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कूल बॉय सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मैं एक नौजवान युवक हूँ, जो नौकरी के लिए मुम्बई आया था। मैंने एक अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी और पहले ही नौकरी पक्की हो गई थी। मैं मुंबई के अंधेरी इलाक़े में रहता हूँ। कंपनी को ज्वाइन करने के बाद यहाँ मुझे मेरी महिला मैनेजर से मुलाकात हुई। उनका नाम सुन कर मुझे लगा कि कोई आंटी होंगी, पर जब मिला तो बस देखता ही रह गया। वो उम्र में 22-23 साल की ही थी। उनके मस्त मम्मे थे और कमर एकदम पतली सी, कुल मिला कर मस्त कातिल जवानी थी। बस, उनको देखते ही मेरा मन एक बार तो ख़राब हो गया था कि इ्नको तो यहीं चोद दूँ लेकिन अपनी नौकरी की वजह से वो सब दिमाग से निकाल दिया। फिर वो मुझे काम सिखाने लगी। मुझे बातों में ही पता चला कि उनके साथ घर वालों की बहुत पाबन्दी है इसीलिए उसको भी हमेशा लड़कियों के साथ ही पढ़ाया गया है। यहाँ मुझे उनकी कमजोरी हाथ में आ गई। हमारी कंपनी में एक को एक से ही मिलते रहना होता है, इसलिए मुझे अपने हर काम के लिए उनसे मिलते रहना पड़ता था। हम-उम्र होने की वजह से हम दोनों अच्छे दोस्त भी बन गए थे। मेरा यहाँ कोई और नहीं हैं, तो सारी बातें उन्हीं को बताता रहता था।धीरे-धीरे अपने खाली समय में मैं उनके काम भी करने लगा। एक दिन उनका अच्छा मूड देखा, मैंने ऐसे ही पूछ लिया- आप सिंगल हैं या कमिटेड? उन्होंने भी मजाक में ही बोला- मुझे लाइन मार रहे हो क्या? फिर बोली- कभी कोई ऐसा मिला ही नहीं यार… जिसको अपने साथ ऐसा समझ सकूं। मैंने कहा- अब फ़िक्र मत करना। जब भी जो भी मन में आए, मुझे कह सकती हो। उन्होंने बोला- ठीक हैं, लेकिन तुम भी अपनी हर बात मुझसे शेयर करोगे। फिर हम ऑफिस के बाद भी मैसेज से बातें करते रहते थे। घंटों तक ऑनलाइन चैटिंग करते। धीरे-धीरे हम दोनों एक-दूसरे को चाहने लग गए थे, या यूँ कहिए कि प्यार करने लग गए थे। तभी मेरा जन्मदिन आया, तो उस दिन उन्होंने मुझे अपने केबिन में बुलाया और कहा- क्या तोहफा पसंद करोगे? मैंने कहा- कुछ नहीं.. आप जैसी दोस्त हैं, तो और क्या चाहिए..! तो उन्होंने बोला- अपनी आँखें बंद करो। फिर वो मेरे पास आई और मेरे गाल पर एक प्यारी सी चुम्मी की। मैंने आँखें खोल दीं, तो उन्होंने मेरे हाथ में एक लिफाफा रख दिया। वो बोली- इस लिफाफे में हैं तुम्हारा गिफ्ट। उसको खोला तो कंपनी का लैटर था, जिस पर हम दोनों के किसी क्लाइंट के लिए 3 दिनों का बंगलौर टूर का लिखा था। अब मैं भी समझ गया था कि वो क्या चाहती है..! जवानी में ऐसी जवान लड़की से ज्यादा इन्तजार नहीं होता। मैंने भी कह दिया- लव यू पूनम ! अपनी सफाई में कुछ कहने ही वाला था कि उसने भी ‘लव यू !’ बोल दिया। फिर मैं वहाँ से आ गया और अपने पेपर्स तैयार करने लगा। ऑफिस से जाने से थोड़ी देर पहले, उसने वापस बुलाया और कहा- तुम पार्टी मना रहे हो या नहीं? मैंने कहा- कोई है ही नहीं, जिसको पार्टी दूँ। तो बोली- शाम 8 बजे डोमिनो’ज़ में मिलना, तुम्हें मैं पार्टी दे रही हूँ। खाना खाकर निकले तो देखा, वो अपनी कार में अपना सामान साथ लाई थी। मैंने कहा- हम तो कल जा रहे हैं, आज कहाँ भाग रही हो?” उसने कहा- देर तक घरवाले बाहर नहीं रहने देते, इसलिए आज ही जाने का बोल कर आ गई, वरना तुम्हें पार्टी नहीं दे पाती।” मैंने कहा- बोलो, अब कहाँ चलना है? वो मस्त होकर बोली- अपने फ्लैट ले चलो, तो एक और गिफ्ट दे दूँ तुम्हें..! नहीं तो किसी होटल में जाऊँगी। फिर हम दोनों मेरे फ्लैट में आ गए। अन्दर आते ही मैंने बोला- अब निकाल कर दो मेरा अगला गिफ्ट? उसने एक बार फ़िर मुझे आँखें बंद करने को बोला। मैंने आँखें बंद कीं, तो मुझसे गले लग गई और बोली- आज में खुद तुम्हें अपने आप को दे रही हूँ। मैंने कहा- क्या तुम्हें पता है, तुम क्या कह रही हो? वो वापस मेरे गले लग गई और धीरे से लिपटते हुए ही बोली- मुझे आज कुछ नहीं समझना है। फिर मैं भी सब समझ गया और उसको अपने बिस्तर पर ले आया। हम दोनों बहुत देर तक एक-दूसरे को चूमते ही रहे। उसने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए थे और अपने बाल वो पहले ही खोल चुकी थी। वो किसी स्वर्ग की अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। फिर मैंने भी उसका शर्ट खोल दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को चूसने लगा। हम दोनों एक-दूसरे में पागल हो रहे थे और एक-दूसरे में खो गए थे। फिर मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया तो उसको नंगे बदन को देखता ही रह गया। एकदम तराशा हुआ, कहीं भी कोई निशान भी नहीं। अब मुझसे कोई कण्ट्रोल नहीं हो रहा था, मैंने उसकी पैंट भी उतार दी और वो उस टाइम मस्त दिख रही थी, अपनी पैन्टी को उसने खुद नीचे सरका दिया था, मैंने उसको निकाल फेंका। उसने बोला- तुम्हें मैं नंगा करूँगी, तुम बस लेट जाओ। उसने मस्त तरीके से खींचते हुए मेरी भी पैंट को निकाल दिया और अंडरवियर को भी दांतों से खींचने लगी, घुटनों तक लाकर उसने अचानक से उसको उतार फेंका और मुझ पर आ गई। मैं बोला- तुम कहती तो थीं कि सेक्स का कुछ पता नहीं है… और इतने मस्त तरीके कहाँ से सीखे? वो बोली- गर्ल्स कॉलेज में लड़कियाँ ये सब सीख ही जाती हैं। मेरी सहेलियाँ ऐसी बातें करती थीं, तब मुझे कुछ-कुछ समझ आता था। फिर मैंने उसको अपने नीचे ले लिया और उसके पेट को चूमने लगा। नाभि के पास से चूमते हुए मेरा एक हाथ उसकी चूत से खेल रहा था। फिर मैं उसकी चूत को चूमने लगा। उसके बदन में पता नहीं कैसी अकड़न होने लगी और वो मेरे मुँह को चूत में जोर-जोर से दबाने लगी। मुझे पता चल गया कि वो झड़ने वाली है। उसकी कुंवारी चूत की तारीफ़ में क्या कहूँ… एक छोटा सा छेद था, और चूसने क लिए जीभ को टेढ़ा करके अन्दर डाले जा रहा था। उसको चूसने में इतना मजा आ रहा था कि बता नहीं सकता। वो बस एक बहुत अच्छा एहसास था, जो मुझे मिल रहा था। कमरे में उसकी आवाजें गूँज रही थी। फिर उसने मुझे उठाया और मेरे ऊपर सवार हो गई। मस्त होकर मेरी छाती को चूम रही थी। मैंने कहा- ऐसे क्या कर रही हो…? वो बोली- कॉलेज में एक लड़की ने मस्त होकर सब बताया था, जो सब मुझे अच्छे से याद है। मैंने कुछ पोर्न-मूवीज में भी ऐसा देखा हैं रे..! तुम बस मजे करो, मजा न आए तो बोलना..! फिर वो मेरी छाती की घुंडियों को पता नहीं किस अन्दाज से हाथों से दबा रही थी। छाती के बालों को मस्त होकर चूस रही थी। फिर हमने वापस होंठों को चूमते में लग गए। अब मैंने उसको अपने नीचे ले लिया था और अपने लंड से उसकी चूत पर निशाना लगा लिया। मैंने अपने लंड को हल्के से धक्के से थोड़ा अन्दर डाला। एकदम फ्रेश चूत के लिए मुझे पता था, जो अब मुझे महसूस भी हो रहा था। उसके मुँह से बस ‘आहें’ निकल रही थीं। मैं उसके मम्मों को ही चूस रहा था और नीचे चूत पर धक्के भी लगा रहा था। अब मैंने थोड़ा जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए था। उसको अब हल्का दर्द होना शुरू हो गया था, लेकिन मैं धक्के लगाए जा रहा था। उसने मुझे बीच में रोका और बोली- दर्द हो रहा है….! मैंने थोड़ा धीमे हो गया और उसको चूमने लगा। वापस उसके मम्मों को चूसा और हाथों से उसके अंगूरों को मसलने लगा, फिर उसको बताए बिना मैंने वापस तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब उसको भी मजा आने लगा था। फिर जोर-जोर से धक्के शुरू कर दिए थे और मेरा लंड उसके अन्दर बच्चेदानी तक टकरा रहा था। लगभग 20 मिनट की ‘धाएँ-धाएँ’ के बाद मेरा लंड स्खलित होने की कगार पर आ गया। मैंने बोला- मेरा अब निकलने वाला है और कंडोम तो लगाया नहीं है। यह सुनकर वो बोली- आज मुझे पूरा मजा दो.. तुम..! मैं कल आइ-पिल खा लूँगी, फिर कुछ नहीं होगा। तुम बस आज मेरी बारह बजा दो। जैसी ब्लू-फिल्म्स में हीरो उस बच्ची सी लड़की की हालत करता है, उससे भी बुरी तरह चोद दो मुझे..! फिर मैं मस्ती में ही धक्के लगाते रहा और उसके अन्दर ही झड़ गया। फिर हम आपस में ही कुछ प्यार भरी बातें करने लगे और मैं उसको चूस रहा था। कभी वो मेरे ऊपर होती, तो कभी मैं उसके ऊपर। उसने मुझे मस्त मज़ा दिया था। दोनों में रात भर चूमने का प्रोग्राम चल रहा था और चुदाई का भी। उस रात को हम दोनों ने खूब चुदाई की थी। चार बार चुदाई के दौर चले। थक कर हम एक-दूसरे पर ही लेटे हुए सो गए। मेरा लंड उसकी चूत में ही घुसा रहा और यूँ ही पता नहीं कब नींद आ गई। सुबह वो पहले उठी, तो मुझे चूमने लगी। फिर पूरे मजे के साथ चुदाई का और कार्यक्रम चला। फिर हम लोग ऑफिस चले गए। फिर अगले दिन से हम बैंगलोर निकल गए और वहाँ 3 दिनों का हम दोनों ने हनीमून मनाया। उसने सारी बुकिंग्स पहले से ही इसी हिसाब से करवाई थीं और काम को भी ऐसे रखा कि हम दोनों एक साथ घूम सकें। वहाँ से वापस आकर कभी-कभी यह चोदम-चोद होती रही। लेकिन कुछ समय बाद एमबीए की पढ़ाई के लिए उसने कंपनी छोड़ दी और अब वो दूसरे शहर में हैं। मुझे अब चुदाई के लिये तड़पना पड़ता हैं क्योंकि ऑफिस में किसी से ऐसी बात नहीं कर सकता। उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी यह सच्ची दास्तान पसन्द आई होगी, मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected] gmail.com
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