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लेखक : रोहित हाय फ़्रेन्ड्स, मेरा नाम रोहित है। मैं रायपुर का रहने वाला हूँ, पर फ़िलहाल मैं NIT ज़ालन्धर में पढ़ाई करता हूँ और यहीं रहता हूँ। अभी-अभी 19 वर्ष का हुआ हूँ। अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है। वैसे मैं हिन्दी कहानियाँ लिखता हूँ पर सेक्स पर मेरी पहली कहानी है इसलिये पूरा खुलकर नहीं लिख पा रहा हूँ। कुछ गलती हो तो माफ़ कर देना पर गाली मत देना। यह कहानी बिल्कुल सच्ची है, हो सकता है इसे रोचक बनाने के लिए लिखते समय कुछ शब्द जुड़ गए हों। चलिए सबकी तरह कहानी को अपने बारे में बताकर ही प्रारम्भ करता हूँ। मैं अपने आप को सीधा-साधा तो नहीं कह सकता क्योंकि बचपन में बिगड़े हुए लोगों से दोस्ती करके मैं बिगड़ गया था। बचपन से ही मैं सेक्स के बारे में सब कुछ जान चुका था, पर किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं कर पाया था और हमेशा लड़कियों के बारे में सोचता था। दिखने में मैं ठीक-ठाक ही दिखता हूँ। बस इतना ही अब कहानी पर आता हूँ। मेरी कहानी की शुरुआत जालन्धर से होती है। जब मैं जालन्धर आया तो यहाँ एक पेइंग-गेस्ट के रूप में रहता था। घर के सामने ही एक परिवार और रहता था, उस परिवार में पति-पत्नी जिनकी उम्र करीब 50 के आस-पास होगी और उनकी एक लड़की थी, जिसकी उम्र करीब 24-25 होगी। देखने में सुन्दर, मस्त फ़िगर और गोरी-चिट्टी थी। उसे देखते ही मैं उसे चोदने के सपने देखने लगा था। एक बात बता दूँ कि उसके घर की रसोई मेरी बालकनी के एकदम सामने है, और रसोई के एकदम बगल में उसकी बालकनी है। मैं हमेशा बालकनी में बैठा रहता और उसे देखता रहता। शायद उसने यह बात जान ली थी। अब वो जब भी बालकनी या रसोई में आती तो चुपके से मुझे देख लेती थी। मैं समझ गया कि वो भी मुझ पर डोरे डाल रही है। एक दिन मैं कॉलेज नहीं गया, बालकनी में बैठकर लैपटाप पर गाने सुनने लगा। तभी वो रसोई में आकर कुछ बनाने लगी। वो बीच-बीच में मुझे देखे भी जा रही थी। मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसे हाथ उठाकर ‘हाय’ कर दिया। उसने भी उसी तरह जवाब दिया। थोड़ी और हिम्मत करके मैंने इशारे से उसे फोन नम्बर बताने को कहा। पहले तो उसने मना किया पर मेरे हाथ जोड़ने पर उसने हाथ के इशारे (हाथों से नम्बरों की बनावट बताकर) से बता दिया। मैं बहुत खुश हुआ, उसे तुरन्त फोन किया और बोल दिया कि मैं उससे प्यार करता हूँ। उसका जवाब माँगा तो उसने कोई जवाब न देकर मेरे घर वालों के बारे में पूछमे लगी। मैंने सब बताकर उससे फिर पूछा तो वो बोली- बाद में बताऊँगी। मैं बहुत खुश था, शायद उसकी ‘ना’ को मैंने ‘हाँ’ समझ लिया था। मैंने सारा दिन उससे फोन पर बात की रात को मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैंने रात भर उससे फोन पर बात की। कुछ दिन ऐसे ही फोन पर बात होती रहीं। एक दिन मैं कॉलेज नहीं गया और उसे अपने कमरे में आने को कहा। पहले तो वो नहीं मानी पर थोड़ा मनाने पर वो इस शर्त पर मानी कि मैं उसके साथ कोई गन्दी हरकत नहीं करुँगा। मैंने उसकी शर्त मान ली। मैं बहुत खुश हुआ मेरी तो मुँह माँगी मुराद पूरी होने वाली थी। मैं उसके आने का इन्तजार करने लगा, एक-एक मिनट मुझे घण्टों की तरह लग रहा था। खैर… 2 घन्टे इन्तजार करने के बाद वो आई, मैंने उसे कमरे में बुलाकर तुरन्त कमरा बन्द कर दिया। अब हम दोनों बैठकर बातें कर रहे थे। इसी बीच उसने मेरे गाल पर एक चुम्बन कर लिया। अब जब उसने शुरु कर ही दिया था तो मैं भी रुकने वाला नहीं था। उसे उठाकर मैं कमरे के कोने में ले गया और अपने शरीर से उसे दबाकर उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखकर उसके लबों के शहद को चूसने लगा। सच में उसके होंठ किसी शहद के प्याले से भी मीठे लग रहे थे। मैं मदहोश सा उसे चूमता जा रहा था, वह भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और पूरी तरह मदहोश थी। यह चुम्बन आधे घन्टे तक चला। फिर मैंने उसे गोदी में उठाकर बेड पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर लेटकर उसे चूमने लगा। वो बहुत जोश में थी, उसके मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थीं। मेरा लन्ड भी तनकर तम्बू बना चुका था। मैं बार-बार अपना लन्ड उसकी नाभि में चुभा रहा था। जब वो कुछ नहीं बोली तो मैं उसका कमीज उठाकर उसकी सलवार खोलने लगा, वो मना करने लगी और गुस्सा होकर चली गई। मैं अपना लन्ड मलता रह गया। साला… ! जो मिल रहा था, वो भी हाथ से चला गया। फिर भी उसे चूमने में बहुत मजा आया। वो पूरा दिन उसे मनाने में चला गया और उसने मुझे माफ़ भी कर दिया। फ़िर मैं कॉलेज में व्यस्त हो गया और उससे मिलने का मौका नहीं मिला। रविवार को उससे मिल नहीं सकता था, क्योंकि उस दिन उसके माता-पिता घर में ही रहते थे। एक दिन मैंने फिर उसे बुलाने की सोची। मैंने रात को ही उसे फोन पर बता दिया कि कल मैं कॉलेज नहीं जाउँगा, तुम मेरे कमरे में आ जाना। वो मान गई। सुबह जल्दी उठ कर मैं फ़्रेश हुआ और उसका इन्तजार करने लगा। वो करीब 2 बजे आई। उसके आते ही मैं कमरा बन्द करके उसे पहले वाली स्थिति में चूमने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर बाद जब मैंने देखा कि वो पूरी तरह गर्म हो चुकी है तो अचानक से मैंने उसकी इलास्टिक वाली सलवार खींचकर निकाल दी। वो मना करने लगी, पर तब मैं उसका पैर उठाकर सलवार निकाल चुका था। मैंने देर न करते हुए तुरन्त अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिए और चाटने लगा फिर उसने कुछ नहीं बोला और मजा लेने लगी। उसके मुँह से लगतार सिसकारियाँ निकल रही थीं। करीब आधा घन्टा चूत चाटने के बाद मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और फिर चाटने लगा। थोड़ी देर बाद उठकर मैंने कन्डोम पहना। मेरे एक दोस्त ने शर्त लगाई थी कि मैं मेडिकल से कन्डोम खरीद कर लाऊँ। मैंने शर्त मानकर उसे खरीद लिया आज वही मेरे काम आ गया। मैंने देखा कि उसकी सील टूटी हुई थी। भाई ! M.com की हुई थी, चुदी तो होगी। मैंने इन बातों पर ध्यान ना देकर उसके दोनों पैर 120 डिग्री पर उठा दिए। दोनों पैरों के बीच उसकी गुलाबी चूत बहुत अच्छी लग रही थी, झांटें भी झांट सी ही थीं। रेशमी मुलायम बाल उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रहे थे। मैं एक बार फिर से उसकी चूत चाटने लगा। वो ‘आह… आह…’ करने लगी और बोली- रोहित.. प्लीज जल्दी करो। मैंने कहा- क्यों जल्दी क्या है? मेरा लन्ड नहीं चूसोगी क्या? तो उसने मना कर दिया, कहा- मुझे ये पसन्द नहीं है। मैंने भी जबरदस्ती नहीं की और अपना 5∙893″ (वर्नियर कैलिपर्स से नापा हुआ) का लन्ड उसकी चूत में डाल दिया। उसके मुँह से एक प्यारी सी ‘आह’ निकल गई। मैं लन्ड अन्दर-बाहर करने लगा। उसे भी मजा आने लगा। लगभग 2 मिनट के बाद मैं झड़ गया और मैं उठ गया। उसने अपने पूरे कपड़े नहीं उतारे थे तो मैंने उसे उठाकर उसका कमीज निकाला। अब वो केवल ब्रा में थी, बहुत मस्त लग रही थी। मैं तो झड़ चुका था, तो मैंने कुछ ज्यादा कुछ ना करते हुए उसकी ब्रा खोल दी और उसके स्तन चूसने लगा। मैं और वो एक बार फिर गर्म हो चुके थे। मैंने अपना कन्डोम बदला और उसे मेज पर लिटा दिया। उसकी चूत का मुँह मेरे सामने था। मैं एक बार फिर उसे चाटने लगा फिर उसके पैर उठाकर मैंने लन्ड डाल कर चोदने लगा, दोनों हाथों से मैं उसके स्तन भी दबा रहा था। वो मजे से सिसकारियाँ ले रही थी। 10 मिनट चोदने के बाद हम दोनों झड़ गए। फिर वो अपने कपड़े पहनने लगी। मैं उसे चूम रहा था। कपड़े पहनकर वो चली गई। उसके साथ मैं इतना ही कर पाया। कुछ दिन बाद उसने मुझे बताया कि उसकी शादी तय हो गई है। मैंने सोचा मजाक कर रही है, पर 3 दिन बाद उसकी सगाई मेरी आँखों के सामने हुई। मुझे बहुत बुरा लगा। शायद मैं उसे दिल से चाहने लगा था। इसी गम में मैं कई दिन कॉलेज नहीं गया। वो भी अब घर से नहीं निकलती थी। उसने अपना फोन भी बन्द कर दिया था। कुछ दिन बाद उसकी शादी भी हो गई। उसने अपनी शादी में मुझे आमन्त्रित किया था। मैं उसकी शादी में गया भी था। मुझे याद है वो बार–बार मुझे ही देख रही थी। मैं थोड़ी देर में ही वहाँ से चला आया। आज उसकी शादी को पूरे एक साल हो गया। इस एक साल में ना उससे बात हुई, ना उसका कोई फोन आया, पर मुझे उसकी बहुत याद आती है, चोदने के लिये नहीं, गलत मत समझना, पर शायद मैं उससे सच्चा प्यार करने लगा था। उसके साथ बिताए पलों को याद करके रोना आ जाता है। मुझे उसकी एक बात हमेशा रुलाती है, “रोहित जब हमारी शादी हो जाएगी, तो तुम मेरे लिए क्या-क्या करोगे।” आपको कहानी कैसी लगी जरूर बताना। फ़ेसबुक पर मुझसे दोस्ती जरूर करें, मुझे दोस्त बनाना पसन्द है।
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