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पूजा अरोड़ा सुबह तक तो आँख ही नहीं खुली, बड़ी गजब की नींद आई थी उस रात। उठ कर देखा तो पाया कि हम दोनों ही नंगे थे और ननदोई जी का लंड अभी भी खड़ा था। मन किया कि बैठ जाऊँ उस पर ! पर रात बात याद आ गई तो हिम्मत ही नहीं हुई, कहीं सुबह सुबह हालत ख़राब न कर दें.. चाय बना कर ननदोई जी को जगाया, फिर चाय पीते पीते वो फिर मूड में आ गए। मैंने मना कर दिया कि दिन भर थकान रहेगी, रहने दो, फिर कभी.. ननदोई जी- कोई थकान नहीं होगी। मैं- कैसे नहीं होगी… रात की अब जाकर हटी है, पूरी रात सोने के बाद ! ननदोई जी- तुम मत करना, मैं कर लूँगा, तुम तो बस लेटी रहना। लेटी रहने से कोई थकान थोड़ी होती है। पर मैं नहीं मानी तो ननदोई जी ने जबरदस्ती मुझे पकड़ा कर लेटा दिया और कहा- हाथ पैर मारोगी तो थकान होगी। इस पर मैं मान गई और बेड पर लेट कर अपनी मैक्सी ऊपर कर अपने पैर पसार कर अपनी चूत ननदोई जी के लिए आगे कर दी.. ननदोई जी- यह मैक्सी उतार दो, इसमें मजा नहीं आएगा, जब तक तुम्हारा पूरा नंगा बदन नहीं सामने आता, मज़ा नहीं आता ! और उन्होंने मेरी मैक्सी उतार कर फ़ेंक दी। ननदोई जी मेरी टाँगों के बीच में आकर अपने लण्ड से मेरी चूत में निशाना लगाने लगे और एक झटके में ही पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में उतार दिया.. मेरे मुँह से हल्की सी चीख निकल गई। ननदोई जी- क्या हुआ? दर्द हुआ..? मैं- और नहीं तो क्या… ऐसे घुसाते हैं क्या ! ननदोई जी- वो गीली नहीं थी, शायद इसलिए हुआ होगा ! और चालू हो गए.. मैं तो बिस्तर पर ऐसे ही पड़ी रही और मजे लेने लगी। करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद ननदोई जी का सारा माल मेरी चूत में आ गया और वो मेरे ऊपर पसर गए.. मैंने उन्हें हटाते हुए कहा- हो गया ! अब काम कर लूँ या अभी आग ठंडी नहीं हुई है? ननदोई जी हांफ़ते हुए कहने लगे- हो गया… कर लो… मै- अब और नहीं करेंगे… पैकिंग भी करनी है मुझे… ननदोई जी- ठीक है… मैं मैक्सी पहन कर आ गई और घर के काम में लग गई। दिन भर ननदोई जी शांत ही रहे। शाम को हमें निकलना था इसलिए मै पैकिंग में लग गई। शाम को करीब 3 बजे मैंने ननदोई जी से तैयार होने को कहा और खुद भी तैयार होने लगी.. मुझे करीब आधा घंटा लगा तैयार होने में और जब बाहर आई तो देखा ननदोई जी तो वैसे के वैसे ही हैं, तैयार नहीं हुए। पूछने पर कहने लगे- मैं तो ऐसे ही जाऊँगा। मैं- कैसी लग रही हूँ? ननदोई जी- कातिल लग रही हो। मैं- मतलब? ननदोई जी- बड़ी सुन्दर लग रही हो… जी कर रहा कि बस चिपक ही जाऊँ… मैंने सोचा कि चिपक तो सकती ही हूँ तो मैंने अपनी बाहें फैला ली। ननदोई जी तुरन्त उठे और मुझे लिपट गए, मेरे होंट चूसने की कोशिश करने लगे। मैं- मेरी लिपिस्टिक ख़राब हो जाएगी, बड़ी मेहनत से लगाई है। ननदोई जी- कोई बात नहीं, फिर लगा लेना, अगर चूमूंगा नहीं तो मजा भी नहीं आएगा। मैंने सोचा कि कोई बात नहीं, लिपिस्टिक तो फिर लगा लूंगी, पर यह मेरी गलती थी। वो मेरे होंट चूसने लगे और मेरे चूतड़ों को जोर से दबाने लगे, मेरी कमर पर हाथ फेरने लगे। इसमें मुझे अच्छा लग रहा था तो मैं कुछ नहीं बोली। धीरे धीरे मेरी इच्छा भी होने लगी। इतने में ही ननदोई जी ने पता नहीं कैसे मेरे पेटीकोट का नाड़ा ढूंढ कर खींच दिया। साड़ी भारी थी तो पेटीकोट और साड़ी नीचे गिर गई। ननदोई जी नीचे झुके और मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत चाटने लगे। मेरे तो सारे शरीर में करंट दौड़ गया, पांव जमीं पर टिक ही नहीं रहे थे। मैं बड़ी मुश्किल से ननदोई जी के बाल पकड़ कर खड़ी रही… ननदोई जी मुझे धीरे धीरे बिस्तर की ओर सरकाने लगे और बिस्तर के पास जाकर तो मैं सीधे पसर गई। ननदोई जी ने मेरी पैंटी उतार कर चूत चाटनी शुरु कर दी। मैं तो जैसे जन्नत में ही पहुँच गई थी। अब ननदोई जी ने चूत चाटते चाटते ही मेरा ब्लाऊज़ और ब्रा हटा दी। कुछ देर बाद ऊपर सरक कर मेरे चूचे चूसने चालू कर दिए। मुझे इस बार बड़ा मजा आ रहा था। मैं तो बस आँखें बंद कर मजे लूट रही थी और ननदोई जी मुझे लूट रहे थे। थोड़ी देर बाद ननदोई जी ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और चुदाई चालू कर दी। उन्होंने कई तरह के आसनों से मेरी चुदाई की, मुझे सभी में मजा आया और दो बार मैं झड़ भी चुकी थी। थोड़ी देर बाद ननदोई जी ने मुझे उनका लंड चूसने को कहा और मैं उनके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। इस बार चूसने में ज्यादा मजा आ रहा था। तभी ननदोई जी बोले- जान, क्या तुम पीछे से करने दोगी? मैं- दर्द होगा ! ननदोई जी- मजा भी तो आएगा ! और फिर पता नहीं अब कब मौका लगेगा। मैं एक बार तुम्हारी गांड में अपना वीर्य डालना चाहता हूँ। मैं मना नहीं कर पाई क्योंकि उन्होंने मुझे बड़े मजे दिए थे, मेरी चुदने की सारी इच्छा पूरी की थी। मै मान गई और उठ कर क्रीम लेकर आई। मैंने उल्टी होकर अपनी अपनी गांड ननदोई जी की तरफ कर दी। ननदोई जी उठे और क्रीम मेरी गांड के छेद पर लगा दी और उसे मसलने लगे तभी उन्होंने अपनी एक अंगुली मेरी गांड के छेद में डाल दी। मैं तो आगे हो गई.. ननदोई जी- क्या हुआ? मैं- कुछ नहीं… बस ऐसे ही ! अब ननदोई जी फिर से अंगुली डाल कर छेद को लंड के लिए तैयार करने लगे। अब तो मुझे भी मजा सा आने लगा था। थोड़ी देर बाद ननदोई जी उठे और मेरी गांड और टाँगों को थोड़ा फैलाया और गांड के छेद पर लंड लगाने लगे। मुझे पता था कि दर्द होगा और एक बार पहले ही वो ऐसा कर चुके थे। मैंने आँखें बंद कर ली और मुँह तकिये में छुपा लिया कि कहीं मेरी चीख ज्यादा तेज हो और आवाज बाहर चली जाये। पर इस बार लंड धक्के से साथ फिसल गया क्योंकि मैं आगे सरक गई थी। ननदोई जी- जानू, आगे मत जाओ वर्ना यह अन्दर नहीं जायेगा। मैं- क्या करूँ… दर्द होता है तो आगे अपने आप ही हो जाती हूँ। इस पर ननदोई जी ने मेरी कमर को कस कर पकड़ा और लंड को आगे धक्का दिया और मेरी कमर को पीछे खींचा। इस बार लंड गांड के अंदर चला गया और मेरी तो जान ही गले में आ गई। “आइ… इइइइइइइइइइ… इस्स्सीईईईईईए… बाहाआआआआईईईईईईईई रर निकालो… मर गई ! इस पर ननदोई जी ने लंड थोड़ा पीछे किया तो जैसे जान में जान आई, वो वहीं पर लंड को आगे पीछे करने लगे। अब दर्द थोड़ा काम हुआ था कि इस बार ननदोई जी पूरा जोर लगा कर जोर से धक्का दिया। इस अचानक हमले से मैं तो घबरा ही गई और मुंह तकिये में दबा कर चीखने और रोने लगी। ऐसा लग रहा था कि मेरी गांड फट गई और उसमें से खून आने लगा हो। ननदोई जी धीरे धीरे लंड को आगे पीछे कर रहे थे। अब दर्द कम होने लगा और कुछ राहत महसूस हुई। इतने में ही मेरे पति का फ़ोन मेरे मोबाइल पर आ गया। मैं तो डर ही गई। ननदोई जी- बात कर लो, क्या कह रहा है। मैं- नहीं… मुझे डर लग रहा है। ननदोई जी- उसे कौन सा मोबाइल में दिख जायेगा कि तुम नंगी हो और अभी मुझ से चुद रही हो। इस पर मैंने फ़ोन उठाया और कहा- हम निकल ही रहे हैं। मेरे पति भी कहने लगे- आ जाओ ! मुझे चोदने का मन है। मैंने ‘रात को…’ कह कर फ़ोन काट दिया। ननदोई जी ने पूछा- क्या होगा रात को? मैं- अब रात को वो भी चोदने के लिए कह रहे हैं। मैं कितनी बार चुदूँ? ननदोई जी- जान, तुम चीज ही ऐसी हो कि कोई तुम्हें देखे तो बस चोदने की ही सोचेगा। और मैं तो बस 24 घण्टे तुम्हें चोदना चाहता हूँ। मैं- अच्छा चलो फिर अभो तो पूरा करें ! और ननदोई जी चालू हो गए। अब तो ननदोई जी ने धक्के के लिए भी सही जगह बना ली, वो धक्के तेज करने लगे। दर्द तो काम हो गया था और मजे भी आने लगे.. थोड़ी देर बाद ननदोई जी ने मुझे बिस्तर पर उल्टा ही लेटा दिया और मेरी गांड मारने लगे.. करीब 5 मिनट बाद उन्होंने लंड पूरा अंदर घुसा कर रोक लिया और पूरा वीर्य मेरी गांड में भर दिया और हम ऐसे ही पड़े रहे। काफ़ी देर बाद मैं उठ कर फिर नहा कर तैयार होकर आई और हम लोग शादी के लिए निकले.. ये मेरी चुदाई की सबसे अच्छे दिन थे जब मैंने पूरे मजे लिए और दिए… मैं शादी के बाद से ही ऐसी चुदाई के सपने देखा करती थी जो अब पूरे हुए। इसके बाद ननदोई जी ने मुझे रास्ते में गाड़ी की पिछली सीट पर चोदा जो बड़ा मजेदार अनुभव रहा था और रात को मेरे पति ने… ये मैं बाद में बताऊँगी !
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