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आर्क मैं पहले अपना परिचय दे देता हूँ, मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ। मध्यम परिवार का हूँ पर बचपन से ही रसिक स्वभाव का हूँ परन्तु चेहरा बहुत भोला है मुझे मेरे दोस्त और लड़कियाँ चॉकलेटी-बॉय कहते हैं। अपनी इमेज बदलने के लिये मैंने अपना लुक बदला 5 फुट 8 इन्च लम्बा था ही, कसरत और खान-पान बढ़ा कर चौड़ा भी हो गया। अक्षय कुमार जैसे शरीर का लुक तो हो गया, पर चॉकलेटी लुक बना रहा या यूं कहूँ कि बल्कि और निखर गया जिस वजह से लड़कियाँ मेरे प्यार में पड़ने लगती हैं और मैं उन्हें धोखा नहीं दे पाता। तब भी जो भी महिला मुझसे सेक्स चाहती हैं उनको मैं निराश नहीं करता बल्कि असीम सुख देता हूँ। मेरी उम्र 26 साल हो गई है, रंग सांवला है, चेहरा और बदन चिकना और आकर्षक है। मेरा बदन कसरती नहीं, किंतु मार्शल आर्ट के शौक की वजह और अभ्यास की वजह से शरीर अच्छे शेप में है। फिल्म में हीरो बनने लायक हूँ। पर वो एक्शन नहीं रोमांटिक हीरो बनाएंगे जो मैं नहीं बनना चाहता। अब मुद्दे पर आता हूँ। मुझसे अपनी देह की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी तो मैंने एक दोस्त से कहा- यार, मुझे किसी मस्त सी किन्तु सस्ती वेश्या के पास ले जा ! पहले तो वो नहीं माना पर बाद में वो मेरी बात मान गया। हम लोग एक जगह गए वहाँ कई मकान बने थे, जिनमें से एक मकान में गुपचुप तरीके से वेश्यावृत्ति होती थी। वहाँ की मालकिन 40 के करीब होगी, वो बहुत सेक्सी थी, मैंने उसके साथ ही सेक्स करना चाहा, पर वह जाना नहीं चाहती थी। उसके पास एक 30 या 33 के बीच की एक मस्त फिगर की औरत बैठी थी। 34-25-36 के फिगर की वो रण्डी सकुचाई सी बैठी थी। मुझे उसका ब्लाउज बहुत भा रहा था। पीछे से बैकलैस डोरी से बंधा हुआ था साँवली थी। बदन से बहुत खूबसूरत थी, पर चेहरे से इतनी आकर्षक नहीं थी। नई जगह थी, सो मुझे भी डर लग रहा था, तो मेरे दोस्त ने बात की। दोस्त का बदला हुआ नाम कश्यप दे देता हूँ। कश्यप उसकी मालकिन से बोला- और कैसी हो जानेमन..! मालकिन बोली- मेरी छोड़ो, यह बताओ यह कौन है? यहाँ पर नए को मत लाया करो.. कितनी बार कहा था..! कश्यप बोला- अरे मेरा भाई है, चोदना चाहता है.. यह बताओ इसका कितना लोगी? वो बोली- पूरे 400 ..! तुम्हारे भी 150 पहले के बाकी हैं। कश्यप बोला- अपना और इसका दोनों का दे देंगे। वो मुझसे बोली- तुम ऊपर वाले कमरे में जाओ.. वहीं किसी को भेजती हूँ। मैं ऊपर जाने लगा, कश्यप उससे बोला- तुम नहीं जाओगी..? तो वो बोली- नहीं.. एक नई आई है कुछ दिनों के लिये.. कमाना चाहती है.. उसे ही भेजते हैं। उसे देखकर मैं पहले से ही खुश हो गया था। मैं ऊपर कमरे में गया वहाँ जमीन पर दरी और गद्दा पड़ा था। मैं अन्दर आकर गद्दे पर बैठ गया। दो मिनट के बाद वो भी आई। चूंकि मैं रूपये कश्यप को दे चुका था तो कोई टेंशन नहीं थी। उसने कुण्डी बन्द की और मेरे पास गद्दे पर लेट गई पेटीकोट ऊपर किया और ब्लाउज के बटन खोल दिए, जैसे प्रोफेश्नल हो या बहुत पुरानी हो। मुझे हंसी आ गई, मुझे मस्ती सूझी। वो उस समय चेहरे से बहुत भोली लग रही थी। मैंने अपने सारे कपड़े उतार डाले और अपना 7 इंच लम्बा लिंग उसके सामने निकाल दिया। उसे दिखाने लगा और पूछा- कैसा लगा मेरा लण्ड..? वो कुछ नहीं बोली और शर्मा सी गई मुँह उधर कर दिया। मैंने फिर पूछा- कैसा लगा..? वो बोली- देखिए, हम ये सब करते नहीं हैं मजबूरी में कर रहे हैं। मेरे पति के बाद आज पहली बार किसी और को खुद को छूने दे रही हूँ। यह सुनकर मेरा लण्ड फटने को होने लगा। वो 5 इंच मोटा हो गया था। वो देखने लगी और उसकी आँखों में मेरे लिंग के लिये लालच साफ झलकने लगा। उसने किनारे से एक कण्डोम निकाला, पैक फाड़कर निकाला और बड़े प्यार से उसको मेरे हथियार पर पहनाया और फिर शायद उसे भी मस्ती सूझी और उसने जोर से लण्ड पर पहनाया धक्का देते हुए। उसे भी हंसी आई पर अपने रसीले होंठों को दबाकर रोकने लगी। उसकी वो अदा मुझे घायल कर गई। पर उसने इतनी जोर से कण्डोम पहनाया कि मेरा लिंग में हल्का सा दर्द हुआ, पर मजा भी आया। मैं उसकी बांहों में आ गया, उस पर चढ़ने लगा। तभी उसका फोन बजा, वो उसके पति का फोन था। वो डर गई, मुझसे इशारे से बोली कि चुप रहना और बोली बिल्कुल आवाज मत करना। मैं भी आज्ञाकारी बच्चे की तरह चुप हो गया। वो फोन पर बोली- जी मैं बाजार में हूँ.. दीदी नहीं हैं.. आप शाम को आइएगा परसों तक आ जाऊँगी.. ओके रखती हूँ। फोन रखा फिर झपट कर मेरे नंगे बदन से चिपक गई और मुझे लेकर बिस्तर पर गिर पड़ी। फिर क्या था.. मैंने उसके जी भरकर कस से कम 5 मिनट तक होंठ चूसे, जी भरकर रसपान किया। नीचे मेरा लिंग उसकी योनि पर रगड़ खा रहा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने जोर-जोर से रगड़ा मारना शुरू किया, उसे भी नशा आने लगा। उसने होंठ छुड़ाए और मेरी आँखों में देखने लगी और इस बार उसने खुद मेरे होंठों को अपनी गिरफ्त में ले लिया और चूसा। मैंने कहा- अपने कपड़े पूरी तरह उतारो, तुमने ब्रा पैन्टी तो पहनी नहीं है.. ये भी उतारो। वो बोली- नहीं कपड़े रहने दो, अगर कोई आ जाए तो.. तुरन्त नीचे चले जाएंगे इसलिये यहाँ खतरा ज्यादा रहता है। मैंने कहा- अरे मान भी जाओ.. वादा करता हूँ इतना मजा दूँगा कि तुम हमेशा याद रखोगी। वो बोली- मजबूर कर दो उतारने पर, तो उतार दूँगी। मुझे फिर मुस्कराहट आई, ये मेरी कमजोरी है कि मैं अपनी मुस्कराहट को रोक नहीं पाता हूँ और भगवान की दुआ से मेरी स्माइल इन औरतों को भी बहुत भा जाती है। मैंने कहा- ठीक है पछताओगी… उतरवा कर रहूँगा। उसका चिकना तराशा बदन मेरे सामने पड़ा था। वो भी किसी की बीवी जो कि शादीशुदा होकर भी ज्यादा चुदी नहीं थी पर रोमान्टिक स्वभाव की लग रही थी। मैं भी रोमान्टिक हो गया था। उसके वक्ष एकदम गोल और हल्के साँवले थे, जो बहुत चिकने लग रहे थे। साफ-सुथरा बदन.. मैं उसके गले को चूमने लगा। उसके पसीने की खुश्बू मुझे मदहोश बना रही थी। मैं उसके गले को चूमते हुए धीरे-धीरे उसके सीने तक आया, वहाँ मुँह घुसा कर मजे लेने लगा। उससे रहा नहीं गया उसने मेरा मुँह अपनी चूचियों पर टिका दिया और मेरे मुँह में उसकी दाईं चूची आ गई। मुझे मजा आ गया। मैंने उसकी चूची को खूब चूसना शुरू किया। वो मस्त होने लगी और ‘ऊह आंह’ की आवाजें करने लगी। मैंने उसे देखा वो मुझे ऐसे देख रही थी, जैसे बरसों की प्यासी हो और मुझसे चुदवाने के लिये भीख माँग रही हो। मुझे दया आ गई और उसे चूम लिया। फिर से उसके होंठ चूसे और अब मेरी शर्त जीतने की बारी थी। मैंने धीरे से उसका ब्लाउज उतारना शुरू किया। वो समझने लगी, पर उसने मुझे रोका नहीं क्योंकि मैंने शायद उसे मजबूर कर दिया था। फिर अपने दोनों हाथों में उसके उरोजों को लेकर दबाना शुरू किया। उसकी चूचियों की घुंडियाँ टाइट हो गईं और चूचियाँ भी बड़ी हो गईं। चूचियाँ इतनी चिकनी लग रही थीं कि मेरा लिंग गीला होने लगा। फिर मैंने उसकी योनि जिसमें कि बाल काफी थे, फिर भी उसकी योनि लपालप चमक रही थी। उसमें मैंने ऊँगली डाली तो ये समझ में आ गया कि उसकी योनि टाइट थी जिससे साबित हो रहा था कि ये अपने पति के अलावा या ज्यादा चुदी नहीं थी। काफी मस्त और फ्रेश थी। उसकी योनि काफी गीली हो रही थी। मुझसे देखकर रहा नहीं गया। मैंने ऊँगली अन्दर तक डाली, जो वो रगड़ती हुई अन्दर तक गई और अन्दर गर्भाशय की दीवार से टकराने लगी। वो तड़प उठी। फिर वो बोल उठी, “अब जल्दी करो… मार डालोगे.. क्या..! ये सब मत करो… रहा नहीं जाता। फिर मैंने उसे और तड़पाना चाहा। आखिर बाकी के कपड़े जो उतारने थे। फिर उसकी योनि के पास मुँह ले गया और धीरे से जीभ डाली, वो उछल पड़ी। बोलने लगी, “ना करो.. अजीब लग रहा है..! वो हॅंसने लगी। मैंने एक हाथ से उसके सपाट पेट पर हाथ सहलाना शुरू किया और वही हाथ चूची पर ले गया और दबाने लगा। उसकी योनि चाटना शुरू किया। उसकी योनि से खूब गीला और चिकना पानी रिसने लगा। वो जोर-जोर से आवाजें करने लगी, “आंह ऊँह आह मत करो ये..!” फिर मैंने एकदम से उसकी साड़ी उतार डाली साथ मैं जैसे ही उसका पेटीकोट का नाड़ा पकड़ा, उसने खुद ही पेटीकोट खींच-खांच कर उतार डाला, क्योंकि उसका पेटीकोट ढीला हो गया था। फिर क्या था मैंने अपना हथियार जैसा लिंग उसकी योनि में उतार दिया। बड़ी मस्ती से मेरा लिंग घर्षण करता हुआ अन्दर घुस गया। चूंकि उसकी योनि टाइट थी तो घुसाने में मजा आया और अन्दर घुसते ही उसकी योनि ने मेरे लिंग को जकड़ लिया और उसने मुझको। मुझे ऐसा लगा जैसे कि मैं जन्नत में पहुंच गया होऊँ। फिर धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा फिर एक बार हमारा चुम्बन हुआ, पर इस बार उसके चुम्बन पर हवस कुछ ज्यादा ही थी। वो पागलों की तरह मुझे चूमने लगी। फिर बड़े जोर-जोर से उसने मेरे होंठों को चूसना चालू किया। मैं भी बहक उठा और धक्के जोर-जोर से लगाने लगा। मैंने अपने हाथों को उसके पीठ के पीछे डाला और पीठ रगड़ने लगा। वो बोली- ये क्या कर रहे हो? अभी तक तो हाथ जमीन पर थे.. हाथ गडेंगें न ..! मैंने- कभी पति ने लगता है ढंग से चोदा नहीं है तुमको..! अब मुझे सिखाना पड़ेगा क्या तुम्हें? वो कुछ नहीं बोली फिर मैंने हाथों को उसकी पीठ पर सहलाया औार खूब रगड़कर चोदा। मुझे तो उस समय जन्नत का मजा मिला। फिर मैंने महसूस किया कि वो भी अपनी कमर उचकाने लगी और मेरा साथ देने लगी। उसने अति उत्तेजना में मुझे कसकर चिपका लिया और मेरे सीने में अपना मुँह छिपा लिया। फिर कुछ देर के बाद खुद ब खुद ढीली हो गई। मेरी समझ में आ गया कि यह झड़ गई है पर मैं अभी बाकी था, वैसे तो मैं बहुत पहले ही झड़ जाता पर मुझे खुद पर नियंत्रण रखकर औरतों को हराने और अपना दीवाना बनाने में मजा आता है। फिर उसने तो मुझे चैलेंज किया था, भले मजाक में किया हो । फिर वो बोली- अब जल्दी करो..! उसके चेहरे पर उस वक्त ग्लानि के भाव दिखने लगे थे। मैंने फिर उसे चूमा उसकी आँखों में आँखें डालकर चूमा और चोदना शुरू किया। वो बिना कुछ बोले मुझे देखती रही। फिर कुछ 5 मिनट के बाद मेरी गति भी तेज हुई और मैं एक तेज उफान के साथ शांत हो गया। वो बोली- अब हो गया.. बहुत देर हो गई.. बस अब चलो छोड़ो। मैंने कहा- एक बार और..! ये कहते ही मेरा लिंग फिर तनने लगा। वो बोली- नहीं नीचे कोई दिक्कत ना हो जाए चलो अब रहने दो.. वैसे भी तुम बहुत चोदते हो। मैंने कहा- शर्त में हरा दिया मोहतरमा। वो बोली- हाँ ठीक है। लालसा से भरी नजरों से मुझे देखने लगी, उसने पूछा- रोज आते हो..? मैंने कहा- कभी-कभी.. आज पहला दिन था तुम रोज रहती हो? तो बोली- नहीं..। और कपड़े पहनने लगी, मैंने भी कपड़े पहने और हम दोनों नीचे चले गए। कश्यप बोला- ले ली मौज..! आत्मा भर गई होगी..! बहुत देर लग गई? मैं बोला- पूरे पैसे वसूल कर रहा था। उसके बाद कई बार रण्डी चोदी पर वो मजा नहीं आया। मैं और भी अपने अनुभव बताऊँगा। अगर आप को मेरी यह कहानी पसंद आई हो तो मुझे ईमेल अवश्य कीजिएगा। आपका आर्क। [email protected]
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