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नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम अमित है, शादीशुदा हूँ, मेरा कद पांच फुट ग्यारह इंच है। मेरी उम्र सत्ताईस साल है, दिल्ली का रहने वाला हूँ। अन्तर्वासना में यह मेरी पहली कहानी है। मेरे घर में पापा, एक भाई, एक बहन, मेरे भाई की बीवी और मेरी बीवी है। हमारी फैमिली जॉइंट-फैमिली है। आज मैं आपको अपने जीवन का सच्चा अनुभव बताने जा रहा हूँ।
हमारी मम्मी के जल्दी गुजर जाने की वजह से हमारी शादी भी जल्दी ही हो गई। मेरी शादी को छह साल हो गए हैं। यह बात आज से सात साल पहले की है, जब मेरी शादी भी नहीं हुई थी और मेरी उम्र भी करीब बीस साल की थी। उस समय मेरी दादी गाँव से हमारे यहाँ दिल्ली आई हुई थीं। वो कुछ दिन हमारे साथ ही रहने वाली थीं।
लेकिन जब उनको एक महीना हो गया तो वो गाँव जाने के लिए पापा से बोलने लगीं। पापा को छुट्टी न मिलने की वजह से पापा ने मुझसे कहा कि दादी को गाँव छोड़ आओ। मैंने भी पापा की बात मानी और दादी को साथ लेकर गाँव चला गया।
गाँव में मेरे ताऊ के लड़के के यहाँ उनकी सलहज (साले की पत्नी) आई हुई थी। मैं अपने भैया-भाभी से मिलने उनके यहाँ गया, तो वहाँ उनकी सलहज भी थी। मुझे देखते ही वो बोली- अरे अमित.. तुम तो इतने बड़े हो गए..! क्यूंकि उन्होंने मुझे भैया की शादी में ही देखा था।
मैंने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया- हाँ भाभी.. मेरे भाई की सलहज की क्या फिगर थी.. कमर अठ्ठाईस, चूचे चौंतीस.. वाह..! मैं तो देखता ही रह गया।
उस दिन तो हमारी इतनी ही बात हुई। उसके बाद मैं वहाँ से अपनी दादी के यहाँ आ गया। मेरे दिमाग में सलहज का कामुक बदन छा गया था, सो अगले दिन से मैं रोज अपने भाई के यहाँ आने-जाने लगा। एक दिन मेरे भाई की सलहज ने मुझे बोला- जब तक तुम आते नहीं, तब तक मेरा मन नहीं लगता।
मैं आपको बता दूँ कि मेरे भाई की सलहज की शादी के ग्यारह साल बाद भी कोई बच्चा नहीं था। शायद इसलिए वो मुझसे इतना क्लोज हो रही थी.. पता नहीं..!
लेकिन अब उन्होंने मुझसे मीठी-मीठी बातें करना शुरू कर दिया था। मैं रोज उनके यहाँ आने-जाने लगा और उनसे बातें करने लगा। एक दिन मैंने हिम्मत करके उनको एक ख़त लिखा जिसमें लिखा था कि आज रात को आठ बजे मिलना, क्यूंकि गाँव में सर्दी के दिनों में सब जल्दी ही सो जाते हैं।
यह ख़त मैंने उनको चुपके से पकड़ाया तो उन्होंने भी शाम को मुझे एक ख़त पकड़ाया, जिसमें लिखा था कि आठ बजे नहीं.. गेट के बाहर जो पखाना है वहाँ पर ग्यारह बजे मिलेंगे। मैंने भी ‘हाँ’ में जवाब दे दिया। अब मैं रात ग्यारह बजे का इंतज़ार करने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! जैसे ही ग्यारह बजे मैंने चाचा को बोला- मुझे लेट्रिन आई है और मैं खेत जा रहा हूँ।
यह कह कर मैं निकल गया। जब मैं उसके दरवाजे पर पहुँचा, तो वो मेरा इंतज़ार कर रही थी। मुझे देखते ही बोली- आ गए जानेमन..! मैंने भी कहा- हाँ.. आ गया जानेमन..!
बस फिर क्या था.. उसने मुझे आते ही अपनी बाँहों में ले लिया और चूमने लगी। उसकी उम्र कोई पैंतीस साल की थी और मैं बीस साल का, इसलिए वो एक्सपर्ट थी और मैं नया खिलाड़ी। अब हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। उसने अपने गरम होंठ मेरे होंठों पर लगा दिए।
दोस्तो, पहली बार मैंने किसी को चुम्बन किया था.. मैं बता नहीं सकता कि कितना मजा आ रहा था। उसके गरम होंठ को मैंने अपने होंठों से चूसना शुरू कर दिया, उसके चूचे दबाने लगा उसकी गांड ऊपर से ही सहलाने लगा।
फिर अचानक ही उसने मेरे होंठों को इतने जोर से काटा कि मेरे आंसू ही निकल आए। फिर भी मैंने अपने को संभाला और उसको चूसता ही रहा। मैंने उसको कहा- अब मुझे जाना है, क्यूंकि हम दरवाजे के बाहर पखाने के पास खड़े हैं, कल फिर मिलेंगे।
ये कहकर मैं जाने लगा तो उसने बोला- कल पक्का ना..! मैंने कहा- पक्का। मुझे डर भी था कोई हमें देख न ले।
अगले दिन मैं उससे मिला तो उसने कहा- कल क्यों चले गए थे ? तो मैंने बताया, “मुझे डर था कि कोई देख न ले..इसलिए..!
तो उसने कहा- आज मैं अपने जीजा और दीदी मतलब मेरे भाई और भाभी को जल्दी सुलाकर तुम्हें घर के अन्दर बुला लूंगी.. फिर मजे करेंगे। तो मैंने कहा- ठीक है।
उस रात ग्यारह बजे का इंतज़ार करते-करते पता नहीं कब आँख लग गई, पता नहीं चला। जब आँख खुली तो चार बज रहे थे। मैं दुबारा सो गया और सुबह होते ही उसके घर गया। मुझे देखते ही उसने मुझे देखते ही मुँह घुमा लिया।
भाभी बोलीं- अरे अमित आज इतनी सुबह-सुबह कैसे आना हुआ? मैंने भी मजाक में कहा- भाभी आपकी याद आ रही थी, बस इसलिए मिलने आ गया।
पर मेरे भाई की सलहज जिसका नाम नीलम था, उसने मुझसे बात भी नहीं की, मुझे पता था कि वो क्यों नाराज है। खैर मैं उस समय वहाँ से चला गया।
पर शाम को जब मैं दुबारा आया तो वो बोली- तुम कल रात क्यों नहीं आए? तो मैंने कहा- जानेमन आँख लग गई थी और सर्दी भी तो ज्यादा है इसलिए पता नहीं चला कब आँख लग गई, पर आज रात को पक्का मेरा इंतज़ार करना मैं जरूर आऊँगा।
फिर रात को ग्यारह बजे का इंतज़ार होने लगा और ग्यारह बजते ही में उसके दरवाजे पर पहुँचा तो वो दरवाजे पर ही खड़ी थी। मुझे उसने चुपके से अन्दर खींच लिया।
उसने बताया, “भाई और भाभी अन्दर कमरे में सो रहे हैं। इसलिए हमें यहीं रसोई घर में ही रहना होगा। जो कि बाहर आँगन में था। उसने मुझे रसोई घर में आने को कहा।
मैं और वो दोनों रसोई घर में बैठ गए। वो मेरे टाँगों में लेट गई, उस समय मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था। मैंने उसके चूचे दबाने शुरू कर दिए, उसके होंठों को चूसने लगा। उसके बदन की मादक महक मुझे पागल बना रही थी।
मैं धीरे-धीरे उसके पेट पर हाथ फेरने लगा। फिर उसकी चिकनी टाँगों को सहलाने लगा। मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत में घुसा दी। उसके मुँह से “आह्ह्ह्ह” की आवाज निकली। मैं ऊँगली अन्दर-बाहर करने लगा, उसे मजा आने लगा। उसके मुँह से “आआह्ह.. आह्ह्ह्ह” की आवाज मुझे दीवाना बना रही थी। मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था। फिर अचानक ही मैंने उसकी साड़ी खोल दी और उसका पेटीकोट भी उतार दिया।
मैंने अपनी जीन्स भी जल्दी से उतारी और चड्डी भी निकाल दी। मेरा लंड जैसे ही बाहर आया, उसने उसे हाथ में ले लिया और कहने लगी- अरे इतनी सी उम्र में ही इतना बड़ा लंड? मैंने भी कहा- ख़ास तुम्हारे लिए ही है जानेमन ! वो मेरे लंड को सहलाने लगी। आज पहली बार कोई औरत मेरे लंड को सहला रही थी। मैं सातवें आसमान पर था।
फिर मैंने उसे जमीन पर ही लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कर दीं और अपना लंड उसकी चूत में एक ही झटके में घुसा दिया। फिर मैं रुका नहीं और शॉट पे शॉट मारने लगा। करीब पांच से सात मिनट बाद मेरा पानी झड़ गया और मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया।
फिर मैं उठने लगा तो उसने मुझे अपने ऊपर थोड़ी देर लिटा कर रखा। उसके बाद उसने मुझे बहुत सारी चुम्मियाँ लीं फिर मैं चला गया। दोस्तो, यह मेरा पहला अनुभव था, जिसकी पहली शिक्षा मुझे मेरे भाई की सलहज से ही मिली।
उस दिन के बाद से आज शादी होने के बाद भी हम जब भी मिलते हैं, तो उसे मैं जरूर चोदता हूँ। पर अब मैं नया खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक अच्छा चुदक्कड़ हो गया हूँ, मैंने अब तक कई लड़कियों औरतों को चोदा है। दोस्तो, मेरी अगली कहानी का इंतज़ार करना।
आपसे विनती है कि अगर कोई भूल हो गई हो तो माफ़ करना और यह कहानी कैसी लगी अपनी राय जरुर बतायें। चाहे बुरी ही हो फिर भी बताना। आपके विचारों का स्वागत है, धन्यवाद। [email protected]
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