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प्रेषक : राकेश कुमार
सीमा मेरे सामने अपने कपड़े उतारने लगी। मानो जन्नत नजर आ रही थी और मुझे उसको छूने के लिए भी इजाजत लेनी थी। सीमा ने एक मिनट में अपने कपड़े उतार दिए और मुझे इशारा करके मेरे कपड़े निकलने को कहा। मैंने झटके से कपड़े उतारे और मेरा 8 इंच वाला हथियार देख कर सीमा की आँखें फटी की फटी रह गईं।
सीमा ने मुझे पास बुलाकर उससे पीछे से चिपक कर खड़ा होने के लिए कहा। मैंने वैसे ही किया। वो शावर में नग्न खड़ी थी और मैं भी, हम दोनों के शरीर से पानी बह रहा था और मुझे उसके चूत में लौड़ा घुसाने की जल्दी थी। सो मैंने लंड हाथ में पकड़ कर सीमा के नितम्बों के बीच में घुसाने की कोशिश की।
सीमा- अरे वाह राकेश… मैंने तुम्हें कहा भी नहीं और तुम अपनी मर्ज़ी से चालू हो गए। मैंने तुम्हें पहले ही कहा था न कि औरत कि चाहत जाने बगैर कुछ नहीं किया जा सकता। मैं सेक्स की भूखी नहीं हूँ।
सीमा आगे बोलती जा रही थी- मुझे सेक्स की भूख नहीं है, मुझे एक ऐसा साथी चाहिए जो मेरी काम-क्रीड़ा में साथ दे सिर्फ लंड-चूत के खेल का मतलब काम-क्रीड़ा नहीं होती और औरतों को सेक्स से ज्यादा काम-क्रीड़ा में आनन्द आता है। सो मैं जैसा कहूँ, जैसा ही करना, वरना मैं क्या चीज़ हूँ तुम अभी तक नहीं जानते। मैं तुमसे सेक्स तो जरूर करुँगी, क्यूंकि तुम्हारा हथियार काफी बड़ा और मोटा है।
इतना कहते ही उसने मेरा हथियार अपने हाथों में लिया और जोर से मरोड़ा, मुझे दर्द हुआ तो मैं पीछे हठ गया।
सीमा ने कहा- क्यूँ जब तुम्हें दर्द हुआ तो पीछे हठ गए और औरत का क्या? मर्द उसको जैसे मर्ज़ी वैसे मरोड़ता है। अगर औरत का मन हो, सो हाथ नहीं लगाता। करीब 6 सालों से मुझे रमन ने हाथ नहीं लगाया और मैंने भी किसी के साथ कुछ नहीं किया। उनकी तो 13 सेक्रेटरी हैं, जिनसे वो सेक्स करते हैं। तुम मेरी बात ध्यान से सुन लो, कि अब तुम मेरी मर्ज़ी के अलावा मुझसे कोई गलत हरकत नहीं करोगे !
मैंने सीमा से हामी भर दी।
सीमा ने मुझे फव्वारे से गिरते पानी के साथ चूत चाटने के लिए बोल दिया और मैंने भी वैसे ही किया। अब मैं सीमा की चूत चाट रहा था और वो एक पैर कमोड पर रख कर खड़ी थी।
उसका बदन जैसे- ‘सनी लियोने’ का हो ! इतनी गोरी और स्लिम, गुलाबी चूत और मम्मे जैसे अभी कच्चे आम हों। अब मैं बहुत जोश में था और शायद तीस मिनट तक चूत चाटने का नतीजा था कि उसने मुझे हॉल में लेकर जाने को कहा और मैं भी उसको लेकर हॉल में गया। जैसे ही मैं हॉल में सोफे पर उसको लेटाया, उसने मुझे अपने शरीर पर खींच लिया और मुझे चुम्बन करने लगी।
‘लब पे लब’ चुम्बन मैंने कभी किसी के साथ नहीं किया था। मेरे खड़े लंड पर मानो बिजली गिरी हो, वो और अकड़ गया और चमड़ी खिंचने लगी। उसने मेरे सीने को चूमा, पेट पर चूमा, पीठ पे हाथ फेरने लगी और पीठ और मेरे कूल्हों के बीच एक ऐसी जगह पर दबाया कि मेरा लण्ड मानो दस इंच का हो गया हो, इतना तन गया।
लण्ड का आकार जो नेचुरल होता है उतना ही रहता है पर चमड़ी कस जाती है, इसलिए वो और भी बड़ा हो जाता है।
मुझे लग रहा था मानो सीमा की कोई सीमा नहीं थी। वो बहुत ही मंजी हुई खिलाड़ी थी और इस तरह के सेक्स में, मैं नया था। हालांकि मैं पहले 4 रंडियों को चोद चुका था पर यह कुछ नया ही था। अब उसने मुझे मम्मों को चूसने को कहा और वो मेरे ऊपर आ गई।
उसके मम्मे बिल्कुल भी लटक नहीं रहे थे, बहुत ही कड़क थे और सुडौल थे। मैं उनको चूमता जा रहा था और वो मुझे सर पर कानों पे चुम्बन कर रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
आज मैं उसके लिए एक तजुर्बा करने का साधन मात्र था, सो वो अपने हिसाब से मुझसे काम-क्रीड़ा करवा रही थी। (सेक्स नहीं) मेरे साथ अब तक जो हुआ मैं उसकी कल्पना कभी कर नहीं सकता था। उसने अपनी चूत को मेरे लंड से घिसना शुरू कर दिया और मेरे लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी।
मैंने यह देखा तो ताव में आकर उसको सोफे पर पटक दिया और उसके ऊपर सवार हो गया। मैं उसकी चूत में लण्ड डालने लगा, पर फिसल रहा था। उसकी चूत काफी कसी हुई थी।
चार से पांच बार कोशिश करने के बाद भी जब अंदर नहीं गया, तो उसने हाथ से सही निशाने पर लगाया और कहा- राकेश बिल्कुल आराम से ! कोई जल्दी नहीं है ! तुम्हारे पास और तीन दिन बाकी हैं।
मैं धीरे-धीरे उसके चूत में लण्ड घुसाने लगा, सीमा मुझे अपनी तरफ खींच रही थी और पीठ पर नाख़ून चुभो रही थी। करीब दस-बारह धक्कों के बाद आधा लंड उसके चूत में चला गया।
उसने कहा- राकेश जुल्म मत करना ! मैं और मेरी चूत तुम्हारी है, यह सोच कर करना।
मैंने और कुछ धक्के लगाए। कसी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा भी निकल गया।
वो चिल्लाई- अबे अंदर डाल दिया ! राकेश कुछ हुआ तो !
मैंने कहा- मैडम मेरे पास दवाई है, कुछ नहीं होगा।
सीमा- जाने दो रह गया तो रह गया मैं अब नहीं डरती चलो उठो।
मैं उठा और बगल में लेट गया। वो जैसे उठी मुझे वीर्य के साथ साथ थोड़ा खून दिखाई दिया और जब मैंने लण्ड पर देखा तो उस पर भी खून लगा था।
जब सीमा वापस आई मैंने पूछा- खून कैसे?
सीमा बोल पड़ी- छः साल से अगर उंगली भी चूत में नहीं गई हो, तो क्या होगा? थोड़ी तो तकलीफ होगी और जो कसाव है उसको ढीला होने में समय भी लगेगा। ऊपर से तुम्हारा ये मूसल जैसा लण्ड !
मैंने भी बाथरूम जाकर अपने आपको साफ किया और जाकर सीमा के बगल में बैठ गया।
सीमा ने मेरा लण्ड हाथ में लिया और कहा- राकेश तुझमें दम तो है पर स्टैमिना नहीं है।
मैंने कहा- मैडम, यह पहली बार था और इसके पहले रंडी बाज़ार में किया था, पर वहाँ तो पांच मिनट का टाइम मिलता है और उस 5 मिनट में क्या होगा? जबर्दस्ती पानी निकलना पड़ता है।
सीमा बोली- चलो, अगर अगला राउंड अच्छा किया तो तुम जब चाहो तब मेरी मुनिया के साथ खेल सकते हो।
इतना कहते ही मेरा लण्ड दोबारा खड़ा हो गया और मैं सीधा उसको उठा कर बेड पर ले आया। उसको नीचे लेटाकर ऊपर सवार हो गया फिर उसकी बुर पर अपनी थूक लगाया, उसको थोड़ा चिकना किया और उसको सहलाने लगा। फिर मैंने सोचा कि चोदने से अच्छा है, मालिश से ही इसका पानी निकाल दूँ, क्योंकि इसने अभी तक इसका मजा लिया नहीं था।
मैं उठ कर तेल लाया और उसके बुर को तेल से नहला दिया। उसकी बुर साफ़ चिकनी थी और तेल से और चमचमा गई थी। फिर क्या था, मेरा हाथ उसके ऊपर लगा भागने, उसकी बुर से लेकर गांड तक तेल भर दिया। उसके बुर की ऊपरी पारी को धीरे-धीरे मालिश करने लगा, उसकी पारी लाल हो गई।
उसको थोड़ी देर मसलने से ही सीमा के पसीना आ गया था, जबकि कमरे में वातनुकूलित यंत्र चल रहा था। उसको देख कर कोई भी कह सकता था कि अब कोई भी उसके अंदर लिंग डाल कर उसको ठंडा कर दे। लेकिन मेरा यह काम नहीं था। फिर मैंने उसके ऊपर की पारी को छोड़ कर उसकी दोनों तरफ की पुत्तियों को मसलना शुरू किया।
इस क्रिया ने उसको मचला दिया। वो बार-बार उठ कर बैठ जाती। उसको बहुत अच्छा लग रहा था। उसकी एक-एक फांक की आराम से मालिश की, अब उसका पानी निकाल रहा था, जो तेल में मिलकर उसको थोड़ा भारी कर रहा था। मैं आराम से उसको मसाज देने के बाद अपनी उंगली उसके अंदर प्रविष्ट कर दी, जिससे वो गनगना गई।
फिर उसके योनि के अंदर उसके ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे मालिश करने लगा। उसकी इस वजह से उतेज्ना चरम पर आ गई। वो बिल्कुल लाल हो चुकी थी पसीने से तर। उसके भगनासे की झालर को धीरे से छेड़ दिया और फिर क्या था, सीमा उठ कर बस लिपट गई और मेरे लिंग को जबरन अपने योनि में डाल लिया।
फिर क्या था! लगा पूरी रफ़्तार से गाड़ी चलाने और थोड़ी देर में मेरा वीर्य उसके योनि में भर गया।
वो निढाल पड़ी थी, पसीने से तर और उसको कुछ सूझ नहीं रहा था। मैं भी थक कर उसके ऊपर पड़ा था। उसको शायद अच्छा लग रहा था, मेरा उसके ऊपर पड़ा रहना। उसकी थकान दूर हो रही थी। मैं उसके ऊपर पड़ा रहा। फिर जब लिंग खुद-ब-खुद बाहर आ गया, मैं उठा और अपने को साफ़ कर के कपड़े पहन कर बैठ गया, और सीमा वहीं आखें बंद करके पड़ी रही।
शायद सीमा सो गई थी और मैं ही उसके बाजू में लेट गया। जाने कब मुझे नीद आ गई करीब 5 बजे मुझे उसने उठाया। सिर्फ एक लम्बा टी-शर्ट पहने हुई थी और अंदर कुछ भी नहीं पहना था।
मुझे उसने चाय दी और मेरी गोद में बैठ गई और कहने लगी, “राकेश आज से मैं तुम्हारी पार्ट-टाइम बीवी हूँ तुम जब चाहे मेरी मुनिया के साथ खेल सकते हो और जब मैं बुलाऊँ तुम्हें आना पड़ेगा।
मैंने हामी भर दी। मुझे बैठे बिठाए चूत मिल गई थी और खूबसूरत पार्ट-टाइम बीवी। उसके तुरंत बाद हम दोनों माथेरान गए। हमने दो दिन साथ बिताए और आज भी वो मेरी पार्ट-टाइम बीवी है।
जब कि मैं आज तक कई औरतों को चोद चुका हूँ वो मुझसे बिना एतराज के चोदन करवाती है और हाँ थोड़ी मोटी हो चुकी है आज की ऐश की तरह एक बेटी भी है और वो मेरी ही है। उसके पति को पता नहीं है कि हम दोनों में क्या है।
यह थी मेरी जिगोलो बनने की शुरुआत, उसके बाद उसने मुझे कई लोगों से मिलवाया और कुछ कुंवारी लड़कियों से सेटिंग भी करवाई। आज जब मैं यह कहानी लिख रहा हूँ, वो मेरे साथ मेरी गोद में बैठी है और थोड़ा नाराज़ है, पर खुश तो है ही, क्यूंकि हमारी कहानी मैं आपके सामने रख रहा हूँ।
औरतों की मज़बूरी समझो और उनकी चाहत क्या है ये जानो, बाद में काम-क्रीड़ा करो (ना कि सेक्स) ये मुझे उसने सिखाया है।
मैं अगली कहानी में आपको मेरी और एक नए शादी-शुदा जोड़े नेहा और करन की कहानी बताऊँगा जिनको मैंने सेक्स करना सिखाया और उनके पैसों की समस्या भी निपटा दी। जब नेहा रंडी बन कर 21 से चुदी, मैं वो कहानी फिर कभी सुनाऊँगा।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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