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इमरान सलोनी ने अभी भी तौलिया बाँधा नहीं था… केवल अपने हाथ से अगला हिस्सा ढक कर अपनी बगल से पकड़ा हुआ था… अंकल फुसफुसाते हुए- बेटा एक बात कहूँ… बुरा मत मानना प्लीज़… सलोनी- अब क्या है???? अंकल- बेटा एक बार और हल्का सा दिखा दे… दिल कि इच्छा पूरी हो जाएगी !!! सलोनी- पागल हो क्या?? जाओ यहाँ से… जाकर भाभी को देखो वो भी नंगी बैठी आपका इन्तजार कर रही हैं… हे हे हे हा हा हा… सलोनी के कहने से कहीं भी नहीं लग रहा था कि उसको कोई ऐतराज हुआ हो… अंकल – ओह प्लीज़ बेटा… सलोनी उनको धकेलते हुए- नहीं जाओ अब… अंकल मायूस सा चेहरा लिए दरवाजे के बाहर चले गये… अब वो मुझे नहीं दिख रहे थे… हाँ सलोनी जरूर दरवाजा पकड़े खड़ी थी… जो पीछे से पूरी नंगी थी… उसके उभरे हुए मस्त चूतड़ गजब ढा रहे थे ! पर अभी सलोनी कि शैतानी ख़त्म नहीं हुई थी… उसने दरवाजा बंद करने से पहले जैसे ही हाथ उठाया तो उसका तौलिया फिर निचे गिर गया… सलोनी- थोड़ा ज़ोर से… बाई बाई अंकल… माय गॉड… वो एक बार फिर अंकल को… और उस शैतान की नानी ने अंकल को अपने नंगी काया की झलक दिखा कर हँसते हुए दरवाजा बंद कर लिया… मैं बस यही सोच रहा था कि यह सलोनी अब रात को प्रणव को कितना परेशान करने वाली है… … मैं नहाकर बाहर आया… हमेशा की तरह नंगा… सलोनी की मस्ती को देख मुझे गुस्सा बिल्कुल नहीं आ रहा था… बल्कि एक अलग ही किस्म का रोमांच महसूस कर रहा था… इसका असर मेरे लण्ड पर साफ़ दिख रहा था… ठन्डे पानी से नहाने के बाद भी लण्ड 90 डिग्री पर खड़ा था… सलोनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी अपने बाल सही कर रही थी… उसने नारंगी रंग का सिल्की गाउन पहना था… जो फुल गाउन था… मगर उसका गला बहुत गहरा था… इसमें सलोनी जरा भी झुकती थी तो उसकी जानलेवा चूचियों का नजारा हो जाता था… और अगर सलोनी ने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी… जो अक्सर वो करती थी… बल्कि यूँ कहो कि घर पर तो वो ब्रा कच्छी पहनती ही नहीं थी… तो बिल्कुल गलत नहीं होगा… जब इस गाउन में वो ब्रा नहीं पहनती थी तो… उसकी गोल मटोल एवं सख्त चूचियाँ उसके गाउन के कपड़े को नीचे कर पूरी तरह से बाहर निकलने की कोशिश करती थी… उसकी चूचियाँ भी सलोनी की तरह ही शैतान थीं… मुझे अब ज्ञात हो गया था कि मेरी जान सलोनी के इन प्यारे अंगों का मेरे घर में आने वाले ही नहीं बल्कि बाजार में बाहर के लोग भी देख-देख आनन्द लेते हैं… हाँ मैंने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया था… वो तो आज पारस के कारण मैं भी इस सबका भाग बन गया था… अब मैं सलोनी को यह अहसास करना चाहता था कि मैं भी एक आम इंसान ही हूँ और तरह तरह के सेक्स में मजा लेता हूँ… मैं कोई दकियानूसी मर्द नहीं हूँ… मुझे भी सलोनी की हरकतें अच्छी लगती हैं… और उनका आनन्द लेता हूँ… जिससे वो मुझसे डरे नहीं और मुझे सब कुछ बताये… मुझे यूँ सब कुछ छुपकर न देखना पड़े… और मेरा समय भी बचे जिससे मेरे काम पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा… मैंने सर को पोंछने के बाद तौलिया वहीं रखा और नंगा ही सलोनी के पीछे जाकर खड़ा हो गया… ।मैं जैसे ही थोड़ा सा आगे हुआ… मेरा लण्ड सलोनी के गर्दन के निचले हिस्से को छूने लगा… उसने बड़े प्यार से पीछे घूमकर मेरे लण्ड को अपने बाएं हाथ में पकड़ लिया…
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! उसके सीधे हाथ में हेयर ड्रायर था… उसने फिर शैतानी करते हुए, अपने बाएं हाथ से पूरे लण्ड को सहलाते हुए ड्रायर का मुँह मेरे लण्ड पर कर दिया…और गर्म हवा से लण्ड को और भी ज्यादा गर्म करते हुए… सलोनी- क्या बात… कल से पप्पू का आराम का मन नहीं कर रहा क्या??? जब देखो खड़ा ही रहता है… हा हा हा… सलोनी में यही एक ख़ास बात थी… कि वो हर स्थिति में बहुत शांत रहती थी और बहुत प्यार से पेश आती थी… तभी अपनी जान की कोई भी बात मुझे जरा भी बुरी नहीं लगती थी… मैंने चौंकने की एक्टिंग करते हुए कहा- …अरे यह क्या जान? तुम्हारे कपड़े वापस आ गए… क्या हुआ…?? भाभी को पसंद नहीं आये क्या… या अंकल ने पहनने को मना कर दिया? सलोनी ने मेरे लण्ड पर बहुत गर्म चुम्बन करते हुए कहा- …हा हा… अरे नहीं जानू… ये तो अंकल ही आये थे… वो भाभीजी के कपड़े यहीं रह गए थे… न उनको ही लेने…और हाँ उनको तो ये कपड़े बहुत अच्छे लगे… और मेरे से ज़िद कर रहे थे कि… भाभी को कई जोड़ी ऐसे ही कपड़े दिल देना… हा हा… मैं- अरे वाह ! यह तो बहुत अच्छी बात है… आखिर अंकल भी नए ज़माने के हो गए… अब मैंने सलोनी को छेड़ते हुए पूछा- अरे वैसे कब आये अरविन्द अंकल? सलोनी- जैसे ही आप बाथरूम में गए थे ना, तभी आ गए थे… उसको लगा मैं अब चुप हो जाऊँगा… पर मेरे मन में तो पूरी शैतानी आ गई थी… मैं- ओह क्या बात… तो क्या तुमने तौलिया में ही दरवाजा खोल दिया था… फिर तो अंकल को रात वाला सीन याद आ गया होगा… हा हा हा… सलोनी- अररर्र… रे… वो ओऊ… तो आप ये सब सोच रहे हो… अरे मैं तो सब भूल गई थी… हाँ शायद मैं वैसे ही थी… पर उनको देख लगा नहीं कि वो… हाय राम वो क्या सोच रहे होंगे… मैं- ओह क्या यार… तुम भी ना इस सबसे मजा लो… मैं तो चाहता हूँ कि उनकी लाइफ भी मजेदार हो जाए… तुम तो भाभी को भी अपनी तरह सेक्सी बना देना… अब लगता था कि सलोनी भी मुझसे थोड़ा मजा लेना चाहती थी… सलोनी- हाँ, फिर मेरी एक चिंता और बढ़ जाएगी… मैं- वो क्या?? सलोनी हँसते हुए- हा हा… कि मेरा जानू कहीं भाभी से भी तो रोमांस नहीं कर रहा… मैं- हा हा तो क्या हुआ जान… कुछ मजा हम भी ले लेंगे… तुमको कोई ऐतराज? सलोनी- अरे नहीं मुझे क्या ऐतराज होगा… जिसमे मेरे जानू को खुशी मिले… उसी में मेरी ख़ुशी है… उसने बहुत ही गर्म तरीके से मेरे लण्ड को चूमा… मुझे लगा कि अगर मैंने इसको नहीं रोका तो अभी मेरा लण्ड बगावत कर देगा… और सलोनी को अभी ही चोदना पड़ेगा… मैंने उससे कहा- चलो फिर आज प्रणव के सामने इतना सेक्सी दिखना कि वो अपनी रुचिका को भूल जाये.. साला हर वक्त उसकी तारीफ़ ही करता रहता है… चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ… … सलोनी भी मेरी बातों से अब मस्त हो गई थी… उसका डर धीरे धीरे निकल रहा था… वो भी तैयार होते ही बात कर रही थी- जानू बताओ ना, फिर आज मैं क्या पहनू??? मैं- जान तुम बिना कपड़ों के ही रहो… देखना साला प्रणव जलभुन मरेगा… सलोनी मुस्कुराते हुए- हाँ और अगर उसने कुछ कर दिया तो… मैं- अच्छा तो तुम क्या ऐसे भी रह लोगी… हा हा हा… फिर रुचिका होगी तो बदला लेने के लिए… सलोनी- हाँ मैं आपके मुँह से यही तो सुनना चाहती थी… आप तो बस अपना ही फ़ायदा देख रहे हैं ना… आप तो बस रुचिका के ही बारे में ही सोच रहे होंगे ना? उसने अब अपना मुँह फुला लिया। मैं- अरे नहीं मेरी जान वो सब तो बस थोड़ा मजा लेने के लिए… वरना मेरी जान जैसी तो इस पूरे जहान में नहीं है… सलोनी- हाँ हाँ मुझे सब पता है… याद है जब हमारी पहली पार्टी में… प्रणव भाई ने मेरे साथ वो सब हरकतें करी थीं, तब आपने कौन सा उससे कुछ कहा था… मैं- अरे जान, वो उस दिन नशे में था… वैसे वो तुम्हारी बहुत इज़्ज़त करता है… सलोनी- हाँ हाँ मुझे पता है… सभी मर्द एक जैसे ही होते हैं… जरा सा छूट मिली नहीं कि… मैं- हा हा हा हा… अच्छा तो क्या मैं भी ऐसा ही हूँ? सलोनी- और नहीं तो क्या… यह तो आपकी सेक्रैटरी भी जानती है… मैं- हाँ… तुम तो बात कहाँ से कहाँ ले जाती हो… अच्छा आज इसे पहन लो… मैंने उसको एक मिडी की ओर इशारा किया… वो रॉयल ब्लू कलर की बहुत सेक्सी ड्रेस थी… सलोनी- हाँ, मैं भी यही सोच रही थी… पर आज मैं इसके मैचिंग की कच्छी नहीं ला पाई… और यह दूसरे रंग की बहुत खराब दिखेगी… मैं- अरे, तो यार, बिना कच्छी के पहनो ना… मजा आ जायेगा… सलोनी- हाँ… तुम लोगों को ही ना… और यहाँ मैं कोई काम ही नहीं कर पाऊँगी… बस कपड़े ही सही करती रहूँगी… दरअसल उसकी यह मिडी उसके उसके विशाल चूतड़ों को ही ढक पाती थी बस… शायद चूतड़ों से 3-4 इंच नीचे तक ही पहुँच पाती होगी और सलोनी जरा भी हिलती डुलती थी तो अंदर की झलक मिल जाती थी… अगर झुककर कोई काम करती थी तब तो पूरा प्रदेश ही दिखता था… हम अभी कपड़ेही चुन ही रहे थे कि… एक बार फिर… ट्रिन्न्न्न… ट्रिनन्न्न्न्न… कोई आ गया था… जो घंटी बजा रहा था… कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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