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हैलो दोस्तो, मेरा नाम कमल है मैं 20 साल का हूँ। मैं अपने सेक्स के बारे बताने जा रहा हूँ जो कि मैंने पड़ोस की आरती चाची के साथ किया। आरती चाची 32 साल की हैं पर लगती नहीं हैं। पतला सा जिस्म छोटे-2 से चुच्चे, लाल होंठ, गोरा बदन, बस माल हैं।
बात तब शुरु हुई जब एक दिन मैं उनके घर अपना कमीज वाशिंग मसीन के ड्रायर में सुखाने गया। मैं जल्दी-2 में सीधा बाथरूम में चला गया, वाशिंग मशीन वहीं थी। पर जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि आरती चाची नहा रही थी और चूत में हाथ डाले बैठी थी। मुझे देखते ही उन्होंने दोनों हाथो से अपनी छाती छिपा ली। मैं भी चुपचाप खिसक लिया वहाँ से ! थोड़े दिनों तक मैं चाची के घर नहीं गया।
एक दिन चाची ने मुझे बुलाया, मुझसे कहने लगी- कमल, क्या हुआ जो घर नहीं आए? ऐसा तो चलता रहता है, डरो मत इससे हमारे रिश्ते पर फर्क नहीं पड़ता। मैंने मस्ती में बोला- चाची, लगता है आजकल खुजली ज्यादा हो रही है? चाची भी मस्ती में बोली- बेटा, मैंने कई तिलों का तेल निकाला हुआ है !
बस फिर क्या था, मैं मौका देखकर चाची से सेक्सी बातें करने लगा, चाची भी मुझसे घुलमिल गई। मौका देखकर मैं भी चाची पर हाथ फेर ही देता था। एक दिन मैंने चाची से पूछ ही लिया- चाची, अब तो चूत के दर्शन करवा दो ! चाची भी मुँह बनाकर बोली- कमल, इसे हसीं मजाक तक ही रहने दो ! मैंने भी कह दिया- चाची, आपका तो फायदा है, आपको कोई बाँझ नहीं कहेगा ! चाची बिना कुछ कहे चली गई।
कुछ दिनों बाद चाची ने मुझे घर पर बुलाया और कहने लगी- कमल, ठीक है, आज रात तुम आ सकते हो। मैं तो खुशी से पागल हो गया- पर चाची आज ही क्यों? तो चाची कहने लगी- तुम्हारे चाचा आज की रात यहाँ नहीं हैं। मैं तो चाची को चूमने लगा और जोश में उनके चूतड़ मसलने लगा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! चाची ने पीछे हटकर कहा- यहाँ कोई देख लेगा ! रात तक तो रुक जाओ। तो मुझे भी लगा कि चाची ठीक कह रही हैं इसलिए मैं अपने घर आ गया।
जैसे तैसे 8 बजे तो मेरे पास मेरे डैडी आए और कहने लगे- बेटा, आज तुम अपनी आरती चाची के घर रुक जाना, तुम्हारे चाचा का फोन आया है, वो आज रात वो कहीं गए हुए हैं। मैंने भी अनजान बनते हुए कहा- पापा, मैं कैसे एडजस्ट करुँगा? तो पापा कहने लगे- एक रात की ही बात है, अकेली औरत है बेचारी ! और तुम तो उसके बेटे जैसे ही हो। मैंने कहा- ठीक है पापा !
करीब साढ़े नौ बजे मैंने वियाग्रा ली और चाची के घर चला गया। चाची बेडरुम में मेरा इन्तजार कर रही थी, मैं तो बिस्तर पर कूद पड़ा, चाची को मैंने कस कर पकड़ लिया। चाची की गर्म सांसें मैं अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था। मैंने चाची के होंटों पर होंट रख दिए और चूसने लगा। चाची की तो आँखें ही बंद हो गई !
मैं तो मानो कि चाची के होंठों को खा जाना चाह रहा था। चाची मुझे पीछे से पकड़ रखा था। मेरे दोनों हाथ चाची के चूतड़ों पर चलने लगे। चाची मेरा हाथों को हटाने की कोशिश करने लगी पर मैंने चाची के कूल्हों के बीच की लकीर को रगड़ना जारी रखा।
कुछ देर बाद मैंने चाची की कमीज उतार दी। अब चाची आधी नंगी थी। मैं चाची के एक चुच्चे को मुँह में लेकर चूसने लगा, मैं लगातार चाची के चूतड़ों को पीछे से दबाने लगा।
चाची तो मानो पागल सी हो गई, चाची मुँह से ‘आ… आ… आह… स्सस… आह… उऊउ…’ की आवाज निकलने लगी। मैंने भी एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरा 7 इन्च का लण्ड को देखकर चाची के चेहरे पर मानो चमक सी आ गई।
मैं दोबारा चाची के चुच्चों पर टूट पड़ा। कमरे में ‘अम्म… अम्म… मअम…’ की आवाज आ रही थी। चाची अचानक चीख पड़ी और मेरी पीठ पर नाखून गड़ा दिए। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने चुच्चों पर दातों से काट दिया।
चाची का दर्द कम करने के लिए मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा। उंगली से तो चाची सिमट सी गई। धीरे धीरे मैं चूत पर आ गया, चाची ने जैसे अभी-2 चूत को शेव किया हो। मैं धीरे धीरे चूत पर जीभ चलाने लगा तो चाची तो तड़प सी उठी। मुझे लगा कि मानो कोई कच्चा मांस चबा रहा हूँ।
थोड़ी ही देर बाद चाची की चूत ने पानी छोड़ दिया, मुझे उल्टी आने लगी तो खड़ा हो गया। चाची तड़प उठी मानो किसी बच्चे से खिलौना छीन लिया हो, चाची बोलने लगी- कमल रुक क्यों गए? कितना मजा आ रहा था। मैंने चाची से कह दिया- चाची, मुझे तो उलटी आ रही है।
तभी मुझे कुछ सूझा, मैं फ्रिज से चोकलेट पेस्ट्रीज और सलाईस ले आया। चाची को तो समझ ही नहीं आया। मैंने चाची की दोनों टाँगें अपने कंधों पर रख ली और पेस्ट्रीज को चूत में घुसेड़ने लगा और सलाईस की बोतल से रस को चूत के अदंर टपकाने लगा।
चाची को भी समझ आने लगा कि हो क्या रहा है। बस फिर क्या था, मैं जीभ से चाची की चूत को जोर लगा कर चूसने लगा, कभी चूत के दाने को दांतों से कुरेद देता तो चाची सिहर जाती। सारे कमरे में चाची की सिसकारियाँ गूँज रही थी। चाची तो मानो सातवें आसमान थी।
चाची इसी बीच चाची दो बार झड़ चुकी थी, मेरे मुँह में चॉकलेट और चूत के पानी का मिलाजुला स्वाद आ रहा था। चाची तो मानो बेजान सी पड़ी थी और मेरा लण्ड मानो फटने को तैयार था, खून का दौरा इतना हो गया कि लण्ड में दर्द की लहर दौड़ गई।
मैंने भी अपना लौड़ा चाची के मुँह में दिया। चाची भी ऐसे लण्ड चूसने लगी मानो बदला उतार रही हो। मैं तो मानो स्वर्ग में था ! चाची का मुँह दुखने लगा तो कहने लगी- कमल क्या हुआ, अभी तक झड़े नहीं? मैंने कहा- चाची, ये वियाग्रा का कमाल है। ‘पर कमल, अब देर मत कर, मेरी चूत की प्यास बुझा दे !’
मैंने जल्दी-2 चाची की गाण्ड के नीचे तकिया लगाया और चाची की चूत पर लण्ड रगड़ने लगा। चाची तो तड़प उठी- कमल, अब ना तड़पा। मैंने लण्ड सीधा कर धक्का मार दिया। चाची की तो चीख निकल पड़ी- आ… आ… आ… स्सश… आराम से कर… मार डालेगा क्या?
बस मैं तो धक्के पे धक्के लगाने लगा। चाची की टाँगों को मैंने ऊपर उठा रखा था, चाची भी नीचे से चूतड़ उठा उठा कर चुद रही थी, कभी अपने बाल नोचती, कभी मेरी पीठ पर नाखून गड़ा रही थी। चाची ‘अआहह… स्सस…’ हल्का सा चीख रही थी और साथ ही चूत को रगड़ रही थी। कुछ देर बाद चाची अधमरी सी लेट गई थी।
मैं शायद झड़ने वाला था, मैंने चाची को कूल्हों से पकड़ कर ऊपर उठा लिया, थोड़ी देर में मैं और चाची साथ-साथ झड़े। मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई।
तो दोस्तो, मैंने उस रात चाची तीन चोदा। उसके बाद भी कई बार चोदा मौका ढूंढ कर ! तब जाकर वे एक बेटे की माँ हैं। पर अब वो मुझसे सेक्स नहीं करती और मैं भी चाची को तंग नहीं करता क्योंकि दोस्तो सेक्स में प्यार से मजा आता है, जबरदस्ती में नहीं ! मुझे इमेल जरूर करना ! [email protected]
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