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प्रवीण राज दोस्तो, मैं पहले अपना परिचय दे देता हूँ, मैं ग्वालियर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 30 साल है। जब मैं कॉलेज में था, उस वक़्त एक कोचिंग में पढ़ने जाता था। वहाँ पर काफी लड़कियाँ भी पढ़ने आती थीं। उनमें से एक पलक नाम की लड़की मुझे बेहद पसंद थी। वो पहले दिन ही मेरे पास वाली सीट पर बैठी थी, इस कारण मेरी उससे पहले दिन से ही बोल-चाल शुरू हो गई थी। वो देखने में जितनी सुन्दर थी उससे कहीं अधिक मीठी उसकी आवाज़ थी। मैं भी पढ़ाई में होशियार था, वो अक्सर मुझसे एकाउंट्स के सवाल हल करवाती थी। इस तरह हमारी दोस्ती और गहरी होती चली गई। एक दिन सुबह-सुबह अचानक उसका फोन आया- यार, मेरे सेमेस्टर चालू होने वाले हैं, मुझे रिवीजन करना है, अब कोचिंग अगले 4-5 दिन तक नहीं आऊँगी। तुम मेरे घर आकर मेरा रिवीजन करवा दो तो बड़ी मेहरबानी होगी। मेरा मन तो पहले से ही किसी मौके की तलाश में था, फिर भी मैंने नखरे करते हुए उसे मना किया, मगर वो नहीं मानी। मैंने कहा- तुम्हारे घर वाले क्या सोचेंगे..! तो वो बोली- पापा तो ऑफिस जा रहे हैं और मम्मी को एक आंटी के घर काम से जाना है। तुम 11 बजे आ जाना, मम्मी को मैं समझा दूँगी। उसने ये सब आदेश देते हुए मुझसे कहा और मैं नहा धोकर तैयार होकर और परफ्यूम लगा कर अपनी बाइक से उसके घर चल दिया। उसके घर की घन्टी बजाते ही उसकी मम्मी ने दरवाजा खोला। मैंने कहा- आंटी जी, मुझे पलक से मिलना है। उन्होंने मुझे अन्दर आने को कहा, शायद पलक ने पहले से ही आंटी को मेरे बारे में बता दिया था। मुझे ड्राइंग रूम में बिठाकर वो अन्दर चली गईं। कुछ देर बाद पलक आई। वाऊ.. क्या लग रही थी..! शायद सीधे नहा कर आई थी। उसने मुझसे चाय की पूछा, मैंने मना कर दिया। तभी अन्दर से आवाज़ आई- पलक, मैं पास वाली आंटी के साथ मार्किट जा रही हूँ, तुम घर का ख्याल रखना। और फिर आंटी के जाने के बाद पलक ने घर का मेन-डोर बंद कर दिया और हम दोनों पलक के रूम की ओर चल दिए जो कि दूसरी मंजिल पर था। मैं पलक को पढ़ाने लगा, पर उसको कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, शायद उसका मन कहीं और था। इस बात पर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने उसे जोर से डांट दिया, जिससे वो रोने लगी और रोते-रोते ही उसने अपने दिल की बात मुझे बता दी, उसने कहा कि वो मुझे पसंद करती है। उसके इस तरह कहने से मेरा हौसला बढ़ गया। मैंने उसे चुप कराने के बहाने अपनी बाँहों में भर लिया। वो भी मुझसे जोर से लिपट गई, मेरे पूरे शरीर में करंट की लहर सी दौड़ गई, कुछ देर इसी तरह रहकर हम दोनों अलग हुए। इसके बाद हमने किताबों को एक तरफ रखकर टीवी ऑन कर दिया मैंने जानबूझ कर एक सेक्सी इंग्लिश चैनल लगा दिया, उसमें चुम्बन का सीन चल रहा था। पलक ये सब बड़े गौर से देख रही थी। हमारी नजरें मिलते ही पलक झेंप सी गई। मैं उसके पास गया और उसका सर पकड़कर अपने होंठ उसके होंठों पर रखने लगा, पर वो मेरा हाथ छुड़ा कर नीचे की ओर भाग गई। मैं भी उसके पीछे भागा, वो रसोई में जाकर छुप गई। मुझे पता था कि वो रसोई में छुपी है। अब मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। मैंने बाहर ड्राइंग रूम में ही अपने शर्ट-पैन्ट उतार दिए और आहिस्ता-आहिस्ता दबे पाँव रसोई में घुस गया। पलक वहाँ एक स्टूल के पीछे छुपी हुई थी। मैंने अचानक उसे पकड़ लिया, वो मेरा यह रूप देखकर पहले कुछ शरमाई और बाद में जोर-जोर से हँसने लगी। मैंने कहा- अभी रुक मैं तेरी हँसी निकालता हूँ। मैंने उसे कस कर बाँहों में भर लिया और एक हाथ से पीठ को कस लिया और दूसरे से उसके चूतड़ कस लिए। इस कारण उसके उरोज मेरे सीने से चिपक गए और उसकी चूत मेरे लंड से रगड़ रही थी बस कुछ देर ऐसे ही रहने से पलक मदहोश सी होने लगी, मैं समझ गया कि अब मेरा काम आसान हो गया है। मैंने देर न करते हुए उसके होंठों को चूमना शुरु किया और अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी, इससे उसकी सांसें उखड़ने लगीं। उसने अपना पूरा भार मुझ पर ही डाल दिया। मैंने काफी देर तक उसे इसी तरह चूमते हुए गर्म किया और फिर मैंने उसे कुछ अलग हटाकर उसका कुरता उतार दिया। वो अन्दर एक खूबसूरत सी गुलाबी ब्रा पहनी हुई थी। मैंने उसके मम्मों को कसकर मसल दिया, वो सिहर उठी और ‘न.. न’ करने लगी। वो सब कुछ समझ रही थी और इसमें उसकी भी सहमति थी। फिर मैंने उसका पजामा भी उतार फेंका, वो अन्दर एक ब्लैक पैन्टी पहनी हुई थी। वाऊ.. यार..! क्या क़यामत लग रही थी वो…! मुझसे रहा नहीं गया, मैंने वहीं रसोई में ही उसे लिटा दिया और उसके ऊपर से चाटने लगा। धीरे-धीरे उसको उत्तेजित करते हुए मैंने उसकी ब्रा के हुक भी खोल दिए और ब्रा को एक तरफ रख दिया। मुझे पता था कि ब्रा का आगे क्या करना है और फिर उसे चूमता हुआ उसकी चूत तक हाथ पहुँच गया। जब मैंने पैन्टी में हाथ डाला तो मेरी उंगलियाँ उसकी झाँटों में ही उलझकर रह गईं। उसकी चूत को मैंने अपनी हथेली से पूरा ढक लिया। उसकी चूत लिसलिसा सी रही थी, मेरी पूरी हथेली गीली सी हो गई। मैंने धीरे से उसकी पैन्टी भी उतारकर ब्रा के साथ ही रख दी। अब वो मेरे सामने पूरी नग्न सुन्दरी दिख रही थी। तभी मेरे दिमाग में कुछ ख्याल आया और मैं उठकर फ्रिज से सॉस की बोतल निकाल लाया। इस पर पलक बोली- अब क्या बीच में ही भूख लग आई? मैंने कहा- हाँ.. अब मैं तुमको खाऊँगा। वो घबरा सी गई और फिर मैंने सॉस की बोतल से सॉस उसके मम्मों पर डालना शुरू किया। दोनों मम्मों पर सॉस डालने के बाद मैंने उसकी झाँटों और चूत पर भी सॉस टपका दिया। इन सब क्रियाओं में पलक को भी आनन्द आ रहा था। वो बार बार अपनी आँखें खोल कर यह नज़ारा देख रही थी। मैंने सॉस की बोतल एक तरफ रख कर दी। अब मैं पलक के ऊपर आ गया, मैंने पहले आहिस्ता-आहिस्ता मम्मों से सॉस को चाटा, आज सॉस का टेस्ट गजब का लग रहा था। जब उसके मम्मे चाट कर साफ़ कर दिए, उसके बाद मैंने उन्हें जोर-जोर से दबाया। पलक मुझे रोकते हुए जोर-जोर से ‘सिसकारी’ ले रही थी। मैंने उसकी एक नहीं सुनी और अपना मुँह ले जाकर उसकी झाँटों पर रख दिया, जहाँ पहले से ही काफी सॉस लगा हुआ था। मैंने झाँटों को चूसना शुरु किया ही था कि पलक चिल्ला उठी.. शायद चूत के बाल खिंचने से उसे दर्द हो रहा था। उसने कस कर मेरा सर पकड़ लिया। मैंने उसको दिलासा देते हुए कहा- अब आराम से चूसूँगा। मैं फिर से झाँटों में से सॉस चूसने लगा, बीच-बीच में मैं जोर से झाँटों को चूस लेता तो उसकी चीख निकल जाती। इस कारण उसकी झाँटों के कुछ बाल मेरे मुँह में आ गए, जिसे मैंने एक तरफ थूक दिया। ऐसा करते हुए मैंने उसकी पूरी चूत साफ़ कर दी। अब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी, वो चिहुंक उठी। उससे अब रहा नहीं जा रहा था। अब मैंने भी देर न करते हुए अपने सारे बचे-खुचे कपड़े उतार फेंके और उसकी चूत पर आकर अपना लंड रख दिया। पलक मेरा पूरा साथ दे रही थी। पलक ने खुद शर्म छोड़ कर मेरा लंड हाथ में लिया और चूत पर टिकाने लगी। मुझे उसकी चुदास पर तरस आ गया। फिर मैंने भी देर न करते हुए उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा। पर हाय रे मेरी किस्मत…! वो बार-बार फिसल जाता था। मैंने उठकर रसोई में इधर-उधर देखा, मुझे एक कटोरी में घी दिखाई दिया, मैंने उस कटोरी से घी निकाल कर पलक की चूत पर चुपड़ दिया और उंगलियों से कुछ अन्दर भी ठेल दिया। अब मैं फिर से पलक के ऊपर आ गया और लंड को सही निशाने पर लगा कर पूरी ताकत से उसके अन्दर ठेला, पलक चिल्ला उठी। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और रुक गया। जब दर्द कम हुआ तो मैं पलक के होंठों को चूमते हुए अपना लंड अन्दर सरकाता गया। अब वो भी मज़ा लेने लगी थी कम से कम बीस मिनट तक मैंने उसे चोदा और जब हम अलग हुए तो उसकी पैन्टी और ब्रा उसके खून से लाल हो रहे थे। मैंने उन्हें उठा कर पलक की चूत साफ की और पलक से उठने की बोला। पलक ने उठने की कोशिश की पर उसे दर्द हो रहा था और फिर अपनी ब्रा-पैन्टी खून से रंगी देखकर हैरान रह गई।मैंने उसकी ब्रा-पैन्टी एक पोलीथिन में डाल कर अपने पास रख ली। मैंने उसका क्या किया मैं आपको फिर कभी बताऊँगा। इस सबके बाद तो पलक को जैसे आदत सी पड़ गई, वो रोज ही कोई बहाना बनाकर मुझसे चुदवा लेती थी। हमने होटल, गार्डन आदि कहाँ चुदाई नहीं की। इसके तीन साल बाद पलक की शादी उसी शहर में हो गई। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected] gmail.com
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