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प्रेषक : ध्रुव सिंह नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम ध्रुव सिंह है। यह मेरी पहली कहानी है, मैं आशा करता हूँ कि आप लोगों को मेरी कहानी पसंद आएगी। मैं इलाहाबाद में रह कर पढ़ाई कर रहा हूँ और सारे लड़कों की तरह ही मुझमे भी चुदाई की इच्छा कूट-कूट कर भरी हुई है। तो मैं अब आप लोगों का ज्यादा वक़्त लिए बिना सीधे पॉइंट पर आता हूँ। मेरी मामी जो कि बला की खूबसूरत हैं। मैंने पहली बार उनसे चुदाई का मज़ा लिया। बात छः महीने पहले की है, मेरी मामी कुछ दिनों के लिए हमारे घर आई थीं। वैसे तो वो पहले भी आती रहती थीं, मगर इस बार वो अकेली आई थीं। मेरे मामा कुछ नहीं करते, वो केवल घर पर रह कर घर के काम करते हैं और इस बार उनको घर पर नाना-नानी ने रोक लिया था। तो मामी मेरे घर पर अकेली ही आई थीं। मेरी माँ का स्वर्गवास हो चुका है, मेरे घर में मैं, मेरा भाई, मेरी बहन और मेरे पिता जी ही रहते हैं। मेरी मामी जो कि बेहद सुंदर हैं, मैं हमेशा उनको चोदने के बारे में ही सोचता रहता था। उन्हीं दिनों में एक दिन मुझे मौका मिला जब मेरे भाई और बहन के स्कूल में एक प्रोग्राम था, तो वे लोग शाम तक घर आने वाले नहीं थे। मैं अपने कॉलेज से जल्दी छुट्टी ले कर घर वापस आ गया और अपने कमरे में जाकर लेट गया और मामी के बदन को निहारने लगा। मामी की पिछाड़ी क्या मस्त गोलाई में थी, क्या बताऊँ..! उसको देख कर मैंने अपना लंड निकाल कर मुठ मारने लगा। तभी मुझे पता चला कि मामी नहाने जा रही हैं, मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे कि आज मामी को नहाते हुए देखूंगा। मामी ने बाथरूम का दरवाज़ा भी खुला छोड़ दिया था, मानो मेरी तो किस्मत ही खुल गई थी। मामी जल्दी-जल्दी में अपने कपड़े ले जाना भी भूल गईं और नहाने लगीं। बाथरूम मेरे कमरे से लगा हुआ था और उसकी खिड़की मेरे कमरे में थी जो कि हमेशा बंद रहती थी। मैंने खिड़की थोड़ी सी खोल दी और उसमें से देखने लगा, मामी ने अपने कपड़े उतारे और एकदम नंगी हो गईं, क्यूंकि घर में मेरे अलावा कोई नहीं था। उनको कोई डर नहीं था और मैं खिड़की से देख रहा था। क्या चूचियाँ थी… बड़ी-बड़ी और एकदम गोल..! मैं तो खड़े-खड़े मुठ मारने लगा, तभी मामी नहाने की बाद मुझे आवाज़ लगाने लगीं कि उनके कपड़े दे दूँ। मैं कहाँ मौका चूकने वाला था, मैं केवल तौलिया लेकर सीधे बाथरूम में घुस गया। मामी मुझे बाथरूम में देख कर शर्मा गईं और तौलिया लेकर चूचियाँ छुपा लीं और बाहर भाग गईं। मैं भी उनके पीछे चला गया। अब मेरे लण्ड से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वह मामी की चूत-गांड में समा जाना चाहता था। मैंने मामी के पूरे अंगों के दर्शन कर लिये थे और उनके सामने जाते ही मैंने अपना लण्ड निकाल कर बाहर कर दिया। अब मामी का भी मन मेरा सात इंच लम्बा लंड देख कर मचल गया। उन्होंने भी मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और मुझे अपने आगोश में भर लिया। मेरे मन की मुराद अब पूरी होने जा रही थी। पहली बार मामी को गले लगाते ही मेरे शरीर में एक अजीब सा कम्पन था। खैर.. मैंने मामी को चूमना शुरू किया और सीधे अपने होंठ उनके गुलाबी होंठों पर रख कर चूसने लगा। मामी भी मेरा साथ देने लगीं और मेरे होंठ चूसने लगीं। अब मैं और नीचे बढ़ा और गर्दन पर चुम्मी लेते हुए उनकी चूचियों को चूसने लगा। मामी और मदहोश होने लगीं और उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैंने उनको गोद में उठाया और अपने कमरे में ले जा कर बेड पर लिटा दिया। अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर मामी को चूमने लगा। कुछ देर तक ये सिलसिला चलता रहा और फिर मैंने मामी का हाथ अपने लंड पर महसूस किया। हम लोग बैठ गए। अब मैंने मामी को मेरा लंड चूसने का इशारा किया और वो झट से तैयार हो गईं, मानो उन्हें इसी बात का इंतज़ार था। अब मैं सिसकारियाँ ले रहा था। मामी तो मानो मेरा लंड खा जाना चाहती थीं। मुझे भी मज़ा आ रहा था। फिर मैंने मामी को उठाया और लिटा के 69 की अवस्था में आ गए। अब मैं मामी की चूत चाट और चूस रहा था और मामी मेरा लंड चूस रही थीं। मैंने जैसे ही मामी की चूत में अपनी जीभ घुसाई, उनको तो जैसे करेंट लगा हो और वो चिल्लाने लगीं, “अब नहीं रहा जाता घुसा दो… मेरी चूत में अपना लंड.. फाड़ दो इसे… चोदो मुझे चोदो..।” और चिल्लाते हुए झड़ गईं। मैं भी झड़ने के करीब था तो मैंने मामी को बैठा कर उनके मुँह में अपना लंड पेल दिया और झटके मारने लगा और कुछ देर में मैं भी झड़ गया। इसके बाद मैंने फिर से मामी की चूचियों को मसलना और चूसना शुरू किया और कुछ देर में मेरा लंड महाराज फिर से मामी को सलामी देने लगा और मामी तुरंत लेट गईं, जैसे सदियों से चुदने को भूखी हों। मैंने भी देर न करते हुए लंड महाराज को कंडोम पहनाया और अपना सात इंच लम्बा और गज़ब के मोटे लंड से मामी की चूत के दरवाज़े पर दस्तक दी और हल्का सा झटका दिया। मेरे लंड का सुपारा अन्दर घुस गया। मामी के मुँह से ‘आह’ निकल गई। फिर मैंने एक और झटका लगाया इस बार मेरा आधे से ज्यादा लंड अन्दर घुस गया। अब मामी के आँखों से आँसू निकल पड़े और वो बोलीं- निकाल इसे.. कमीने निकाल जल्दी…! पर मैं कहा मानने वाला था, मैंने एक और ज़ोरदार झटका लगाया और इस बार मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया था। अब मैं धीरे-धीरे झटके लगाने लगा। दस मिनट तक धीरे झटके लगते-लगते मामी को भी मज़ा आने लगा और वो भी अपनी कमर उछाल-उछाल कर मेरा साथ देने लगीं। अब मैंने अपने झटकों की स्पीड और बढ़ा दी। कोई बीस मिनट की चुदाई के बाद मामी ने मुझे अपने शरीर से जकड़ लिया और झड़ गईं। कुछ देर बाद अब बारी मेरी थी। मैंने अपने झटकों की स्पीड और बढ़ा दी, तो मामी समझ गईं कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। तो उन्होंने मुझे कहा- खबरदार जो बाहर निकलने की जुर्रत की..! भर दो सारा माल मेरी चूत में..! मैंने भी वैसे ही किया और चोदते-चोदते उनकी चूत में ही सारा माल गिरा दिया और भर दी उनकी चूत अपने लंड रस से और उनसे लिपट कर वही लेटा रहा। कुछ देर बाद हम लोग उठे और बाथरूम में जा कर नहाया और उस दिन के बाद हमने कई और बार चुदाई के मज़े लिए। पर आज के लिए इतना ही जल्दी ही अपनी दूसरी चुदाई कथा के साथ उपस्थित होता हूँ। आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार और मेरी कहानी आप सब को कैसी लगी? मुझे बताइए ज़रूर। [email protected]
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