This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
प्रेषिका : आशा
मेरा नाम आशा है और आज मैं आपको अपनी दास्तान सुनाने जा रही हूँ। मेरी पहली कहानी अन्तर्वासना के नियमानुकूल ना होनेर के कारण प्रकाशित नहीं हो पाई थी पर मेरी इस कहानी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसमें क्या था।
मेरे बेटे राहुल के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिले के बाद, राहुल बंबई चला गया हॉस्टल में, मैं घर पर अकेली रह गई। मेरी चूत को तो चुदवाने का चस्का लग चुका था, लेकिन राहुल अब पढ़ाई में व्यस्त हो चुका था और छुट्टियों में भी घर नहीं आता था।
उसने मुझे फ़ोन बताया था कि उसकी कॉलेज में कोई नई गर्ल-फ्रेंड भी बन गई थी। मेरी चूत तड़प रही थी, मेरी भूखी चूत को 5 महीने से कोई लंड नहीं नसीब हुआ था। जब भी मैं घर के बाहर निकलती तो जवान लड़कों को देख कर मेरी चुदने की चाहत और बढ़ जाती।
तभी एक दिन, जो मेरा पड़ोस का घर खाली पड़ा था, उसमें एक शर्मा जी अपने परिवार के साथ रहने आए। उनके 2 लड़के थे, बड़ा लड़का साइंस कॉलेज में सेकेण्ड-ईयर में था और छोटा वाला बारहवीं कक्षा में पढ़ता था।
मेरा उनके परिवार से परिचय हो गया और उनकी माँ जिनका नाम रेणुका था, उसके साथ अच्छी दोस्ती भी हो गई। रेणुका के पति शर्मा जी थोड़े शर्मीले थे और वो मुझसे बहुत कम ही बोला करते थे।
क्योंकि मैं अकेली रहती थी और विधवा थी, तो रेणुका को लगता था कि मुझे कभी भी कुछ मदद की ज़रूरत पड़ सकती है, तो वो जब भी बाज़ार जाती तो मुझे से पूछ लेती कि मुझे बाज़ार से कुछ मंगाना तो नहीं। उसको शायद मेरे अकेलेपन पर तरस आता था, पर उसको यह खबर भी नहीं थी कि मेरी नजरें उसके दोनों बेटों पर लगी हुई थीं और मेरी प्यासी चूत उनसे चुदवाने को बेकरार हो रही थी।
मेरे दिमाग ने उसके दोनों बेटों को आकर्षित करने के तरीके सोचने शुरू कर दिए। मैं सज-धज कर तैयार होने लगी, जैसे राहुल के लिए तैयार होती थी, यह सोच कर कि कल किसी बहाने से रेणुका के घर जाऊँगी और मौका मिला तो बड़े लड़के, जिसका नाम संपत था, उसको आकर्षित करने की कोशिश करूँगी।
मैंने अपना बदन बिल्कुल चिकना कर लिया और अपने बालों को भी सैट करवा लिया। अपने हाथ और पाँव के नख भी लाल रंग की नेल-पॉलिश से और सुन्दर बना लिए।
किस्मत ने भी मेरा साथ दिया और एक दिन रविवार की सुबह रेणुका का छोटा बेटा संजय मेरे घर आया और उसने बोला- आंटी आपके पास कोई बड़ा स्क्रू-ड्राईवर है क्या? पापा कुछ काम कर रहे हैं घर में, तो उनको चाहिए।
मैंने नीले रंग की पतली नाइटी पहनी हुई थी। अन्दर ब्रा और चड्डी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं पहना था।
मैंने सोचा, चलो पहले छोटे वाले को ही आकर्षित करने की कोशिश की जाए, यह कम उम्र का है और इसकी उमर के लड़कों को आकर्षित करना आसान होगा।
मैंने बोला- हाँ संजय, अन्दर आ जाओ बेटा, मेरा बेटा राहुल औजार ऊपर के कमरे की अलमारी में रखता था। थोड़ा ढूँढना पड़ेगा पर मैंने बड़ा स्क्रू-ड्राईवर देखा है। वो पक्का अलमारी में है। चल आ, थोड़ी मदद कर मैं निकाल कर तुझे देती हूँ।
मैं संजय को अपने बेडरूम में ले गई और स्टूल पर चढ़ कर बोली- संजय ज़रा स्टूल तो पकड़.. मैं ऊपर ढूँढती हूँ।
फिर मैंने जानबूझ कर थोड़ा संतुलन खोने का ड्रामा किया और बोली- अरे संजय तू नीचे बैठ कर स्टूल पकड़, नहीं तो मैं गिर पड़ूँगी।
मैं जानती थी कि मेरी बड़ी घेर वाले पतली, नीले रंग की नाइटी मेरी मांसल जाँघों और शायद मेरी चूत का पूरा दर्शन संजय को कराएगी, मुझे देखना था कि उसकी प्रतिक्रिया क्या होती है !
संजय नीचे बैठ कर स्टूल पकड़े हुए था और मैं स्टूल पर कुछ ऐसे खड़ी हुई कि उसकी आँखें मेरे नाइटी के अन्दर मेरी जाँघों और चूत का अच्छे से जायज़ा ले सकें। मैं स्क्रू-ड्राईवर निकाल कर जब स्टूल से नीचे उतरी, तो मैंने उसकी आँखों में वासना के डोरे भाँप लिए, उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं और मैंने देखा उसका लंड उसके शॉर्ट्स के ऊपर तम्बू बना चुका था।
उसकी हालत देख कर मुझे हंसी आ रही थी, उसको देख कर तो ऐसा लग रहा था कि उसने चूत नहीं बल्कि भूत देख लिया हो।
मैं मुस्कुराई और बोली- यह ले स्क्रू-ड्राईवर, अपने पापा को देकर आधे घंटे में ज़रा वापस आएगा क्या? अपनी माँ को बोलना आशा आंटी को थोड़ा कुछ सामान घर में इधर-उधर करना है और उनको तेरी मदद चाहिए। बोल आएगा क्या?”
वो मेरी पतली नाइटी के ऊपर से मेरे बड़े-बड़े मोटे मम्मों को घूरे जा रहा था और उसको तो जैसे होश ही नहीं था कि मैं क्या बोल रही हूँ।
मैंने उसके कंधों को पकड़ कर उसको झकझोरा- संजय क्या हुआ तुझे? यह ले स्क्रू-ड्राईवर, क्या तू वापस आ सकता है आधे घंटे में?
वो सकपका कर बोला- हाँ आंटी, मैं आता हूँ वापस।
उसने मेरे हाथ से स्क्रू-ड्राईवर लिया और अपने खड़े हुए लंड के उभार को अपने हाथ से छुपाता हुआ, दौड़ता हुआ अपने घर की तरफ चला गया। मेरी तो हंसी छूट पड़ी, उसकी हालत देख कर। लेकिन मैं समझ गई, आज इसका लंड तो मैं पक्का अपनी चूत में लूंगी।
संजय के जाने के बाद मैंने अपनी वो लाल रंग शॉर्ट् नाइटी निकाली, जो मेरी जाँघों से भी ऊपर तक आती थी और अन्दर ब्रा, चड्डी कुछ भी नहीं पहनी। फिर मैंने खूब सारा मेकअप लगाया, गाढ़ी लाल रंग की लिपस्टिक, पैरों में सुनहरी पायल, हाई-हील की सैंडल और तैयार हो कर संजय के वापस आने का इंतज़ार करने लगी।
मैं जानती थी, मुझे थोड़ा संयम से धीरे-धीरे उसको मुझे चोदने के लिए उकसाना है। संजय की उम्र अभी कम थी और जल्दबाजी में सारा मज़ा किरकिरा हो सकता था। मुझे 5 महीने बाद हाथ आया मौका ऐसे ही नहीं गंवाना था। मैं दरवाज़ा खुला छोड़ कर अपने बिस्तर पर लेट गई और संजय का इंतज़ार करने लगी।
आधे घंटे बाद मुझे दरवाज़े से संजय की आवाज़ आई, तो मैंने कमरे में लेटे-लेटे ही बोला- संजय बेटा, अन्दर आ जाओ, दरवाज़ा खुला है, अन्दर आने के बाद दरवाज़े में कड़ी लगा देना। मैं बेडरूम में हूँ।
संजय दरवाज़ा बंद कर के अन्दर आया तो मुझे बिस्तर पर ऐसी नाईटी जो मेरे जाँघों को पूरा दिखा रही थी, देख कर दंग रह गया। मैंने सैंडल भी नहीं उतारी थी और बिस्तर पर ऐसे ही लेटी हुई थी। मैं जानती थी कि अगर संजय से आज जम के चुदाई करवानी है तो कुछ और जुगाड़ करना पड़ेगा, क्योंकि इसने पहले कभी तो चोदा होगा नहीं और इसका लंड जल्दी झड़ जाएगा।
मैंने राहुल के दराज़ से एक दवा कंपनी की दवाई जिसका काम उत्तेजना बढ़ाना था, वो निकाल ली थी। राहुल को जब मुझे बहुत देर तक चोदने का मन करता था तो वो यह गोली खा लेता था, इस गोली को खाने के बाद उसका लंड खड़ा ही रहता था और वो मुझे 5 से 6 बार लगातार चोदता था। राहुल ने मुझे बताया था कि यह दवाई बहुत अच्छी है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। यह दवाई जवान लड़के भी खाते हैं और बड़ी आसानी से बिना किसी डाक्टर के पर्चे के हर मेडिकल स्टोर पर मिल जाती है, और यह वियाग्रा के जैसी भी नहीं है। यह गोली लाल रंग की थी जो बिल्कुल विटामिन की दवाई जैसी लगती थी।
मैंने संजय को बोला- यहाँ आओ बेटा, बैठो मेरे पास।
वो धीरे-धीरे चलता हुआ आकर मेरे बिस्तर पर बैठ गया।
मैंने उसको पूछा- तुम्हारा भाई संपत तो बड़ा तंदुरुस्त लगता है, तुम इतने दुबले-पतले क्यों हो?
वो बोला- पता नहीं आंटी, खाना-पीना तो ठीक ही खाता हूँ।
मैंने बोला- अरे पगले खाने-पीने से कुछ नहीं होता, तू विटामिन की दवाई खाता है क्या?
वो बोला- नहीं आंटी, विटामिन तो नहीं खाता।
मैं तो मौका ढूंढ ही रही थी कि उसको वो उत्तेजना बढ़ाने वाली गोली खिलाऊँ।
मैंने बोला- मेरे पास एक बहुत बढ़िया दवाई है, तू खा कर देख, रोज़ एक गोली दूंगी। हफ्ते भर में तो तेरा बदन बिल्कुल सलमान खान के जैसा हो जाएगा।
वो खुश होता हुआ बोला- सच आंटी?
मैंने बोला- हाँ !
और उसको दवाई और गिलास से पानी दिया। उसने झट से दवाई खा ली। मैंने उसको हल्की असर वाली दवाई दी थी, सिर्फ 50 मिलीग्राम की, मेरा बेटा राहुल तो 100 मिलीग्राम की खाता था।
दवाई का असर होने में आधा घंटा लगता था तो मैंने सोचा अब धीरे-धीरे इसको उत्तेजित करती हूँ, आधे घंटे बाद तो यह खुद ही नहीं रोक पाएगा और जम कर चोदेगा मुझे।
संजय ने दवाई खाने के बाद मुझ से पूछा- तो बताओ आंटी क्या काम था आपको?
मैंने बोला- अरे संजय काम कुछ नहीं, आज मेरे पाँव में बहुत दर्द हो रहा था, मेरा बेटा राहुल था मेरे पास तो दबा देता था, तू थोड़ा मालिश कर देगा क्या मेरे पाँव में?
मैंने उसकी आँखों में देखा, दवाई का असर शुरू होने लगा था, उसकी आँखों में वासना की हल्की सी लालिमा दिखने लगी थी।
राहुल ने बताया था मुझे कि दवाई खाने के बाद हल्का सा रक्तचाप बढ़ जाता है और आँखों में लालिमा आ जाती है।
संजय ने बोला- हाँ आंटी, मैं दबा कर मालिश कर देता हूँ।
मैंने पूछा- तो सैंडल उतारूँ या पहने रहूँ?
मैं मुस्कुराई, मैं देखना चाहती थी कि उसको क्या अच्छा लगता है।
संजय बोला- नहीं आंटी अभी पहने रहो, बाद में जब पंजों पर मालिश करूँगा तो मैं खुद ही निकाल दूँगा।
संजय बोला- आपके पाँव बहुत सुन्दर हैं आंटी और यह सैंडल बहुत ही खूबसूरत हैं।
मैं सोचने लगी, यह जवान लड़कों की भी पसंद काफी मिलती-जुलती है, मेरे बेटे को जो पसंद था, लगता है संजय को भी वो ही पसंद है।
मैंने बोला- तो संजय, तू बिस्तर पर बैठ जा ठीक से और मेरे पाँव दबा दे और मेरे पाँव पर यह क्रीम भी लगा दे।
संजय बोला- आंटी, यह कौन सी क्रीम है, दर्द की तो नहीं लगती, इसमें से तो बड़ी अच्छी खुशबू आ रही है।
मैंने बोला- हाँ, यह बस मेरी त्वचा को चिकना और खुश्बूदार बनाने की क्रीम है।
संजय अपनी टाँग फैला कर बिस्तर पर बैठ गया और मैंने अपनी सैंडल को उसके शॉर्ट्स के नज़दीक रख दिया और अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला लीं। संजय धीरे-धीरे मेरे घुटनों के नीचे क्रीम लगा कर मालिश करने लगा। मैं अपने सैंडल के आगे वाले भाग से अपने पंजों के लम्बे नाखूनों से, जो कि लाल रंग की नेल पालिश से चमक रहे थे, उनसे धीरे-धीरे उसके शॉर्ट्स पर खुरचन देकर उसके लंड का कड़ापन महसूस करने की कोशिश करने लगी।
मुझे इंतज़ार करना था तब तक, जब तक की उसका लंड बिल्कुल लोहे के सरिये के जैसा कड़ा ना हो जाए।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000