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सम्पादक : इमरान
कई बार जोर से थपथपाने के बाद आवाज आई- कौन है…???? मैं- अरे श्याम खोल जल्दी से… मैंने जान बूझकर उसका नाम लिया और मेरी ट्रिक काम कर गई…
तुरंत दरवाजा खुला, मैंने एक झटके में दरवाजा पूरा धकेला और अंदर घुस गया… श्याम- अर्र्र्र्र रे रे रे क्या है…???? मैं- साले कमीने… इसे यहाँ क्यों ले आया तू? तुझे क्या कहा था… अब उसने मुझे पहचान लिया…
श्याम- वो साहब, मेमसाहब को बाहर ही उलटी हो गई थी… सब होटल गन्दा कर दिया… फिर बेहोश हो गई तो मैंने यहीं लिटा दिया था…
मैंने बिस्तर पर देखा… सलोनी वहाँ बेसुध लेटी थी… उसकी दोनों टाँगें खुली थीं… स्कर्ट ऊपर थी, टॉप चूची से नीचे थी। उसकी चूत और चूची दोनों पूरी तरह नंगी सामने से दिख रही थी !
मैंने एक जोर का थप्पड़ श्याम के गाल पर लगाया- …साले दरवाजा बंद करके तू कर क्या रहा था यहाँ? श्याम- अरे नहीं साहब, मैंने कुछ नहीं किया… बस इनका सीना मसलकर इनको होश में ला रहा था !
मैंने एक और थप्पड़ उसको जड़ दिया- वो तो दिख रहा है… साले इसको नंगी करके तू यहाँ दरवाजा बंद करके क्या कर रहा था? रुक साले, अभी मैनेजर को बुलाता हूँ…
श्याम- क्यों बात बढ़ाते हो साहब? आप भी तो इस माल को चोदने के लिए ही लाये हो… चलो आप चोद लो आराम से, मैं कमरे और आपका खर्च कोई नहीं लूँगा…
साला सच बहुत कमीना था… मैंने जानबूझकर ही उसको नहीं बताया था कि यह मेरी बीवी है। मैं- अच्छा तो तूने सब कर लिया?
श्याम- अरे नहीं साहब, मैंने कुछ नहीं किया, बस ऊपर ही ऊपर से मजे लिए हैं… मैं वैसे भी इन बाहर की लड़कियों के साथ कभी चुदाई नहीं करता… बीमारी का डर रहता है साहब… आप करो, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा…
वो जैसे मेरे ही मुँह पर वो बिना आवाज का झापड़ लगा गया था… मैं अपना सा मुँह लिए उसको जाता देखता रहा…
अब मैंने सलोनी की ओर ध्यान दिया, मैंने जाकर उसको देखा तो उसकी दोनों चूची पूरी लाल हो रही थी और निप्पल बिल्कुल खड़े थे…
मैंने जैसे ही हाथ लगाया तो सलोनी के दोनों निप्पल थूक से लसलसे से दिखे, मैंने तुरंत सलोनी की चूत को हाथ लगाया तो ओह…???
वोडका के 4 पेग लगाने के बाद मुझे अच्छा खासा नशा हो गया था… अभी कुछ देर पहले तक मैं बहुत मस्ती में था क्योंकि काफी दिनों के बाद मैंने इतने पेग एक साथ लिए थे…
मगर अभी कुछ देर की घटनाओ ने मेरे सारे नशे की ऐसी-तैसी कर दी थी… मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि जो मस्ती मैं करने आया था, वो ऐसी तो नहीं थी कि एक वेटर मेरी जान को ऐसे छोड़कर चला गया था !
सलोनी अभी भी बिस्तर पर लेटी थी, उसकी नंगी चूचियाँ अपने साथ हुए हर जुल्म की दास्ताँ सुना रही थी…
उसकी चूत पूरी तरह से खुली पड़ी थी… उसकी स्कर्ट जो वैसे ही बहुत छोटी थी और इस समय उसकी कमर के नीचे दबी थी… मेरा हाथ उसकी नंगी चूत पर चला गया।
जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ, वो बहुत गीली थी, चूत के आस पास के क्षेत्र से साफ़ पता चल रहा था कि उसके साथ छेड़छाड़ की गई है और चाटा भी गया है।
मगर मैंने जब अपनी गीली उँगलियों को सूँघा तो वो तो मेरी जान के चूत का ही पानी था…
मैं इस सुगन्ध को कैसे भूल सकता हूँ… जब भी सलोनी बहुत ज्यादा गर्म हो जाती थी तो उसकी चूत का पानी खुद व खुद निकलने लगता है… जिसकी खुशबू पूरे कमरे में फैल जाती है…
इसका मतलब सलोनी पूरी तरह गर्म हो गई थी, वो पूरा बेहोश नहीं थी, वो भी यहाँ जो भी हुआ था, उसका पूरा मजा ले रही थी…
मैंने एक बार फिर सलोनी की चूत पर उँगलियाँ घुमाई… सलोनी- अह्ह्हाआआआ ओह !
उसने एक जोर से सिसकारी भरी… इसका मतलब यह मजे ले रही है… हाँ, इसकी आँखें पूरी तरह बंद हैं… उसको नहीं पता कि उसके साथ कौन है…
मैंने उसको करीब 5 मिनट तक खूब गर्म कर दिया…
मेरा लण्ड भी पूरा तनतना रहा था मगर मैं अभी से सलोनी को चोद कर पूरा रात का मजा ख़राब नहीं करना चाहता था…
तभी वो वेटर फिर से कमरे में आ गयाम उसके हाथ में एक गिलास भी था…
वेटर श्याम- क्या साहब। चोद दिया क्या?? ऐसे कैसे मजा आया होगा आपको? लो, मैं यह नीम्बू पानी लाया हूँ… पहले इसको पिलाकर होश में लाओ, फिर आराम से इसकी चूत और गाण्ड दोनों मारना…
मैंने बिना कुछ बोले उससे गिलास ले लिया… सलोनी को उठाकर अपने कंधे पर अधलेटा किया और उसको वो नीम्बू पानी पिलाने की कोशिश करने लगा।
तभी वो वेटर साला मेरे सामने ही बैठ सलोनी की जांघें सहलाता हुआ बोला- साहब कुछ भी कहो… पर माल बहुत मस्त है… लगता है अभी नई ही धंधे में आई है… मैंने भी आज तक नहीं देखा…
कहानी जारी रहेगी।
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