This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
सुधा मैंने मुँह से गिलास हटाते हुए कहा- जीजाजी, मैं दूध पीकर आई हूँ। इस बीच दूध छलक कर मेरी चूचियों पर गिर गया। जीजाजी उसे अपनी जीभ से चाटने लगे, मैं उनसे गिलास लेकर अपनी चूचियों पर धीरे-धीरे दूध गिराती रही और जीजाजी मज़ा ले-ले कर उसे चाटते गए। चूची चाटने से मेरी बुर में सुरसुरी होने लगी। इस बीच थोड़ा दूध बह कर मेरी चूत तक चला गया, जीजाजी की जीभ दूध चाटते-चाटते नीचे आ रही थी और मेरे बदन में सनसनी फैल रही थी। उनके होंठ मेरी बुर के होंठ तक आ गए और उन्होंने उसे चाटना शुरू कर दिया। मैंने जीजाजी के सिर को पकड़ कर अपनी योनि आगे किया और अपने पैर फैला कर अपनी बुर चटवाने लगी। जीजाजी ने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ लिया और मेरी बुर की टीट को जीभ से चाटने लगे और कभी चूत की गहराई में जीभ ठेल देते। मैं मस्ती की पराकाष्ठा तक पहुँच रही थी और उत्तेजना में बोल रही थी, “ओह..! जीजू… ये क्या कर रहे हो… मैं मस्ती से पागल हो रही हूँ… ओह राज्ज्जज्जाआ चाटो … और… अन्दर जीभ डाल कर चाटो…बहुत अच्छा लग रहा है …आज अपनी जीभ से ही इस बुर को चोद दो… ओह…ओह अहह इसस्सस्स..!” जीजाजी को मेरी चूत की मादक खुश्बू ने उन्हें मदमस्त बना दिया और वे बड़ी तल्लीनता से मेरी बुर के रस (सुधारस) का रस-पान कर रहे थे। जीजाजी ने मेरी चूत पर से मुँह हटाए बिना मुझे खींच कर पलंग पर बैठा दिया और खुद ज़मीन पर बैठ गए। मेरी जाँघों को फैला कर अपने कंधों पर रख लिया और मेरे भगोष्ठों को अपनी जीभ से चाटने लगे। मैं मस्ती से सिहर रही थी और चूतड़ आगे सरका कर अपनी चूत को जीजू के मुँह से सटा दिया। अब मेरे चूतड़ पलंग से बाहर हवा में झूल रहे थे और मेरी मखमली जांघों का दबाव जीजाजी के कंधों पर था। जीजाजी ने अपनी जीभ मेरी बुर में घुसा दिया और बुर की अन्दरूनी दीवार को सहलाने लगे। मैं मस्ती के अनजाने पर अद्भुत आनन्द के सागर में गोते लगाने लगी और अपने चूतड़ उठा-उठा कर अपनी चूत जीजाजी के जीभ पर दबाने लगी। “ओह राजा..! इसी तरह चूसते और चाटते रहो… बहुत …अच्छा लग रहा है… जीभ को अन्दर-बाहर करो ना…हय … तुम ही तो मेरे चुदक्कड़ सैंया हो… ओह राजा बहुत तड़फी हूँ.. तुमसे चुदवाने के लिए… अब सारी कसर निकाल लूँगी… ओह राज्ज्जजाआ चोदू मेरी चूत को अपनी जीभ से…!” जीजाजी को भी पूरा जोश आ गया और मेरी चूत में जल्दी-जल्दी जीभ अन्दर- बाहर करते हुए उसे चोदने लगे। मैं ज़ोर-ज़ोर से कमर उठा कर जीजाजी के जीभ को अपनी बुर में ले रही थी। जीजाजी को भी इस चुदाई का मज़ा आने लगा। जीजाजी अपनी जीभ कड़ी कर के स्थिर कर ली और सिर को आगे-पीछे कर के मेरी चूत चोदने लगे, मेरा मज़ा दुगना हो गया। मैं अपने चूतड़ों को उठाते हुए बोली- और ज़ोर से जीजाजी… और जूऊओर से हाय… मेरे प्यारे जीजाजी … आज से मैं तुम्हारी माशूका हो गई… इसी तरह जिंदगी भर चुदवाऊँगी.. ओह माआआआआ ओह उईईईईई माआअ..! मैं अब झड़ने वाली थी, मैं ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी लेते हुए अपनी चूत जीजू के चेहरे पर रगड़ रही थी। जीजू भी पूरी तेज़ी से जीभ लपलपा कर मेरी चूत पूरी तरह से चाट रहे थे। वे अपनी जीभ मेरी चूत में पूरी तरह अन्दर डाल कर हिलाने लगे। जब उनकी जीभ मेरी भगनासा से टकराई तो मेरा बाँध टूट गया और जीजाजी के चेहरे को अपनी जांघों में जकड़ कर मैंने अपनी चूत जीजू के मुँह से चिपका दी। मेरा पानी बहने लगा और जीजाजी मेरे भगोष्ठों को अपने मुँह में दबा कर जवानी का अमृत ‘सुधा-रस’ पीने लगे। इसके बाद मैं पलंग पर निढाल लेट गई। जीजाजी उठकर मेरे बगल में आ गए। मैंने उन्हें चूमते हुए कहा- जीजाजी..! ऐसे ही आप दीदी की बुर भी चूसते हैं..! “हाँ..! पर इतना नहीं.. सिर्फ 69 के समय चूसता हूँ, पर उसे चुदवाने में ज़्यादा मज़ा मिलता है।” मैंने जीजाजी के लौड़े को अपने हाथ में ले लिया। जीजाजी का लण्ड लोहे के डण्डे की तरह सख़्त और अपने पूरे आकार में खड़ा था। देखने में इतना सुंदर और अच्छा लग रहा था कि उसे प्यार करने का मन होने लगा। सुपारे के छोटे से होंठ पर प्री-कम की बूँद चमक रही थी। मैंने उस पर एक-दो बार ऊपर-नीचे हाथ फेरा, उसने हिल-हिल कर मुझसे मेरी मुनिया के पास जाने का अनुरोध किया। मैं क्या करती, मुनिया भी उसे पाने के लिए बेकरार थी, मैंने उसे चूम कर मनाने की कोशिश की, लेकिन वह मुनिया से मिलने के लिए बेकरार था। अंत में मैं सीधे लेट गई और उसे मुनिया से मिलने के लिए इजाज़त दे दी। जीजाजी मेरे ऊपर आ गए और एक झटके में मेरी बुर में अपना पूरा लण्ड घुसा दिया। मैं नीचे से कमर उठा कर उन दोनों को आपस में मिलने में सहयोग देने लगी। दोनों इस समय इस प्रकार मिल रहे थे मानो वे बरसों बाद मिले हों। जीजाजी कस-कस कर धक्के लगा रहे थे और मेरी बुर नीचे से उनका जवाब दे रही थी। घमासान चुदाई चल रही थी, लगभग 15- 20 मिनट की चुदाई के बाद मेरी बुर हारने लगी तो मैंने गंदे शब्दों को बोल कर जीजू को ललकारा, “जीजाजी आप बड़े चुदक्कड़ हैं… चोदो राजाआअ चोद … मेरी बुर भी कम नहीं है… कस-कस कर धक्के मार मेरे चुदक्कड़ राजाआा, फाड़ दो इस साली बुर कोकूऊऊओ, ..जो हर समय चुदवाने के लिए बेचैन रहती है…! बुर को फाड़ कर अपने मदन-रस से इसे सींच दोओ…ओह माआअ ओह मेरे राजा बहुत अच्छा लग रहा है …चोदो…चोदो…चोदो …और चोद, राजा साथ-साथ गिरना…ओह हाईईईईईई आ जाओ … मेरे चोदू सनम…हाय अब नहीं रुक पाऊँगी ई ओह मैं … मैं…गइईईईईई..!” इधर जीजाजी कस-कस कर दो-चार धक्के लगा कर साथ-साथ झड़ गए। सचमुच इस चुदाई से मेरी मुनिया बहुत खुश थी, क्योंकि उसे लौड़ा चूसने और प्यार करने का भरपूर सुख मिला था। कुछ देर बाद जीजाजी मेरे ऊपर से हट कर मेरे बगल में आ गए। उनके हाथ मेरी चूचियों, चूतड़ को सहलाते रहे। मैं उनके सीने से कुछ देर लग कर अपनी साँसों पर काबू प्राप्त कर लिया। मैंने जीजाजी को छेड़ते हुए पूछा- देवदास लगा दूँ? “अरे..! अच्छा याद दिलाया, जब कामिनी आई थी तो उस समय मैं उस पिक्चर को नहीं देख पाया था, अब लगा दो..!” जीजाजी मेरी चूची को दबाते हुए बोले। “ना बाबा..! उस सीडी को लगाने की मेरी अब हिम्मत नहीं है, उसे देख कर यह मानेगा क्या?” मैं उनके लौड़े को पकड़ कर बोली। “आप भी कमाल के आदमी हैं चुदाई से थकते ही नहीं.. आपको देखना है तो लगा देती हूँ, पर मैं अपने कमरे में सोने चली जाऊँगी..!” “ओह मेरी प्यारी साली..! बस थोड़ी देर देख लेने दो, मैं वादा करता हूँ मैं कुछ नहीं करूँगा, क्योंकि मैं भी थक गया हूँ..!” जीजाजी मुझे रोकते हुए बोले। मैंने सीडी लगा कर टीवी ऑन कर दिया, मैंने नाईटी पहन ली और उनके बगल में बैठ कर पिक्चर देखने लगी। शुरुआत में लेस्बियन सीन थे, दो लड़कियाँ नंगी होकर एक-दूसरे को चाट-चूम रही थीं। एक लड़की दूसरी लड़की की बुर को चूसने लगी, मैं ध्यान से फिल्म देख रही थी। मेरे हाथ अनजाने में ही बुर तक पहुँच गए। तभी जीजाजी ने मेरी कमर में हाथ डालकर खींचा, तो मैंने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और उनकी गोद में अधलेटी हो गई। जीजाजी मेरी नाईटी खोल कर मेरी चूचियों से खेलते हुए पिक्चर देखने लगे। मैं भी अपनी नाईटी हटा कर अपनी बुर सहलाने लगी। स्क्रीन पर अब दोनों लड़कियाँ 69 की पोजीशन में थीं और एक-दूसरे की बुर को चाट रही थीं, जिसे कैमरा एंगल बदल-बदल कर दिखा रहा था। जीजाजी का लण्ड बेताब हो रहा था, जिसे मैंने पोजीशन बदल कर अपने चूतड़ में दबा लिया और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगी। तभी स्क्रीन पर एक मर्द आया दोनों लड़कियों को इस हालत में देख कर झटपट नंगा हो गया और लण्ड चुसवाने के बाद एक लड़की की बुर में अपना लंबा लण्ड घुसा कर चोदने लगा। उसका लण्ड भी जीजाजी की तरह लंबा था पर शायद मोटा कम था। दूसरी लड़की जो अभी भी पहली लड़की के नीचे थी, आदमी के अंडों को जीभ से चाट रही थी। मैं धीरे-धीरे गर्म होने लगी, मैंने जीजाजी से कहा- आओ राजा..! अब अन्दर डाल कर पिक्चर देखी जाए..!” यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! “बाद में मुझसे कुछ ना कहना !” कहकर जीजाजी ने अपना लण्ड मेरी बुर के अन्दर कर दिया, इस तरह बुर में लण्ड लेकर धीरे-धीरे आगे-पीछे होते हुए हम दोनों पिक्चर का मज़ा लेने लगे। स्क्रीन पर आदमी कभी ऊपर तो कभी नीचे आकर चुदाई कर रहा था और दूसरी लड़की कभी अपनी चूची चुसवाती तो कभी बुर..। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने जीजाजी के पैरों को पलंग के नीचे किया और उनकी तरफ पीठ कर लौड़े को बुर में डाल कर उनकी गोद में बैठ गई और पिक्चर देखते हुए चुदाई करने लगी। एक हाथ से जीजाजी मेरी चूची दबा रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी बुर की टीट सहला रहे थे। इस तरह हम लोग पिक्चर की चुदाई देख रहे थे और खुद भी चुदाई कर रहे थे। स्क्रीन पर वह आदमी एक को चोद कर लेटा था और अब दूसरी की चुदाई की तैयारी कर रहा था। दूसरी औरत उठी और आदमी की तरफ़ मुँह कर उसके लौड़े को अपनी बर में डाल कर बैठ गई। अब वे दोनों बात कर चुदाई कर रहे थे। मुझे लगा इस तरह से चुदाई करने में लौड़ा बुर के अन्दर ठीक से जाएगा ! प्रिय पाठकों आपकी मदमस्त सुधा की रसभरी कहानी जारी है। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपकी सुधा बैठी है। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000