माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-1

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मेरा नाम गबरू है। मेरी उम्र लगभग 45 वर्ष की है। यूँ तो मैं एक टैक्सी ड्राइवर हूँ लेकिन मैं रंडियों का दलाल भी हूँ। मैंने अपने संपर्क से कई बेरोजगार लड़कियों को जिस्म-फरोशी के धंधे में उतारा। मैंने कभी भी किसी लड़की को जबरदस्ती इस धंधे में आने को मजबूर नहीं किया।

मैंने सिर्फ उन लड़कियों को कमाने का एक जरिया दिखाया एवं सुविधाएँ दिलवाईं जिनके पास खाने के भी लाले थे। मैं भी उन लड़कियों को बारी-बारी से चोदता हूँ। मेरे लिए मेरी सभी लड़कियों का जिस्म मुफ़्त में उपलब्ध रहता है क्योंकि मैं ही उन्हें नए-नए ग्राहक लाकर देता हूँ। टैक्सी की ड्राइवरी से मुझे नए ग्राहक खोजने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है।

रागिनी इन्हीं मजबूर लड़कियों में एक थी। जिसकी उम्र सिर्फ 19 साल की है और जो अब पेशेवर रंडी बन चुकी थी। वो कुछ समय पहले इस धंधे में मेरे द्वारा ही लाई गई थी। हालांकि वो मुझे अंकल कहती है लेकिन मैं भी उसके जिस्म का भोग उठाता हूँ। मुझे उसे चोदने में काफी आनन्द आता था।

अचानक एक दिन उसके गाँव से उसकी मौसी का फ़ोन आया कि रागिनी के मौसा का देहांत हो गया है और वो लोग काफी मुश्किल में हैं। वो भी अपनी बेटी को रागिनी के साथ उसके धंधे में देना चाहती है ताकि घर का खर्च चल सके।

रागिनी ने मुझे सारी बातें बताईं। रागिनी ने अपने धंधे के बारे में अपनी मौसी को काफी पहले ही बता दिया था, जब कुछ समय पहले उसकी मौसी अपने पति का इलाज करवाने रागिनी के यहाँ आई थी।

रागिनी ने अपनी मौसी की समस्या के बारे में मुझे बताया और कहा कि मौसी भी अपनी बेटी को रंडीबाजी के धंधे में उतारना चाहती है। मैं झट से उसे अपने गाँव जाकर उस लड़की को लेकर आने कहा।

रागिनी ने कहा- गबरू अंकल, आप भी चलिए ना मेरे साथ। मेरा गाँव पहाड़ों एकदम मस्त जगह पर है। अगर आप मेरे साथ चलेंगे तो हम दोनों का हनीमून भी हो जाएगा।

मैंने कहा- हाँ.. हाँ क्यों नहीं।

और हम दोनों ने उसी शाम रागिनी के अल्मोड़ा के लिए बस पकड़ ली। अगली सुबह करीब 9 बजे हम दोनों अल्मोड़ा पहुँच गए। वहीं बस-स्टौप पर ही फ़्रेश हो कर हम दोनों ने वहीं नाश्ता किया और अब करीब दो घन्टे हमारे पास थे क्योंकि उसके गाँव जाने वाली बस करीब 1 बजे चलती थी। हम दोनों पास के एक बाग में चले गए।

रागिनी ने अपनी सब आपबीती बताई। उसकी मौसी बहुत गरीब हैं, और मौसा मजदूरी करते थे। उनकी मौत के बाद परिवार दाने-दाने का मोहताज है। रागिनी कभी-कभार पैसा मनी-आर्डर कर देती थी। अब मौसी ने उसको अपनी मदद और सलाह के लिए बुलाया था।

मौसी की तीन बेटियाँ थीं। मौसी गाँव के चौधरी के घर काम करती थी तो रोटी का जुगाड़ हो जाता था। चौधरी उसकी मौसी को कभी-कभार साथ में सुलाता भी था। उसके मौसा भी उसके खेत में ही काम करते थे। यह सब बहुत दिन से चल रहा था।

मौसा के मरने के बाद चौधरी अब उसकी मौसी के घर पर भी आकर रात गुजारने लगा था। चौधरी के अलावा उसका मुंशी भी उसकी मौसी के यहाँ रात गुजारने आ जाता था और उसके जिस्म का मज़ा लेता था।

अब चौधरी रागिनी की मौसी पर दवाब बना रहा था कि वो बड़ी बेटी रीना को उसके साथ सुलावे, तभी वो उनको काम पर रखेगा। मौसी नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी उसी से चुदे जिसने उसकी माँ को भी चोदा हो और कोई फायदा भी ना हो।

सो वो रागिनी को बुला रही थी कि वो उसको साथ ले जाकर पूरी तरह से रंडी के काम पर लगा दे जिससे कमाई होने लगे।

मैंने अब पहली बार रागिनी से उसके घर के बारे में पूछा तो वो बोली- अब तो सिर्फ़ मौसी ही हैं। छः महीने हुए माँ कैंसर से मर गई। मेरे बाप ने मुझे और उनको पहले ही निकाल दिया था क्योंकि माँ की बीमारी लाइलाज थी और उसमें वो पैसा नहीं खर्च करना चाहते थे। मेरे रिश्तेदारों ने भी हम दोनों से कोई खास संपर्क नहीं रखा और मेरी माँ भी यहीं अल्मोड़ा में ही मरी।

आज पहली बार रागिनी के बारे में जान कर मुझे सच में दु:ख हुआ। मेरे चेहरे से रागिनी को भी मेरे दु:ख का आभास हुआ सो वो मूड बदलने के लिए बोली- अब छोड़िए भी यह सब अंकल, और बताईए, मेरे साथ हनीमून आज कैसे मनाईएगा?

मैंने भी अपना मूड बदला- अब हनीमून तो मुझे एक ही तरह से मनाना आता है, लन्ड को बुर में पेल कर हिला-हिला कर लड़की चोद दी, हो गया अपना हनीमून।

रागिनी बोली- अंकल, आप एक बार मेरी मौसी को चोद कर उनको कुछ पैसे दे दीजिए न। चौधरी तो फ़्री में उनको चोदता रहा है।

मैं आश्चर्य से उसको देखा- तुम्हें पता है कि तुम क्या कह रही हो? जवान रीना को क्यों न चोदूँ जो उसकी बुढ़िया माँ को चोदूँ?

रागिनी हँसी- पक्के हरामी हैं आप अंकल सच में…! अरे रीना तो साथ में चल रही है। मौसी वैसी नहीं है जैसी आप सोच रहे हैं। 35 साल से भी कम उम्र होगी। 16 साल की उम्र में तो वो माँ बन गई थी। खूब छरहरे बदन की है, आपको पसन्द आएगी। मैंने उनको समझा दिया है कि मैं अपने अंकल को बुला रही हूँ, अगर खूब अच्छे से उनकी खातिर हुई तो वो रीना को जल्दी नौकरी लगवा देंगे।

मैंने भी सोचा कि क्या हर्ज है, आराम से यहाँ माँ चोद लेता हूँ, फ़िर लौट कर बेटी की सील तोड़ूँगा। और फ़िर इसकी माँ को चोदने का एक और फ़ायदा था कि यहाँ एक के बाद एक करके तीन सीलबन्द बुरें भी, अगर भगवान ने मदद की तो मुझे खुलने को मिल जाने वाली थीं। मैंने भी सोच लिया कि इस मौसी को तो ऐसे चोदना है कि वो आज तक की सारी चुदाई भूल कर बस मेरी चुदाई ही याद रखे।

दिन में एक बार और हल्का सा नाश्ता लेकर हम दोनों बस में बैठ कर गाँव की तरफ़ चल दिए। करीब 6.30 बजे हम जब रागिनी के मौसी के घर पहुँचे तो पहाड़ों में रात उतरने लगी थी। हल्के अंधेरे और लालटेन की रोशनी में हमारा परिचय हुआ।

रागिनी ने मुझे अपनी मौसी बिन्दा और उनकी तीनों बेटियों रीना, रूबी और रीता से मिलाया। वो दो कमरे का छोटा सा घर था। मेरे लिए चिकन बना था। कुछ देर इधर-उधर की बातों के बाद हमने खाना खाया।

रागिनी ने मौसी से कहा, “आज मैं अंकल के साथ ही सो जाती हूँ, तुम लोग दूसरे कमरे में सो जाना।”

सबसे छोटी बेटी रीता ने कहा, “हम आपके पैर दबा दें अंकल?”

मौसी बोली- नहीं बेटी, दीदी है न… वो अंकल को आराम से सुला देगी। तुम चिन्ता मत करो। ले जाओ रागिनी अपने अंकल को…आराम दो उनको ! थके होंगे।

रागिनी मेरे साथ एक कमरे में चल दी। अन्दर जाते ही हम दोनों निवस्त्र हो गए। उस रात रागिनी ने मुझे कुछ करने नहीं दिया। आराम से मुझे लिटा दी और खुद ही मेरा लन्ड चूसा, उसको खड़ा किया, फ़िर मेरे ऊपर चढ़ कर अपनी चूत में मेरा लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर घुसाया और फ़िर ऊपर से खूब हुमच-हुमच कर चुदी।

जल्दी ही वो भी गर्म हो गई और ‘आह… आह… आह… उउह… उउह… उह…’ करने लगी, बिना इस चिन्ता के कि बाहर अभी सब जगे हुए हैं और उसके मुँह से निकल रही आवाज वो सब सुन रहे होंगे। उसने मेरे लन्ड पर अपनी चूत को खूब नचाया, इतना कि अब तो फ़च फ़च फ़च…की आवाज होने लगी थी।

वो हाँफ़ रही थी- …आआह… आआह… आआह… और मैं भी हूम्म्म… हूम्म्म्म… हूऊम… कर रहा था। करीब 15 मिनट की हचहच फ़चफ़च के बाद मेरे भीतर का लावा छूटा… ‘आआआअह्ह्ह…’ और मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। रागिनी ने भी उसी समय अपना पानी छोड़ा और फ़िर अपने सलवार से अपना चूत पोंछते हुए मेरे ऊपर से उतर गई।

मुझे प्यास लग रही थी। मैंने रागिनी को पानी लाने को कहा। उसने कमरे से ही अपनी मौसी को पानी के लिए आवाज़ लगाई और अपने आप को एवं मुझे एक चादर से ढक लिया। उसकी मौसी बिंदा तुरंत ही पानी लेकर आई और नजरें झुकाए-झुकाए हम दोनों की अर्द्ध-नंगी हालत को देखते हुए पानी का जग मेज पर रख चली गई। मैंने तीन गिलास पानी पीया। मैं सच में थक गया था, सो करवट बदल कर सो गया।

कहानी जारी रहेगी।

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