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रोनी सलूजामेरी कहानी ‘कामदेव के तीर’ को पाठको की जो सराहनाप्राप्त हुई उसके लिए तमाम पाठक पाठिकाओं को तहे दिल सेधन्यवाद !मध्यप्रदेश एवं कई जगहों से अनगिनत पुरुष मित्रों के मेल आये हैं जो चाहते हैं कि यदि हमारे एरिया से किसी भी उम्र की कोई लड़की या महिला जो आपको मेल करे जो किसी लड़के या पुरुष से मिलना चाहे तो उसे मेरा इमेल ID जरूर देना ! इसके तहत कुछ लड़कियों एवं महिलाओं के वाकयी ऐसे मेल आये जो पुरुष मित्रों से गोपनीय तरीके से मिलना चाहती हैं, उनके नाम मैं यहाँ नहीं लिख सकता !
तो मैंने उनको वो संपर्क सूत्र दिए और कुछ लोगों की मुलाकात सफल रही !
खैर इसे छोड़ अब आज की कहानी पर आते है !कहानी के पात्रों के नाम और स्थान काल्पनिक हैं !इसी तारतम्य में एक महिला पाठक का मेल आया जो अपनी कहानी अन्तर्वासना पर प्रकाशित करना चाहती है।
फिर उसने अपनी सारी कहानी सुनाई जिसे मैं आपके समक्ष उन्हीं की जुबानी पेश कर रहा हूँ !मेरा नाम स्वाति है, मैं जालंधर की रहने वाली हूँ। अभी मेरी उम्र 24 साल है। सेक्स इन्सान को किस तरह अपनी गिरफ्त में लेकर वासना की आग में जलाता है, इन्सान इसके लिए क्या कुछ कर जाता है, मैं अपनी जिन्दगी के कुछ अनुभव आप सभी को बताना चाहती हूँ ! स्कूल समय में दसवीं में थी, तब पहली बार रजस्वला हुई तो मेरी हालत खून देख कर डर के कारण ख़राब हो गई। भाभी को मैंने डरते हुए बताया तो वो बोली- चिंता मत कर, यह तो सामान्य बात है ! अब तू जवानी में कदम रखेगी, तुझमें बहुत से शारीरिक बदलाव भी आयेंगे। उनकी बातों ने मुझे बहुत राहत दी। मैंने भाभी और चाची से उनके जवानी के मजेदार किस्से कई बार सुने थे। अब अक्सर मैं अपने को जवान होते देखने की चाह में अक्सर आईने में अपने आप को निहारती रहती, अपने उभरते हुए वक्ष-उभारों को देखकर बड़ा अच्छा लगता, योनि क्षेत्र में उग आये रोयेंनुमा बालों ने मुझे बहुत रोमांचित कर दिया था ! रात में अक्सर उन्हें छूने का आनन्द लेती, रोयों के साथ योनि भी सहलाने में आनन्द का अहसास तो मेरे को प्रफुल्लित ही कर देता। नहाते वक्त बड़े होते जा रहे स्तनों को सहलाती तो वो और भी बड़े दिखने लगते थे। कांख और योनि के रोयों पर साबुन लगाकर झाग बनाना बड़ा मजा आता था। अपने दिन पर दिन सुन्दर होते नंगे बदन के कटाव बाथरूम के आईने में देखती और उत्तेजित सी हो जाती ! इसी तरह अपने को निहारते हुए कब बारहवीं पास करके कालेज पहुँच गई पता ही नहीं चला ! अब मैं पूर्ण जवान नवयौवना बन चुकी थी, मेरे स्तन बड़े बड़े होकर भर से गए थे, जांघें मोटी चिकनी होकर मांसल हो गई थी, मेरे नितम्ब तो मेरे चलने से लेफ्ट राइट करते हुए थिरकते ! चूत की तो पूछो ही मत, फूलकर पाव जैसी हो गई जिस पर मुलायम बाल उसकी शोभा बढ़ाते ! उसे तो दिन में एकाध बार अंगुली डालकर सहलाना ही पड़ता था। मेरा फिगर 32-28-32 हो गया था !
कालेज में मेरी दोस्ती शेफाली नाम की लड़की से हुई जो काफी फ्रेंक और बिंदास थी। वो मेरी खास सहेली बन गई, हम दोनों साथ पढ़ते, साथ घूमते ! वो अपने मोबाईल में नेट कनेक्सन लिए थी तो वो अक्सर मुझे सेक्सी वीडियो क्लिप देखा देती थी, कभी मेरे को अन्तर्वासना की कहानी भी पढ़वा देती थी। इनसे मेरे बदन में अजीब से उत्तेजना हो जाती, समझ नहीं आता कि क्या करूँ ! उनकी याद आती तो रातों को नींद भी न आती ! एक दिन कालेज में क्लास नहीं थी तो मेरी सहेली ने कहा- चल यार, मेरे घर चलते हैं मस्ती करेंगे ! आज मम्मी पापा भी घर में नहीं हैं, कम्प्यूटर पर नेट चलाएंगे। मैंने अपनी सहेली को बताया- मुझे ये सब मत दिखाया करो यार ! देखने के बाद बहुत बेचैन सी हो जाती हूँ ! तो उसने मेरे से कहा- तू देख तो सही कि फिर क्या करना है, मैं तुम्हें बताऊँगी ! उस दिन हम दोनों ने रोनी सलूजा की लिखी कहानी ‘बाथरूम का दर्पण’ के सभी भाग अन्तर्वासना पर पढ़े। मैं बहुत उत्तेजित हो गई थी। फिर मेरी सहेली ने एक ब्लू फिल्म की सीडी लगाकर चालू कर दी। यकीन मानो, पहली दफा ऐसी फिल्म को तेज आवाज और स्पष्ट तस्वीर के साथ देखते हुए लग रहा था कि जैसे यह सब मेरी आँखों के सामने हो रहा है। मेरी सांसें तेज हो गई, स्तनों के उभारों में बढ़ोतरी सी होने लगी, मेरी योनि में गुदगुदी के साथ रिसाव सा होने लगा। हाथ लगाकर देखा तो पेंटी चिपचिपी सी हो गई थी। मैं अपनी योनि को पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगी !तभी मुझे अहसास हुआ कि मेरी सहेली शेफाली मेरे पीछे खड़ी होकर मेरे स्तनों पर अपने हाथ से उन्हें मसलते हुए सहला रही है, मेरे कंधे पर अपने होंठों से चूमते हुए जीभ से कान को छू रही है, मेरे होंठों से सिसकारी निकल गई, मैं तुरंत खड़ी होकर उससे लिपट गई। वो अपने सारे कपड़े पहले ही निकाल चुकी थी, बिल्कुल नंगी मेरे से लिपटी हुई थी। उसने मेरा टॉप निकाल दिया, लॉन्ग स्कर्ट को खोल दिया तो वो पैरो पर गिर गया ! शेफाली मेरे स्तनों को मसलने लगी रोमांच से मैं तो पागल हुई जा रही थी ! अब उसने मेरी ब्रा निकाल दी, फिर मेरे स्तनों से खेलते हुए उन्हें चूसना-चाटना शुरू कर दिया। एक हाथ मेरी पेंटी में डाल कर मेरी छोटी सी बुर को सहलाने लगी, साथ ही साथ मेरे दाने को रगड़ कर रस से सराबोर अंगुली मेरी बुर के अन्दर डालने की कोशिश कर रही थी, मुझे दर्द के साथ मजा आ रहा था, मेरे सांसों की गति आज जितनी कभी नहीं हुई थी ! मैं ‘आह्ह स्स्स्स’ की आवाज निकलते हुए जाने क्या-क्या कह गई, मुझे पता नहीं, मैं जन्नत की सैर जैसा आनन्द लेते हुए अचानक अकड़ गई, मुझे अपनी योनि में कुछ ज्वालामुखी विस्फोट सा लगा जैसे गरम लावा बह रहा हो।
फिर मैं अपने को संभाल नहीं पाई, पहले बार मुझे हस्तमैथुन का चरम सुख प्राप्त हुआ था किसी के सामने ! तब मैं अपने को नंगा देख घुटने मोड़कर बैठ गई, मेरी सहेली बोली- मजा आया या नहीं? मैंने कहा- बहुत मजा आया यार ! शेफ़ाली बोली- यही सब मेरे साथ करो, मेरे दूध चूसो, मेरी चूत सहलाओ, मसलो, उसमें अंगुली डालो, अन्दर-बाहर करो, मेरे होंठ चूसो ! वो जैसा बताती गई, मैं करती गई, मेरी पूरी अंगुली उसकी चूत में जा रही थी, वो मछली जैसी तड़पने लगी। फिर वो भी स्खलित हो गई ! अब जब भी मौका मिलता, हम दोनों यही खेल खेलने लगते, ब्लू फिल्म देखकर पूरी तरह से उन्हीं किरदारों की तरह लिप किस करना, चूचियाँ चूसना, मसलना, चूत चाटना, अंगुली डालकर, मोटी मोमबत्ती घुसाकर चुदाई करना, हर तरीके से लेस्बियन सेक्स करते और अपनी जिस्म की ज्वाला को शांत करते ! ऐसे ही दो साल निकल गए ! अब मुझे नेट चलाना आसान हो गया था, मैंने फेस बुक पर अकाउंट बना लिया खूब चैट करने लगी। उसी दोरान मेरी मुलाकात मेरे पुरुष मित्र विवेक से हुई। हम घण्टों चैटिंग करते, हम दोनों में प्यार हो गया, एक दूसरे से मिलने को बेताब हो गए थे ! हम फिर मुलाकात के लिए मनसूबे बनाने लगे, हमारे शहरो में ज्यादा दूरी नहीं थी तो पहले प्यार की हमारी यह तमन्ना भी पूरी हो गई। उन्हें देख कर मैं तो दंग रह गई, वो एकदम जवान खूबसूरत थे, मुझे बहुत पसंद आये ! पहली मुलाकात में ही हमने एक दूसरे को पसंद कर लिया और शादी करने का विचार भी बना लिया ! पारिवारिक विरोध के बाबजूद भी हम दोनों ने शादी कर ली और किराये के फ्लैट में रहने लगे। विवेक का व्यवसाय भी अच्छा चल रहा था। फिर शादी के दो साल बाद उन्हें व्यवसाय के कारण एक साल के लिए विदेश जाना पड़ा जिस कारण वो चार-पाँच माह में एक बार ही भारत आ पाते हैं। अब तक मैं एक बेटे की माँ बन चुकी थी !
उनके जाने के बाद मेरे जिस्म की आग मुझे फिर जलाने लगी। अपनी सहेली शेफाली से मैंने फिर लेस्बो सम्बन्ध बनाने शुरू कर दिए पर अब तक तो शेफाली बहुत आगे निकल चुकी थी, वो नौकरी करने लगी थी और अलग अपने फ्लैट में रहती है पर उसने अभी भी शादी नहीं की, स्वछंद जिन्दगी जीने की आदी शेफाली कई काल बाय को जानने लगी है। वो शादी करके एक जगह बंधना नहीं चाहती है, खुलकर जिन्दगी का आनंद उठाना चाहती है ! एक दिन जब मैं उसके घर गई तो उसने एक काल बाय को बुलाया और मुझे उससे मिलवा दिया। पहली बार किसी गैर मर्द से मिली थी, मुझे बहुत झिझक हो रही थी तो शेफाली ने मेरे ही सामने अपने कपड़े निकल दिए और उस काल-बाय को भी नग्न कर दिया और संभोगरत होने लगी। उसके यौनोत्तेजक क्रियाकलाप देख मेरी आँखों में लाल डोरे तैरने लगे, आँखों की शर्म भी खो गई। तभी शेफाली ने मुझे अपने पास बुलाकर मुझे भी निर्वस्त्र कर दिया और तीनों आपस में गुंथ कर सम्भोग का आनन्द लेने लगे। उस काल बाय ने शायद कोई कामोत्तेजक गोली खाई होगी तभी तो वो लगातार मुझे और शेफाली को चोदता रहा। उसने मुझे जिस तरीके से रगड़कर चुदाई की, मैं तो धन्य ही हो गई ! उसके बाद उसने शेफाली को रगड़कर चोदा और सारी रात जो चुदाई का तूफान चला, मैं तो उस काल बाय की कायल ही हो गई। उसके बाद तो जब भी इच्छा होती, मैं और शेफाली खूब मस्ती करते हुए चुदाई करवाते ! अन्तर्वासना पर खूब कहानियाँ पढ़ते ! इसी दौरान कहानियाँ पढ़ते हुए मेरा इमेल द्वारा रोनी सलूजा से संपर्क हुआ, उनसे फेसबुक पर बहुत बातें करती रहती और उन्हें अपनी सारी कहानी बताते हुए इसे अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने के लिए कहा, जिसे आप सभी पढ़ रहे हैं ! कभी कभी मुझे लगता है कि शेफाली मेरी खास दोस्त है, उसने मुझे सेक्स सम्बन्धी जो भी सिखाया, वो सही है तो कभी लगता है कि वो गलत है? परन्तु पूरी गलती तो शेफाली की नहीं हो सकती ! यदि वो नहीं होती तो शायद मैं सेक्स ज्ञान से महरूम रह जाती ! फिर भी मेरी कहानी से आपको अनुमान लगाना है कि क्या गलत है क्या सही ! मेरे पति भी वापस आ चुके हैं जो मुझे पूर्ण संतुष्टि के साथ यौन तृप्ति प्रदान करते हैं ! अब मैं किसी काल बाय का सहारा लेना नहीं चाहती, न ही अपने पति को शिकायत का मौका देना चाहती हूँ ! मेरी सीधी-सादी और सरल सी कहानी जिसमें ज्यादा अश्लीलता नहीं है, बस कहानी का सार है। शायद सभी को पसंद न आये, ऐसी कहानी आप तक पहुँचाने के लिए रोनी जी को धन्यवाद ! अपने विचार रोनी जी के मेल पर भेजें, जो मुझे प्राप्त हो जायेंगे। धन्यवाद !
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