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लेखक : इमरान सलोनी- चल अब जल्दी से घर चल… देर हो रही है। … … पारस- भाभी प्लीज माफ़ कर दो न… अच्छा अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा…प्रोमिस… सलोनी- अच्छा ठीक है… पर कुछ समय दूर रह… मेरा मूड बहुत ख़राब है… पारस- ओके मेरी प्यारी भाभी… पुचच च च च… … पारस- भाभी, मैं अभी आता हूँ… जरा कुछ सामान लेना है बाजार से… भूल गया था… … … … काफी देर बाद… टेलीफोन की घण्टी की आवाज … ट्रिन ट्रिन… ट्रिन ट्रिन सलोनी- हेल्लो… मेरी किस्मत अच्छी थी कि सलोनी ने फ़ोन स्पीकर पर कर लिया था.. उसकी सहेली नज़ाकत- हेलो मेरी जान, कहाँ हो आजकल? सलोनी- यहीं हूँ यार ! तू सुना.. कहाँ मस्ती मार रही है…? नज़ाकत- वाह, मस्ती खुद कर रही है और मेरे को बोल रही है… सलोनी- ओह लगता है शकील भाई नहीं हैं आजकल जो मुझसे लड़ने लगी…? नज़ाकत- उनको छोड़… तू ये बता… आज बाजार में किसके साथ मटक रही थी, बिल्कुल छम्मक छल्लो की तरह..? सलोनी- अरे वो तो इनका छोटा भाई है.. मैं तेरी तरह नहीं हूँ जो किसी के भी साथ यूँ ही घूमने लगूँ… नज़ाकत- हाँ हाँ… मैं तो ऐसी वैसी हूँ… और तू कैसे घूम रही थी वो सब देखा मैंने… मेरी आवाज भी नहीं सुनी.. और अपने चूतड़ मटकाती हुई निकल गई… सलोनी- अरे यार… मैंने सही में नहीं देखा, कहाँ थी तू…? नज़ाकत- उसी बाजार में जहाँ तू बिना कच्छी के अपने नंगे चूतड़ सबको दिखा रही थी… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! सलोनी- अरे यार… वो जरा वैसे ही हे… हे… जरा मस्ती का मूड था तो… और तू क्या कर रही थी वहाँ…? नज़ाकत- मैं तो शकील के साथ शॉपिंग करने गई थी… सलोनी- हाय !! तो क्या शकील भाई ने भी कुछ देखा.. नज़ाकत- कुछ… अरे सब कुछ देखा… उन्होंने ही तो मुझे बताया… कि यह आज सलोनी को क्या हो गया है… उन्होंने तो तेरे उस भाई को तेरे नंगे चूतड़ों पर हाथ से सहलाते भी देखा… तभी तो मैं तुझसे कह रही हूँ… सलोनी- ओ माय गॉड, क्या कह रही है तू…? नज़ाकत- बिल्कुल वही जो हुआ… अब सच सच बता… क्या बात है? सलोनी- यार, शकील भाई कहीं इनसे तो कुछ नहीं कहेंगे? नज़ाकत- अरे नहीं यार वो ऐसे नहीं हैं… लेकिन तू मुझे बता… ये सब क्या है… और क्या क्या हुआ…? सलोनी- अरे कुछ नहीं यार, बस थोड़ी मस्ती का मन था.… इसलिए बस और कुछ नहीं यार… नज़ाकत- हम्म्म… वो तो दिख ही रहा था.. तू बताती है या मैं कोई जासूस छोड़ूँ तेरे पीचे…? सलोनी- जा कुतिया… कर ले जो तेरे से होता है… साली धमकी देती है? ब्लैकमेल करती है माँ की … … …? नज़ाकत- प्लीज बता ना यार… क्या क्या हुआ… और वो हैंडसम कौन था…? सलोनी- बताया तो यार… मेरा देवर है॥…और बस थोडा मस्ती का मूड था तो ऐसे ही बाहर निकल लिए बस और कुछ नहीं हुआ… और तुझे मस्ती लेनी है तो तू भी बिना चड्डी के जाना, देखना बहुत मजा आएगा.. नज़ाकत- अरे वो तो सही है.. तू बता न क्या हुआ मेरी जान.. कितनों ने उंगली की तेरी में… बता न यार..? सलोनी- नहीं यार… ऐसा कुछ नहीं हुआ… बस जैसे तूने देखा… ऐसे ही किसी न किसी देखा होगा… बस… और तो कुछ नहीं हुआ… नज़ाकत- अच्छा और तुम्हारे देवर, वो कहाँ तक पहुँचे..? सलोनी- कहीं तक नहीं यार… बस ऐसे ही थोड़ी बहुत मस्ती बस… और क्या मैं… … … .. सॉरी दोस्तो, रिकॉर्डिंग ने धोखा दे दिया… लगता है यहाँ तक बैटरी थी…उसके बाद बैटरी खत्म ! मगर इतना कुछ सुनकर मुझे यह तो लग गया था कि सलोनी को अब रोकना मुश्किल है.. मैं कुछ देर तक बस सोच ही रहा था कि अब आगे क्या और कैसे करना चाहिए… दोस्तो, आप भी अपना मशवरा दें कि आप ऐसी परिस्थिति में क्या करते…? आपके सुझाव के इन्तजार में… आपका दोस्त…
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