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इमरान मैं बंद अधखुली आँखों से सलोनी को देखते हुए अपनी रणनीति के बारे में सोच रहा था… कि मस्ती भी रहे और इज्जत भी बनी रहे… सलोनी मेरे से खुल भी जाए… वो मेरे सामने मस्ती भी करे परन्तु उसको ऐसा भी ना लगे कि मैं खुद चाहता हूँ कि वो गैर मर्दों से चुदवाये…
पता नहीं मेरे ये कैसे विचार थे कि मेरा दिल मेरी प्यारी बीवी को दूसरे मर्दों की बाँहों में देखना भी चाहता था… उसको सब कुछ करते देखना चाहता था… पर ना जाने क्यों एक गहराई में एक जलन भी हो रही थी… कि नहीं मेरी बीवी की नाजुक चूत और गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है…इस पर मैं कोई और लण्ड सहन नहीं कर सकता… लेकिन इन्सान की इच्छा का कोई अंत नहीं होता और वो उसको पूरी करने के लिए हर हद से गुजर जाता है…
सलोनी को भी दूसरी डिशेस अच्छी लगने लगी थीं.. उसने भी दूसरे लण्डों का स्वाद ले लिया था… वो तो अब सुधर ही नहीं सकती थी…अब तो बस इस सबसे एक तालमेल बनाना था…
ट्रिनन्न… ट्रीन्न्न… तभी घण्टी बजने की आवाज आई…
सलोनी बाथरूम में थी वो फ्रेश होने गई थी, मैं उठने ही जा रहा था कि फ्लश की आवाज आई… मतलब सलोनी ने भी घण्टी की आवाज सुन ली थी… मैंने सोचा ना जाने कौन होगा?
सलोनी वैसे ही नंगी बाथरूम से बाहर आई… मैं फिर से सोने का बहाना कर लेट गया… और सोचने लगा- ..क्या सलोनी ऐसे ही या कैसे दरवाजा खोलेगी… और इस समय कौन होगा? इतने समय में मैंने कभी घर के किसी कार्य से कोई मतलब नहीं रखा था… सलोनी ने सबकुछ बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित किया हुआ था… सलोनी नंगी ही बाहर की तरफ बढ़ी…
मैं हैरान था कि क्या सलोनी नंगी जाकर ऐसे ही दरवाजा खोल देगी… और सुबह सुबह आने वाला है कौन? कोई पुरुष या महिला… मैं इन सब से अनजान था… मैं चुपके से उठकर बैडरूम से दरवाजे के पीछे से देखने लगा…
सलोनी अपना रात वाला गाउन उठा कर पहन रही थी… अरे भाई वो रात रसोई में ही रह गया था… मगर गाउन तो उसका पूरा पारदर्शी ही था… और उसने नीचे ब्रा या कच्छी नहीं पहनी थी… उसके सभी कोमल अंग बड़े सेक्सी अंदाज में अपनी उपस्थिति बता रहे थे… मैं उसकी हर अदा और हर हरकत पर नजर रखे था…
उसने दरवाजा खोला… सामने एक लड़का था… ओह… यह तो कॉलोनी की दूकान में ही काम करता है… अंडे और ब्रेड लेकर आया था… अभी तो उसकी दाढ़ी-मूंछ भी नहीं थी, अठारह से 3-4 कम ही होगा… मगर मैंने उस लड़के की आँखों में भी सलोनी को देखने की एक चमक देखी…
कोई और समय होता तो शायद मैं सलोनी को ऐसे कपड़ों में दरवाजा खोलने पर डांटता… पर अब स्थिति बदल गई थीं… मैंने देखा सलोनी ने बाहर किसी से ‘…मॉर्निंग…’ भी कहा… कौन था, नहीं पता… फिर वो अंदर आकर रसोई में चली गई…
मेरे कुछ आवाज करने से उसको पता लग गया कि मैं जाग गया हूँ… मैंने देखा उसने सामान रसोई में रख कर मेरी लुंगी जो रसोई में ही थी… उठा अपने ऊपर कन्धों पर डाल ली… इसका मतलब वो अब भी मेरे से घबरा रही थी.. कि कहीं मैं उसको ऐसे कपड़ों के लिए डाँटूगा… अब उसको क्या पता था कि मैं बहुत बदल गया हूँ…
मैंने सब विचारों का परित्याग कर केवल अब यह सोचा कि सलोनी को अपने लिए बहुत खोलूंगा.. उसको इस सब में अगर मजा आता है… तो मैं भी उसका साथ दूंगा… पर शायद चुदाई जैसी बात तक नहीं बढ़ूँगा… वरना बात बिगड़ भी सकती है… क्योंकि मेरे अनुसार फिर शायद सलोनी बहुत खुलकर सब कुछ करने लगेगी और उसको मेरी बिल्कुल परवाह नहीं रहेगी और हो सकता है फिर वो मेरी इज्जत भी ना करे…
तो यहाँ तक तो ठीक है… मगर उसको इस सबके लिए खोलने में भी समय तो लगेगा ही… और सब कुछ करने में सलोनी को तो बिल्कुल बुरा नहीं लगने वाला… यह पक्का था… इसकी शुरुआत तो रात की चुदाई से हो ही गई थी… पर अब इतना करना था… कि सलोनी अपनी हर बात मुझसे करने लगे… वो अपनी हर सेक्सी बात मुझे बताने लगे… जिससे मेरे पीछे होने वाली घटनाएँ भी मैं जान सकूँ…
अब मैं यही सब करना चाहता था… मैं नंगा ही फ्रेश होकर रसोई में सलोनी की ओर बढ़ा… मैंने रसोई में जाते ही सलोनी को पीछे से बाँहों में जकड़ लिया। मैं सलोनी की गर्दन को चूमते हुए- ..क्या कर रही हो जान…? मेरा लण्ड फिर खड़ा हो उसकी गांड में दस्तक देने लगा…
सलोनी- क्या बात है जानू, कल से कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो… क्या बात है… आज तक तो कभी रसोई में भी नहीं आये और अब हर समय यहीं… जरूर कुछ तो बात है… मैं- हाँ जान… मैंने अब अपने काम को बहुत हल्का कर लिया है… और अपनी जो सेक्ट्रेरी रखी थी ना.. नीलू… उसने बहुत काम संभाल लिया है…
सलोनी- ओह… तो यह बात है, लगता है उसने मेरे बुद्धू राजा को रोमांटिक भी बना दिया है… उसने आँखे घूमाते हुए बोला- …केवल ऑफिस का काम ही ना… फिर लण्ड को पकड़ते हुए… कुछ और तो नहीं ना…??
अचानक मेरे दिमाग में विचार आया और बोला- …क्या यार सलोनी.. तुम भी ना… अब जब हर समय साथ है… तो सभी काम ही करेगी ना… और वो तो मेरी पर्सनल सेक्ट्रेरी है… (उसकी चूत को मसलते हुए) तो पर्सनल काम भी… हाहाहा… सलोनी ने मुझे धक्का देते हुए- अच्छा जी… खबरदार… जो मेरा हक़ किसी को दिया तो… वैसे भी वो छम्मक-छल्लो कितना चमक धमक कर आती है…
मैं- क्या यार तुम भी ना.. कहाँ हक़-वक और पुरानी फैशन की बात करती हो… अरे जान जरा बहुत मजा लेने में क्या जाता है… कौन सा मेरा लण्ड घिस जायेगा या उसकी चूत ही पुरानी हो जाएगी… सलोनी- अब तो आप पागल हो गए हो… लगता है आप पर भी नजर रखनी होगी… कहीं बाहर कुछ गड़बड़ तो नहीं कर रहे…
मैं उसके उखड़े मूड को देखते हुए… मामले को थोड़ा रोकते हुए- अरे नहीं मेरी जान… बस थोड़ा बहुत मजाक… बाकी क्या तुमको लगता है कि मैं कुछ करूँगा.. सलोनी मेरे होंठों पर जोरदार चुम्बन लेते हुए- हाँ मेरे राजा.. मुझे पता है… मेरा राजा और उसका यह पप्पू केवल मेरा है… मगर उस कमीनी पर तो मुझे कोई भरोसा नहीं…
मैं- अरे नहीं जानू… क्यों उस बेचारी को गली दे रही हो.. कितना ख्याल रखती है वो मेरा… सलोनी- अरे… तो मैं ख्याल रखने को कब मना कर रही हूँ… लेकिन मेरा हक़ नहीं…
मैंने सलोनी को कसकर अपनी बाँहों में ले लिया- …अरे मेरी जान मैं और मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे हैं… किसी चूत में वो दम नहीं कि इसे तुमसे छीन सके… सलोनी भी मुझसे चिपक गई- …हाँ जानू… मुझे पता है… थोड़ा बहुत तो सही है मगर (मेरे लण्ड को मुट्ठी में पकड़) यह मैं किसी के साथ नहीं बाँट सकती…
सलोनी- अच्छा चलो, अब जल्दी से तैयार तो हो जाओ… यह क्या ऐसे नंगु पंगु… यहाँ खड़े हो… अच्छा मैं यह खिड़की बंद कर देती हूँ… वरना सब हमारी रासलीला देख देखकर मजा लेते रहेंगे… मैंने उसके कन्धों से अपनी लुंगी उठा बांधते हुए- …क्या जान तुम भी… फिर से… अरे कोई देखता है तो इसमें हमारा क्या नुक्सान है… देखने दो साले को…
सलोनी- ओह क्या करते हो… मैंने अभी पूरे कपड़े नहीं पहने… तो… मैं- अरे तो क्या हुआ जान, हम अपने घर पर ही तो हैं, कौन सा कोई बाजार में नंगे घूम रहे हैं… अब इन छोटी छोटी बातों को ना सोचकर केवल मजे लिया करो।
सलोनी- अच्छा तो क्या अब खिड़की खुला छोड़कर नंगी घूमूँ…? एक तो पता नहीं कल अरविन्द अंकल ने ना जाने क्या क्या देखा होगा… मैं तो सोचकर ही शर्म से मरी जा रही हूँ… मैं- क्या अदा है मेरी जान की, अरे कुछ नहीं होता मेरी जान तुम तो सामान्य व्यव्हार करना… देखना वो ही झेंपेंगे… हाहाहा… और तुम इतनी खूबसूरत हो मेरी जान, तुमको पता है खूबसूरत चीजें दिखाई जाती हैं… ना कि परदे में रखी जाती हैं… सलोनी- हाँ हाँ, मुझे पता है… ये सब नीलू को देखकर ही बोल रहे हो.. कितने छोटे कपड़े पहनकर आती है वो..
मैं- अरे यार… फिर उसके पीछे… कपड़े पहनने वाला नहीं.. बल्कि उसको गन्दी नजर से देखने वाला गन्दा होता है… यह तो तुम खुद कहती हो ना… और मैंने कभी तुमको मना किया कुछ भी या किसी भी तरह पहनने को… यह हमारा जीवन है, चाहे जो खाएँ.. या पहनें… हमको दूसरे से क्या मतलब… तुमको जो अच्छा लगे करो ना… सलोनी- आप दुनिया के सबसे प्यारे हस्बैंड हो… पुछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह… मुँआँहुह… आआआआ… उसने एक लम्बा चुम्मा लिया…
मैं- वो तो मैं हूँ, मगर मेरी रानी भी काम नहीं है… मैंने भी उसको अपने से चिपका लिया… तो जान, अब इन खिड़की या दरवाजे से मत डरना… हमको किसी से मतलब नहीं, हम अपनी लाइफ मजे करेंगे… और हाँ जो कुछ भी होगा वो एक दूसरे को भी बताएँगे… चाहे जो हो… सलोनी- अरे, तो मैं कहाँ कुछ छुपाती हूँ, सब कुछ तो… फिर भी… हाँ ऐसा वैसा कुछ मत करना… नहीं तो… तुमको पता ही है…
मैं- अच्छा धमकी… अरे भाई मैं जब तुमको आजादी दे रहा हूँ तो मुझे भी तो कुछ आजादी मिलनी चाहिए न..? सलोनी- ह्म्म्म… चलो थोड़ा बहुत करने की आजादी है.. मगर अपने पप्पू को संभाल कर रखना… वरना इतने जोर से काटूंगी कि… कभी मुँह नहीं उठाएगा.. हे हे हे… मैं- अच्छा जी… चलो काट लेना… फिर मुँह में तो लेना ही होगा… हाहाहा सलोनी- मारूँगी अब हाँ… अच्छा चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ…
मैं- ठीक है जान… अरे हाँ याद आया… कल शायद प्रणव आएगा डिनर पर… बता देना अगर कुछ मंगाना हो बाजार से तो… अमित मेरा पुराना दोस्त है वो डॉक्टर है, उसकी कुछ समय पहले ही शादी हुई है.. रुचिका से, वो ऑस्ट्रेलिया में ही ज्यादा रही है… इसलिए बहुत मॉडर्न है… सलोनी- अच्छा, तो अब तो रुचिका के साथ ही आएंगे.. मैं- हाँ यार बहुत दिन से उसको बुला रहा था तो कल ही उसका फ़ोन आया… आने के लिए… सलोनी- ठीक है जानू मैं सब तयारी कर लूँगी…
मैं- और हाँ जरा मॉडर्न कपड़े ही पहनना, मैं नहीं चाहता कि प्रणव के सामने मेरी बीवी ..जो रुचिका कई गुना खूबसूरत है जरा भी फीकी लगे… सलोनी- मगर वो तो कितने छोटे कपड़े पहनती है.. याद है शादी के चार दिन बाद ही उसने अपनी उस पार्टी में कितनी छोटी मिडी पहनी थी… और सबको अपनी वो चमकीली पैंटी दिखाती घूम रही थी…
मैं- क्या यार… मगर मेरी जान उससे कहीं ज्यादा बोल्ड और खूबसूरत है… दरअसल मैं उस साले को दिखाना चाहता हूँ कि हमारे भारत की लड़कियाँ उन जैसी गैर मुल्क में पली भरी से कहीं अधिक खूबसूरत होती हैं बस… सलोनी- ओह… ठीक है… अब आप तैयार तो हो जाओ ना… उसने मुझे बाथरूम की ओर धकेल दिया…
मैं नहाकर बाहर आया… सलोनी बेड पर झुकी हुई मेरे कपड़े सही कर रही थी… उसका गाउन चूतड़ से आधा खिसक गया था…जो उसके गोल और मादक चूतड़ों की झलक दिखा रहा था…
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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