मेरे लंड महाराज की बारी थी, जो बहुत देर से अकड़ कर खड़े थे।
मेरा लंड इतना अकड़ चुका था कि अगर मैं उसकी प्यास जल्दी नहीं बुझाता तो मेरा लंड बम की तरह ही फ़ट जाता। अब मैंने मौसी को सीधा लिटाया और उसकी दोनों टांगें फैला दीं। जैसे ही उन्होंने मेरा मोटा और लम्बा लंड देखा तो डर सी गईं।
वो बोलीं- ये तो बहुत बड़ा और मोटा है निखिल….तुम्हारे मौसा जी का तो इसका आधा भी नहीं था। मैं नहीं ले पाऊँगी इतना मोटा लंड। मैंने उन्हें समझाया- कुछ नहीं होगा मौसी… अब आपको मैं असली जन्नत की सैर कराता हूँ।
वो बोलीं- मैं भी बहुत प्यासी हूँ निखिल….! फिर भी जो होगा देखा जाएगा…आज मुझे पूरा मज़ा दे दो।
अब मैंने फिर से उनकी चूत में अपनी जीभ डाल दी और लंड अन्दर डालने के लिए उनकी चूत को अच्छे से पूरा गीला कर दिया।
मैंने अपने लंड का सुपारा उनकी कोमल चूत के ऊपर रखा और उसके चुचूक और होंठ चूसते हुए एक जोर का धक्का मारा।
मेरा लंड उनकी चूत में आधे से ज्यादा घुस गया। मौसी को जोर का दर्द हुआ, उनके चीखने से पहले ही मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा दिया और थोड़ी देर के लिए रुक गया। मुझे लग रहा था कि उनकी चूत से गर्म-गर्म खून निकल रहा है। वो रोती जा रही थीं और तड़प रही थीं। मैं उन्हें जोर से चूम रहा था और उनके स्तन सहलाता जा रहा था, ताकि वो सामान्य हो जाएं।
थोड़ी देर बाद वो शांत हो गईं, उनका दर्द कम हो गया था। सो मैंने धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करना शुरु किया। अब वो अपनी गांड उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थीं, पर लंड पूरा अन्दर नहीं गया था। फिर से मैंने उनको जोर से चूमते हुए एक झटका मारा और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया।
वो तड़पने लगीं पर अब मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं उन्हें पागलों की तरह चूसते-चाटते जोर-जोर से चोदने लगा।
अब वह भी उचक-उचक कर चुदवा रही थीं, सिसकारियाँ लेकर, “उईईई आहऽऽ आईईई..!” कर रही थीं।
मैं तो जंगली बन चुका था और उन्हें बेतहाशा चोदे जा रहा था। अचानक एक बार फिर उन्होंने मुझे जोर से जकड़ लिया। मैंने अपनी गति और तेज कर दी, पूरा कमरा मेरे लंड के अन्दर-बाहर होने की ‘फच्च्क-फच्च’ की आवाज़ों से भरा हुआ था। अब मौसी फिर से झड़ गई थीं और निढाल होकर लेट गईं। अब मेरी झड़ने की बारी थी, मैंने तेज-तेज़ झटके लगाये और उनके पेट पर झड़ गया।
हम बहुत खुश थे। फिर सबके आने तक हमने चार दिनों तक सुबह, दोपहर, शाम, रात हर वक़्त भरपूर सेक्स किया।
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