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यारो, अपनी पहली कहानी में मैंने आपको अपने दोस्त की पत्नी चंदा रानी की भरपूर चुदाई का वाक़या बताया था, और यह भी बताया था कि चंदा रानी ने मुझे गुलाम बनाकर एक इनाम दिया था कि मैं उसकी छोटी बहन नन्दा की नथ खोलकर उसका कौमार्य भंग करूँ। आज मैं आपको उस अति उत्तेजक घटना का विस्तारपूर्वक उल्लेख करूँगा, जिसे पढ़ कर आप सभी का लंड सख्त होकर तनतनाने लगेगा।
जैसा कि पिछली कहानी में मैंने बताया था कि चन्दा की जोरदार चुदाई के तीन दिन के बाद उसकी सगी बहन नन्दा का अठारहवाँ जन्मदिन था, चंदा रानी ने शाम को एक पार्टी रखी थी जिसमें सिर्फ अड़ोस-पड़ोस के बड़े बच्चों को बुलाया था और मुझे उसने रात नौ बजे बुलाया था ताकि पार्टी समाप्त होने के बाद तसल्ली से हम अपना काम शांत करने का काम कर सकें। मैं पूरे नौ बजे चंदा रानी के घर पहुँच गया, दरवाज़ा सिर्फ भेड़ा हुआ था, चिटकनी नहीं लगाई थी अंदर से !
चंदा रानी जल्दी जल्दी पार्टी के बाद घर की सफाई में लगी थी। मैंने उसे बाहों में भींच के एक बहुत लम्बा चुम्बन लिया। चुम्बन के बाद वह बोली- राजे… बस दस मिनट तसल्ली कर ले… सफाई नहीं होगी तो मेरे सिर में टेंशन हो जाता है… तू बैठ आराम से ! ‘ठीक है रानी… तब तक तेरी बहन से जान पहचान कर लूँ… कहाँ है वो..’ ‘उसे छिपाकर रखा है… तू कुछ देर सबर तो कर… सारी रात अपनी है राजा !’
मैं सोफे पर टांगें पसार के बैठ गया। चंदा रानी ड्राइंग रूम को ठीक ठाक करने में दुबारा लग गई और में उसे सिर से पैरों तक निहारने लगा। भगवान ने इस कामवासना से भरपूर नारी को बड़े मस्त मूड में बनाया होगा। उसका हर अंग मैंने देख लिया था और हर अंग बेहद खूबसूरत था। मैं इस चुदासी चंदा रानी को घंटों बिना थके निहार सकता था। उसने ताड़ लिया कि मैं उसे लगातार देखे जा रहा हूँ। फिर से उसने अपना हाथ दिखाकर थोड़ी सी देर तसल्ली रखने का इशारा किया और एक फ्लाइंग चुम्बन मेरी तरफ उछाला। मैंने भी उसकी दूध से लबाबब चूचियाँ दबाने का इशारा किया। करीब पंद्रह मिनट में सब सही हो गया तो चंदा रानी आकर मेरे पास बैठ गई और मुझसे लिपट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगी। मैंने भी उसकी चूचियाँ निचोड़ना शुरू कर दिया।
जब दिल भर के चूम चुकी तो बड़े धीमे से मेरे कान में बोली- राजे… थोड़ा प्लान चेन्ज हो गया है… अब हम तेरे घर चलेंगे और तेरे बिस्तर पर ही इक्का दुक्की का खेल खेलेंगे… कितना मज़ा आयेगा न जब तेरे पलंग पर जिस पर तू अपनी पत्नी को चोदता है, उसी पे तू हम दो बहनों को चोद देगा। इतना सुन कर मेरा लंड फुंकार उठा, अपनी ही बीवी के बिस्तर पर दो पराई लड़कियों चोदना वाकयी में ठरक को सैकड़ों गुणा बढ़ाने वाली बात थी।
अपने ही बेडरूम में अपनी बीवी के साथ सोने वाले पलंग पर एक नहीं दो दो स्त्रियों के साथ सम्भोग करना कितना उत्तेजित करने वाली बात थी, ऐसा सौभाग्य लाखों में ही किसी को मिलता है, जबकि दूसरी जगहों पर चुदाई तो बहुत से आदमी कर लेते हैं। लंड हुमक हुमक के तंग करने लगा। चंदा रानी ने भी कस के अकड़ा हुआ लौड़े को महसूस कर लिया था, बोली- अरे तू इतनी देर इंतज़ार भी कर पायेगा या नहीं… तेरा तो मुझे हाल खराब लग रहा है… कहे तो चूस के एक बार झाड़ दूं… बोल… क्या कहता है? इतना कह के उसने मेरे लंड को पैंट की ज़िप खोल के बाहर निकलने की चेष्टा की।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मैंने उसका हाथ हटा दिया और कहा- रानी… नहीं… अब तो मैं तुम दोनों की चूतें अपने बिस्तर पर ही लूंगा… आज तो दोनों बहनों की चूतों को फाड़ डालने की मंशा हो रही है मेरी।
‘हाय मेरा चोदू गुलाम… बड़े जोश में है मेरा राजा… हाँ हाँ… खूब चोदियो… हम भी तो तैयार बैठी हैं तेरे इस भोले मूसल चंद को अंदर घुसेड़ने के लिये !’ चंदा रानी ने प्यार से मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से थपथपाया। ‘राजे.. अब तू जल्दी से घर जा… हम आधे पौने घंटे में पहुँचती हैं… मैंने यहाँ सब पड़ोसियों को कह दिया है कि मुझे रात को बहुत डर लगता है… इसलिये मैं अपनी बहन के साथ रात को सोने के लिये अपने पति के एक दोस्त के घर जाया करूँगी… क्योंकि हम दो लोग हैं इसलिये किसी ने कोई बात नहीं बनाई… अगर बहन साथ ना होती तो यह नहीं हो सकता था.. तो राजे अब तो हम मेरे पति के आने पर ही तेरे घर में सोना बंद करेंगे… तेरी पत्नी आयेगी बीस दिन के बाद और मेरा चूतिया आयेगा एक महीने के बाद… .अब ज़रा सोच राजे… अगले बीस दिन तो खुल के हम तीनों चुदाई करेंगे… तेरी बीवी के आने के बाद भी कुछ ना कुछ रास्ता निकल लेंगे चोदने का… क्यों ठीक है ना… खुश मेरा राजा..बस तू तैयार हो जा मस्ती से भरे बीस दिन की मौज के… और हाँ तेरे खाने पीने का भी आराम हो जायेगा.. हम अकेले खुद थोड़े ही खायेंगे… तेरे लिये भी तो खाना बनायेंगे।’
क्या ज़बरदस्त स्कीम थी। मेरे मन तो उछलने लगा यह सोच सोच के कि रोज़ाना रात को दो दो हसीनाओं को मैं चोदूँगा, हाय कितना मज़ा आयेगा !!! मादरचोद चूतनिवास, तू गांडू वाकयी में मुकद्दर का सिकंदर है !!! खैर मैंने अपने मोटर साइकल को किक मारी और दस मिनटों में अपने घर आ गया जो करीब तीन किलोमीटर दूर था। चंदा रानी को आधा घंटा लगेगा क्योंकि उनको रिक्शा से आना था।
घर आकर मैंने बेडरूम को ठीकठाक किया, अलमारी से दो साफ तौलिये निकाले, चार पांच नैपकिन निकाले और फिर पास के बाज़ार से कुछ मिठाई और एक क्रेट कोकाकोला का लेकर आया। मिठाई और छह कोका कोला को फ्रिज में रख दिया और फिर मैं सोफा पर आराम से चंदा रानी और उसकी बहन नन्दा की प्रतीक्षा करने लगा। वे लोग करीब पौने घंटे के बाद आये।
चंदा रानी गोद में बच्चा संभाले अंदर घुसी और नन्दा रानी पीछे पीछे घर मे दाखिल हुई। नन्दा रानी को मैंने बड़े ध्यानपूर्वक ऊपर से नीचे तक निहारा। लम्बा क़द, छरहरा शरीर, मध्यम भूरे रंग के घने कंधों पर लहराते हुए सुन्दर बाल, गुलाबी होठों से सजा हुआ खूबसूरत चेहरा, सुराहीदार गर्दन, ताज़े ताज़े उभरे संगतरे के आकार के चूचुक, बहुत ही दिलकश हाथ और पैर। रंग एसा गोरा कि कश्मीरी लोग भी फीके पड़ जाएँ, फिगर ऐसी कि मॉडल लड़कियाँ शर्म खाएँ, बड़ी बड़ी भूरी आँखें, त्वचा बिल्कुल साफ और रेशम जैसी चिकनी, कोई मेकअप नहीं।
खैर उसे मेकअप की ज़रूरत थी भी नहीं ! शक्ल चंदा रानी से काफी मिलती थी, फर्क यह था कि चंदा रानी गुदाज़, गदराई जवानी थी जबकि नन्दा रानी एक पतली कमसिन युवती थी जो आज के ही दिन व्यस्क हुई थी। चंदा रानी के बाल गहरे भूरे थे और उसकी आँखें भी गहरे भूरे रंग की थीं। दोनों बहनों में क्या गज़ब की कामुकता कूट कूट के भरी हुई थी। ऐसा लगता था की एक ही घर में भगवान ने सारी खूबसूरती पैदा कर डाली।
मेरी बीवी भी बहुत गोरी और सुन्दर है पर नन्दा रानी के सामने वह ज़्यादा तो नहीं पर थोड़ी सी फीकी दिखती। मैंने नन्दा रानी को अबके से कस के बाहों में भींच लिया और उसका मुंह अपनी तरफ करके टपक से अपने होंठ उसके गुलाबी होंटों पर सटा दिये। वह अचकचा गई क्योंकि पहले किसी मर्द ने उसे चूमा नहीं था और वह समझ ना पा रही थी कि क्या करे। उसने सकुचाते हुए खुद को मेरे बाहुपाश से छुड़वाना चाहा लेकिन मैंने बहुत ज़ोर से जकड़ा हुआ था। ‘राजे… यह बिल्कुल नादान है… इसे हर चीज़ समझानी पड़ेगी… .थोड़ा बहुत तो मैंने बताया है परंतु बाकी का तुझे ही समझाना होगा।’ चंदा रानी की आवाज़ आई। वह बच्चे को बहला रही थी, बच्चा दूध पिये हुए था और अब खेल रहा था, अभी उसका कोई सोने का मूड दिखाई नहीं पड़ रहा था। मैं बोला- ठीक है !
और नन्दा रानी को चूम के बोला- नन्दा रानी… अभी जो मैंने तेरे साथ किया वह चुम्बन कहलाता है। इसे बहुत देर देर तक किया जाता है… .इसे जितना ज़्यादा करेंगे, चुदास उतनी ही बढ़ेगी… इसका पूरा मज़ा लेने के लिये एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ घुसा दी जाती है और फिर बारी बारी से मर्द और औरत एक दूसरे की जीभ चूसते हैं। इससे दोनों के मुंह का रस दूसरे के मुंह में चला जाता है जिस से प्यार में वृद्धि उतनी ही अधिक होती है।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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