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धनंजय हाय दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का बहुत समय से पाठक और प्रसंशक रहा हूँ। इसकी नई से नई और पुरानी से पुरानी कहानी भी मैं बार-बार पढ़ता रहता हूँ। मैं भी अपनी कहानी आप सब को बताना चाहता था, पर मुझे आज तक यही समझ में नहीं आता था कि कहानी भेजते कैसे हैं। आज पता चला है तो भेज रहा हूँ, प्लीज़ बताइएगा कि कैसी लगी।
सबसे पहले मैं आपको अपने बारे मैं बता दूँ मेरा नाम धनंजय है और मेरे दोस्त मुझे प्यार से DJ कहते हैं। मैं मूलतः बिहार से हूँ और दिल्ली में रहता हूँ और जहाँ तक पढ़ाई की बात है, तो मैं ग्रेजुएशन कर रहा हूँ। आप सभी पाठकों को प्रणाम करते हुए, मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। मैं अपनी पढ़ाई के साथ ही अपने घरवालों की हेल्प करने के लिए जॉब ढूँढ़ रहा था, इसी बीच मुझे एक कॉल सेंटर में टीम लीडर की जॉब मिल गई क्योंकि मेरे पास पहले भी कॉल सेंटर में काम करने का तजुर्बा था।
वहाँ एक लड़की की टेली कॉलर की पोस्ट पर नई-नई भरती हुई थी। उसका नाम रश्मि था। मुझे वो लड़की बहुत अच्छी लगती थी, पर मैं उससे बात नहीं कर पाता था। सबसे बड़ी दिक्कत तो यह थी कि मैं टीम लीडर था और वो मेरी टीम में नहीं थी, किसी और की टीम में थी।
पर एक दिन किस्मत ने मेरा साथ दिया और उसकी टीम लीडर को डेंगू हो गया और उसकी टीम के 12 कॉलर्स को मुझे दे दिया गया। फिर मैंने उससे उसका रेज़्यूमे लाने को कहा, जिससे मुझे उसका नंबर मिल गया। दोस्तो, मैं आप सभी को बताना चाहूँगा कि मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की का नंबर लिया था। मुझे कॉल करने मे बहुत डर लग रहा था, इसीलिए मैंने अपने फोन में पहली बार मैसेज ‘हाय’ लिख कर भेज दिया लेकिन उसका कोई उत्तर नहीं आया।
अगले दिन उसने ऑफिस में एक लड़की से यह बात बताई, तो उस लड़की ने उसे बता दिया कि वो मेरा नंबर था। उस लड़की का नाम सीमा था, सीमा ने आकर मुझे ये बात बताई, तो मैंने उसे बता दिया कि मैं उसे पसंद करता हूँ और उससे बात करना चाहता हूँ।
उसने जाकर ये बात रश्मि को बताई, तो रश्मि लंच में मेरे पास आई और हाफ-डे की छुट्टी लेकर घर चली गई। शाम को उसका कॉल आया और उसने मुझे कहा कि वो भी मुझे पसंद करती है पर चूँकि मैं उसका सीनियर था, इस वजह से उसने कभी कुछ नहीं कहा। फिर अगले दिन वो ऑफिस में आई, तो बड़ी खुश थी।
फिर अगले दिन मेरे पास फोन आया कि मेरे बड़े पापा की मृत्यु हो गई है, तो मुझे गाँव जाना पड़ा, पर चूँकि मैंने कंपनी के साथ दो महीने का बॉन्ड साइन किया था, तो मुझे छुट्टी नहीं मिली, इसीलिए मैंने जॉब छोड़ दी।
फिर एक दिन जब मैं गाँव में था, तो सीमा का फोन आया कि रश्मि ने भी जॉब छोड़ दी है। मैंने रश्मि को कॉल किया, तो उसने कहा कि वो मुझे प्यार करती है और जहाँ मैं नहीं, वहाँ वो भी काम नहीं करेगी। यह सुन कर मैं बहुत खुश हुआ कि आख़िर कोई तो है, जो मेरी परवाह करता है।
मैं तेरहवीं के अगले दिन ही वापस दिल्ली आ गया और उसे मिलने के लिए बुलाया। हम पहली बार कहीं बाहर मिल रहे थे, तो मैंने उसके लिए एक डेरी मिल्क सिल्क ले ली, हम शाम को मिल रहे थे। मिलते ही उसने मुझे गले से लगा लिया। हमने एक-दूसरे का हाल-चाल पूछा और अक्षरधाम मंदिर घूमने के लिए चले गए। मैंने उससे पूछा- तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है रात को घूमने में?
तो उसने मुझे बताया कि वो अकेली ही रहती है यहाँ…! यह सुन कर मैं खुश हो गया और हम मंदिर में चले गए। हम करीब आधा घंटा मंदिर में रहे फिर हम वापस आ गए। मंदिर से कुछ दूर एक पार्क था, तो हम खाना खाकर वहीं आराम करने चले गए।
रात के नौ बज रहे थे, तो पार्क बंद हो गया था। हम मायूस हो गए, तभी रश्मि को पार्क के पीछे से एक टूटा हुआ दरवाज़ा नज़र आया, तो हम उसी दरवाजे से पार्क के अन्दर चले गए। पार्क बिल्कुल खाली था, तो हम पार्क के दूसरे कोने में एक बेंच पर जाकर बैठ गए। मैंने अपनी जैकेट उतार दी।
रश्मि ने मुझसे पूछा- क्या तुम्हें ठंड नहीं लग रही? मैंने कहा- लग रही है, पर तुम हो ना मुझे गर्म रखने के लिए..!
वो यह सुन कर मुस्कुरा दी और अपने बालों से रबड़ निकल के बाल खोल दिए और मेरे साथ ही मेरे अन्दर का जानवर भी खुल गया। मैंने उससे पूछा- तुम्हारी कमर का साइज़ क्या है? तो उसने कहा- पता नहीं। मैंने कहा- मैं बता सकता हूँ..! तो वो मुस्कुराने लगी।
मैंने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ ली और ज़ोर से दबा के कहा- छब्बीस..! ज़ोर से दबाने की वजह से शायद उसे दर्द हुआ और वो सीईईई सीईईई… करने लगी।
मैंने छोड़ दिया, तो उसने खुद मेरे हाथ अपनी कमर पर रख दिए और मेरे हाथों को दबाते हुए मुझे घूरने लगी। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जड़ दिए, तो उसने मुझे धक्का दे दिया। मैंने उससे पूछा- क्या हुआ? तो उसने कहा- ये सब शादी से पहले ग़लत है.. तुम ऐसा नहीं कर सकते। मैंने कहा- मुझे पता था, तुम यही कहोगी..!
और उससे हट कर बेंच पर बैठ गया, तो उसने पीछे से आकर मेरे गले में हाथ डाल दिया और कहा- ठीक है ओके… सिर्फ़ किस..!
मैं खुश हो गया और उसे किस करने लगा। मुझे पता था कि मुझे कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी और ठीक ऐसा ही हुआ। मैंने जैसे ही उसके चूचों पर हाथ रख कर उसे दबाया, वो उछलने लगी। मैं अभी भी उसे किस कर ही रहा था, उसने अपनी जैकेट खोल कर पीछे फैंक दी। जवाब में मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल कर उसकी कमर को दबाना शुरू कर दिया। तो वो बेंच पर बैठ गई और पागलों की तरह कभी मेरे गालों पर, तो कभी मेरे गले पर.. किस करने लगी।
मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फिराना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि वो मना करेगी, पर उसने कुछ नहीं किया तो मे उसे सहलाता रहा और सहलाते-सहलाते ही उसकी चूत पर हाथ रखकर दबाया। वो सीईई…ईईई सीईईईई सीईइ नो नो… करने लगी। तो मैंने उसे पूछा- करना है या नहीं करना..! तो उसने कहा कि इतना होने के बाद अगर कुछ नहीं किया, तो वो मर जाएगी..!
यह सुनते ही मैंने उसके स्लेक्स के अन्दर हाथ डाल दिया, उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उसे अलग किया और पूरे पार्क में घूम कर तसल्ली कर ली कि कोई नहीं है। मैं वापस आया और फिर से उससे चिपट गया, उसकी स्लेक्स को उससे अलग कर दिया और पैन्टी भी निकाल दी।
मैंने उससे पूछा- क्या तुमने पहले कभी सेक्स किया है? तो उसने कहा- नहीं… लेकिन ब्लू-फिल्म्स बहुत देखी हैं..!
मैंने उसे ज़मीन पर बिठाया और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। उसे ठीक से चूसना नहीं आ रहा था, तो मैंने उसके बाल पकड़ कर उसे आगे-पीछे करने लगा। कुछ देर बाद उसने खुद मेरे हाथ हटा दिया और चूसने लगी। फिर उसने लौड़ा निकाल कर मुझसे पूछा- तुम नहीं चूसोगे…?? तो मैंने कहा- ठीक है..!
और उसे ऊपर बिठा दिया और खुद नीचे बैठ कर उसकी चूत में अपनी जुबान डाल कर, उसे चूसने लगा। कुछ देर में ही वो, “सीईइ ईईईई सीईइ ईईईई..!” की आवाज़ निकालने लगी और मेरे बाल पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी। मैंने जल्दी से उसकी शॉल को बेंच पर बिछाया और उसे लिटा कर उसका हैण्ड-बैग उसकी चूत के नीचे लगा दिया और जैसे ही अपना लंड उसकी चूत पर रखा, वो छटपटाने लग गई।
मैं समझ गया कि ये पहली बार लंड लेने जा रही है। मैंने हल्का सा दबाव दिया तो उसने अपने हाथों से बेंच का हैंडल पकड़ लिया। फिर मैंने उसकी कमर से उसे पकड़ कर एक हल्का सा झटका मारा, तो उसकी चीख़ निकल गई और वो रोने लगी। उसकी चीख सुन कर मुझे ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ का वो सीन याद आ गया, जिसमें मनोज वाजपाई लड़की का मुँह बंद करके धक्के लगाता है, मैंने भी उसी तरह उसका मुँह बंद किया और धक्के लगाने लगा।
उसने गुस्से में मेरे हाथ पर दाँत गड़ा दिए, पर मैंने उस पर ध्यान दिए बिना, उसे ठोकना चालू रखा। करीब दस मिनट के बाद उसने मेरा हाथ हटा कर अपने चूचों पर रख दिया। मैं उसके चूचे दबाने लगा और दबा-दबा कर लाल कर दिए। पंद्रह मिनट के बाद मुझे लगा कि मेरा काम ख़त्म होने वाला है।
तो मैं उसे बताया- मेरा गेम बजने वाला है..! तो उसने वही कहा जो हर लड़की शादी से पहले कहती है- नहीं अन्दर मत निकलाना… मेरे मुँह में डाल दो…! मैंने अपना लौड़ा निकाल कर उसके मुँह में घुसेड़ दिया और उसने अपने दाँत से मेरे लंड को पकड़ कर दबाया, तो मेरी बंदूक की मैग्जीन खाली हो गई और मैं निढाल होकर बेंच पर बैठ गया। फिर मैंने उसने अपने ऊपर बिठा कर किस करना चालू दिया।
अचानक मेरे मोबाइल की लाइट जली, तो पता चला कि मेरी बैटरी ख़त्म होने की वॉर्निंग थी और समय देखा तो मेरी गाण्ड फट कर हाथ में आ गई, पौने ग्यारह बज रहे थे।
मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और उसे जैसे ही पहनाने लगा, तो देखा कि उसकी चूत से खून निकलने की वजह से उसकी जांघें लाल हो गई थीं। मैंने अपने रूमाल से उसे पौंछ दिया और उसकी ड्रेस उसे पहना दी, फिर उसे बाइक पर बैठा कर उसके घर छोड़ आया और फिर अपने घर आ गया।
जैसी कि मुझे उम्मीद थी, सब सो चुके थे, इसीलिए मैंने घंटी नहीं बजाई, अपने भाई को कॉल करके उसे उठा दिया। उसने गेट खोला और मैं अन्दर आकर सो गया।
कुछ दिन बाद मुझे उसका फोन आया कि उसके पापा उसे लेकर पंजाब चले गए हैं तो मेरा दिल टूट गया। उसकी याद आई और मैं रोने लग गया। अब मैं उससे सिर्फ़ फोन पर ही बात करता हूँ पर वो मुझसे मिलने फरवरी में यहाँ आएगी। दोस्तो, तब से आज तक मुझे किसी लड़की को चोदने की इच्छा नहीं हुई, पर मेरा भी एक मन है, जो अभी भी लड़कियों को ढूंढता है, शायद कोई और मिल जाए जो मेरे साथ बेंच पे रात गुजारे। प्लीज़ मुझे बताएं ज़रूर कि यह कहानी आप सबको कैसी लगी और मैं फ़ेसबुक पर भी हूँ, मेरी आईडी है: [email protected] मुझे आपके ईमेल का इंतज़ार रहेगा।
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