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ऋषि सहगल भाभी ने इसके बाद कोई महंगी क्रीम को अपनी योनि में लगाई और उसे रगड़ती रहीं। वहाँ पर साबुन का झाग सा हो गया था और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा था। इसके बाद उन्होंने उसे पानी से साफ किया और फिर नहाने लगीं और नहाकर चली गईं। हमने भी अपने शेर को अपने हाथ से सहलाकर शांत कर दिया और चुपचाप अपने कमरे में आ गए। पर दिमाग में एक ही बात गूंज रही थी कि आखिर वो क्या था जो भाभी ने अपनी योनि में लगाया था। इसी बात का पता लगाने के लिए मैं जान-बूझकर भाभी का मग वापस करने गया। दरवाजे पर पहुँच कर मैंने दस्तक दी तो भाभी की अन्दर से आवाज आई- कौन है? मैंने बताया- मैं हूँ..! उन्होंने कहा- अन्दर आ जाओ। अन्दर जाकर मैंने कहा- भाभी आपका यह मग वापस करने आया हूँ। तो उन्होंने कहा- इसे बाथरूम में रख दो। आखिरकार मैंने जैसा सोचा था, वैसा ही हुआ। मैं बाथरूम में गया, तो देखा कि वो केवल फेसवाश था और कुछ नहीं, जिसे भाभी ने अपनी योनि में लगाया था। मग रखकर मैं वापस आया तो सोचा कि भाभी को बता दूँ। वो अपने बेडरूम में थीं, मैं सीधे वहीं चला गया। वहाँ जाकर मैंने देखा कि भाभी एकदम निर्वस्त्र थीं, जैसा कि लोग नहाने के बाद अपने रूम पर होते हैं और पहनने के लिए ड्रॉवर से अपनी कपड़े निकाल रही थीं। यह देख कर मैं थोड़ा झेंप कर वापस लौटने लगा और वहीं से आवाज लगाई- भाभी जग रख दिया है। पर कोई जवाब नहीं आया तो मैंने सोचा कि शायद सुना नहीं होगा, मैं वहीं खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद वो बिना कपड़े पहने ही बाहर कुछ सामान लेने आईं क्यूँकि उन्होंने सोचा होगा कि शायद मैं चला गया हूँ। मुझे देखकर वो एकदम भौचक्की सी रह गईं, उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि वो क्या करें। मैं भी बड़ी उलझन में था कि इस समय क्या करूँ..! भाभी को सम्भालूँ या बाहर जाऊँ…! पर मैंने भाभी को संभालना सही समझा। जैसे ही मैं उनके नजदीक गया, वो एकदम से ठिठकीं और मुझे जोर से डांटा- तुम अभी यहीं खड़े… जाओ यहाँ से !! यह सुनकर तो मैं डर गया और चुपचाप अपने कमरे में आ गया और फिर पूरा दिन भाभी के सामने नहीं गया। इसके बाद रात में भाभी मेरे कमरे में आईं और बोलीं- तुमको इस तरह वहाँ नहीं रुकना चाहिए था। मैं अभी भी डरा हुआ था तो मेरी जुबान नहीं निकल रही थी, मैं चुपचाप खड़ा था, वो मेरे नजदीक आईं। मुझे गले लगाया और कहा- डरो नहीं, अब इसमें इतना डरने की भी बात नहीं है, कुछ तो बोलो। तो मैंने धीरे से कहा- सॉरी भाभी…! इतना सुनते ही उन्होंने मुझे गले लगा कर कहा- ओके बाबा… अब रिलैक्स हो जाओ..! तब कहीं जाकर मैं रिलैक्स हुआ। इसके बाद मेरी और भाभी की काफी देर तक बात होती रहीं और बाद में भाभी अपने कमरे में चली गईं और मैं खाना खाने बाहर चला गया। धीरे-धीरे मेरी और भाभी की अच्छी बनने लगी और हम एक-दूसरे से काफी बातें शेयर करने लगे। एक दिन की बात है, भाभी ने मुझसे पूछा- क्या बात है ऋषि, आज बहुत खुश लग रहे हो, कोचिंग में किसी को प्रपोज़ कर दिया क्या? मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है, वो तो बस यूं ही खुश था। उन्होंने फिर पूछा- कोई तो कारण होगा…! तो मैंने कहा- कुछ नहीं… बस ऐसे ही..! थोड़े देर और बात हुई, फिर भाभी चली गईं। सच बताऊँ दोस्तो, तो मैं तो बाथरूम के उस नज़ारे को देखकर कल्पना कर रहा था और खुश हो रहा था। थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद मुझे पता नहीं ऐसा क्यूँ लगा कि शायद अगर मैं भाभी को यह खुश होने वाली बात बता दूँ, तो मुझे भाभी के साथ शायद ‘मौका’ मिल जाए। मेरे दिमाग में भाभी के बारे में पहले ऐसा कुछ भी नहीं था, पर अचानक.. आखिर अब हम भी जवान हो चुके थे तो ख्याल तो आ ही जाता है। पर एक डर भी था कि शायद भाभी कहीं बुरा न मान जाएँ। मैंने रिस्क लिया और छत से नीचे आया और सीधा भाभी के पास चला गया। मुझे देख कर भाभी ने पूछा- ऋषि क्या हुआ? मैंने कहा- भाभी आपको वो बात बतानी है, जिसकी वजह से मैं खुश था। उन्होंने कहा- हाँ बताओ। मैंने उनसे कहा- पहले आप प्रॉमिस करो कि गुस्सा नहीं करोगी। वो पहले तो नहीं मानी, पर फिर हाँ कर दिया और बोलीं- अब बताओ। मैंने उन्हें वो सब कुछ सच-सच बता दिया। उस समय तो उनकी आँखों में बहुत तेज़ गुस्सा दिख रहा था, पर प्रॉमिस की वजह से वो चुप थीं। पूरी कहानी सुनने के बाद थोड़ी देर तो वो चुपचाप बैठी रहीं। फिर अचानक बोलीं- अच्छा यह बताओ क्या जानते हो तुम इसके बारे में? कभी हाथ से छूकर देखा है? मैं तो यह सुनकर भौचक्का था, पर मैंने भी संभल कर जवाब दिया- अभी तक तो नहीं, पर अगर आप चाहें तो मैं जान भी सकता हूँ और छूकर देख भी सकता हूँ। फिर वो मुझसे बोलीं- अभी जाओ और रात में 11 बजे के बाद आना। मैं भी बिना कुछ बोले चुपचाप वापस आ गया। दोस्तो, शाम तक का सफर तो मैं बयान भी नहीं कर सकता कि कैसे-कैसे ख्वाबों ख्यालों में गुजारा। बड़ी मुश्किल से 11 बजे और मैं पहुँच गया भाभी के पास। मुझे देखते ही बैठने का इशारा किया और फिर अपने बेडरूम में चली गईं। मैंने सोचा पता नहीं क्या करने गई हैं। कुछ देर के बाद भाभी नीले रंग की मैक्सी पहन कर आईं, जिसमें वो और भी खूबसूरत लग रही थीं। वो भी आकर मेरे पास ही बैठ गईं। मैंने पूछा- घर पर कोई नहीं है क्या? एकदम सन्नाटा छाया हुआ है…! तो उन्होंने बताया- सभी लोग एक शादी में गए हैं… कल दोपहर तक ही आएँगे। इतना सुनते ही मेरी खुशी तो दुगनी हो गई कि अब तो जंगल में बिना डर के मंगल होगा। मैंने भाभी से कहा- कुछ बताइए..! उन्होंने कहा- इसमें कुछ बताना नहीं पड़ता, जो जी में आए वैसा ही करते जाओ, क्यूँकि उसी में मज़ा है। दोस्तो, आपको बता दूँ कि थोड़ा बहुत तो सेक्स का मुझे भी ज्ञान था, क्यूँकि दोस्तों के साथ पहले मैं ब्लू फिल्में देख चुका था। उसमें काफी कुछ समझ भी चुका था। ठीक उसी तरह करने का मन बनाकर मैंने भी भाभी से कहा- अब आप तैयार हो जाइए। इतना सुनते ही वो हँस पड़ीं और बोलीं- बेटा अभी तुम बच्चे हो, तुम कुछ कर नहीं पाओगे। यह सुनकर तो मेरे अन्दर का शैतान और शेर दोनों ही जाग गए, मैंने कहा- आप बस देखते रहिए..! मैंने अगर आपको अब तक के बेहतरीन सेक्स का मज़ा नहीं दिया तो मेरा नाम भी ऋषि नहीं..! इतना कहते ही, मैंने अपने होंठों को भाभी के होंठों से लगा दिया और चुम्बन करने लगा। थोड़ी देर चुम्बन करने के बाद तो हम दोनों के शरीर मे एक अजीब सी गर्मी अहसास हुआ और उत्तेजना से रोम-रोम उभरने लगा। भाभी भी मेरा बराबर का साथ दे रही थीं। करीब दस मिनट तक चुम्बन करने के बाद हम दोनों कब बिस्तर पर लेट गए, पता ही नहीं चला और अभी भी हम लगातार चुम्बन किए जा रहे थे। भाभी भी मुझे इस काम की माहिर खिलाड़ी लगती थीं, पर मैं भी कम नहीं था। मैं भी उसी जोश के साथ मैदान में डटा रहा। चुम्बन करने के साथ-साथ मैं उनके स्तनों को भी मैक्सी के ऊपर से दबा रहा था। हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में इस तरह से कैद हो गए थे कि लग ही नहीं रहा था कि कभी अलग हो पाएंगे और हम दोनों की गरम साँसें हमारी उत्तेजना को दुगना कर रही थी। धीरे-धीरे मैंने भाभी की मैक्सी को उनके पेट तक ले आया। पेट तक मैक्सी को लाते ही मुझे अहसास हुआ कि उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी। उसके बाद तो मैं सीधे होंठों को छोड़कर ‘जवानी की जन्नत’ को चूमने निकल पड़ा। मैंने जैसे ही अपने होंठों से योनि को स्पर्श किया, भाभी के शरीर ने एक जोरदार अंगड़ाई ली। मैं समझ गया था कि भाभी अब गर्म हो रही हैं। उनकी मखमली योनि को चूमकर तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने छैने का रसगुल्ला मुँह पर रख दिया हो। मैं तो उसे रसगुल्ला समझ कर चूसे जा रहा था। बीच-बीच में मैं अपनी जीभ से जैसे ही उनके उत्तेजक बिन्दु को छूता तो वो सिसकारियों से मेरा अभिवादन करतीं और मैं नए जोश के साथ उसे और ज़ोर से चूमता। धीरे-धीरे मैंने उनकी मैक्सी को उनके शरीर से अलग कर दिया, अब वो मेरे सामने निर्वस्त्र लेटी थीं। इसके बाद मैंने अपनी टी-शर्ट और जीन्स उतारी, अपने कपड़े उतारने का यह अल्प समय मुझे बहुत बड़ा लग रहा था। मज़े की बात तो यह थी कि मैं तो पहले से ही अंडर गार्मेंट्स पहन कर नहीं आया था क्यूँकि मैं आया ही इसी उद्देश्य से था। मेरे गठीले बदन को देखते ही भाभी उठीं और मुझे चूमने लगीं, उन्होंने अपने हाथों में मेरे लंड को लेकर बोला- हे भगवान, तुम्हारे पास इतना बड़ा…! इसके आगे वो बिना कुछ बोले ही लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगीं। उनके ऐसा करने से तो लंड की तो बात ही छोड़ो, मेरा तो रोम-रोम खड़ा हो गया था और मेरे मुँह से अजीब सी सिसकारियाँ बाहर आ रही थीं। कुछ देर चूसने के बाद तो मेरा सारा वीर्य उनके मुँह में ही निकल गया, वो उसे बड़े चाव के साथ पी गईं। वीर्य स्खलन के बाद भी वो उसे चूसती ही रहीं। उनके इस तरह करने से पहले मेरे लंड में ढीलापन आया, पर थोड़ी देर में वो फिर से कड़क हो गया। अब हम दोनों फिर से बिस्तर पर आ गए, मैंने भाभी से पूछा- अब करूँ? उन्होंने बिना कुछ बोले ही अपना सिर हाँ के अंदाज में हिला दिया। मैं भी भारतीय अवस्था में सेक्स करने के उद्देश्य से उनकी जाँघों के बीच जाकर बैठ गया और अपने लंड को उनकी योनि के प्रवेश-द्वार पर टिका दिया। इसके बाद मैंने थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो आधा लिंग योनि में प्रवेश कर गया। अगले प्रयास मे मैंने पूरा का पूरा लिंग भाभी की योनि में उतार दिया। पूरा लिंग उतरते ही भाभी की थोड़ी सी चीख निकल गई। इसके बाद तो मैं थोड़ी देर के लिए उनके ऊपर लेट गया, फिर हमने चोदन-क्रिया का प्रारम्भ किया। 10-12 मिनट के चोदन के बाद हम दोनों ही स्खलित हो गए, स्खलन के बाद तो हम एक-दूसरे के ऊपर ऐसे लेट गए, जैसे जान ही न हो। इसके बाद हम दोनों उठे और टाइम देखा तो रात के 2.30 बज चुके थे। पहले मैं बाथरूम गया और अपना लंड साफ कर ही रहा था कि भाभी भी आ गईं, तो फिर मैंने उनकी योनि को पानी से साफ किया और इस तरह हम बाहर आ गए। भाभी तो बेड पर लेटते ही सो गईं। मैं भी अपने कपड़े लेकर अपने कमरे में चला गया और सो गया। दूसरे दिन 11 बजे उठा तो देखा कि भाभी मुझसे पहले उठ गई थीं और घर के सभी लोग भी आ गए थे। मैं उठ कर बाहर गया, तो मैंने भी सब से ‘गुड-मॉर्निंग’ किया तो भाभी ने मुझसे ‘गुड-मॉर्निंग’ की जगह कहा- अब किसी से यह मत कहना कि तुम कुछ जानते नहीं हो, तुम तो माहिर खिलाड़ी हो..! इतना कहकर वो अपने कमरे में चली गईं और मैं भी अपने कमरे में आ गया। अब तो जब भी हमें मौका मिलता, मैं और भाभी हमबिस्तर हो जाते। दोस्तो, कहानी के बारे में राय देने के लिए मुझे मेल करें। [email protected]
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