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दोस्तो, आप सबको मेरा नमस्कार! मेरा नाम जय मिश्रा है और मैं 23 वर्ष का हूँ, अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ जो मैंने 5 साल पहले पढ़नी शुरू की थी। मुझे सभी सच और काल्पनिक कहानियों का आनन्द उठाने का अवसर मिला!
हाल ही में मेरी भी प्रबल इच्छा हुई कि मैं भी अपने जीवन की मधु स्मृतियाँ आप सभी देवियों और सज्जनों से शेयर करूँ! यह उन्ही में से एक और एकदम सच्ची घटना है जो एक मीठी याद की तरह मेरे मानस पटल पर अंकित है!
बात तब की है जब मैं आज से 4 साल पहले इंटरमीडिएट (यानी 12th Class) में था! मेरे स्कूल में लड़के लड़कियाँ दोनों साथ पढ़ते थे। मैं मेडिकल सेक्शन में था जिसमे अक्सर लड़कियाँ अधिक होती हैं। क्लास में दो या तीन ही ठीकठाक दिखने वाले लड़के थे जिनमे से मैं भी एक था!
मैं 5’10’, गोरा रंग, भरा हुआ गठीले बदन का मालिक हूँ! मैं ऊँचे कुल और रईस घर का लड़का हूँ और पिताजी ऊँची सरकारी नौकरी करते हैं! इसी कारण मुझ पर सख्ती भी काफी थी!
वैसे तो मेरी सभी लड़कियों से बातचीत होती थी पर रोज़ा (काल्पनिक) नाम की एक लड़की मुझे अत्यंत पसंद थी! वह मीठी बोली वाली, चुलबुली और तेज़ नैन नक्श की लड़की थी। उसका यौवन तो चरम पर था ही, 5’6′ थी, पतली कमर, एकदम कसे और गोल उभरे चूचे और उठे हुए कूल्हे लंड का पानी निकाल दें, ऐसी थी!!
रोज़ा से मेरी अच्छी बनती थी पर मैंने कभी उसके साथ शारीरिक होने का नहीं सोचा था!
खैर विधि का विधान कहिये या मेरी किस्मत हमारी दोस्ती गहरी होती गई और रात में फोन पर बात चीत बढ़ती गई! दोनों के घर सख्ती अधिक थी इसलिए बहुत सम्भल कर बातचीत करनी पड़ती थी। जैसे जैसे दिन गुज़रे, हमारे बीच सेक्स की बातें भी होने लगी! वह बहुत ही मजाकिया और मनोरंजक थी इस लिए उससे बातों में और रस आता था। मैं अक्सर उससे पूछता कि उसे लड़कों में क्या अच्छा लगता है और क्या उसने कभी नग्न दृश्य देखे हैं? जिस पर वह शरमा कर हंसती और जवाब नहीं देती थी!
मैंने उसे कई बार मौखिक रूप से बताया कि सम्भोग क्या होता है और क्लास में जीव विज्ञान की कक्षा में लड़के अक्सर किताब में बने योनि और लिंग के चित्रों को देख हंसते क्यों थे! वह भी अपने रहस्य मुझे बताती और कहती कि लड़कियाँ उतनी नादान होती नहीं हैं जितना बनती हैं!
एक दिन मैंने उससे अपने दिल की बात कह दी कि मैं उससे प्रेम करने लगा हूँ – और जवाब माँगा कि वह मेरे बारे में क्या सोचती है? तो उसने कहा कि वो अगले दिन जवाब देगी। और फिर अगले दिन स्कूल में वो मुझे देख देख कर बस मुस्कुराती रही, पूरे दिन मेरा ध्यान कहीं और नहीं लगा! उस रात फोन पर बड़ी बेसब्री के बाद उसने मुझे आखिरकार हाँ कर ही दी! मेरा दिल ख़ुशी के मारे झूम उठा यह सोच कर कि मेरी इतनी सेक्सी और अच्छी लड़की गर्ल फ्रेंड है।
मैं आप लोगों को बता दूँ कि स्कूल में दोस्तों के तानों के डर से अक्सर यह बातें हम किसी से नहीं बताते थे, तो यह एक गुप्त सम्बन्ध था! हम अब अक्सर लैब में पास खड़े होते तो मैं उसके हाथों को अपने से स्पर्श करा देता!
इसके अलावा हमने और भी मज़े किये जैसे लंच में जब वह कैंटीन जाया करती थी तो मैं उसके पीछे खड़ा हो जाता था जिससे मेरा खड़ा लंड उसकी उठी हुई गांड की दरार में बैठ जाता! कैंटीन में भीड़ अधिक होने के नाते धक्के लगते थे और मैं उसका फायदा उठा कर उसकी गांड में अपना लिंग खूब दबाता और रगड़ता था! इस खेल में उसे भी बहुत आनन्द आता था और वो अक्सर मुड़ कर मुस्कुरा देती थी, फिर सामान ले कर अपनी सहेलियों के साथ हंसते हुए क्लास को भाग जाती!
इसके अतिरिक्त भी मौका देख अक्सर हम यथासंभव साथ समय गुज़ारने लगे! रात को मैं उससे अब थोड़ी निजी बातें करने लगा था, समय के साथ मैंने कई बार उससे फ़ोन सेक्स भी किया और उसे बताया कि किस तरह उसका बदन जब भी मुझसे छूता है मेरे शरीर में एक आनन्दमय सिहरन सी उठती है, और किस तरह मैं उसके बदन की खुशबू, केशों की छांव और होंठों का पान करना चाहता हूँ!
उसने इज़ाज़त भी दे दी थी पर स्कूल में बहुत हलचल के चलते हमें मौका नहीं मिलता था और स्कूल के बाद दोनों को सीधे घर जाना पड़ता था!
खैर एक दिन मैंने उससे अकेले में मिलने की योजना बनाई। प्लान के हिसाब से मैंने रोज़ा को छुट्टी के बाद जूनियर ब्लाक में बुलाया था! मैंने देखा था कि छोटे बच्चो की जल्दी छुट्टी हो जाती है और इसके चलते उनकी बिल्डिंग (जो हमारी बिल्डिंग से अलग थी) का जीना जो छत पर निकलता था वो खाली रहता था! मैंने रोज़ा को वही बुलाया था… छुट्टी होते ही हम सबसे नज़र बचा कर वहीं मिले! मैं वहाँ पहुँचा तो रोज़ा वहाँ पहले से मौजूद थी! वह मुझे देख कर खड़ी हो गई और मेरी आँखों में देखने लगी!
इस तरह रोज़ा को अकेले पाकर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई! मैं धीरे से उसके करीब गया और उसे अपने आलिंगन में ले लिया! वह जो अनुभव था मैं बयान नहीं कर सकता… उसके मखमली से बाल, उसका मुलायम पर कसा हुआ शरीर, मेरी छाती में चुभते उसके उरोज, उसके बदन की गर्मी! वह भी थोड़ा सा काँप रही थी! मैंने अपने हाथ उसकी पीठ पर फेरे और उसके चूतड़ों की गोलाई को भी महसूस किया! मैंने उसे नीचे बैठाया और उसके कानों के पास होंठ ले जाकर उससे कहा- I’ll make this moment memorable for you! मतलब मैं यह अवसर तुम्हारे लिए यादगार बना दूँगा!
नीचे बैठे बैठे मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए, एकदम मीठा और मुलायम सा एहसास हुआ और मेरा लिंग तन्ना गया! फिर मैं उसके गालों से होता हुआ उसकी गर्दन और वक्ष तक पहुँचा, उन्हें मैंने कमीज के ऊपर से हल्के से दबाया तो रोज़ा के मुख से उह्ह… आह… की आवाज़ निकल गई जिसने मुझे अत्यंत उत्तेजित कर दिया!
मैंने उससे खड़ा होने को कहा और धीरे से उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर नीचे खींचने लगा… उसकी मखमल सी चिकनी टाँगें देख कर मेरे दिमाग में बिजली सी दौड़ गई, मैं उसकी टांगों को चूमने लगा और उसकी जाँघों को चाट कर उसकी बुर को पेंटी के ऊपर से ही उंगली से रगड़ने लगा… वह थोड़ी गीली हो चुकी थी…
फिर मैंने उसकी पेंटी नीचे खींची तो वह थोड़ी हिचकिचाई पर मैंने उससे विनती की और उसे आश्वासन दिया कि कोई गड़बड़ नहीं होगी! मैंने उसकी पेंटी निकाल कर किनारे रख दिया और उसे मेरी तरफ पीठ कर के खड़ा किया और झुकने को कहा!
उसकी पतली कमर और उभरे हुए गोल चूतड़ों ने मेरे 7 इंच लौड़े को एकदम गरम लोहा बना दिया था… मैंने अपने सुपारे को उसकी गांड की दरार में पहले थोड़ा ऊपर नीचे रगड़ा… उसके बाद लंड का सुपारा गांड के नीचे उसकी चिपके हुए परों के ऊपर जहाँ जांघ शुरू होती है वहाँ रख कर धीरे से अन्दर घुसेड़ा, मैंने इससे पहले सेक्स नहीं किया था बस ब्लू फिल्में देखी थीं, और धीरे से धक्का दिया!
मेरा लण्ड सरकता हुआ उसकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा! लंड को जो गीला और गरम एहसास मिल रहा था वह शब्दों में बयाँ नहीं हो सकता! मैं अपना लंड आगे पीछे करता रहा और इसी दौरान उसके मम्मों को भी पीछे से पकड़ कर मसलने लगा! उसकी गांड का मुलायम और नर्म गूदा ऐसा महसूस करा रहा था जैसे मैं अपना लंड ताजे मक्खन में डाल रहा हूँ!
फिर मैंने उसे पीठ के बल लेटा दिया और उसकी जाँघों के बीच जाकर उसकी गीली चूत को जीभ चौड़ा कर के नीचे से ऊपर तक चाटा तो रोज़ा के मुख से बड़ी सी आह छूट गई! मैंने उसकी चूत का दाना चूस कर जीभ से छेड़ा फिर उसकी चूत को लगभग 5 मिनट तक चूसा होगा! रोज़ा तो पागल सी हो रही थी और मेरे बाल पकड़ कर मेरा सर चूत में रगड़ रही थी! उसके मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी और वो और तेज़ और तेज़ सिस्कार रही थी! थोड़ी देर में उसकी चूत ने खूब सारा सफ़ेद पानी छोड़ा और मैं समझ गया कि वह झड गई है!
मैंने उसे चोदा नहीं क्योंकि मैं उस समय नौसिखिया था और उसे किसी तरह की चोट नहीं पहुँचाना चाहता था! टाइम काफी हो गया था इसलिए हम जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन कर वहाँ से निकल गए!
हालांकि उसके बाद मैंने कई बार क्लास में पीछे बैठ के उसके मम्मे दबाये और एक बार तो उसकी बुर भी सहला दी थी जिससे वह गीली हो गई!
यह प्रेम प्रसंग एक साल तक चलता रहा और हम उस पुरानी जगह पर कई बार मिले पर अकेलेपन और समय के अभाव में अधिक कुछ ना किया! स्कूल के बाद मेरा उससे कुछ समय तक संपर्क रहा पर फिर उसके पिताजी का दूसरे शहर तबादला हो गया!
अब भी कभी कभी मैं रोज़ा को याद करता हूँ तो लण्ड गर्म हो जाता है! अपनी राय अवश्य भेजें! [email protected]
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