This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरी पहली आपबीती तो आपने पढ़ी ही होगी कि किस तरह से मेरे ननदोई ने मेरा पहले यौन शोषण किया और बाद में मुझे कैसे मेरी मर्जी से मुझे पूरा मज़ा दे दे कर चोदा।
घर के सभी लोग तो शादी में जाने की तैयारी कर रहे थे, मैं खुद भी शादी में जाना चाहती थी। मैं बड़ी उत्साहित थी शादी में जाने के लिए।
एक दिन ननदोई जी का फ़ोन आया कि मैं किसी बहाने से शादी में जाने से मना कर दूँ और बाद में उनके साथ शादी में चलूँ। क्योंकि ननद को तो हमारे साथ जाना था जबकि ननदोई जी को दो दिन बाद शादी में जाना था। उनका कोई जरूरी काम था जिसकी वजह से वो शादी में लेट जा रहे थे। जब मैंने न जाने की वजह पूछी तो वो कहने लगे- यहाँ पर मजे करेंगे।
मैं मान गई और ना जाने का कोई जानदार बहाना सोचने लगी।
मैं शादी में जाने के एक दिन पहले से ही तबीयत ख़राब होने का नाटक करने लगी इसलिए सब लोग सोचने लगे कि मुझे बीमार छोड़ कर कैसे जायें। तब मैंने कहा कि मैं शादी में बाद में ननदोई जी के साथ आ जाऊँगी वरना पहले जाने से कही मेरी तबीयत और ज्यादा ख़राब ना हो जाये। शादी में जाना जरूरी था पर मेरे पति भी मेरे साथ रुकने के लिए कहने लगे। पर बाकी सबको कौन ले जाता इस कारण उन्हें जाना पड़ा। दिन के 3 बजे के आस पास वे लोग शादी के लिए निकल गए।
ननद मुझे कह कर गई थी कि ननदोई जी शाम को 7 बजे के आस पास आ जायेंगे। पर 4 बजे ही ननदोई जी तो घर पर आ गए। आते ही वो तो मुझ पर टूट पड़े।
मैंने कहा- थोड़ा सब्र भी कर लिया करो। हर बार उतावले ही रहते हो..
ननदोई जी- क्या करूँ जान… तुम हो ही ऐसी कि सब्र तो छोड़ो, मन तो ऐसे करता है कि जब भी तुम सामने आती तो हो बस सबके सामने ही तुम्हें चोद दूँ। पर क्या करूँ, मन मारना पड़ता है।
मुझे इस बात पर हंसी आ गई।
ननदोई जी- इसमें हंसने की क्या बात है… तुम हो ही ऐसी !
इस पर तो मैं जोर से खिलखिला पड़ी आखिर मेरी तारीफ हो रही थी।
ननदोई जी- कोई बात नहीं, हंस लो, जितना चाहे हंस लो पर तुम्हें चोद चोद कर उतना ना रुलाया तो मेरा नाम बदल देना।
मैंने कहा- अच्छा… देखो कहीं उल्टा ना हो जाये…
ननदोई जी- तो लो फिर… अब से ही चालू हो जाता हूँ। फिर तुम्हें पता लगेगा।
कहते कहते ही उन्होंने मेरी साड़ी पूरी खींच कर हटा दी और मुझे हॉल के दीवान पर गिरा लिया। मेरे गिरते ही मुझ पर लेट कर मुझे चूमना चालू कर दिया। मैं भी इसमें उनका साथ दे रही थी।
थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक खोले और मुझे बाजू का शारा देकर ऊपर उठा कर मेरा ब्लाउज हटा दिया और ब्रा को भी हटा दिया। वो मेरे उरोजों को बुरी तरह से चूस रहे थे।
चूसते चूसते कई बार वो काट लेते जिससे मेरी आहें निकल जाती तो इस पर वो मुस्कुरा देते थे। मेरे स्तनों को मसल मसल कर लाल कर दिया था और कई जगह काट भी खाया था ननदोई जी ने। ननदोई जी ने इसके बाद मेरा पेटीकोट भी उतार दिया और मेरे पेट पर चुम्मा ले लिया। इस चुम्मे से तो मुझे 440 वोल्ट का झटका लगा।
इसके बाद ननदोई जी ने मेरी चूत की चुम्मी लेते लेते हुए मेरी पेंटी भी हटा दी। मेरी साफ चूत उनके सामने आ गई। ननदोई जी- इसकी खास सफाई कर रखी है… क्यों?
मैं- पहले शादी में जाने के लिए थी, अब तुम्हारे लिए है। इस पर ननदोई जी मेरी चूत को चाटने लगे।
मैं तो बुरी तरह से झनझना गई, मेरी तो हालत ख़राब होने लगी। ननदोई जी का मुँह मैं पैर से तो कभी हाथ से चूत पर दबाती।
इसके थोड़ी देर बाद ही ननदोई जी उठे और उनके कपड़े उतार दिए। उनका खड़ा लण्ड देख कर तो मजा ही आ गया था। मुझे लगा कि यह बस अभी मेरी चूत में चला जायेगा। पर ननदोई जी ने तो उसे मेरे होंठों से भिड़ा दिया तो मैंने उसे मुँह में ले लिया।
थोड़ी देर लण्ड चुसवाने के बाद उठे, उन्होंने मेरी टांगें फैलाई और उनका लण्ड मेरी चूत में सरकने लगा। चूत के गीली होने से एक बार में ही अंदर समा गया पर मेरे मुँह से तो चीख ही निकल गई।
ननदोई जी जोर जोर से धक्के मार रहे थे, मेरी सांसें बड़ी तेज चल रही थी और मेरे मुँह से तो आह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह… हुन्न्न्न्न… न्न्न्न्न… आउउच्च… चच्छक… की आवाजें निकल रही थी और ननदोई जी लगातार मुझे चोदते जा रहे थे।
करीब दस मिनट बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं ननदोई जी से कहने लगी- आआह्ह्ह्ह जान्न्न्न्न… जरराआआ जोअर से आउच्च… च्च्च्च्च… च्च्छ्ह्हह… अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह…ओह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह करो… मजा आआ… रहा आआ आ अऊऊछ्ह्ह्ह्हह्ह है। एक जोरदार चीख के साथ मैं ननदोई जी से लिपट गई..
पर ननदोई जी तो झटके मारे जा रहे थे, हॉल में फच फच की आवाजें आ रही थी… मेरी सिसकारियाँ पूरे हॉल में गूंज रही थी।आज तो मैं खूब जोर से चिल्ला रही थी क्योंकि घर में कोई नहीं था..
मेरी आहें और सिसकारियाँ तो ननदोई जी में जोश भर रही थी। करीब 15 मिनट जबरदस्त चुदाई के बाद ननदोई जी ने पूरा वीर्य मेरी चूत में उड़ेल दिया। ननदोई जी हाँफते हुए मुझ पर पसर गए।
इसी बीच मेरा काम एक बार और हो चुका था.. ननदोई जी और मैं ऐसे ही हाल में सो गए।
उसके बाद काफी देर बाद में उठी और कपड़े पहन कर रात के लिए खाना बनाने लगी। थोड़ी देर बाद ननदोई जी भी उठ गए और उनको चाय पिलाई… उसके बाद हम दोनों बस आपसी छेड़छाड़ ही कर रहे थे।
रात को ननदोई जी ने कम खाना खाया, पूछने पर बोले कि ज्यादा खाने से नींद आती है और आज तो मुझे सोना भी नहीं है और सोने देना भी नहीं है। मैं हंस पड़ी।
हमने खाना खाया और बर्तन साफ करके मैं हॉल में आ गई। ननदोई जी टीवी देख रहे थे, मैंने सोचा पहले नहा लूँ फिर उनके पास जाऊँगी। मैं सीधे कमरे में आकर नहाने चली गई।
ननदोई जी ने म्यूजिक चला दिया। थोड़ी देर बाद ननदोई जी भी बाथरूम में आ गए और मुझसे लिपट गए। हम एक दूसरे को चूमने लगे और एक दूसरे को नहलाया।
उसके बाद ननदोई जी मुझे उठा कर बेड पर ले आये और मुझे पर सवार हो गए। उन्होंने मेरी टाँगें चौड़ी की, अपना खड़ा लण्ड मेरी चूत में भिड़ाया और उनका लंड मेरी धुली हुई फ़ुद्दी मे प्रविष्ट हो गया।
ननदोई जी के धक्कों से मेरे मुँह से तो सिसकारियाँ रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैं आआ अह्ह्ह थोड़ाआआ धीरेएए… आआह्ह ओह्ह्ह्ह ईईई थोड़ाआ आह्ह्ह म्म्म्म्म अम्म्म्म ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
पर वो तो जैसे घोड़े पर सवार थे… थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया। इसके बाद जो उन्होंने धक्के मारने चालू किये कि क्या बताऊँ… मैं तो बुरी तरह से आगे पीछे हो रही थी, मेरे चूचे तो ऐसे हिल रहे थे की लग रहा था कि ये तो नीचे लटक कर अलग ही जाएँगे… मेरे मुँह से तो बस अह्ह… ह्ह… ह्ह्ह… धीरे… मर गई… ही निकल रहा था।
और ननदोई जी तो चूत की रगड़ाई, मसलाई, पिसाई में लगे थे। ननदोई जी बोले- कितने दिनों से ऐसी बहशियाना चुदाई करना चाह रहा था, आज तो मिला है मौका… खूब चिल्ला… और मजे ले…
मुझे अब समझ में आया कि यह म्यूजिक क्यों चला रखा है, ताकि हमारी आवाजें बाहर तक ना जा सकें। अब तो मैं और जोर से मजे में चिल्लाने लगी।
इससे ननदोई जी और जोश में आ गए और उनकी स्पीड बढ़ गई.. मेरी तो जैसे जान ही निकलने को हो गई.. मै- बस जान… थोड़ाआ… आईईईए धीरेएए… और मैं आगे खिसक कर उनसे अलग हो गई…
इसके बाद ननदोई जी ने मुझे अपनी गोद में बिठाया और लंड मेरी चूत में डाल कर चुदाई करने लगे। इस तरह इस आसन में यह मेरा पहल अनुभव था। ननदोई जी मेरे होंठ चूसने लगे।
इसमें तो बड़ा मजा आ रहा था मेरी सिसकारियाँ तो बस दब सी गई थी केवल ह्म्म म्म्म्म ह्म्म्म्म म्म्म्म्म ही मुँह से निकल रहा था। ननदोई जी कभी कभी मेरे चुचूक चूसते तो बस मजा आ जाता… काफी देर तक ऐसे ही करने के बाद ननदोई जी ने मुझे ऐसे ही बिस्तर पर लेटा दिया और मुझसे चिपक कर धक्के मारने लगे। इस बार धक्के ज्यादा अन्दर तक और रुक रुक कर मार रहे थे।
मुझे लग गया कि बस अब वो फारिग होने वाले हैं और मैंने अपनी चूत को थोड़ा और खोल कर उनके वीर्य को उसमें समाने के लिए तैयार कर लिया और कुछ देर में ही सारा माल मेरी चूत में भर गया। बड़ी गजब की गर्मी थी उसमें, जिसने मुझे पूरा ठंडा कर दिया। ननदोई जी तो बस निढाल हो कर मेरे ऊपर पसर गए.. मैं भी बहुत थक गई तो ऐसे ही मैं भी सो गई.. कहानी जारी रहेगी !
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000