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समीर शर्मा सभी मित्रों को मेरा प्रणाम। मेरा नाम समीर है, जयपुर का रहने वाला हूँ। अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मैंने शायद ही कोई कहानी आज तक यहाँ पढ़ने से छोड़ी होगी। मैं अपने बारे में बता दूँ। मैं एक सामान्य सा दिखने वाला लड़का हूँ, उम्र 25 वर्ष, दिखने में उम्र से काफी कम लगता हूँ। मैंने आज तक कभी किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया है। ‘हाँ’ अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ चूमा-चाटी बहुत बार की है। उसकी चूत को चूसा है और अपना 6” का लंड उसे कई बार चुसवाया है, लेकिन इससे आगे कभी नहीं बढ़े, क्यूंकि भगवान ने अब तक मौका ही नहीं दिया और वो शादी से पहले चुदना नहीं चाहती है। कहती है, “चूत मेरा पति ही चोदेगा.. बस.. !” और गांड वो मरवाना नहीं चाहती। इसलिए मैं अन्तर्वासना पर जो भी कहानियाँ भेजूँगा सभी कल्पना से परिपूर्ण होंगी, लेकिन यकीन मानिए आपके हाथों को अपने-अपने अंत:वस्त्रों में जरूर पहुँचा दूँगा। तो मेरी पहली पेशकश आपके सामने हाज़िर है: चुदाई का परमीशन लैटर शिप्रा एक बहुत ही सुलझी हुई और खूबसूरत आज के ज़माने की युवती है। उसने अभी अभी जवानी की दहलीज़ पर कदम रखा था और 18वें साल की पहली अंगड़ाई उसने पिछले महीने ही ली थी। जवानी तो उसके अन्दर भगवान् ने बड़ी फुर्सत से भरी थी, गदराया बदन किसी को भी बरबस ही अपनी ओर खींच लेता था। अभी से उसके स्तन करीब 36 के हो गए थे, रंग गोरा, जबर्दस्त चूतड़.. जो जींस में से मटकते हुए बड़े ही प्यारे लगते थे और अच्छे खासे इंसान के लंड को अंगड़ाई लेने पर मजबूर कर देते थे। शिप्रा ने कॉलेज में एडमिशन ले लिया था। लगभग एक साल होने को आया था और उसके इम्तिहान नजदीक ही थे। शिप्रा पढ़ने में तो काफी होशियार थी लेकिन इस बीच शिप्रा के सामने एक समस्या खड़ी हो गई थी। कॉलेज से मिला परमीशन लैटर न जाने कैसे उससे कहीं खो गया था। शिप्रा बहुत परेशान हो गई, क्यूंकि डुप्लिकेट इतना जल्दी मिलना आसान नहीं था। उसने अपनी समस्या अपनी ही एक सहेली को बताई जिसका नाम सलोनी था। सलोनी शिप्रा की काफी अच्छी सहली थी। सलोनी ने उसे अपनी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष राजीव से मिलने को कहा। शिप्रा तुरंत जाकर राजीव से मिली और सारी समस्या बताई। समस्या सुनकर राजीव ने उसे पूरी सहायता का वादा किया और कहा- दो दिन बाद उसका परमीशन लैटर मिल जायेगा, चिंता न करना। ठीक तीसरे दिन, सुबह-सुबह शिप्रा के पास राजीव का फोन आया। राजीव ने शिप्रा से कहा- आज उसकी तबियत थोड़ी खराब है इसलिए वो कॉलेज नहीं आ सकता है, लेकिन शिप्रा का परमीशन लैटर उसने मंगवा लिया है तो वो मेरे घर आकर ले ले। शिप्रा फ़ौरन राजीव के घर पहुँची। राजीव का घर क्या.. किराये पर लिया हुआ एक अपार्टमेंट था, जिसमें दो कमरे और रसोई थी। राजीव ने शिप्रा को सोफे पे बैठने को कहा और उसके लिए कोल्ड ड्रिंक और समोसे परोसे और इधर-उधर की बातें करने लगे। कुछ देर बाद शिप्रा ने कहा- राजीव जी, मेरा परमीशन लैटर मुझे दे दीजिए तो मैं घर जाऊँ क्यूंकि मुझे अभी काफी कुछ पढ़ना है। इस पर राजीव के चेहरे के भाव अचानक शिप्रा को कुछ बदले-बदले लगे और राजीव ने शिप्रा को कहा- शिप्रा, तुम्हें तुम्हारा परमीशन लैटर तो मिल जाएगा लेकिन इसके लिए मैंने जो इतनी मेहनत की है उसका क्या?? क्या मुझे उसके बदले कुछ नहीं मिलेगा? शिप्रा को लगा कि राजीव को कही रिश्वत वगैरह खिलानी पड़ी होगी तो उसने पूछा- बताइए कितने पैसे देने होंगे मुझे? तो राजीव ने उसके बोबों की तरफ देखते हुए बोला- पैसे किसे चाहिए, मुझे तो कुछ और चाहिए। शिप्रा ने उसकी नज़रों को भांपते हुए अपनी चुन्नी को थोड़ा ठीक करके अपनी छाती को ढंग से ढक लिया। आप यह कहानी हिन्दुस्तान की नम्बर एक हिंदी सेक्स साईट अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं। शिप्रा को इस तरह बदन ढकते देखकर राजीव ने कहा- मुझे तो बस तुम्हारा ये सुंदर जिस्म कुछ देर के लिए प्यार करने को चाहिए। यह सुनते ही शिप्रा तुरंत खड़ी हो गई, बोली- तुम्हारा दिमाग खराब तो नहीं हो गया है राजीव..! क्या बोल रहे हो एक बार सोच कर तो बोलो। तुम्हारे आगे-पीछे बहुत लड़कियाँ घूमती होंगी लेकिन मैं उनमें से नहीं हूँ, मुझे चुपचाप मेरा परमीशन लैटर दो और जाने दो। इस पर राजीव हँसता हुआ बोला- देखो शिप्रा, अगर तुमको इम्तिहान देने हैं तो यह कीमत तो तुम्हें चुकानी ही होगी, वरना ये साल तो तुम्हारा बर्बाद हुआ समझो। इस से पहले कि शिप्रा कुछ और बोल या समझ पाती राजीव ने उसका हाथ पकड़ कर उसे सोफे पर बिठा लिया और उसका एक स्तन अपने हाथ से दबाने लगा और बोला- देखो शिप्रा, अब तुम यहाँ से बिना चुदे तो जा नहीं सकती हो किसी भी तरह से, चाहे अपना परमीशन लैटर लो या मत लो, इसलिए बेहतर इसी में है कि चुपचाप तुम भी अपनी जवानी के मज़े लो और मुझे भी लेने दो। वादा करता हूँ बस एक बार चोदूँगा। शिप्रा फ़ौरन उसे धकेलते हुए खड़ी हो गई और साथ ही राजीव भी खड़ा हो गया और उसने शिप्रा को पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया और शिप्रा के होंठों को अपने होंठों से ऐसा कस कर सटा लिया कि शिप्रा हिल भी न सकी और उसके मुँह से आवाज़ तक न निकल सकी। राजीव अच्छा खासा ताकतवर था, तो शिप्रा का उसकी गिरफ्त से छूटना तो नामुमकिन ही था। शिप्रा की आँखों से आंसू आने लगे थे। जैसे-तैसे कर के वो एक बार राजीव की पकड़ से छूटी और बोली- देखो राजीव तुमने परमीशन लैटर दिलवा कर मुझ पर एहसान किया है, लेकिन अगर तुम उसकी कीमत यही चाहते हो तो मैं तुमसे वादा करती हूँ कि मेरी शादी होते ही एक महीने के अन्दर तुमसे सेक्स करने आऊँगी। तो राजीव बोला- राजीव किसी की झूठन नहीं खाता है, शादी के बाद अपनी पति से सील तुड़वा कर क्या मुझ पर एहसान करने आएगी। मैंने आज तक 24 लड़कियों को चोदा है और सबकी सील मैंने तोड़ी है और एक बार जिसे चोद दिया उसे कभी गलती से भी दोबारा नहीं देखता हूँ। अब तेरी सील भी मैं ही तोड़ूँगा, जैसे तेरी सहेली सलोनी की भी सील मैंने ही तो तोड़ी है और उसी को मैंने कहा था कि किसी भी तरह तुझे मेरे पास भेजे और देख उसने भेज दिया।। और राजीव वापस शिप्रा के होंठों पर टूट पड़ा। शिप्रा को मज़ा तो आने लगा था पर उसके अन्तर्मन में कहीं द्वन्द्व चल रहा था, एक हद तक वो राजीव के सामने समर्पण को तैयार हो चुकी थी, पर अभी भी हल्का विरोध प्रकट कर रही थी। उसकी पकड़ से नहीं छूट पा रही थी और मन ही मन सलोनी को गालियाँ दे रही थी, “रंडी कहीं की, मुझे उस पर पहले से ही शक था कि उसका चाल-चलन ठीक नहीं है और देखो आज मुझे कहाँ फंसवा दिया कमीनी ने।” एक बार फिर राजीव ने उसके होंठों को तो छोड़ा लेकिन अपनी बाँहों की गिरफ्त से उसे आज़ाद नहीं होने दिया। अब शिप्रा राजीव से बोली- ठीक है राजीव मैं समझ गई कि आज तुम मुझे कैसे भी नहीं छोड़ने वाले हो, लेकिन प्लीज़ अपना वीर्य मेरे अन्दर मत छोड़ना प्लीज़। यह सुनकर राजीव खुश हो गया और शिप्रा को सीधे अपने बेडरूम में ले गया और उसकी चुन्नी हटा कर दूर फेंक दी। शिप्रा के कुर्ते में से उसके बोबों की घाटी साफ़ नज़र आ रही थी। ऐसा लग रहा था कि बस वो उस कुर्ते को फाड़कर बाहर आने को तरस रहे हैं। राजीव ने फ़ौरन बाहर से ही उन्हें मसलना शुरू कर दिया और फिर जल्दी से शिप्रा की कुर्ती उतारी और शमीज़ को फाड़ दिया। शिप्रा अब एक भूरे रंग की ब्रा में थी और नीचे सलवार थी। राजीव ने बिना देर किए सलवार का नाड़ा भी खींच दिया और सलवार ज़मीन पर आ गिरी और शिप्रा अब केवल ब्रा और एक हल्की नीली पैंटी में सहमी सी खड़ी थी क्यूंकि उसे पता था कि आज उसकी क्या हालत होने वाली है। शिप्रा यह भी जानती थी कि चुदाई का मता क्या होता है, अन्दर ही अम्दर उसके मन में उल्लास भी था कि उसे आज वो आनन्द मिलने वाला है। अब राजीव शिप्रा के मम्मे दबाने लगा और उनको बुरी तरह से मसलने लगा। अचानक उसने ब्रा के ऊपर से ही उन पर अपना मुँह लगा दिया और एक-एक करके उन्हें चूसने लगा और दबाता भी रहा। धीरे-धीरे शिप्रा की पूरी ब्रा राजीव के थूक से लथपथ हो गई तब जाके उसने उन्हें छोड़ा और शिप्रा के पेट पर चुम्बनों की बारिश कर दी और धीरे से अपनी एक ऊँगली शिप्रा की नाभि में घुसा कर धीरे-धीरे उसे हिलाने लगा। इससे शिप्रा को अपनी चूत में कुछ गुदगुदी सी महसूस होने लगी। फिर उसने शिप्रा की नाभि को अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा और अचानक एक बार जोर से काट लिया, जिससे शिप्रा को बहुत तेज दर्द हुआ और उसने राजीव के एक थप्पड़ लगा दिया और उसे धक्का दे दिया। राजीव गिर गया और वापस उठा। कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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