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मेरा नाम रंजन है, मैं पटना से हूँ, एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। मैं यहाँ अपने चचेरे भाई के साथ बोरिंग रोड साइड में रहता हूँ। दोस्तो, मैं यहाँ कोई उत्तेजक कहानी या मनगढ़ंत कहानी नहीं लिख रहा हूँ। जो यकीन नहीं करना चाहे कोई बात नहीं। मेरे भैया का नाम राकेश है, भाभी का नाम मीनू है। हम तीनों यहाँ इकट्ठे बड़े आराम से रहते हैं। पटना में हमने एक बड़ा तीन बेडरूम वाला फ्लैट ले रखा है।
भैया का मार्केटिंग का जॉब था और उनका अक्सर बाहर आना-जाना लगा रहता था। बात 2007 की है, भैया दिल्ली गए थे। सवेरे भाभी की आवाज़ नहीं आ रही थी। तो मैं उनके बेडरूम में गया, देखा तो भाभी को बहुत तेज़ बुखार था। मैं उन्हें अस्पताल लेकर गया और दवाई लाया। शाम तक भाभी का बुखार उतर गया था।
रात को खाना खाने के बाद मैं भाभी के पास रुका और बोला- रात को फिर तबियत खराब हो सकती है, आप सो जाओ, मैं अपने कमरे में सो रहा हूँ, ज़रूरत पड़े तो आवाज़ लगाना। भाभी ने ‘हाँ’ कहा और सो गईं।
तक़रीबन 11 बजे भाभी ने मुझे आवाज़ लगाई। मैं गया तो देखा कि भाभी ठण्ड से कांप रही थी तो मैंने एक कम्बल लाकर औढ़ा दिया। मगर फिर भी भाभी कांप रही थी। मुझसे सहा नहीं गया और मैंने भाभी को कम्बल के ऊपर से जोरों से पकड़ लिया। धीरे-धीरे भाभी सो गईं पर मेरी नींद उड़ गई और रात भर मेरा लंड तंबू बना रहा पर हिम्मत नहीं हुई कि कुछ करूँ। बस भाभी को पकड़ कर सो गया।
जब भाभी की नींद खुली तो मेरे होश उड़ गए। क्योंकि मैं भाभी को जकड़ कर सो रहा था। मैंने भाभी से ‘सॉरी’ बोला और निकल गया।
भाभी कुछ नहीं बोलीं। सुबह भाभी ने नाश्ता बनाया और मैं खाकर ऑफिस चला गया। ऑफिस में मेरा काम में मन नहीं लगा, मुझे दो बजे के करीब भाभी का कॉल आया। मैं डर गया और फ़ोन उठाया तो भाभी बोलीं- रंजन, रात को जो हुआ उसे भूल जाओ। कारण एक ज़रूरत और मजबूरी भी थी। वैसे मुझे मज़ा आया सोने में, बहुत ही कम समय ही तेरे भैया पकड़ कर सोते हैं और वैसे भी महीने में 20 दिन अकेली ही सोती हूँ और तुम्हारे भैया तो हमेशा बाहर रहते हैं…! मेरे अरमानों को कौन समझेगा..! मैं उनकी बात सुनता रहा और कुछ देर बाद बोला- भाभी, आखिर मैं क्या कर सकता हूँ। तो वो बोलीं- रंजन, मुझे वो ख़ुशी चाहिए जो तुम्हारे भैया से बहुत कम मिलती है..!
मैंने फ़ोन काट कर दिया। थोड़ी देर बाद मेरे मन में भी हलचल होने लगी। दोस्तो, बता दूँ कि मेरी मीनू भाभी कमाल की दिखती हैं। रंग गोरा, शरीर भरा-भरा..! जो भी देखे, मुँह में पानी आ जाए…! साड़ी पहनती हैं, तो क़यामत ढाती हैं…!
मैं ऑफिस से सात बजे निकला और घर पहुँचा, मेरे पास घर की डुप्लीकेट चाबी थी तो मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला। मेरे आने का भाभी को पता चल गया था, वो मुझे देख रही थीं और मुस्कान बिखेर रही थीं, वो मेरे पास आईं। मैंने कहा- भाभी क्या बात है? उन्होंने कहा- पहले तो रंजन, तुम मुझे…!
मीनू ने प्यारी सी मुस्कान दी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे गले लगा लिया और मेरे होंठों को चूम लिया। मैंने भी उसको बांहों में ले लिया, मेरा तो मन किया कि मेज पर लेटा कर वहीं चोद डालूँ, पर फिर सोचा कि इतनी जल्दी नहीं, आराम से सब करूँगा। मैंने कुछ नहीं किया।
फिर हमने खाना खाया और साथ में बीयर भी पी.. बीयर के नशे में वो थोड़ा बहकने लगी थी। मैं भाभी को पकड़ कर बेडरूम में ले गया। जैसे ही कमरे में पहुँचे तो मैंने दरवाज़ा बन्द कर दिया और भाभी को बेड पर लेटा दिया। अपनी शर्ट निकाल कर उसकी ज़ांघों के पास बैठ गया और उसको चूमने लगा। वो बीयर के नशे के साथ साथ वासना के नशे में थी तो उसका पूरा बदन मचल रहा था।
भाभी का मचलता बदन को देख मेरा लंड और तनने लगा था। वो बोल रही थी- रंजन, आज मुझे पूरा मज़ा दे दो, जो आज तक तुम्हारे भैया ने मुझे कभी नहीं दिया…! फिर मैंने उसके पूरे बदन को चूमा और उसकी पोशाक बदन से अलग कर दी, उसने लाल रंग की ब्रा-पैंटी पहनी थी, जो उसके गोरे बदन और बड़ी बड़ी चूचियों की वजह से कमाल दिख रही थी।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूची को मसलना शुरू किया और एक तरफ उनके होंठों पर होंठ रख कर रसीला जाम पीने लगा। वो मेरा पूरा साथ दे रही थी, वो मेरी पीठ सहला रही थी। मैंने उसकी पीठ के नीचे हाथ डाला और ब्रा का हुक खोल दिया तो उनकी चूचियाँ आजाद हो गई और उनकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से दूसरी चूची दबाने लगा। वो बोल रही थी- चूसो ! और जोर से..!
मुझे जोश आ रहा था, मैं जोर-जोर से चूसने लगा, मीनू की चूची पूरी लाल हो गई, वो तब तक काफी गर्म हो चुकी थी। मीनू ने मुझे ऊपर से हटाया और खुद मेरे ऊपर आ गई। मेरी पैंट निकाल दी और अंडरवियर के ऊपर से मेरा लंड पकड़ कर मसलने लगी। मैंने नीचे लेटे-लेटे अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए और दबाने लगा। वो मेरे होंठों और पूरे बदन को चूमने लगी, फिर मेरे अंडरवियर को धीरे से थोड़ा नीचे किया और मेरे लंड पर हाथ घुमाने लगी।
मेरा आठ इंच लंड पूरी तरह से अकड़ चुका था। भाभी मेरे लंड को देख कर निहाल हो गई और लॉलीपॉप की तरह वो अपना मुँह में मेरे लंड को लपालप चूसने लगी, जैसे किसी बच्चे को लॉलीपॉप मिल गया हो। मैं तो जैसे किसी नशे में खोने लगा था।
उसने मेरे हलब्बी लौड़े को 5-6 मिनट तक चूसा, फिर बाहर निकाल कर मुझे कहा- चूत में आग लग रही है, बहुत प्यासी है..! मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रखा और चाटना शुरू किया तो उसने इशारा करके कहा कि 69 पोजीशन में करते हैं। हमने ऐसा ही किया, फिर उसकी चूत के दाने को मैंने अपने मुँह में लिया और चूसने लगा, वो तो उछलने लगी थी। मैं अपने दोनों हाथ उसके कूल्हों पर घुमाने लगा। वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। ठण्ड होने की वजह से बहुत मज़ा आ रहा था।
तक़रीबन दस मिनट ऐसा चलता रहा। फिर वो बेड पर सीधी लेट गई और मैं उसके ऊपर आ गया, उसके होंठों को चूमा, उसके दोनों पैर फैला कर बीच में आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीरे से रगड़ने लगा। मेरी भाभी की चूत गीली हो गई थी, तो मैंने धीरे से लंड अन्दर डाल दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में गया, थोड़ी ‘आहें’ भरते हुए उसने अपनी चूचियाँ थोड़ी ऊपर कीं, तो मैंने अपने हाथ उसकी पीठ के नीचे डाल दिए तो उसकी चूचियों में और उभार आ गया।
मैं ऐसा देखते ही उसकी चूची चूसने लगा और दूसरी तरफ धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। उसके मुँह से आवाज़ आने लगीं- ..हम्मम्म अह्ह्ह्ह… हम्म्म आआअ..! जो मुझ में और जोश जगाने लगी, मेरी स्पीड बढ़ने लगी और मैं जोर-जोर से उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।
फिर उसने मुझे थोड़ा धक्का देकर और मुझे बेड पर सीधा गिरा कर मेरे ऊपर बैठ गई। मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर रखे और नीचे से धक्के मारने लगा। भाभी को इसमें ज्यादा मज़ा आ रहा था क्योंकि लंड उसकी चूत में बहुत अन्दर तक चला जाता था। दस मिनट ऐसे ही करता रहा तो वो झड़ गई और मेरे ऊपर ही लेट गई।
मैं तो उसकी गाण्ड सहला रहा था क्योंकि उसकी गाण्ड बहुत मस्त थी, बहुत बड़ी और चिकनी भी थी। मैं झड़ा नहीं था तो मैं धीरे-धीरे हिल रहा था। फिर मैंने धीरे से उसके कान में कहा- घोड़ी बन कर चुदोगी? उसने ‘हाँ’ कहा और घोड़ी बन कर झुकी तो मैंने अपने हाथ का अंगूठा उसकी गाण्ड के छेद पर घुमाया और अपना लंड उसकी चूत में डाला और हिलने लगा।
धीरे-धीरे मेरा अंगूठा भी उसकी गाण्ड में घुस गया। अब जैसे-जैसे मैं धक्के लगाता गया, वैसे-वैसे अंगूठा भी अन्दर-बाहर करता गया। वो बहुत सिसकारियाँ ले रही थी और बोल रही थी- और जोर से करो..! फाड़ दो इस चूत को अब..! मैं जोर-जोर से चुदाई करने लगा, मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उससे कहा- मेरा पानी निकलने वाला है, पीना चाहोगी या बाहर कहीं निकालूँ..! वो बोली- चूत के अन्दर ही डाल दो, कोई दिक्कत नहीं है।
तो मैंने अन्दर ही जोर-जोर से झटके मारे और पूरा लण्ड अन्दर तक दबा कर चूत में अपना सारा पानी निकाल दिया। थोड़ी देर मैं वैसे ही रहा, उसने भी लम्बी साँस ली, फिर मैंने लंड चूत से निकाला, तो उसने उसे थोड़ा चूसा।
मैं उसके पास ही लेट गया, उसने अपना सर मेरे कंधे पर रखा और मेरे सीने पर उंगली घुमाने लगी। मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर घूम रहा था। लंड से पानी निकल गया तो मुझे नींद आ रही थी तो मैं वैसे ही उसको बांहों में लेकर सो गया।
फिर रात को करीब एक बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि वो मेरी तरफ अपनी गाण्ड करके सोई है तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी गाण्ड पर चूमना शुरू किया। भाभी की नींद भी टूट गई, मैंने उसकी गाण्ड के छेद पर जुबान घुमा कर गीला कर दिया। फिर अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी गाण्ड में लंड घुसा दिया। वो पहले थोड़ा चिल्लाई और फिर शांत होकर मज़े लेने लगी।
मैंने उसको बीस मिनट तक चोदा और फिर मैं झड़ गया। फिर हम दोनों एक-दूसरे से चिपक के सोने लगे, तो उसने कहा- काश, तुम्हारे भैया भी इतना अच्छा मुझे चोदते ! तुमने आज मेरी महीनों की प्यास बुझा दी !
उस रात को हम ने तीन बार भाभी के चूत का रस निकाला इस तरह मेरी पहली चुदाई बहुत ही मज़ेदार रहा और हम 2009 तक एक-दूसरे से मज़े लेते रहे। फिर भाभी की बहन को भी चोदा फिर भाभी की सहेली को पता चला तो उसने भी मुझ से चुदाया। फिर कैसे मैं कॉल-बॉय बना बाद में बताऊँगा। अभी मैं एक टॉप-क्लास का कॉल-बॉय हूँ। कहानी कैसा लगी, लिखना ज़रूर।
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