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इमरान मैंने देखा मधु मेरे बरमुडे को ध्यान से देख रही है… बरमूडा लण्ड वाले भाग से काफी उठ गया था… क्योंकि मेरा लण्ड कुछ सख्त हो गया था… मैं मधु के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया और अपने हाथ को उसके छोटे मुलायम चूतड़ों पर रख उसको छेड़ा- तू क्यों मजे ले रही है… क्यों इतनी जोर से हंस रही थी? मधु कसमसाते हुए- नहीं भैया… वो तो… क्या कर रहे हो? उसन मेरे आगे से निकलने की कोशिश की तो मैंने उसको कसकर पकड़ झटका दिया… वो गड़बड़ाकर… मेरी गोद में बैठ सी गई और… उसके चूतड़ ठीक मेरे लण्ड पर थे… उसके कसमसाने से उसके चूतड़ मेरे खड़े हो चुके लण्ड को बहुत मजा दे रहे थे… मधु- क्या कर रहे हो भैया… छोड़ो ना… मैं उसको गुदगुदी के बहाने उसके पेट और छोटी छोटी चूचियों को नापते हुए… मैं- पहले यह बता कि जब अंकल आये तो सलोनी क्या कर रही थी? मधु कसमसा तो रही थी… मगर मेरी गोदी से हटने का कोई ज्यादा प्रयास नहीं कर रही थी… लगता था उसको भी मजा आ रहा था… मधु- ओह… ह्ह्ह्ह्ह्ह वववव व्व्वो भैया… मुझे… नहीईईईई… हाँ वो अपने कपड़े ही बदल रही थी… मैं- अरे यह बता कि क्या कर रही थी… कपड़े तो अभी भी पहने ही हैं ना… मधु- आआररर रे… वो अपनी कच्छी ही निकाल रही थी… मैं – अच्छा उसने खुद ही निकाली ना… कहीं अंकल ने तो नहीं?? मधु- ह्ह्ह्ह्ह्ह नहीईइइइइ ना भाभी ने ही… हाँ अंकल ने उनको पीछे से नंगी देख लिया था… मैं- ओह अच्छा… तभी… वो… मधु- हाँ… अंकल ने उनको पीछे से पकड़ लिया था… उसकी बातें सुन कर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैंने गुदगुदी करते करते अपना हाथ उसकी सफ़ेद नेकर के अंदर घुसा दिया… मधु मेरी गोद में बैठी बुरी तरह से मचल रही थी, वो पूरी तरह से मेरे से चिपकी थी… उसके छोटे-छोटे चूतड़ मेरे तने हुए लण्ड को बेहाल किये थे… मधु एक परफेक्ट डांसर की तरह अपनी कमर को हिला रही थी और अपने चूतड़ के हर भाग को मेरे लण्ड से रगड़ रही थी… इधर मेरे हाथ उसको पकड़ने एवं गुदगुदी के बहाने उसके पूरे चिकने शरीर को टटोल रहे थे… उसने केवल एक सफ़ेद कॉटन का टॉप और नेकर ही पहना था… जिसके अंदर न तो कोई समीज या अन्य कपड़ा था और ना ही नीचे कच्छी थी… मेरे हाथों को उसका चिकना शरीर लगभग नंगा ही प्रतीत हो रहा था… मेरे हाथ उसके टॉप के अंदर नंगे पेट एवं कभी कभी उसकी छोटी सी बिल्कुल टाइट चूची तक भी पहुँच जाते थे… तो कभी उसकी नंगी टांगों, जांघों को रगड़ते हुए उसकी छोटी मुनिया सी चूत को भी रगड़ देते थे… मधु पूरी मस्त हो गई थी… और बेहद गरम आवाजें निकाल रही थी- आह्ह्ह्ह्हाआ इइइइइइ ऊ उउउउउउउउउ क्या कर रहे हो भैयाआहाए… मैं बिना कुछ बोले केवल उसको बुरी तरह से छेड़ते हुए खुद भी मजे ले रहा था… मैं- अच्छा तो तेरी भाभी के नंगे चूतड़ों से… पीछे से चिपक कर अंकल ने क्या किया… बता नहीं तो… मधु- ओह भैया… आपने भी तो देखा था ना… छोड़ दो ना आह्ह्ह्ह्हाआआआ इइइइइइ मैं- अच्छा छोड़ दू… क्यों छोड़ू????? ले अभी… तू बता ना ..क्या तूने अंकल का देखा था ..??? मधु- क्या देखा था… ओह्ह्ह्ह नहीईईईईईईई मैं- अच्छा नहीं देखा… झूट… मधु- अरे हाँ… पर क्याआआआ?? मैं- उनका खड़ा हुआ लण्ड… मैं उससे जल्द से जल्द खुलना चाह रहा था… मधु- धत्त्त्त् भैया… चलो अब छोड़ो… नहीं तो चिल्ला कर भाभी को बुला लुंगी… मैं- अच्छा तो बुला ना… मैंने उसके नेकर पर हाथ रख अपनी उंगलियाँ नेकर के अंदर डालने की कोशिश की.. नेकर सलोनी का था… इसलिए शायद उसकी कमर में बहुत ढीला होगा… मैंने देखा उसने एक तरफ पिन लगाकर उसको अपनी कमर पर टाइट किया था… वो इतना टाइट हो गया था कि मेरी उँगलियाँ भी अंदर नहीं गई… मधु ने मेरा हाथ पकड़ लिया- ..नहींईईईई भैया… मैं भाभी को बुलाती हूँ… आप उन्ही से पूछ लेना… उन्होंने तो देखा था… उन अंकल का… मधु अब वाकयी खुल रही थी… उसकी बात सुन मेरी हिम्मत बढ़ गई… मैंने उसके हाथ को छुड़ाकर एक झटका दिया… उसके नेकर की पिन खुल गई… और नेकर आगे से पूरा ढीला हो गया… और मेरी सभी उँगलियों ने मधु के शरीर के सबसे कोमल भाग पर अपना कब्ज़ा कर लिया… मधु ने एक जोर से हिचकी ली- …आआउउच नहीईईईईईईईई मैं बयां नहीं कर सकता कि उसकी चूत कितनी मुलायम थी… मुझे लगा जैसे मैं मक्खन की टिक्की में उँगलियाँ घुमा रहा हूँ… मैं यह देख और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि इतनी कम उम्र में भी उसकी चूत से रस निकल रहा था… इसका मतलब मधु अब जवान हो चुकी थी… और मेरा लण्ड उस मक्खन में जाने को फुफकार रहा था… तभी सलोनी की आवाज आई… वो रसोई में प्रवेश कर रही थी… मधु मेरी गोद में थी… मेरा बायां हाथ उसके छाती से लिपटा था… और दायाँ उसके नेकर के अंदर उसकी चूत पर था .. कुछ देर तक तो हम दोनों भौंचक्के थे… मैंने तुरंत मधु को गोद से हटा दिया… मगर सलोनी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे… वो सामान्य रूप से आई और सामान देखने लगी… मधु- वो भाभी… भैया परेशान कर रहे हैं… सलोनी- अच्छा और तूने ही कुछ किया होगा… मधु- मैं क्या करूँ भाभी?? सलोनी- अच्छा परेशान मत हो… मैंने तेरे घर फोन कर दिया है… आज यही रुक जाना… ओके मधु- ठीक है भाभी… सलोनी- चल पहले खाना खा ले… फिर कपड़े बदल लेना… मधु जैसे ही उठकर आगे बड़ी… उसका नेकर उसके पैरों पर गिर गया… लगता है नेकर बहुत ढीला था… मैं तो थोड़ा सा डर गया पर… सलोनी जोर से हँसते हुए- …हा हा हा हा हा हा.. तुझसे जब नेकर नहीं संभलती… तो मत पहन .. मधु ने शरमाते हुए नेकर ऊपर कर अपने हाथों से पकड़ लिया… इतनी देर में मेरी नजरों ने एक बार फिर ..उसके चिकने चूतड़ और छेद का मनोरम दर्शन किया… सलोनी- चल जा मैंने अपनी एक समीज अंदर रखी है .. इसको निकाल… और वो पहन ले… मधु जल्दी से अंदर चली गई… अब मैंने सलोनी को ध्यान से देखा… उसने भी अपनी शॉर्ट वाली पिंक झीनी नाइटी पहनी थी… उसका पूरा नग्न शरीर दिख रहा था… उसने अंदर कुछ नहीं पहना था… तभी मधु रसोई में एक पतली सफ़ेद समीज पहने आई जो उसकी जांघों तक ही थी… मधु- भाभी बस यही…? सलोनी- और क्या रात को सोना ही तो है… क्या बीस कपड़े पहनेगी… मधु केवल मुस्कुरा देती है… मधु के साथ इतनी छेड़खानी होने के बाद… वो अब काफी खुल चुकी थी… उसका चेहरा बिल्कुल लाल था और अब वो शरमाने की बजाए मजे ही ले रही थी… उसने सलोनी की जो सफ़ेद रंग की समीज पहनी थी उसमे कंधों पर पतली रेशमी लैस थी… जो उसकी छाती पर बहुत नीचे थी… उसका सीना काफी हद तक नंगा था… मधु के जरा से झुकने से उसकी पूरी नंगी चूचियाँ साफ़ साफ़ दिख रही थी… वो बार-बार उठकर काम कर रही थी… तभी उसके समीज के दोनों साइड के कट से, जो उसके कमर तक थे, समीज के हटने से उसकी नंगी जांघें… तो कभी उसके चूतड़ तक झलक दिखा जाते थे… मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था, मधु की मस्ती देख वो कुछ ज्यादा ही मस्ता रहा था.. इधर सलोनी ने भी कमाल कर रखा था… वो कोई मौका… रोमांटिक होने या बनाने का नहीं छोड़ रही थी… देखा जाए तो… इस समय सलोनी… अपनी इस छोटी सी पारदर्शी… नाइटी में… लगभग नंगी ही दिख रही थी… मगर मेरे लण्ड को उससे कोई मतलब नहीं था… और ना वो सलोनी की नग्नता देख… इतना फ़ुफ़कारता था… इस समय मधु के नंगे अंग, जो अभी विकसित भी नहीं हुए थे, उनको देख लण्ड ने बवाल मचा रखा था… मेरी समझ में अच्छी तरह आ गया था कि यह लण्ड भी उस तेज तर्रार शिकारी कुत्ते की तरह है जो अपने जानकार लोगों को देख शांत रहता है… पर जहाँ कोई अजनबी देखा नहीं कि बुरी तरह उग्र हो जाता है… मधु को देख मेरे लण्ड का भी वही हाल था… और यह भी समझ आ गया था… कि सलोनी के नंगे अंगों को देख अरविन्द अंकल, पारस या दूसरे लोगों का क्या हाल होता होगा… तभी मेरे दिमाग में शाम वाली बात आ जाती है… मैं- अरे जान… शाम क्या कह रही थी?? सलोनी- किस बारे में? मैं- वो जब मैं मधु को नहला रहा था… तब कि तो मत शरमा… अब क्यों ऐसा कर रही है… क्या कोई पहले भी इसको नहला चुका है..या नंगी देख चुका है? अपनी बात सुनते ही तुरंत मधु ने प्रतिरोध किया- क्या भैया… आप फिर? सलोनी- तू चुप कर खाना खा… तुझसे किसी ने कुछ पूछा क्या ??? सलोनी की डाँट से वो कुछ डर गई… और ‘जी भाभी’ बोल नजरें नीचे कर खाने लगी… सलोनी- जानू और कोई नहीं इसका बाप ही… वो शराबी… जब देखो इसको परेशान करता रहता है… मैं- क्याआआ??? क्या कह रही है तू… क्या ये सच है… इसके पापा ही… क्या करते हैं वो? मधु एक बार फिर- रहने दो ना भाभी… सलोनी- अरे इसकी कुछ समय पहले तक बिस्तर पर सूसू निकल जाती थी… ना फिर… मधु- छीइइइइइइ भाभी नहीं ना… सलोनी- अच्छा वो तो एक बीमारी ही है ना… इसमें शरमा क्यों रही है… मधु- पर वो तो बहुत पहले की बात है ना… अब क्यों… मैं दोनों की बातें रस लेकर सुन रहा था… मैं- हाँ तो फिर क्या हुआ??? सलोनी- तो इसके पापा ही रोज इसके कपड़े बदल… इसको साफ़ करते थे… मैं- और इसकी माँ… वो नहीं… सलोनी- वही तो… वो सोती रहती थी… और इसके पापा को ही बोलती थी… ये बेचारी डर के मारे कुछ नहीं बोलती थी… मैं- वो तो है… तो इसमें गलत क्या है… हर बाप… यही करेगा… सलोनी- अरे आगे तो सुनो… वो इसकी बिस्तर के साथ साथ… इसके कपड़े… कच्छी सब निकाल पूरा नंगा कर देते थे… और इसका पूरा शरीर साफ़ करते थे… मैं- हाँ तो क्या हुआ… गीले हो जाते होंगे ना… सलोनी- अरे नहीं… इसका कोई पूरा थोड़ी निकलता था… केवल डर की बीमारी थी… केवल जरा सा निकल जाता था… मैं- ओह… फिर वो क्या करते थे?? सलोनी- वही तो… इसके पूरे शरीर को बहाने से छूते… रगड़ते थे… मधु- बस भाभी ना… सलोनी- उस समय बस नहीं बोलती थी… मैं- और क्या करते थे वो… सलोनी- इसके नंगे बदन से चिपक कर लेट जाते थे… इसको सोए हुआ जानकर… इसके निप्पल को चूसते हैं… इसके होंटों को भी चूमते हैं… और अभी उस दिन तो बता रही थी… कि इसकी मुनिया को भी चाटा था… क्यों मधु…??? मैं सलोनी की बात सुन… आश्चर्यचकित था…क्या एक बाप आप ही बेटी के साथ…?
मधु सर झुकाये बैठी थी… उसने कोई जवाब नहीं दिया… मैं- तो क्या अब भी इसको सूसू निकल जाती है… मधु तुरंत ना में सर हिलाती है- …नहीं भैया… सलोनी- अरे नहीं… अब तो यह बिल्कुल ठीक है… मगर इसका बाप अब भी… मैं- क्याआआआ? सलोनी- हाँ… जब पीकर आता है… तो इसी के बिस्तर पर आकर… इसको डराता है… कि दिखा आज तो नहीं मूता तूने… और इसको नंगा कर परेशान करता है… मैं- साला… शराबी… हरामी… सलोनी- अरे आप क्यों गाली दे रहे हो… मधु- भाभी आप बहुत गन्दी हो… मैं भी भैया को आपकी बात बता दूंगी हाँ… मधु कुछ ज्यादा ही बुरा मान रही थी मगर इसमें मेरा फ़ायदा ही था… लगता है उसके पास कोई सलोनी के राज हैं… जो मैं उससे
जान सकता हूँ… मैं- वो क्या मधु??? सलोनी- अच्छा मेरी कौन सी बात है… हा हा… मैं कोई तेरी तरह बिस्तर पर सूसू नहीं करती… मधु- धत्त्त भाभी… अब तो मैं बता दूंगी… सलोनी- तो बता दे ना… मैं कुछ नहीं छुपाती अपने जानू से हाँ… मधु- अच्छा वो जो डॉक्टर अंकल… कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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