सामूहिक चुदाई का आनन्द-8

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जूजा जी अब तक आपने पढ़ा कि ज़न्नत पूरी तरह से नरेन की चुदाई से खुश होकर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई। नरेन ने अपने पानी को तौलिए से पौंछ कर ज़न्नत के चूतड़ों को साफ किया और फिर ज़न्नत के ऊपर ही नंगा लेट कर उसको अपनी बाँहों में ले कर सो गया। अब आगे : नरेन ने कहा- पंकज, हमारी पहली बीवियों की अदला-बदली चुदाई बड़ी जल्दबाजी में हुई थी, अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं एक बार फिर तुम्हें विभा को चोदते हुए देखना चाहता हूँ। पंकज बोला- मैं भी ज़न्नत को एक बार फिर तुमसे चुदवाते हुए देखना चाहता हूँ। इन बातों से दोनों के लंड दोबारा तन्ना गए। नरेन ने बेडरूम में चलने की सलाह दी और कहा- वहीं पर हम एक-दूसरे की बीवियों को चोदेंगे। हम अपनी ड्रिंक लेकर बेडरूम में आ गए और उसी बिस्तर पर नंगे ही बैठ कर चुस्कियाँ लेने लगे। कमरे में रोशनी भरपूर थी। नरेन ने पंकज से पहले मुझे चोदने को कहा। मैंने नरेन से मुझे चुदाई के लिए तैयार करने के लिए मेरी चूत चाटने को कहा। नरेन ने फ़ौरन मेरी इच्छा का सम्मान किया और मेरी चूत बड़े प्यार से चाटने लगा। साथ ही ज़न्नत भी पंकज को उसका लंड चूस कर उसे भी तैयार करने लगी। मैं बिस्तर पर अपने दोनों जाँघें फैलाकर लेट गई, मेरी सपाट चिकनी खुली चूत पंकज के लंबे लौड़े का आघात सहने को अब पनिया चुकी थी। पंकज मेरे ऊपर आ गया और अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर लगा दिया। तब मैंने ज़न्नत से कहा, “अगर वो बुरा ना माने तो क्या वो अपने हाथों से पंकज के लंड को मेरी चूत में डाल सकती है।” ज़न्नत सहर्ष तैयार हो गई और अपने पति के लौड़े को अपने हाथ में लेकर मेरी चूत में डाल दिया, पंकज ने मुझे चोदना शुरू कर दिया।ज़न्नत और मेरे पति हमारे पास ही बैठ कर पंकज के लंबे लंड को मेरी चूत की सैर करने के दृश्य का आनन्द उठाने लगे। उन दोनों ने मेरे हाथ थाम लिए और मेरे पूरे शरीर और मेरी चूचियों को सहलाने लगे। मैं अपने हाथों से ज़न्नत की चूचियों और नरेन के लंड को भी सहलाने लगी। पंकज इस सबसे जैसे बेख़बर होकर बेरोकटोक मेरी चूत की चुदाई में लगा रहा। पंकज मुझे लगभग 25-30 मिनट तक ज़ोर-ज़ोर से चोदता रहा और मेरे पेट पर अपना पानी निकाल दिया। ज़न्नत ने उसका रस अपनी साड़ी से पौंछ दिया। मेरे पति ने मुझे एक प्यारी मुस्कान के साथ मेरी चूत को एक प्यार भरी चुम्मी दी। मैंने भी उसका लंड दबा कर उसके होंठों पर चुम्मी देकर बड़े प्यार से उसको धन्यवाद किया। अब ज़न्नत की बारी थी। वो बिस्तर पर लेट गई। पंकज ने उसकी चूत चाट कर उसे तैयार किया और मैंने नरेन का लंड चूस कर उसे ज़न्नत को चोदने के लिए तैयार किया।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! ज़न्नत ने भी मुझसे अपने पति का लंड उसकी चूत में डालने की फरमाइश की, जो मैंने खुशी से पूरी कर दी। मेरे पति ने हमारे सामने ज़न्नत की चुदाई शुरू कर दी। पंकज और मैं उन दोनों के पास ही बैठ गए और उनके खेल का आनन्द उठाने लगे। पंकज और मैंने ज़न्नत के हाथ थाम लिए और उसके जिस्म, सिर, चूचियों और पेट को प्यार से सहलाने लगे। ज़न्नत भी मेरी चूचियों और पंकज के लंड से खेलने लगी और नरेन बेधड़क उसकी चुदाई किए जा रहा था। वाह, क्या सीन था…! नरेन की ज़न्नत के साथ 15-20 मिनट की घनघोर चुदाई के बाद पंकज बोला- नरेन, अब मैं तुम्हें ज़न्नत की गाण्ड मारते हुए देखना चाहता हूँ। नरेन ने कहा- ठीक है..! और ज़न्नत से घोड़ी वाले आसान में बिस्तर पर लेट जाने को कहा। ज़न्नत उकडूँ होकर बिस्तर पर लेट गई और पंकज ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ों को फैला कर नरेन के सामने ज़न्नत की गाण्ड खोल दी। फिर मैंने नरेन के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर ज़न्नत की गाण्ड के छेद में लगा दिया। नरेन धीरे धीरे अपना लौड़ा ज़न्नत की गाण्ड में घुसाने लगा, फ़िर जब पूरा लौड़ा अन्दर घुस गया तो जल्दी-जल्दी अन्दर-बाहर करके चोदने लगा। ज़न्नत को भी नरेन से अपनी गाण्ड मरवा कर बड़ा मज़ा आ रहा था। इस तरह से नरेन ने मेरे और पंकज के सामने 15-20 मिनट तक खूब ज़ोर-ज़ोर से ज़न्नत की गाण्ड को चोदा और फिर अपना रस ज़न्नत के गोरे-गोरे बड़े-बड़े चूतड़ों पर बरसा दिया। फिर मैंने अपनी साड़ी से पौंछ कर ज़न्नत के चूतड़ों को साफ कर दिया। इस तरह से दोनों जोड़ो ने एक-दूसरे के जीवन-साथी के जिस्म का खुल कर खूब आनन्द लिया। अपने अपने जीवन साथी को एक-दूसरे के जीवन साथी के साथ आमने-सामने बहुत पास से चुदवाते हुए देखने का आनन्द उठाया। उस दिन हम चारों को बीवियों को अदल-बदल कर चुदाई में खूब मज़ा आया। उसके बाद हम लोगों ने फिर थोड़ा विश्राम किया, कुछ खाया-पिया, कुछ देर ऐसे ही छुट-पुट बातें कीं। बाद में हमने ये निर्णय किया कि रात में पंकज और नरेन दोनों एक साथ ज़न्नत को और फिर दोनों मुझे एक साथ चोदेंगे। ज़न्नत और मैंने मिल कर नरेन और पंकज को उनके लंड चूस कर अपने दोनों के लिए तैयार किया। उसके बाद नरेन और पंकज ने मिल कर ज़न्नत और फिर मुझे बारी-बारी से चोदा। उन्होंने पहले मुझे चोदा, तो ज़न्नत उसी बिस्तर पर बैठकर मुझे चुदते देखती रही। पंकज ने मुझे घोड़ी वाले आसन में चोदा, तब मैं नरेन का लंड चूसती रही। फिर मेरे देखते-देखते उन दोनों ने ज़न्नत की चुदाई की, नरेन ने उसे चोदा और ज़न्नत ने अपने पति का लंड चूसा। उसके बाद तो उन दोनों ने मुझे और ज़न्नत को एक साथ बिस्तर पर लेट जाने को कहा और फिर वहाँ दोनों हम दोनों को बारी-बारी से चोदने लगे। पहले पंकज मुझे थोड़ी देर चोदता, फिर जाकर ज़न्नत को थोड़ी देर चोदता। इसी तरह नरेन ने पहले ज़न्नत को थोड़ी देर चोदा, फिर आकर मुझको को थोड़ी देर चोदा और फिर एक के बाद एक पंकज और नरेन अदल-बदल कर मुझे और ज़न्नत को एक साथ सारी रात चोदते रहे जब तक कि नरेन ज़न्नत के मखमली चिकने चूतड़ों पर और पंकज मेरी नाभि के ऊपर ना झड़ गया। उसके बाद हम सबने अपनी पहली चौतरफ़ा चुदाई की ही बातें कीं। हम सब को जिस बात ने सबसे ज़्यादा रोमांचित किया था वो ये नहीं था कि हमने किसी और को चोदा था, बल्कि एक ही बिस्तर पर चार-चार लोगों ने मिल कर एक साथ चुदाई लीला की.. अपने जीवन साथी को अपनी आँखों के सामने दूसरे को चोदते हुए देखने का भी एक अजीब रोमांच है जब कि खुद भी दूसरे के जीवन साथी के साथ उसी बिस्तर पर अपने जीवन साथी के सामने ही चुदाई कर रहे हों। अपने इस पहले अनुभव के पूर्व मुझे अहसास नहीं था कि मैं नरेन को किसी अन्य स्त्री को चोदते देख कर कैसा महसूस करूँगी और मैं अपने आप को किस तरह से इस बात के लिए तैयार करूँगी कि मैं नरेन के सामने किसी और आदमी से चुदवा सकूँ। पहले तो मैं यही सोचती थी कि नरेन मुझे दूसरे मर्दों से इसलिए चुदवाने दे रहा था ताकि वो उनकी बीवियों को उन्मुक्त हो कर चोद सके। धीरे-धीरे मैंने यह पाया दूसरे जोड़ों के साथ बीवी अदल-बदल कर चुदाई करने में वाकयी बड़ा आनन्द आता है। अब ना कि केवल मुझे नए आदमियों से चुदवाने में बड़ा आनन्द आने लगा, बल्कि नरेन को दूसरी स्त्री को चोदते देख कर भी मुझे बड़ा मज़ा आने लगा। जब मेरा पति नरेन किसी औरत को बेरोक-टोक 20-30 मिनट तक लंबे करारे धक्के मार कर अपने मोटे लंड से ज़ोर-ज़ोर से चोदता है तो मुझे उस औरत के चेहरे पर चुदाई का आनन्द और वासना की संतुष्टि के सुंदर भाव देखने में बहुत मज़ा आता है। नरेन भी इन औरतों को चोदने के साथ-साथ मुझे अपने सामने दूसरे आदमियों से चुदवाते हुए देख कर बहुत उत्तेजित होता है। हालाँकि पहले मैं काफ़ी संकोच करती थी, पर अब मुझे लगता है कि अगर जीवन में चुदाई का भरपूर मज़ा लेना हो तो सामूहिक चुदाई के अलावा और कोई ऐसा तरीका नहीं है जिसमें कि पत्नी को गैर-मर्दों से चुदवाने का मज़ा लेने के लिए अपने पति से कुछ छिपाना नहीं पड़ता है और उनका पति भी बिना अपनी पत्नी से कुछ छिपाए दूसरी औरतों को अपनी पत्नी के सामने बड़े आराम से चोद सकता है। ना किसी से कोई गिला, ना शिकवा, ना चोरी, ना बेईमानी, सिर्फ़ असली चुदाई का मज़ा, साथ-साथ एक-दूसरे के आमने-सामने चुदाई के आनन्द के दरिया में गोते लगाते का सुख लेते हैं। अपने विचार लिखें या मुझसे फेसबुक पर जुड़ें। [email protected]

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