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सविता की सिसकारियाँ सुन मेरा भी मूड बनने लगा था, पर मैंने ऐसा कुछ उन दोनों के सामने ज़ाहिर नहीं किया। थोड़ी देर बाद सविता की चूत से सफ़ेद झाग और काफी पानी निकलने लगा था, जो पीटर की जीभ और चूत के मिलाप और घर्षण का परिणाम था। उसने सविता के चूतड़ पकड़े और अपनी तरफ खींच कर उसकी गर्दन को चूमने लगा और पीछे से उसकी ब्लाउज के हुक खोलने लगा और फिर कुछ ही पलों में ब्लॉउज और ब्रा दोनों खोल दिए और वो सविता की पीठ को चूमने लगा। अब पीटर धीरे-धीरे उसकी गांड की तरफ बढ़ने लगा। उसने फिर से सविता की दोनों टाँगों को फैला दिया और अब सविता की गांड में अपनी जीभ फँसा कर चूसने लगा और अन्दर जीभ हिलाने लगा। करीब दस मिनट तक तो वो उसकी गांड में जीभ से ही चुदाई करता रहा। वो सविता के पास जाकर बैठ गया, उसने सविता को अपने बलिष्ठ हाथों से ऊपर उठाया और उसकी गांड अपनी होंठों के पास ले फिर से उसको अपने जीभ से चाटने लगा। ऐसा लग रहा था कि सविता की गांड की सिकाई कर रहा हो अपने यहाँ तो गांड आखिरी में ही लेते हैं पर शायद ये अफ्रीकन का स्टाइल था। काफी देर तक उसने सविता की गांड के साथ खेला और फिर सविता को लिटाया और नीचे झूलती हुई उसकी ब्रा हटा दी। अब सविता पूरी नंगी थी और पीटर ने पूरे कपड़े पहन रखे थे। मैंने ब्लू-फिल्म में उस कालिया का लंड देखा था जो कि बहुत बड़ा था इसलिए मुझे भी पीटर के लंड की एक झलक का इंतज़ार था। सविता और पीटर फिर से चूमा-चाटी करने लगे और सविता पीटर की टी-शर्ट उतारने लगी। पीटर ने भी उसका साथ दिया और टी-शर्ट निकलने में मदद की। फिर सविता और पीटर दोनों बिस्तर से नीचे आए और सविता ने पीटर को खड़ा कर दिया और खुद नीचे बैठ गई। सविता ने पीटर की पैंट पर हाथ रखा और एक नज़र मेरी तरफ डाली और फिर पीटर के पैन्ट पकड़ कर नीचे खींच दी। पीटर ने अंडरवियर पहन हुई थी, फिर भी उसके लंड का कठोर रूप दूर से ही देखा जा सकता था। सविता पीटर के लंड के पास गई और उसकी अंडरवियर नीचे कर दी। सविता ने जैसे ही उसकी अंडरवियर नीचे खींची ‘खटाक’ से पीटर के लंड सविता के गालों पे पड़ा क्यूँकि सविता ने एकदम से अंडरवियर खींची थी और लण्ड तना हुआ था, जो बाहर आते ही किसी रबर की तरह खुल गया था। सविता ने फिर से मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ मेरी तरफ देखा और फिर लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर चूसने लगी। आप यकीन नहीं मानोगे पर सच में उसका लंड बहुत मोटा और लम्बा था और बिल्कुल काला और भूरा था। सविता पूरे मजे से लॉलीपॉप की तरह उससे चूस रही थी और पीटर भी मुझे देख रहा था। मैंने शर्म से अपना चेहरा कुछ समय के लिए दूसरी और घुमा लिया। उन दोनों ने भी मुझ पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपनी चुदाई में व्यस्त हो गए। सविता बड़े मज़े से पीटर के लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर घुमा-घुमा कर चूस रही थी। फिर पीटर ने सविता के बालों को अपने हाथों से पकड़ा और उसके मुँह को अपने लंड के अन्दर-बाहर करके मुँह की चुदाई करने लगा। उसका लंड इतना मोटा था कि आधा भी अन्दर नहीं जा रहा था, पर वो ज़ोर से सविता को अपने लंड पर धकेल रहा था और उसके लंड के आस-पास सविता का थूक साफ़ दिखाई दे रहा था। वो दोनों पूरे मज़े ले रहे थे। कुछ ही देर में पीटर ने सविता को उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। मुझे लगा अब पीटर सविता को चोदेगा पर पीटर ने मुझे एक बार फिर से आश्चार्यचकित करते हुए सविता को चोदने की बजाए 69 की पोजीशन में आ गया। पीटर नीचे लेटा और सविता उसके मुँह के ऊपर टाँगें चौड़ी करके लेट गई और उसका लंड पकड़ कर चूसने लगी। पीटर ने भी सविता की दोनों टाँगों को अपने हाथों से चीर दिया और उसकी चूत में जीभ डाल के चाटने लगा। दोनों खूब मज़े ले रहे थे। अब मुझे भी ऐसा लगने लगा था कि काश सविता की जगह मैं होती तो अभी मैं भी मज़े कर रही होती। मैं भी गर्म होती गई। मैंने कभी पहले ऐसे इतनी तगड़ी वाली फीलिंग नहीं महसूस की, जो अब हो रही थी। मुझे लगा जैसे मेरी चूत से बिना कुछ किए पानी निकलने वाला है। मैं तुरंत बाथरूम में घुस गई और अपनी सलवार खोलने लगी, पर घबराहट और शरीर में उत्तेजना की कम्पन की वजह से मैं सलवार का नाड़ा नहीं खोल पा रही थी। सलवार से कुछ पानी बाहर निकल रहा था और मेरी चूत गीली हो गई थी। वो तो शुक्र था मैंने काले रंग की सलवार पहनी थी, इसलिए उसमें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैंने बाथरूम में पड़ी पीटर की पैन्ट उठाई और ऊपर से ही सलवार में लगा पानी पोंछने लगी। पोंछने के बाद फिर से कमरे में आ गई और कुर्सी पर बैठ कर लाइव ब्लू-फिल्म का मज़ा लेने लगी। मेरे मन में यही चल रहा था कि यह कालू सविता को कब चोदेगा ! उधर ये दोनों 69 की पोजीशन में एक-दूसरे के गुप्तांगों को चाटने में व्यस्त थे। जहाँ पीटर जम कर सविता की चूत चाट रहा था वहीं सविता भी मज़े लेकर पीटर का लम्बा-मोटा लंड चूस रही थी। जब सविता उसका लंड चूस रही थी और उसका लंड से अपना मुँह बाहर निकालती तो उसकी जीभ और लंड अभी की सविता की लार से भिड़ा हुआ दिखता था, जिसकी वजह से सविता को उसे चूसने में और मज़ा आ रहा था। सविता भी लंड चूसने में एक्सपर्ट थी, वो भी पीटर का लंड घुमा-घुमा के चूस रही थी। वहीं पीटर तो इस मामले में उसका भी बाप था, कभी जीभ लगा कर उसकी चूत चाटने लगता, तो कभी उंगली डाल कर घुमाने लगता, तो कभी उसकी चूत को अपने होंठों से पास लेकर अपने दोनों हाथों से उसकी चूत की पंखुड़ियों को अलग करके अन्दर तक चाटने लगता। काफी देर तक उन्होंने 69 के मज़े लिए फिर आख़िरकार वो घडी आ ही गई, जिसका मुझे इंतज़ार था। पीटर अब सविता को चोदने वाला था। पीटर ने सविता को बिस्तर पर लिटाया और वो सविता के ऊपर चढ़ गया। उसने अपना मोटा काला लंड पकड़ा और सविता की चूत के पास घुमाने लगा और फिर सविता ने अपनी टांगें पूरी फ़ैला दीं तो पीटर ने लंड चूत पर टिका दिया और फ़िर दोनों एक-दूसरे के होठों पर होंठ रखकर जमकर चूसना शुरू किया। सविता ने भी हाथ से लंड को पकड कर चूत पर सैट किया और चूतड़ उचकाए… पीटर ने सटाक से अपनी लंड का एक झटका मारा और पीटर का आधा लंड सविता की चूत के अपने भीतर समा गया …! सविता की आँखें फ़ैल गईं, “आ…आ..!” उसकी दर्द के कारण चीख भी नहीं निकल पा रही थी। दर्द की अधिकता से सविता ने अपनी टांगों में पीटर को लपेट लिया पर अभी भी पीटर का सिर्फ आधा लंड ही अन्दर गया था। पीटर ने ठोकर दी और धीरे-धीरे अपना लंड सविता की चूत की अन्दर-बाहर करने लगा और धीरे-धीरे और हचक कर चुदाई करने लगा और अपना लंड धीरे-धीरे सविता की चूत की गहराईयों में जाने लगा। सविता का दर्द उसका चेहरा बयान कर रहा था, और वो अपने हाथों से पीटर के पीठ को नोंच-खसोट रही थी और भला पीटर किधर रुकने वाला था। उसे तो कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था। वो तो सविता की चूत को बजाने में मस्त था। पीटर ने पोजीशन ले ली और दनादन सविता की चूत को ताबड़तोड़ तरीके से ठोकना शुरू कर दिया। वह ‘आह्ह्ह आह्ह्ह ऊऊओह्हह आआअय्य्य्य्य्य आआह्हह्हह्ह’ करती रही और चूत ठुकती रही…! बीच-बीच में वे एक-दूसरे को चूम भी रहे थे। पीटर सविता को चोदते-चोदते मुझे बोला- इफ यू आर गेटिंग बोरड जस्ट स्विच ऑन दि लैपटॉप..! मैं टेबल से लैपटॉप उठा कर अपने पास ले आई और उसी चालू कर दिया लैपटॉप बंद नहीं था सिर्फ लॉग-ऑफ था। जैसे ही मैंने उसे खोला सविता और पीटर के चुदाई की फोटोज आने लगीं। मैं आगे बढ़ा-बढ़ा कर देखने लगी। हर पिक्चर में उसका लंड बहुत बड़ा लग रहा था और सविता की ठुकाई कर रहा था। उसी फोल्डर में पीटर की कुछ नंगी तस्वीरें भी पड़ी थीं। मैंने सोचा इससे ही देखती हूँ मैं ज़ूम करके पीटर के लंड को देखने लगी। वास्तव में उसका लंड बहुत काला है, पर सच कहूँ तो उसका लंड दो लंड के बराबर का था। मोटा-तगड़ा और वो किसी भी लड़की तो संतुष्ट करने के लिए बहुत अधिक परफेक्ट था। मैं लैपटॉप पर पीटर की फोटोज देख रही थी। उधर उन दोनों की चुदाई चालू थी और सविता की ‘आअह्ह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाआय्य्य्यीई फुक्क्सकककक फुकच्छह्ह्ह्ह्ह’ जैसी आवाजें आ रही थीं। मैं पीटर की फोटो आगे बढ़ा रही थी, तभी कुछ फोटोज सामने आई जिसमें पीटर और उसके दोस्त भी थे। सब नंगे खड़े थे और फोटो में सबका लंड एक से बढ़कर एक था। मैंने सोचा पता नहीं क्या खाते हैं? ये लोग, इनका लंड इतना बड़ा कैसे हो जाता है? ऊपर से इतना मोटा..भी..! मैं फोटो देखते हुए सोचने लगी कि काश मुझे मिल जायें ऐसे लंड तो मेरी चूत की तो लाइफ बन जाए और चुदवाने में और भी मज़ा आएगा आख़िरकार जो टक्कर होगी तो बराबरी की होगी। कहानी जारी रहेगी। आपसे आग्रह है कि कहानी को अन्तर्वासना पर रेट जरूर कीजियेगा। मुझे मेल भी कीजिएगा। [email protected]
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