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अर्पित अब ये सब करने में मुझे भी कोई शर्म नहीं रह गई थी। भाभी और मैं एक-दूसरे का पूरा साथ दे रहे थे, पर दो-दो बार झड़ने के बाद हमारे लिंग और योनि का बड़ा बुरा हाल था। भाभी की बिना बालों वाली चूत जो कि मेरे लण्ड से रगड़ने के कारण और भी फूली और एकदम लाल नजर आ रही थी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी… तुम्हारी चूत तो एकदम लाल हो गई है…! तो भाभी ने कहा- कमीने, ये सब तूने ही तो किया है..! मैंने कहा- क्या सच में ये मेरे से मिलकर इतनी लाल हो गई है? तो उन्होंने कहा- नहीं तेरे लंड से…!
और हम दोनों हँस पड़े और बाथरूम से बाहर आए। हम दोनों ने कुछ नहीं पहना था और ऐसे ही बिस्तर पर आ कर लेट गए। मेरे लंड में अब भी दम था, पर अब मैं इतनी देर से ये सब करके थक गया था और मैं ऐसे ही सोने लगा।
भाभी में भी मुझसे पूछा- अर्पित सोने जा रहे हो क्या? मैंने कहा- हाँ भाभी… बहुत थक गया हूँ। भाभी ने कहा- ठीक है सो जाओ, मैं जाती हूँ।
मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर कहा- भाभी आज यहीं सो जाओ न… मुझे अकेला छोड़ कर कहाँ जाओगे..! उन्होंने कहा- हाँ अर्पित, अकेले तो मुझे भी नींद नहीं आएगी।
और वो भी मेरे पास लेट गईं। रात भी काफी हो गई थी। हमारा यह प्रोग्राम करीब 3 घंटे तक चला था। उन्होंने मुझे उस रात कुछ नहीं कहा, शायद उन्हें अब यह तसल्ली थी कि अब मैं सिर्फ उनका हूँ। उन्होंने मुझे एक चादर उढ़ाई और मुझसे लिपट कर सो गईं।
हम दोनों उस चादर में बिल्कुल नंगे थे। भाभी में अब भी जोश था और उन्होंने थोड़ी देर तक मेरे लण्ड को हिलाया और फिर मुझे चुम्बन करके मेरे सीने से लिपट गईं और एक पांव मेरे पांव पर रख कर सो गईं।
किसे पता था कि अगले दिन हम सुबह-सुबह ही शुरू हो जाएँगे। मैंने सुबह उठ कर देखा कि 7 बज चुके हैं और भाभी मेरे लंड को अब भी पकड़े हुए हैं। मुझे उनकी यह अदा बहुत अच्छी लगी। मुझे लगा कि शायद अब वो मुझसे अलग होकर नहीं रह पाएंगी।
मैंने उन्हें चुम्बन किया तो वो भी उठ गईं और मुझे देखा और हल्का सा मुस्कुराईं। मैं भी हँस पड़ा और उन्हें गले लगा लिया। हम दोनों नंगे थे, वो मेरे लंड को पकड़े हुए हिलाने लगीं और वो भी अब रात की बातें भूल कर जोश में आ गया था।
मैंने भाभी को मेरे लंड पर थोड़ा सा थूक लगाने को कहा, तो उन्होंने कहा- अर्पित अभी चोदोगे क्या..! मैंने कहा- हाँ भाभी रात में बहुत नींद आ रही थी, इसलिए ये चुदाई अधूरी रह गई पर अब उसे पूरा करने का टाइम आ गया है।
तो भाभी ने कुछ नहीं कहा और हल्का सा थूक लिया और मेरे लंड और अपनी चूत पर लगाया। भाभी अभी भी रात के नशे में थीं। उन्होंने कहा- अर्पित हो जाओ शुरू.. मैं तैयार हूँ। और भाभी ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर टिकाया और कहा- धक्का मारो…!
मैंने जोर लगाया और मेरा लंड धीरे-धीरे भाभी की गरम चूत में समाने लगा। भाभी थोड़ी बैचैन सी लगने लगीं और उनके मुँह से दर्द से कराहने वाली आवाज आने लगी।
मैंने उन्हें चुम्बन करना ठीक समझा और जोरों से चुम्बन करने लगा।
मेरा लंड भी धीरे-धीरे चूत में अपनी जगह बना रहा था। मैंने और जोर लगाया तो मानो कुछ सेकंड के लिए भाभी की साँस ही अटक गई। मैंने चुम्बन करना चालू रखा और चुदाई को वहीं रोक दिया। उन्होंने चैन की साँस ली और मुझे जोरों से पकड़ लिया, पागलों की तरह मेरे होंठों को चुम्बन करने लगीं। मेरे होंठों को अपने दांतों से काटने लगीं और कहा- थोड़ा आराम से करो मैं सारी जिंदगी तुम्हारे साथ हूँ..!
मैंने फिर उनकी एक टांग को हाथ में पकड़ कर ऊपर उठाया और चूत को और फैलाया और लंड डालने की कोशिश की, पर इस से भी ज्यादा फायदा नहीं हुआ। मुझे लंड को चूत की पूरी गहराई तक ले जाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ रही थी।
भाभी ने हालात की नाजुकता को समझते हुए अपनी चूत से जुड़े मेरे लंड पर थोड़ा और थूक लगाया और कहा- अर्पित पूरा लंड एक बार में डाल दो..!
मुझे भाभी का हिम्मत दिलाना अच्छा लगा और मैं बेपरवाह होकर झटका मारने लगा। अचानक भाभी की चीख सारे कमरे में गूँज गई और मैंने देखा कि भाभी बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगीं। मैं आराम से ऐसे ही रुका रहा और चुम्बन करता रहा। उस झटके के बाद मैंने अपने लंड को और भी गीला पाया।
मुझे महसूस हुआ कि जैसे भाभी आज तक बिल्कुल कुंवारी थीं। मेरी कोशिश से भाभी की आँखें बन्द थीं पर दिल में चुदाई के सारे सपने थे, वो मुझसे बच्चे चाहती थीं। यह बात मुझे उन्होंने हमारी पहली चुदाई के बाद बताई। मुझे ख़ुशी थी कि मैं अपनी भाभी को यह सुख दे पाया और मैं इसके सुख को बढ़ाने का पूरा प्रयास भी कर रहा था। मैं भाभी के दर्द कम होने का इंतजार कर रहा था।
भाभी ने आँखें खोलीं और बोलीं- अर्पित अब अपने लंड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करो। मैंने ऐसा ही करना शुरू कर दिया। भाभी भी जल्द ही मेरा साथ देने लगीं और अपनी गांड को उठा-उठा कर मेरे लंड को अपनी चूत की गहराई में समां लेना चाहती थी।
मैंने अपने झटके जारी रखे और उसे चुम्बन करता रहा। थोड़ी देर बाद मुझे यह पता चल गया कि यह दर्द का सिलसिला अब मजे में बदल गया है, तो मैंने भी अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी। सारे कमरे में हमारी चुदाई की आवाजें गूंजने लगीं और सिर्फ ये दीवारें ही हमारी पहली चुदाई की गवाह बनी क्योंकि दीवारें कभी बोलती नहीं तो वो हमारी पहली चुदाई उस कमरे में दफ़न हो गई…
दस मिनट की चुदाई के बाद भाभी ने मुझे जोर से पकड़ लिया और उनके बदन में मुझे हल्की सी कंपकपी सी महसूस हुई। अब मैं समझ रहा था कि भाभी झड़ गई हैं। भाभी का वो झड़ना सोने पर सुहागा साबित हुआ और मेरे लंड को चूत में अन्दर तक जाने का मौका मिल गया। भाभी के झड़ने के कारण चूत एकदम गीली हो गई थी और मैं अब अपनी स्पीड बढ़ाता जा रहा था, लंड को भी अब अन्दर-बाहर आने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी और भाभी के इस पानी ने मुझे और ग्रिप दी।
मैं कभी भाभी के होंठों को चूसता तो कभी उनके मम्मों को चूसता। मुझे इसमें बहुत मजा आ रहा था, पर शायद भाभी को मुझसे ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि उन्होंने अभी तक अपनी आँखें नहीं खोली थीं, पर मेरा साथ पूरा दे रही थीं।
उनके चूचुकों को बहुत देर तक चूसने के बाद, जो गुलाबी थे, वो अब लाल हो गए थे, पर फिर भी मैं उन्हें चूसे जा रहा था। आखिर मैं भी तो प्यासा था, भाभी ने भी मुझे एक बार भी नहीं रोका।
मैंने करीब तीस मिनट तक भाभी को ऐसे ही चोदा और फिर अपना पानी उनकी चूत में ही छोड़ दिया। थोड़ी देर मुझे चुम्बन करने के बाद भाभी उठ कर वाशरूम में जाने लगीं। जाते वक्त वो बहुत ही सेक्सी लग रही थीं। उनकी मस्त चाल मुझे बहुत ही लुभा रही थी। मैंने तुरंत कहा- भाभी तुम्हारे चूतड़ बहुत ही सेक्सी हैं।
तो भाभी ने भी देर ना करते हुए कहा- अगर तुम्हें इन्हें भी चोदना है, तो चोद सकते हो..! और हँसते हुए वाशरूम चली गईं और अपनी चूत को अच्छे से साफ़ किया और उसे धो कर आ गईं और बोलने लगीं- बदमाश चलो अब तुम भी अपना ये लंड धो लो..!
मैंने कहा- आप क्यों नहीं धो देतीं इसे, यह कल से आप का ही हो गया है, तो इसका खयाल रखना भी तो तुम्हारी ही जिम्मेदारी है ना? तो भाभी ने मेरे लंड को तुरंत ऐसे ही पकड़ लिया और वाशरूम में ले गईं, जहाँ वो मेरे लंड को बड़े ही प्यार से देख रही थीं और उस पर हाथ फेर रही थीं। भाभी ने मेरे लंड को धोया और जाने लगीं।
हम रात से ही नंगे थे। मैंने फिर से भाभी हो पकड़ लिया और कहा- मेरे साथ नहा कर जाओ..! और हमने एक-दूसरे को बड़े ही प्यार से नहलाया, एक-दूसरे को बड़े ही करीब से देखा, जो अभी तक नहीं हुआ था। भाभी के मम्मों के ऊपर एक काला तिल था, जो मुझे उनकी ओर खींच रहा था।
हम दोनों को नहाने में भी बड़ा समय लगा। हम दो नंगे बदन बिल्कुल चिपक कर एक ही शावर के नीचे खड़े थे। भाभी मुझमें सिमट सी गईं, मैं देख कर बहुत खुश हुआ, मैंने अपने हाथों को उनके पीठ पर पीछे से पकड़ लिया और जल्द ही मैं अपने हाथों को उनके गांड तक ले गया और जोर से दबाया।
वो उछल कर मेरे गले में हाथ लगकर मेरी बाँहों से लटक गईं क्योंकि मुझे यह पोज मुझे बहुत पसंद है। मैंने भाभी को ऐसे ही रहने को कहा, तो भाभी को समझने में देर नहीं लगी कि फिर से अर्पित मुझे चोदने वाला है।
भाभी ऐसे ही मेरे गले में हाथ फंसा कर लटकी हुए थीं। अब उनकी चूत सीधे मेरे लंड से टकरा रही थी। शायद वो मेरे लंड से इतनी मार खाने के बाद भी मेरे लंड को ललकार रही थीं।
अपने हाथों से भाभी के चूतड़ों को नीचे से सहारा दिया और हल्का सा ऊपर उठाया और भाभी से कहा- भाभी जरा मेरे लंड का खयाल रखना, कहीं ये मुड़ ना जाए। मेरे लंड में दर्द तो था, पर तन की आग ने उसे दबा दिया।
भाभी ने तुरंत ही मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया और चूत के मुँह पर लगा दिया। शावर ने इसमें हमारी बड़ी मदद की। हमें राहत मिल रही थी, तन में जो शोले भड़क रहे थे, वो पानी ने कुछ हद तक शांत कर दिए थ पर लंड और चूत की भूख को पानी से क्या मतलब था, वो तो सीधा चूत में अपनी जगह बनाता चला गया।
जैसे ही लंड अन्दर जाता, भाभी की स्पीड उतनी ही तेज होती जाती। मैंने पूरा लंड अन्दर डाल दिया भाभी कुछ देर तक कुछ नहीं बोलीं और न ही जरा भी हिलीं। थोड़ी देर बाद जब उन्हें राहत हुई और उन्होंने अपने चूतड़ों को उछालना शुरू कर दिया, जिससे उनके सारे शरीर का वजन मेरे लंड पर सीधा पड़ने लगा और मेरे मुँह से चीखें निकलने लगीं।
भाभी को मेरी चीखों से मजा आने लगा और वो और जोर-जोर से उछलने लगीं। मेरा लंड मानो अब टूट ही जाएगा। मैंने कहा- भाभी जरा आराम से से..!
पर भाभी की कोई फर्क नहीं पड़ा, मेरा वाशरूम में चुदाई का फैसला अब मुझे ही भारी पड़ता दिख रहा था। मैंने भी दर्द की परवाह न करते हुए चुदाई जारी रखी। मेरा लंड उस पानी की बरसात में बिल्कुल गुलाबी सा दिख रहा था।
चोदते समय मेरा लंड पूरा चूत से बाहर आ जाता और मैं फिर से जोर लगा कर उसे अन्दर डाल रहा था। ऐसा करने से भाभी भी आहें भरती जा रही थीं। मैंने करीब दस मिनट तक ऐसे ही उन्हें चोदा फिर भाभी को नीचे उतार कर उन्हें डॉगी स्टाइल के लिए बोला।
तो उन्होंने कहा- ओये पंजाबी पुत्तर… सारी चुदाई आज ही करेगा क्या..! प्लीज़ अभी नहीं, मैं मर जाऊँगी… मैं अभी दो बार झड़ चुकी हूँ। मैंने उनके हालत को समझते हुए कहा- कोई बात नहीं भाभी जी… पर मेरा लंड अब भी खड़ा है इसका क्या करूँ? तो भाभी ने कहा- मैं इसे शांत कर देती हूँ।
भाभी मुझे वाशरूम से बाहर ले गईं और मेरे बदन को पोंछा और खुद नीचे बैठ कर मेरे लंड को मुँह में लिया और मुठ मारने लगीं। मुझे पहली बार मुठ मारने का मजा मिल रहा था। मैं बहुत खुश था।
थोड़ी ही देर में मेरा माल भी निकल गया और लंड बिल्कुल निढाल हो गया और भाभी ने चैन की साँस ली। मैं वहीं लेटा रहा और भाभी अपने कमरे में चली गईं। हमारी चुदाई यूँ ही चलती रही, रात और दिन।
रोज रात में भाभी मेरे लंड की मालिश करतीं और चुदाई से मेरे लंड में एक अलग चमक आ गई है और वो पहले से कहीं ज्यादा मोटा और तगड़ा हो गया है।
हमने इतनी चुदाई की थी कि कोई एक साल में भी अपनी बीवी के साथ नहीं करता होगा, जो हमने तीस दिनों में की। भाभी की मैंने जम कर गांड मारी, जिससे उनकी गांड एकदम मस्त हो गई है। उनकी पिछाड़ी पहले से काफी मोटी भी हो गई है। जैसे-जैसे मुझे सेक्स का ज्ञान भाभी से मिला, मेरा सेक्स करने का स्टैमिना और भी ज्यादा बढ़ता गया और जीवन का आनन्द भी बढ़ता गया।
दोस्तों आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मेल कीजिए [email protected] मुझे आपके मेल्स का इंतजार रहेगा।
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