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मैं- सोनू, क्यों ना एक बार सुहाना की गाण्ड को फ़िर से छूआ जाए, जब वो सो रही हो?
सोनू ने मेरी तरफ़ देखा, उसके चेहरे पर थोड़ा डर और थोड़ी उत्सुकता दोनों साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थी।
वो बोला- उसको पता चल गया तो?
मैं- थोड़ा सा छूने से कुछ पता नहीं चलता, और तुझे तो पता ही है कि वो कितने मजे से सोती है। उसको उठाने के लिए कितना चिल्लाना पड़ता है, तब जाकर वो उठती है।
सोनू- हाँ यार, यह बात तो सही है। पर डर लग रहा है यार ऐसा करने में।
मैं- तू डर मत यार, कुछ नहीं होगा। तू बस एक बार उसकी गाण्ड पर हाथ रख दे, फ़िर तू ये सब बातें भूल जाएगा।
अब तो बस सुहाना के आने की देरी थी।
फ़िर हम टीवी देखने लगे और करीब आधे घण्टे बाद सुहाना सब्ज़ियाँ लेकर वापिस आई। फ़िर मैं बाहर गया और दुकान से थोड़ी मूवीज़ की डीवीडी लेकर आया।
रात को 8 बजे हम सबने खाना खा लिया और टीवी देखने लगे।
सुहाना घर का सारा काम करती थी और आज तो वो बहुत थक गई होगी, इसलिए मैंने उससे कहा- क्या बात है सुहाना, आज बहुत थकी हुई लग रही हो? एक काम करो, तुम पहले यह सारा काम फ़टाफ़ट पूरा कर लो, फ़िर कुनकुने पानी से नहा लो। तुम्हें थोड़ा अच्छा मेहसूस होगा। फ़िर हम सब साथ बैठ कर टीवी देखेंगे।
सुहाना ने मेरी बात मानी और वो नहाने चली गई।
वो नहाकर आ गई तो मैंने उसे कहा- तुम सोफ़े पर लेट कर आराम से देखो !
और मैं और सोनू सोफ़े के थोड़े आगे बैठ कर देखने लगे।
मूवी में कहानी बहुत ही धीरे चल रही थी और सुहाना अभी अभी नहा कर आई थी इसलिए उसे नींद भी आ रही थी और वो सोने लगी।
फ़िर करीब एक घण्टे बाद मैं थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोला- सुहाना, मूवी कैसी लग रही है?
सोनू मेरी तरफ़ देखा और फ़िर सुहाना की तरफ़, सुहाना मस्त सी हो रही थी और वो कुछ नहीं बोली।
फ़िर मैंने एक-दो बार फ़िर उससे पूछा, हर बार आवाज़ बढ़ा कर, पर वो कुछ ना बोली।
मैं समझ गया कि गर्म पानी से नहाने की वजह से वो एकदम बिंदास होकर सो गई है।
फ़िर मैं सुहाना की तरफ़ पूरा मुड़ा और उसे देखने लगा, सोनू भी देख रहा था मेरी बाजू से। सुहाना पेट के बल सो रही थी और उसका सिर टीवी की तरफ़ था।
उसने लूज़ टी-शर्ट पहना हुआ था जो गले की तरफ़ से थोड़ा खुला हुआ था और स्कर्ट अभी भी वही थी।
मैं उसके नज़दीक गया और सूँघने लगा उसे ऊपर से नीचे तक। सोनू आँखें बड़ी-बड़ी करके मुझे देख रहा था कि कैसे मेरा मुँह सुहाना के सिर से होते हुए उसकी चूची, उसकी मोटी गाण्ड, उसकी जाँघ और उसके पाँव तक गया।
फ़िर मैं उठा और सोनू को धीरे से बोला- अब तेरी बारी।
सोनू कुछ नहीं बोला और उसने वही सब किया जो मैंने किया था।
मेरे सामने एक बहुत ही रोमांचक नज़ारा था, एक भाई अपनी सगी बहन को ऊपर से नीचे तक सूंघ रहा है। इससे मैं और भी गर्म हो गया था।
यह सब करने के बाद सोनू सिर्फ़ देख रहा था सुहाना को, उसे पता ही नहीं था कि आगे क्या करना है।
लेकिन मुझे पता था कि क्या करना है अब, तो मैंने अपनी पैन्ट खोली और लण्ड को बाहर निकाला।
सोनू ने जब यह देखा तो वो घबरा गया, बोला- यह तू क्या कर रहा है? अगर वो उठ गई तो साफ़ दिख जाएगा।
मैं बोला- अरे तू डर मत, अगर वो उठ गई तो हम टीवी की तरफ़ मुड़ जाएँगे और इस कम्बल से अपना आधा शरीर ढक देंगे।
एक-दो कम्बल तो हमेशा बेड के एक किनारे पे ही होते हैं।
सोनू ने थोड़ी देर सोचा और मेरी तरह सुहाना की तरफ़ मुड़ कर अपना भी लण्ड हिलाने लगा।
हम दोनों के लण्ड बहुत बड़े हो गए थे और खूब तने हुए थे।
अब मैं एक हाथ से अपना लण्ड को हिला रहा था और दूसरे हाथ से सुहाना की पेन्टी को धीरे-धीरे एक तरफ़ सरकाने लगा।
मैंने उसकी स्कर्ट को हल्का सा ऊपर कर दिया जिससे उसकी गाण्ड दिख सके। फ़िर मैंने उसकी पेन्टी थोड़ी और ऊपर करके इस तरह सेट किया कि जिससे उसकी नर्म और मुलायम चूत और मोटी गाण्ड दिख सके। सोनू यह सब देख रहा था और अपने लण्ड पर थोड़ा थूक लगा कर ज़ोर-ज़ोर से मुठ मार रहा था और मैं भी जोश में आकर अपने लण्ड को ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा।
उसकी पेन्टी सफ़ेद रंग की थी जो उसकी मोटे और गोरे कूल्हों पर चिपकी हुई थी और वैसे मुझे गाण्ड का बहुत बड़ा शौक है तो मैंने अपनी नाक उसके चूतड़ोंकी दरार के बीच में घुसा दी और सूंघने लगा।
आह्ह… क्या खुशबू थी। उसकी इस मदहोश कर देने वाली खुशबू ने मुझे बस उसका दीवाना बना दिया था। मन तो कर रहा था कि अभी उसकी पेन्टी उतार कर उसकी गाण्ड को चाट लूँ। मेरी उत्तेजना और बढ़ गई और मैं अपने आप से बेकाबू होते जा रहा था।
फ़िर सोनू ने भी यही किया, अब वो पहले की तरह डर नहीं रहा था।
इस बार मैंने अपना एक हाथ सुहाना के चूतड़ों पर रख दिया और उसे सहलाने लगा। फ़िर मैं अपनी आँखें बंद करके उसकी मोटी नर्म गाण्ड का आनन्द लेने लगा।
और मैं अपने दूसरे हाथ से ज़ोर-ज़ोर से मूठ मार रहा था।
थोड़ी देर बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरी हाथ के पास किसी और का भी हाथ है। जब मैंने आँखें खोली तो देखा कि सोनू भी सुहाना की गाण्ड को छूना चाहता था।
तो मैं मुस्कुराया और सुहाना के एक कूल्हे पर एक हाथ उसका रखवाया और दूसरी गोलाई पर अपना हाथ रखा। इस तरह हम दोनों सुहाना दीदी के चूतड़ों को छूने का मज़ा भी ले रहे थे और मूठ भी मार रहे थे।
कुछ 5-7 मिनट हम ऐसे ही करते रहे और फ़िर झड़ने का समय हो गया था।
मैंने देखा कि सोनू बहुत उलझन में था कि कहाँ झड़ना है तो मैं झट से उठा और सुहाना की गाण्ड से सोनू का हाथ हटा दिया।
फ़िर मैंने अपना लण्ड सुहाना के गाण्ड के पास रखा और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा और उसकी गाण्ड के बीचोंबीच अपना मूठ निकाल कर फ़ैला दिया।
फ़िर मैंने सोनू को भी यही करने को कहा। सोनू मुझे एकटक देखता रहा पर कुछ बोला नहीं और उसने भी ऐसा ही किया।
फ़िर मैंने सुहाना के कपड़ों को ठीक किया और हम अपने आप को साफ़ करके फ़िर से टीवी देखने लगे।
फ़िर करीब एक घण्टे बाद सुहाना थोड़ी जागने लगी। मैं इसी मौके का फ़ायदा ऊठाकार सुहाना का सिर हीलाते हुए बोला- सुहाना, रात बहुत हो गई है, तुम अंदर बिस्तर पर जाकर सो जाओ।
सुहाना उठी और अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया। सोनू मेरी तरफ़ देख रहा था और उसने फ़िर एक हल्की सी मुस्कान दी। फ़िर हम भी अपने कमरे में जाकर सो गए।
कहानी जारी रहेगी।
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