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इमरान अचानक मेरी ज़िंदगी ने एक रोमांचक मोड़ ले लिया था… जो अब तक मैं जी रहा था.. वो केवल सूखी नदी की तरह था, अब ऐसा लग रहा था जैसे ज़िंदगी में रस ही रस आ गया हो… अब तक किताबों या लोगों से सुने सभी सामाजिक विचार मुझे बेकार लगने लगे थे… इज्जत, सम्मान, मर्यादा सब आपके दिल में ही अच्छे लगते हैं… दिखावट करने से ये आपको जंजीरों में जकड़ लेते हैं… मैं अगर इन सब में पड़ता… तो अब तक सलोनी से लड़ झगड़ कर… हम दोनों की जिंदगी नरक बना लेता… मगर मेरी सोच अलग है… लण्ड किसी की भी चूत में जाए.. इससे ना तो लण्ड को फर्क पड़ता है.. और ना ही चूत का ही कुछ नुकसान होता है… परन्तु बदलाव आने से… एक अलग मजा आता है और जवानी बरकरार रहती है… मैं देख रहा था… कि सलोनी के चेहरे पर एक अनोखी चमक बरकरार रहती है… यह सब उसके चंचल जीवन के कारण ही था… हम तीनों को ही खाना खाते हुए मस्ती करने में बहुत मजा आ रहा था… मैंने सलोनी को चुप कराते हुए कहा- तू चुप कर जान… मुझे भी तो पता चले ..कि मेरे पीछे उस साले डॉक्टर ने क्या किया?? हा हा हा हा.. मैं जोर से हंसा भी जिससे माहौल हल्का ही बना रहे.. मधु- हाँ भैया… मेरे को चिड़ा रही हैं भाभी… जब आप यहाँ नहीं थे तब… ना… मैंने मधु को अपने पास करके उसके गाल को चूमते हुए पूछा- पुच च च च… बता बेटा.. क्या किया डॉक्टर ने… सलोनी अपने चेहरे को नीचे कर खाते हुए ही आँखें ऊपर को चढ़ा हम दोनों को घूर रही थी… उसके चेहरे पर कई भाव आ जा रहे थे… उसके चेहरे के भाव देख मुझे लग रहा था कि जरूर कुछ अलग राज़ खुलने वाला है… क्या डॉक्टर ने मेरे पीछे सलोनी की चुदाई की थी… वो भी मधु के सामने??? क्या इसीलिए सलोनी मधु को मेरे इतना पास ला रही है… मैंने अपने सीधे हाथ से मधु की नंगी ..चिकनी जांघें सहलाते हुए उसको बढ़ावा दिया… मधु- वो भैया.. भाभी की तबियत खराब नहीं हो गई थी… जब… तब आपने ही तो भेजा था ना डॉक्टर को… भाभी बिल्कुल चल ही नहीं पा रही थी.. तब ना ..उन डॉक्टर ने भाभी को नंगा करके… सुई लगाईं थी… मैं- क्याआआआआ… सलोनी- एएएएए मारूंगी.. क्या बकवास कर रही है… मैं- क्यों मारेगी… कौन सी सुई लगाई थी.. हा हा हा हा मैंने बिल्कुल ऐसे जाहिर किया ..जैसे कुछ हुआ ही नहीं… मेरे इस बर्ताव से माहौल सामान्य बना रहा.. सलोनी जो कुछ बेचैन हो गई थी.. अब मजे ले रही थी- …अरे नहीं जानू… मैं तो बिल्कुल बेजान ही हो गई थी उस दिन… मेरा ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया था… मैं- हाँ मुझे पता है जान… सॉरी यार उस समय मैं तुम्हारे पास नहीं था.. सलोनी- ओह थैंक्स माय लव.. मैं- फिर डॉक्टर ने कहाँ इंजेक्शन लगाया? सलोनी- अरे उस दिन मैंने पीला वाला लॉन्ग गाउन पहना था ना… बस… उसी कारण… मैं- अरे तो क्या हुआ जान… डॉक्टर जब चूतड़ों पर इंजेक्शन ठोंकता है… तो उसके सामने तो सभी को नंगा होना ही पड़ता है… मधु- हाँ भैया… मगर भाभी ने तो उस दिन ..कच्छी भी नहीं पहनी थी… डॉक्टर ने तो भाभी के चूतड़ और सुसू पूरी नंगी देखी थी.. हे हे.. मधु को कुछ ज्यादा ही मस्ती चढ़ गई थी… मगर अब हम दोनों ही उसकी बातों से मजा ले रहे थे .. सलोनी- इसे देखो जरा ..कितनी चुगली कर रही है..? अरे जानू वो गाउन ..केवल नीचे से ऊपर ही हो सकता है ना… मुझे तो पता ही नहीं था कि वो इंजेक्शन लगाएंगे… वरना मैं कोई पजामा जैसा कपड़ा पहन लेती.. मैं- अरे तो क्या हुआ जान… क्या फरक पड़ता है.. सलोनी- मुझे तो बाद में समझ आया… फिर बहुत शर्म भी आई.. पहली बार मुझे लगा कि कच्छी पहननी चाहिए थी ! पर तब तो उन्होंने इंजेक्शन लगा गाउन ठीक भी कर दिया था… मधु- नहीं भाभी ..बहुत देर तक उन्होंने आपके चूतड़ सहलाये थे.. मैंने देखा था… मधु ने तो जैसे पूरा मोर्चा संभाल लिया था… उसको लगा आज सलोनी कि डांट पड़वा कर ही रहेगी… सलोनी- ओह… नहीं जान.. मुझे कोई होश नहीं था.. मुझे नहीं पता यह क्या बक रही है… मैं- हा हा हा हा… मुझे पता है जान… मैंने मधु को और भी अपने से चिपका कर उसकी जांघों की जड़ तक अपना हाथ पहुँचा दिया… आश्चर्य जनक रूप से उसने अपने दोनों पैरों को खोल एक गैप बना दिया… मेरी उँगलियों ने एक बार फिर उसकी कोरी छोटी सी चिकनी फ़ुद्दी को सहलाना शुरू कर दिया… मैं- मेरी प्यारी बच्ची… वो जो डॉक्टर है ना सुई लगाने से पहले ..उस जगह को मुलायम करने के लिए मलते हैं… मधु- अहा ह्ह्ह्ह्ह… जज्जी… भैया सलोनी- समझी पागल… मधु- मुझे लगा कि वो भाभी के साथ कोई गन्दी हरकत कर रहे हों… मैं- नहीं बेटा… ऐसी बातें करते हुए और… मजे लेते हुए हम तीनों ने खाना खत्म किया… अब बारी थी सोने की…
मेरे मन में ना जाने कितने विचार चल रहे थे… कि आज रात मधु के साथ कुछ न कुछ तो करता हूँ… मगर मधु जब भी आती है… वो बाहर के कमरे में ही सोती है… अब उसको अपने बैडरूम में तो सुला नहीं सकता था… और अगर रात को सोते हुए उठकर कुछ करता हूँ तो कैसे… यही सब प्लान मेरे दिमाग में चल रहे थे… मगर यह पक्का था कि आज यार कुछ करूँगा जरूर .. जब सलोनी भी लगभग साथ दे रही है… और मधु भी मजे ले रही है… कोई विरोध नहीं कर रही ..तो यह मौका नहीं छोड़ना चाहिए… मेरा लण्ड भी बैठने का नाम नहीं ले रहे था… उसको भी एक टाइट माल की ख़ुशबू आ रही थी… रसोई के सब काम निबटने और बिस्तर लगाने तक कई बार मैंने मधु को छेड़ा… उसके नंगे चूतड़ों को मसला… उसकी चूची को सहलाया… मधु ने हर बार मेरा साथ दिया… दो बार तो उसने खुद बहाने से मेरे लण्ड को पकड़ दबाया… मैंने सोच लिया कि आज रात को इसे उसके किसी न किसी छेद में तो डालूँगा ही… मधु की चिकनी फ़ुद्दी और मनमोहक चूतड़ों ने मेरी सोचने समझने की शक्ति को बिल्कुल ख़त्म ही कर दिया था… मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे इसकी ठुकाई करूँ… साफ़ नजर आ रहा था कि सलोनी कुछ नहीं कह रही है बल्कि हर बार साहयता ही कर रही है… फिर भी मुझमें खुलकर कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी… शायद यह हम दोनों का एक दूसरे के प्रति असीम प्यार था जो एक दूसरे की इच्छा का सम्मान भी कर रहे थे मगर एक दूसरे के सामने खुलकर किसी दूसरे से रोमांस नहीं कर पा रहे थे… मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि अगर मैं मधु को चोद रहा हूँ और सलोनी देख ले तो क्या वो कोई प्रतिक्रिया देगी… या मेरी तरह ही चुप रहेगी… अब सोने का इन्तजार था… मधु ने अपना बिस्तर बाहर के कमरे में ही लगाया था.. मैं यही सोच रहा था कि रात को एक बार कोशिश तो जरूर करूँगा… यह अच्छा ही था कि सलोनी बैडरूम में रहेगी और मैं आसानी से मधु की बन्द चूत खोल पाऊँगा। मगर फिर एक डर भी सता रहा था कि अगर वो ज़ोर से चिल्ला दी तो क्या होगा ! बहुत से विचार मेरे दिल में आ जा रहे थे… मैं बहुत सारी बातें सोच रहा था… कि मधु को ऐसे करके चोदूंगा, वैसे चोदूंगा.. यहाँ तक कि मैंने दो तीन चिकनी क्रीम भी ढूंढ कर पास रख ली थीं… मेरे शैतानी लण्ड ने आज एक क़त्ल का पूरा इंतजाम कर लिया था और वो हर हाल में इस काण्ड को करने के लिए तैयार था… कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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