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दोस्तो, मेरा नाम सागर है, मैं अहमदाबाद में रहता हूँ। मेरी उम्र 26 साल है और मेरा कद 6 फुट है। मैं पिछले कई सालों से अन्तर्वासना का प्रशंसक हूँ। आज मैं भी अपनी सच्ची कहानी आप को भेज रहा हूँ और मुझे यकीन है कि आप मेरी कहानी को जरूर पसंद करेंगे।
बात उन दिनों की है। जब मैं शहर में नया-नया आया था और मैंने एक मकान किराये से ले रखा था। मैंने जहाँ पर मकान किराये से लिया था, वहाँ पर मेरे चारों और बहुत ही खूबसूरत सी औरतें रहती थीं क्योंकि वो एरिया वी आई पी लोगों का ही था। उस एरिया में दोपहर में सब लोग अपने-अपने घर में ही रहते थे, यानि दोपहर में पूरा सन्नाटा रहता था।
एक भाभी जिनका नाम रंजन था। जो मेरे बाजू वाले बंगले में ही रहती थीं, जिसकी उम्र करीब 28 साल की होगी। वो मुझे बहुत ही पसन्द थी। पसन्द भी क्यों ना हो, वो थी ही परी, गोरे-गोरे गाल सुन्दर, लम्बे बाल, गोरा बदन नीली-नीली आँखें, यानि वो पूरी 36-24-36 के फ़िगर की थी।
उनका पति एक कम्पनी में काम करता था जो अक्सर बाहर ही जाता रहता था। मुझे जब भी मौका मिलता, मैं रंजन भाभी से बात कर लिया करता था और मन ही मन उसे चोदने के बारे मे सोचता रहता।
एक दिन जब दोपहर में मैंने देखा कि भाभी अपने बरतन साफ़ कर रही थीं। मैं अपनी खिड़की से उनको देख रहा था। भाभी का मेरी ओर ध्यान नहीं था और मैं चुपके से देख रहा था। भाभी ने गाउन पहना हुआ था और वो झुक कर काम कर रही थी। उसके मोटे-मोटे स्तनों को मैं देखता ही रह गया। उस वक्त भाभी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी।
क्या मस्त नजारा था !
इस मस्त नज़ारे ने मेरे तन-बदन में एक आग सी लगा दी, जिससे मैंने अपने सात इंच के लण्ड को हाथ से ही हिलाते-हिलाते पानी निकाल दिया और मैं शान्त हो गया। रात को भाभी के बारे में सोच कर वापस मेरा लण्ड खंबा जैसा हो गया और भाभी को चोदने के बारे में सोचते-सोचते फिर एक बार मैंने अपने लण्ड में से वीर्य निकाल दिया।
ऐसे ही रोज मैं जब भाभी बाहर का काम करती, तब मैं चुपके से उसे देखता रहता और अपनी वासना को अपने हाथ से ही अपने लम्बे लण्ड को हिला कर माल निकाला करता।
जब भी मौका मिलता तब भाभी से बात कर लेता। जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे भाभी और मैं काफी पास आते गए कि जैसे बाहर का कोई काम हुआ तो भाभी मुझसे बोलने मेरे मकान में आती और मैं बाज़ार से उनका मंगाया हुआ सामान ले आता। क्योंकि भाभी का पति जो रमेश भाई अक्सर बाहर ही रहते तो भाभी घर पर ज्यादातर अकेली ही रहती थीं।
जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मेरा मन भाभी को चोदने को बेताब होता जा रहा था। एक दिन भाभी जब बाहर कचरा साफ़ कर रही थीं और मैं उसके लटकते आमों को चुपके से अपनी खिड़की से देख रहा था। उसके स्तन काफी बड़े थे। तभी भाभी की नजर अचानक मेरी खिड़की पर पड़ी, मैं घबरा गया और मैं जल्दी से छुप गया। मुझे मालूम था कि भाभी ने मुझे देख लिया है।
उसी दिन शाम के वक्त में जब घर से बाहर जाने के लिये निकला तो भाभी अपने घर के बाहर ही खड़ी थीं और वो कुछ काम कर रही थीं।
जैसे ही भाभी ने मुझे देखा वो बोलीं- सागर, कहाँ जा रहा है?
मैंने कहा- मैं थोड़ा काम है, तो बाहर जा रहा हूँ।
फ़िर भाभी ने बोला- तुम दोपहर को क्या कर रहे होते हो?
मैं थोड़ा सा घबरा गया कि भाभी मुझसे वो चुपके-चुपके देखने वाली ही बात कर रही होगीं।
भाभी बोलीं- इतना क्या सोच रहे हो?
मैंने बोला- मैं तो दोपहर को अपने कम्प्यूटर पर काम कर रहा था।
मैंने पूछा, “आप मुझसे ऐसा क्यों पूछ रही हो?
तो भाभी आँखें झपका कर बोलीं- बस ऐसे ही।
और मैं भाभी का थोड़ा इशारा तो समझ गया।
दूसरे दिन सुबह भाभी किसी काम से मेरे घर आईं, उस समय मैं बाथरुम में नहा रहा था, तभी भाभी ने अन्दर आकर आवाज दी- सागर कहाँ हो?
मैं हैरान रह गया कि भाभी घर में आ गईं। मैं घर में अकेला ही रहता था, तो मैं नहाने के बाद कपड़े बाहर निकल कर ही पहनता था। भाभी को मैंने बाथरुम से ही आवाज दी- भाभी मैं नहा रहा हूँ।
मैंने सोचा कि भाभी कुछ काम से आई होगीं, अभी चली जाएगीं।
तभी भाभी ने कहा- तुम नहा लो, मैं तब तक तुम्हारा इन्तज़ार करती हूँ।
अब मैं सोचने लगा कि मैं अब यहाँ से बाहर कैसे निकलूँ, मैंने भाभी से कहा- भाभी मेरे कपड़े बाहर हैं जरा आप बाहर जाइए, मैं कपड़े पहन लूँ !
मेरे कपड़े जो बाहर ही पलंग पर ही थे, भाभी तुरंत मेरे कपड़े लेकर बोलीं- लो, दरवाजा खोलो।
मैंने बोला- आप वहाँ पर ही रख दीजिए, मैं ले लूंगा।
पर भाभी बोलीं- इतने शर्माते क्यों हो? मुझे पता है तुम रोज चुपके-चुपके मेरे स्तनों को देखते हो, आज मैं भी तुम्हें देखना चाहती हूँ, तुम इतना क्यों शरमा रहे हो ! बाहर निकलो।
मैं भी हिम्मत करके बाहर निकला, एकदम नंगा। मेरे बदन पर कुछ भी नहीं था।
भाभी मुझसे देखकर ही बोलीं- वाह ! क्या लंबा हथियार है तुम्हारा !
हथियार यानि मेरा 7 इंच का लण्ड !
भाभी तुरंत मेरा मोटा लण्ड अपने हाथों में लेकर मसलने लगीं। मैंने भी भाभी को पकड़ कर होंठों को चूमने लगा।
भाभी बोलीं- मैं भी कब से तुम्हारा लंड मेरी चूत में लेना चाहती थी।
ऐसा बोल कर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ कस कर दबा दिये। काफ़ी देर तक वो मेरे और मैं उसके होंठ चूसता रहा। अब मेरा भी लंड बहुत टाइट हो रहा था। होंठों के बाद वो मुझे सब जगह पर चूमने लगी। गाल, छाती और सब जगह। मैं भी उसके गालों को चूसने लगा, चूस-चूस कर उसके गोरे गाल मैंने लाल कर दिये।
मैं अपने दोनों हाथों से उनकी चूचियों को ऊपर से ही मसलने लगा था। जब दोनों की उत्तेजना बढ़ गई तो फ़िर मैंने भाभी के ब्लाउज का हुक खोल कर उतारने लगा। भाभी ने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी। जिसमें उनके चूचे कैद थे। मैंने जल्दी से ब्रा को खोल दिया और उनके गुलाबी चूचियों को देखकर मैं पागलों सा हो गया। मैंने उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे स्तन को मैं हाथों से मसलने लगा।
भाभी के मुँह से ‘आआहहह’ आवाज निकलने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी के सारे कपड़े उतार दिए। मेरे सामने एक कयामत थी। मैं थोड़ी देर तो बस भाभी को ही देखता रहा।
तभी भाभी बोलीं- ऐसे ही देखते रहोगे या मेरी चूत को भी अपने मुँह से गीला करोगे !
मैंने तुरंत हामी भरी और फ़िर मैंने भाभी को बिस्तर पर लेटा कर उनकी टांगें उठा कर चूत को चाटने लगा। भाभी की मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। भाभी भी मुझे जोर से चूसने को कह रही थी और क्यों न कहें ! उसे आज मनचाहा दिलदार मिला था जो उसे चोदने वाला था।
मैं भी पूरे दम से चूत चाटे जा रहा था। उसने दोनों हाथों से चूत को फ़ैला रख़ा था और मैं पूरी जीभ अन्दर पेल रहा था।
भाभी ने मेरे सिर को दोनों हाथों से पकड़ कर चूत पर दबा दिया और वो बोल रही थी- चूसो मेरे जानू और जोर से चूसो !
और इसको सुनकर मैं भी पूरा दम लगा कर चूसे जा रहा था। अब चूत में से पानी टपकने लगा था और चपर-चपर की आवाज भी आने लगी थी। तब भाभी बहुत सैक्सी लग रही थी।
भाभी बोलने लगी- चूस जा इस चूत को ! चूस जा ! निकाल दे मेरा पानी ! मजा आ रहा है ! आ रहा है ! और जोर से चूस ! और जोर से।
अब तो वो बहुत गर्म हो गई थी। अब तो मेरे लंड का आकार भी भुजंग नज़र आ रहा था। वो मेरा भुजंगी लौड़ा देख कर और पागल हो गई और बोली- सागर, जब से तुम्हें अपना यह बड़ा लंड हिलाते देखा है, मैं तो इसके लिये पागल सी हो गई हूँ। अब मुझे और ना तड़पाओ !
अब मेरा 7″ लंड बड़ा हो कर फूल गया था।
भाभी भी अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। उसने उसे अपने हाथों से हिलाना शुरु किया और बोली- तुम्हारा तो तुम्हारे भैया (यानि भाभी का पति) से काफ़ी बड़ा है, मालूम है लड़कियों को ऐसे बड़े लंड वाले लड़के बहुत पसंद होते हैं !
वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी। अब उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। मेरा लंड पहली बार किसी छेद में जा रहा था। मेरे लंड को गुदगुदी सी हो रही थी। मैं जैसे स्वर्ग में था।
उसने मेरा लंड पूरा अपने मुँह में ले लिया। क्योंकि यह मेरा पहली बार था। मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाया 5 मिनट के बाद मैंने उसे कहा- मैं छूटने जा रहा हूँ !
उसने कहा- मुँह के अंदर ही छोड़ देना !
मैंने बड़े जोर के साथ अपना वीर्य उसके मुँह में निकाल दिया और उसने वो पूरा निगल भी लिया। अब छूटने की वजह से मेरा लंड फ़िर अपने सामान्य शेप में आ गया। तब भाभी और मैं बाथरूम में सफ़ाई के लिये गये, वहाँ वो तो और सेक्सी बातें करने लगी। अब तक उसकी गर्मी ठंडी नहीं हुई थी।
उसने कहा- तुम्हारे भैया का लंड तुमसे बहुत छोटा है और वो मुझे इतना प्यार भी नहीं करते। मैं सेक्स के लिये बहुत पागल हुये जा रही थी, जब जी चाहे तब मुझे चोदना, ये भाभी आज से तेरी है।
मैं उनको अपनी बाँहों में भर कर बेदर्दी से भंभोड़ रहा था। हम लोग फिर एक बार बिस्तर पर थे।
फ़िर भाभी बोली- बहुत हो गया चाटना-चूसना ! अब जरा इस चूत को चोदना शुरु करो।
मैं बोला- इसके लिए तो मैं कब से तड़प रहा हूँ।
अब मेरा लंड फ़िर तन गया था। अब तो मेरे लंड को उसके चूत के छेद में जाना था। अपना तना हुआ लंड मैंने उसकी चूत पर रख कर अन्दर करने का प्रयत्न किया। मेरा लंड मोटा होने के कारण अंदर जाने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन 2-3 जोर के झटकों के बाद अंदर चला गया।
वो चिल्लाई- आआअ… आअह… आऐइ… ईईइ… ऐईईइऊ… ऊऊई… ई… माआ… आ… निकालो, बहुत दर्द हो रहा है।
मैं थोड़ा रुक गया। कुछ देर उनको चूमने और सहलाने के बाद उनकी मस्ती बढ़ गई।
थोड़ी देर बाद भाभी के मुँह से आवाजें आने लगी- आऽऽ चोदो ! और जोर से चोदो ! फाड़ दो इस चूत को !
मैं भी बोल रहा था- आज इस चूत का तो मैं बैण्ड बजा दूँगा।
भाभी बोलने लगी- मैं झड़ने वाली हूँ… आईईई… आह्ह… और… और… और… आह्ह्ह… आईई !
भाभी ने मुझ कसकर पकड़ लिया, मैं अभी भी उसे पूरा जोर लगा कर चोदे जा रहा था, इतने में बोला- मैं खाली हो रहा हूँ, मेरा छूटने वाला है।
मैंने उसे लगभग 20 मिनट तक चोदा और उसकी चूत में पानी निकाल दिया। उसी समय पर उसके भी चूत से पानी निकला।
फ़िर थोड़ी देर निढाल होकर पड़े रहने के बाद हम लोग फिर एक बार चुदाई के लिए तैयार हो गए।
अब की बार मैंने भाभी की गाण्ड में लण्ड घुसा दिया और भाभी को जोर-जोर से चोदने लगा। लगभग दस मिनट के बाद मैंने अपना वीर्य भाभी की गाण्ड में ही निकाल दिया।
फिर हम दोनों बाथरूम में एक साथ शॉवर में नहाये वहाँ भी मैंने थोड़ी मस्ती की।
भाभी ने अपने कपड़े पहने और वो अपने घर चली गईं।
अब जब भी मौका मिलता तो मेरे घर में भाभी आती और हम दोनों चुदाई करते।
फ़िर धीरे-धीरे भाभी ने उनकी दूसरी सहेलियों को भी मेरे बारे में बोला और भाभी ने मुझसे बात की कि मेरी सहेलियाँ भी तुमसे चुदना चाहती हैं। ऐसे ही धीरे-धीरे आज मैं कितनी ही औरतों को चोदने लगा। अब तो मैं शहर में जिगोलो का काम करने लगा हूँ। आज मुझे लगता है कि मैं अहमदाबाद का एक मस्त जिगोलो हूँ।
मैं आपके मेल का इन्तज़ार कर रहा हूँ।
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