This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
कहानी का पिछला भाग: मैडम एक्स और मैं-3
स्नान-सम्भोग के पूर्ण होने के उपरान्त हमने कायदे से स्नान किया और बाहर आ गये। काफी थकान हो चुकी थी, सो कुछ पल के आराम के बाद हमने खाना खाया और टीवी देखने लगे। टीवी देखते देखते सर भारी हुआ तो दोनों ही सो गये।
और शाम को आँख खुली तो शाम के नाश्ते के बाद वो ख़ाना बनाने लग गईं और मैं अपनी याहू मेल और फेस बुक पे लग गया।
और इसी तरह जब हम अपने अपने कामों से फारिग हो गये तो मैडम जी मुझे एक अच्छे से सजे धजे कमरे में ले आईं जहाँ काफी ढेर साड़ी सजावट की विदेशी वस्तुएँ मौजूद थीं।
फिर उन्होंने अलमारी खोल और काफ़ी सामान वहाँ सोफों के बीच रखी मेज पर रख दिया और मैं हैरानी से वह सब देखने लगा।
उस सामान में कई तरह के डिल्डो, स्ट्रेप के साथ, बगैर स्ट्रेप के, एक्सटेंडेर, डबल डिक, वाइब्रेटर, ऐनल बीड्स, ऐनल प्लग, सेक्स मशीन विद रेगुलेटर, स्टिंग सेक्स मशीन, डिल्डो में विद रिंग, डॉट्स और गुदा मैथुन के लिये कई तरह के शेप वाले डिल्डो।
‘तीन साल पहले एक सरकारी दौरे पर ठाकुर साहब यूके गये थे तो वहाँ से कुछ लाये थे तो कुछ ऑनलाइन ख़रीदारी में मंगाये। वह नहीं चाहते थे कि मैं उनके सेक्स ना कर पाने को लेकर कभी डिप्रेस होऊँ… इसलिए यह सब चीज़ें खरीदी गईं पर इनका सुख भी किसी गोश्त पोश्त वाले मर्द के साथ ही आता है। जब यह सब आया था तो मैं बहुत रोमाँचित हुई थी लेकिन फिर सब बोर लगने लगा। चलो आज एक ज़िंदा मर्द के साथ इनका लुत्फ़ उठाते हैं।”
उन्होंने अलमारी बन्द की और शरीर पर मौजूद गाउन उतार कर सोफे पर आ गईं।
मैं उनके पास बैठ कर नर्म स्पर्श से उन्हें सहलाने लगा। वह गौर से मुझे देखती ठंडी ठंडी साँसे लेती रहीं।
फिर मैंने वाइब्रेटर आन किया और उसे उनके भगांकुर से स्पर्श कर दिया और हल्के हल्के ऊपर नीचे फिराने लगा।
मैडम जोर की सिसकरि लेतीं पींठ और सर के नीचे के कुशन को भींचने सहलाने लगीं।
फिर एक हाथ से वाइब्रेटर संभाले दूसरे हाथ से मैंने उनके गुदा द्वार में उंगली करनी शुरु की जिस से वह छेद भी ढीला पड़ने लगा और जब थोड़ा ढीला हो गया तो वाइब्रेटर हटा लिया और ऐनल बीड्स की लड़ी सम्भाल ली, वहीं मौज़ूद थोड़े से जेल से उसे गीला करके उसकी बड़े अंगूर जैसे दानों को एक एक करके उनके छेद में उतारने लगा, जब भी उसके दान अपने आकार के कारण छेद पर खिंचाव डालता और फिर पक से अन्दर हो जाता, मैडम के चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव आते।
एक एक करके ऐनल बीड्स की वह पूरी लड़ी जो लगभग दस इंच लंबी थी, पूरी छेद के अन्दर उतर गई और तब एक रिंग वाला नौ इंच लम्बा डिल्डो उनक़ी चूत में घुस दिया।
वह खुद से उस डिल्डो को पकड़ के धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगीं और मैं बीड्स को एक एक करके बाहर खींचने लगा… जब भी दाना बाहर आने को होता, छेद धीरे धीरे करके पूरा फैल जात और फिर दाने के बाहर आते ही एकदम पक करके सिकुड़ जाता और अगले दाने के लिए फिर जगह बनाने लगता।
वो पूरी लड़ी बाहर निकाल कर वापस फिर अन्दर डाल दी और मैडम उसी रिंग वाले डिल्डो को आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर करके उसके रिंग्स का मज़ा लेती रहीं।
करीब दस मिनट के मज़े के बाद मैडम के दोनो छेदों ने मुँह खोल दिया, तब उन्होंने डिल्डो निकाल फेंका और मैंने ऐनल बीड्स किनारे डाल दी।
इसके बाद मैंने ऐनल प्लग उठाया… ऐनल प्लग जो कि भाले की नोक जैसा होता है मगर चपटा न हो कर गोल होता है और नीचे स्टैण्ड जैसा होता है, उसे छेद के अन्दर घुसा दिया और अन्दर फिट छोड़ कर मैडम के बगल में लेट गया और उनके एक उरोज को होंठो से चूसता, दूसरे को चुटकी से मसलने लगा और मैडम वाइब्रेटर आन करके उसे अपनी क्लिटोरिस हुड से छुआने लगीं तो बाएं हाथ से एक डॉट वाला डिल्डो अन्दर घुसा लिया और उसे अन्दर बाहर करने लगीं।
इस घड़ी शायद उन्हें इतना आनन्द आ रहा था कि उनकी आँखें नहीं खुल पा रही थीं।
शायद इसी हालत में उन्होंने पहला पानी छोड़ दिया और कुछ पल के लिये ठण्डी पड़ गईं।
मैं उनकी हल्की भूरी घुंडियों को वैसे ही चूसता चुभलाता रहा और कुछ पल शान्त रहने के बाद वे फिर सक्रिय हो गईं।
मुझे अलग करके उन्होंने ही गाण्ड से ज़ोर लगा कर ऐनल प्लग को बाहर निकाला और डिल्डो भी बाहर करके मेज पर डाल दिया।
अब उन्होंने एक छोटे पेट्रोल जनरेटर जैसी सिटिंग सेक्स मशीन को नीचे कालीन पर रखा, उसके बीच में एक करीब एक फ़ुट लम्बा और घोड़े की मोटाई वाला डिल्डो चूड़ियों के सहारे कस दिया और उस पर अपनी चूत रख कर बैठ गईं।
चूँकि अभी मोटे डिल्डो की चुदाई से छेद ढीला पड़ चुका था तो थोड़े संघर्ष के बाद और थोड़े जेल के सहारे उसने मैडम की चूत में अपने लिये जगह बना ही ली।
उसकी बनावट कुछ इस तरह की थी कि वो जगह, जहाँ मैडम ने जांघे रखी थीं बैठ्ने के लिये, करीब आठ से नौ इंच आगे पीछे हो सकती थी उनके आगे पीछे हिलने पर… और डिल्डो की पोजीशन ऐसी थी कि पीछे होने पर वो चूत से बाहर आता और आगे आने पर जड़ तक अन्दर घुसने को होता।
इस तरह मैडम उस मशीनी कुर्सी पर बैठ कर आगे पीछे हो कर एक मोटे हब्शियों जैसे लंड़ से चुदने का मज़ा ले सकती थीं।
“देख क्या रहे हो, अब मैं ही करूँ?” उन्होंने बनावटी गुस्से से कहा।
जिस रेक्सीन के गदीले पट्ठों पर उनकी जांघें टिकी थीं वहाँ इतनी तो जगह अभी भी थी कि मैं चिपक कर उनकी पीछे बैठ सकता और मैंने बैठने में देर भी नहीं लगाई।
इसके बाद मैं दोनों हाथ उनके सीने पर ले जाकर उनकी चूचियों को गूंथने लगा, उन्होंने गर्दन तिरछी की और मैं उनके होंठों से सट कर उन्हें भी चूसने लगा और साथ ही अपनी कमर की ताक़त से उन्हें आगे पीछे करने लगा।
नीचे वो मोटा सा काला डिल्डो उनकी चूत की गहराइयों में डूबने उतराने लगा और कमरे में उस मशीन की मधुर चूं चूं गूंजने लगी।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद उन्होंने मुझे रोक दिया और उठ कर उस डिल्डो की पकड़ से निकल गईं।
बेचारा चूत से निकल कर मैडम का मुँह ताक रहा था कि मैडम ने उसे जेल से और तर कर दिया।
तदुपरांत वो उस पर एक इन्च आगे होकर ऐसे बैठीं कि उसने गोल घर में प्रवेश कर लिया। इस बार मैडम को झेलने में ज्यादा ताक़त लगानी पडी और वह कांखने लगीं, पर बहरहाल अन्दर जगह तो उन्होंने दे ही दी और मैं वापस उनसे चिपक कर पहले वाली क्रिया दोहराने लगा।
वो कृत्रिम काला लंड फिर अन्दर बाहर होने लगा, हाँ इस बार वह दूसरे रुट पर था और कमरे में वापस चूं चूं की आवाज़ पैदा होने लगी।
फिर इस तरह मैं खुद ही थक गया तो रुका और मैडम ने भी मेरी हलत समझते हुए इस चुदनी कुर्सी को किनारे कर दिया और मुझे अपने साथ दीवान पर ले आईं।
वहाँ एक ऐसी मशीन रखी थी जिसमें किसी भी साइज के डिल्डो को फिट किया जा सकता था, वह ऊपर नीचे एडजस्ट हो सकती थी और उसकी बनावट पुराने ज़माने के भाप के इंजन के पहियों जैसी थी जो घिर्रियों के गोल घूमने पर डिलडो आगे पीछे होता और उससे जुङा रेगुलेटर सामने लेटने वाली के हाँथ तक पहुंच सकता था ताकि उसकी घिर्रियों की रफ़्तार को कम ज्यादा किया जा सके।
मैडम ने उसे बिजली से कनेक्ट करके आन किया और उसमे एक नार्मल साइज़ के डिल्डो को फिट कर दिया और उसके ठीक सामने अपनी टांगें फैला कर ऐसे लेटीं कि डिल्डो का मुंह उनकी चूत में घुस गया और फिर आगे खिसकी तो वो अपने आगे पीछे होने की क्रिया के कारण उनकी चूत में अन्दर बाहर होने लगा।
शुरू में स्पीड कम थी लेकिन मैडम उसे बढ़ाती अन्तिम सीमा तक ले गईं और उस सूरत में वो पूरी बेरहमी और तूफानी रफ़्तार से मैडम की चुदाई करने लगा।
“आओ, तुम लेटो नीचे।” उन्होंने मुझसे कहा।
अब मैं मैडम क्या मेरी भी मरवाने वाली थीं? बहरहाल मैं उनके कहे अनुसार उनकी जगह लेट गया। मैडम ने मशीन की ऊंचाई को एडजस्ट किया और फिर मेरे लंड पर बैठ गईं। मुझे ऐसा लगा जैसे अजगर के बिल में कोबरा घुसा हो, कोई कसाव नहीं, एकदम ढीली खुली बुर।
लेकिन उन्होंने उसी पल में उस मशीनी डिल्डो को भी मेरे लंड के ऊपर से अपनी चूत में घुसाया और मेरे सीने से सटी अधलेटी अवस्था में हो गईं और रेगुलेटर से गति मध्यम कर दी।
अब यह हाल था कि मैं नीचे था, मैडम मेरे ऊपर और मेरा लंड उनकी चूत में समाया हुआ था और मेरे लंड के ऊपर से वह डिल्डो भी उसी चूत में घुसा हुआ था और मैं तो धक्के लगाने की हालत में नहीं था लेकिन कमबख्त डिल्डो तेज़ गति से बिना रुके धक्के लगाये जा रहा था।
फिर मैडम जी ने पोजीशन बदली और मेरी तरफ़ चेहरा करके मेरे ऊपर ऐसे लदीं कि उनकी चूचियाँ मेरे सीने से लड़ने लगीं और उसी दशा में नीचे, ऊपर की तरफ़ मेरे लंड को अन्दर लिया और गांड के छेद की तरफ़ से उस डिल्डो को… और उसकी स्पीड फुल कर दी।डिल्डो शोर मचाता फ़काफ़क चोदने लगा।
यह बात और थी कि उसकी रगड़ मेरे पप्पू पर ऐसे लग रही थी कि मुझे मज़ा नहीं आ रहा था।
बहरहाल कुछ देर ऐसे भी चुदाई हो गई तो उन्होंने उस डिल्डो को पीछे वाले छेद में घुसा लिया और फिर मुझे धक्के लगाने को कहा। मैं धक्के लगाने लगा। अब यह हाल था कि एक मशीनी लण्ड उनकी गाण्ड मार रहा था और मैं उनकी चूत को चोद रहा था। वो आवाज़ें निकाल निकाल कर इस भरपूर चुदाई का मजा ले रहीं थीं।
फिर इस आसन में भी ख़ूब चुद चुकीं तो उन्होंने उसी सूरत में मुझे लंड उनकी गाण्ड में घुसाने को कहा।
इतनी भयंकर चुदाई से दोनों छेद बिल्कुल खुल चुके थे और इसीलिए गाण्ड में डिल्डो के घुसे होने के बावजूद जब मैंने लन्ड घुसाने की कोहिश की तो वह भी थोड़ी ताक़त लगाने पर घुस गया और यूँ दो लंड एकसाथ उनकी गाण्ड चोदने लगे।
ऐसे ही चुदते चुदते वह झड़ भी चुकीं तब कुछ जोश हल्क़ा पड़ा तो यह तमाशा बन्द हुआ और हम दीवान से उतरे।
इसके बाद उन्होंने मुझे एक्सटेंडेर लगाने को कहा। यह एक ऐसा खोखला लिंग था, जिसको मैं अपने सामान्य आकार के लंड पर फिट करके इसकी बेल्ट को पीछे बांध सकता था और यह मेरे लिंग के आगे लगभग ४ इंच और निकल के ठोस था और इसकी साइड की दीवारे भी मोटी थीं जो मेरे लिंग को करीब दस इंच लम्बा और ढाई इंच चौड़ा रूप प्रदान कर रहीं थीं।
इसके बाद वह सोफे पर सीधे लेट गईं और एक टांग सोफे की पुश्त पर चढ़ा ली।
मैं उनकी जांघों के बीच में बैठ गया और अब अपने परिवर्तित विशालकाय लिंग को उनकि योनि में प्रवेश करा दिया और फिर पहले धीरे धीरे धक्के लगाये और फिर उनके उकसाने पर धक्कों की स्पीड बढ़ाता गया।
कमरे में उनकी मादक सीत्कारें नशा भरने लगीं।
उनकी सीत्कारों के साथ चुदाई की फच फच मिलजुल कर एक अलग संगीत सा प्रस्तुत कर रही थी।
कुछ देर इस पोजीशन में चोदने के बाद मैं सोफे की पुश्त से टिक कर बैठ गया और वह मेरे लंड पर उलटी बैठ गईं यानि उनकी पीठ मेरी तरफ़ थी, मैंने उनकी कमर थाम ली और उन्हें उचकाने लगा।
वह आवाज़ें निकालती मेरे हाथों की ताक़त के सहारे उछलती भचाभच चुदने लगीं।
फिर जब वह थक गईं तो मैंने उनकी पीठ को सोफे के नीचे टिकाये उन्हे ऐसे टिका दिया जैसे कोई कंधे के बल खड़ा होता है और अपने लिंग को नीचे की दिशा में करके उनक़ी चूत बैठ बैठ के चोदने लगा।
इस आसन में जल्दी ही वह परेशान हो गईं तो उन्हे उठा कर सीधा कर लिया और उन्हें कुतिया की तरह झुका लिया।
उनका एक पांव नीचे था तो एक सोफे पर और मैं पीछे से उनकी चूत में लंड पेल कर धक्के लगाने लगा।
यह मेरे लिये पहला ऐसा मौका था जब मैं अपनी मर्ज़ी की चुदाई कर सकता था क्योंकि जो सारे आसन मैं ब्लू फिल्मों में देखता था वह मेरे छोटे लिंग के कारण असंभव थे लेकिन आज मेरे पास बड़ा लिंग था और एक बड़ी उम्र की खेली खाई औरत, जो न सिर्फ इसे बर्दाश्त कर सकती थी बल्कि हर आसन का जवाब दे सकती थी।
फिर क्या था… अगले आधे घंटे में मैंने जितने आसन पोर्न मूवी में देखे थे, हर आसन से मैंने मैडम जी को बुरी तरह चोदा।
अब चूँकि मेरे लंड पर खोल चढ़ा हुआ था और लंड को स्पर्श मिल ही नहीं रहा था तो मेरे चरम पर पहुँचने का सवाल ही नही उठता था और मैं झड़ने वाला नहीं था।
पर मैडम करीब एक घंटे तक ऐसे बुरी तरह चुदते चुदते बुरी तरह थक चुकी थीं और उन्हें पता था कि मैं ऐसे झड़ने वाला नहीं।
उन्होंने मुझे अलग किया और वह एक्सटेंडर निकाल फेंका।
इसके बाद मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसती हुई मेरे अंडकोषों को सहलाने लगीं और मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी।
जल्दी ही मुझे महसूस हुआ कि मेर निकलने वाला है। मैं उन्हें पीछे करना चाहता था लेकिन अन्तिम पलों में कर न सका और एक तेज़ कराह के साथ मैं मैडम का चेहरा ऐसे भींच लिया कि वह मेरे लंड को अपने मुँह से निकाल न सकीं और सारा रस भलभल करके उनके मुँह में ही निकल गया।
पूरी ट्यूब खाली करके मैं सोफे पर ऐसे गिर पड़ा कि आँख खोलने की हिम्मत भी न रह गई और जब खुली तो मैडम पास ही बैठीं मेरा सर सहला रहीं थीं।
पूरे कार्यक्रम के बाद हम मेन हाल में आये जहाँ पहले मुझे उन्होंने थोड़ा दूध पिलाया और करीब आधे घंटे के आराम के बाद हमने खाना खाया और अब ताक़त तो बची नहीं थी तो सो ही गये।
सुबह उठ कर एक विदाई वाली चुदाई की और फिर वापसी की राह पकड़ी।
चूँकि अब नौकर नौकरानी आने वाले थे सो वहाँ रुका जा नहीं सकता था इसलिए सुबह सवेरे ही निकल लेना ठीक था।
जाने से पहले मैडम जी ने मुझे हज़ार के दस नोट थमा दिये। मैंने ऐतराज़ किया तो उन्होंने फिर वही डायलॉग मारा कि वे राजा लोग हैं, मुफ्त की सेवायें नहीं लेते। ज्यादा विरोध करना मुझे भी उचित ना लगा, आखिर लक्ष्मी किसे बुरी लगती है, कहीं से भी आये।
बहरहाल कहानी यहीं खत्म हुई। उत्साहवर्धन के लिये मुझे मेल ज़रूर कीजियेगा। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000