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एक बार फिर मैं अपने जीवन की एक और सत्य घटना लेकर आपसे रूबरू हो रहा हूँ, आशा करता हूँ, आपको ये कहानी जरूर पसन्द आयेगी।
यह कहानी मयूरी के जाने के बाद की है। हुआ यों कि मेरी दीदी की ननद की शादी थी इसलिए जीजाजी ने मुझे शादी से एक हफ्ते पहले ही मुझे बुला लिया। आपको तो पता ही है कि शादियों में कितना काम होता है। मैं ऑफिस से दस दिन की छुट्टी लेकर अपनी दीदी के घर पहुँच गया जो दिल्ली में ही रहती हैं।
अभी मेहमान ज्यादा नहीं आये थे, बस कुछ ही मेहमान ही आये थे। हमारे जीजाजी चार भाई और उनकी चार ही बहनें हैं। जीजाजी के तीन भाई में से जीजाजी से छोटे दूसरे नंबर के भाई से मेरी कुछ ज्यादा पटती है जिसका नाम सुरेश है। मेरे पहुँचने के अगले दिन ही मेरे जीजाजी के मामा का लड़का भी आ गया, उसका नाम मोहित है।
हम तीनों ही हमउम्र हैं इसलिए हम तीनों में बहुत पटने लगी। हम आपस में जो काम होता मिल बाँट कर कर लेते, शाम को काम ख़त्म होने के बाद हम तीनों ड्रिंक भी करते थे।
यह घटना शादी से चार दिन पहले की है। उस दिन दीदी की ननद की सगाई थी और हम सब दीदी की ननद की सगाई लेकर लड़के के यहाँ गए और सगाई चढ़ा कर शाम को वापस भी आ गए।
दीदी के घर में अब तक काफी मेहमान भी आ चुके थे। इसलिए जीजाजी ने उनके खाने के लिए उसी दिन शाम को हलवाई लगा लिया। हम तीनों हलवाई को सामान दे रहे थे, जो हलवाई मांग रहा था। जीजाजी ने हम तीनों को कहा- तुम यहीं हलवाई के पास ही रहना और जो ये मांगे, इसको लाकर दे देना।
हम तीनों हलवाई से कुछ दूरी पर ही खड़े थे, कुछ देर बाद वहाँ पर एक लड़की आई और हलवाई से कुछ सामान लेकर जाने लगी। जब वो हम तीनों के सामने से गई तो हम बात कर रहे थे आपस में। मोहित बात करते करते रुक गया और वो उस लड़की को देखने लगा।
मैं भी उसकी तरफ ही देखने लगा, जहाँ मोहित देख रहा था। वाह क्या माल था ! सच में बहुत ही सुन्दर थी वो, उस वक़्त उसका फिगर तो सही से देख नहीं पाए पर माल गजब का था।
उसके जाने के बाद मोहित सुरेश से बोला- यह कौन है?
तो सुरेश ने कहा- पहचाना नहीं इसको? यह वो ही तो है जो हमारे पड़ोस में रहती है, इसका नाम लवीना है।
मोहित सुरेश से बोला- यार बात करा दे मेरी इससे।
सुरेश ने कहा- मैं कहाँ से करा दूँ, तुम खुद ही कर लो !
मोहित इतरा कर बोला- ठीक है, मैं खुद ही बात कर लूँगा पर तुम दोनों में से कोई बीच में नहीं आएगा।
मैं अभी तक चुपचाप उन दोनों की बात सुन रहा था। इस बार मैं भी बोल पड़ा- ठीक है, जिससे सेट हो जाये वो कर लेगा और कोई बीच में दखल नहीं करेगा।
मोहित सुरेश से बोला- ओहो ! अब ये जनाब भी इसको सेट करने की सोच रहे हैं।
मैंने उन दोनो से कहा- क्यों, मैं नहीं कर सकता क्या? लंड तो मेरा भी खड़ा होता है।
तभी सुरेश बोला- ठीक है ! तुम आपस में क्यों लड़ रहे हो, तुम दोनों ही सेट कर लेना। क्योंकि ये मुझसे तो होगी नहीं, मैं पहले भी कोशिश कर चुका हूँ।
मोहित कहने लगा- इसको तो मैं ही सेट करूँगा। वो और किसी के हाथ आएगी भी नहीं।
मैंने कहा- देखते हैं, किससे होती है।
मेरी बात सुनकर मोहित बोला- अच्छा जी ! चल एक काम करते हैं ! दो दो हजार की शर्त लगाते हैं। जो इस लड़की को सेट करेगा, दो हजार रुपये भी उसके।
मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे उससे शर्त लगा ली। बस यह बात यहीं पर आई-गई हो गई।
हम तीनों ने शाम को काम ख़त्म करने के बाद थोड़ी थोड़ी ड्रिंक ली और खाना खाकर ऊपर छत पर सोने के लिए चले गए।
मैं आपको घर की बनावट के बारे में बता देता हूँ। हमारी दीदी का घर दो मंजिला है, नीचे तीन कमरे और ऊपर बस एक ही कमरा है,बाकी आगे छत खाली है। और जिस घर में वो लड़की रहती है, उसकी छत पूरी खाली है। उसका मकान एक मंजिल ही है, दोनों घरों की छत के बीच से ऊपर आने के लिए सीढ़ियाँ हैं जो हमारी दीदी की ही हैं पर वो भी इसको इस्तेमाल करते थे।
रात के 10 बज रहे थे। हम तीनों आपस में बात कर रहे थे और नीचे बहुत सी औरतें और लड़कियाँ जमा हो रही थी, शायद रात में संगीत का कार्यक्रम था और उसमें लवीना भी आई थी। कुछ देर बाद संगीत प्रोग्राम शुरू हुआ और साथ में नाचने का भी। हम तीनों मजे से लेटे हुए सब प्रोग्राम देख रहे थे। कुछ देर बाद मुझे नींद आने लगी तो मैं सोने लगा, मुझे सोता देख मोहित मुझसे बोला- यार अभी लवीना भी नाचेगी।
मैंने मोहित से कहा- जब वो नाचे तो मुझे उठा देना !
इतना कर कर मैं सो गया। कुछ देर बाद लवीना डांस करने लगी तो मोहित ने मुझे उठा दिया, मैं भी उसका डांस देखने लगा। क्या गजब नाचती है वो ! मज़ा ही आ गया। उसने दो गानों पर डांस किया, फिर कोई और डांस करने लगी, मुझे तो बस उसी का डांस देखना था।
रात में उठने के कारण मुझे भूख लगने लगी तो मैंने सुरेश से कहा- यार भूख लग रही है, कुछ खाने के लिए मंगा दे।
तो मोहित बोला- यार, लवीना को ही बोल कुछ लाने के लिए।
सुरेश ने कहा- ठीक है, मैं उसी को बुलाता हूँ।
फिर उसने लवीना को आवाज लगा कर ऊपर बुलाया। कुछ पलों बाद लवीना ऊपर छत पर आ गई।
सुरेश ने उसे कहा- साजन को भूख लग रही है, नीचे से कुछ खाने के लिए हो तो ला दो।
लवीना ने कहा- नहीं ! अब तो कुछ नहीं है।
तो मोहित बोला- कुछ तो होगा?
लवीना ने मोहित की तरफ देखा और कहा- बस नीचे गुड़ ही है, जो बांटने के लिए है।
तो मोहित ने कहा- कोई बात नहीं, गुड़ ही ले आओ।
इतना सुनकर लवीना नीचे गुड़ लेने चली गई। कुछ देर बाद वो दुबारा वापस आई और हमें गुड़ देकर वापस नीचे चली गई। मुझे गुड़ इतना पसंद नहीं था, पर मज़बूरी थी कि मुझे भूख लग रही थी। मैं और वो दोनों गुड़ खाने लगे। मैं लेटे हुए ही गुड़ खा रहा था। गुड़ खाते हुए नीचे हो रहे डांस को देखने लगा। मेरा हाथ नीचे की ओर लटक रहा था और उसी हाथ में मैंने गुड़ पकड़ा हुआ था और ठीक मेरे हाथ के नीचे लवीना खड़ी हुए डांस देख रही थी।
अचानक मेरे हाथ से गुड़ उसके सर पर जा गिरा और मैं डर के मारे बिना कुछ उन दोनों से बोले चुपचाप लेट गया। यह तो शुक्र था कि रात कोई हंगामा नहीं हुआ। सुबह मेरी आँख सही वक्त पर खुल गई तब तक दीदी के घर पर बहुत से मेहमान भी आ चुके थे।
जीजाजी ने मुझसे कहा- अब काम करने के लिए बहुत लोग हैं। अब तुझे बस म्यूजिक सिस्टम चलाना है, अब यही तेरी जिम्मेदारी है।
मैं फटाफट नहा धोकर तैयार हो गया और फिर नाश्ता करके मैंने म्यूजिक सिस्टम संभाल लिया। मैंने म्यूजिक सिस्टम वहीं लगाया था जहाँ पर रात संगीत प्रोग्राम हो रहा था।
अभी मुझे कुछ ही देर हुई थी कि लवीना मेरे सामने से मुझे देखती हुई घर के अन्दर गई। लवीना के देखने के इस अंदाज से मैं थोड़ा घबरा गया था। दस मिनट बाद वो घर के अन्दर का काम खत्म करके मुझे देखने लगी। उस वक्त मेरे आस पास कोई नहीं था।
जब लवीना ने देखा कि मेरे आस पास कोई नहीं है तो वो मेरे पास आई, उसे अपने पास खड़े देख कर मेरी गांड फट गई। मुझे अब बहुत डर लग रहा था कि अब यह जरूर मुझसे कुछ उल्टा सीधा कहेगी। अभी मैं यह सब सोच ही रहा था कि उसकी आवाज ने मुझे चौंका दिया- आप कुछ खायेंगे !
लवीना ने मुझसे पूछा !
मैंने घबराते हुए कहा- नहीं, मुझे अभी कुछ नहीं खाना।
हाँ, लवीना को देखकर मेरा गला जरूर सूख गया था।
मैंने उससे कहा- अगर पिला सकती हो तो एक गिलास पानी पिला दो।
मेरी बात सुनकर वो पानी लेने नीचे चली गई और एक गिलास में पानी लाकर मुझे दे दिया। मैं उससे पानी लेकर पीने लगा। अभी मैं पानी पी ही रहा था कि लवीना ने मुझसे कहा- आपसे एक बात पूछूँ?
मैंने उसकी तरफ देखा, पर मैंने कहा कुछ भी नहीं !
वो फिर बोली- रात को गुड़ आपने ही मुझे मारा था न?
उसकी बात सुनकर तो मेरी गांड और भी फट गई और मैं सोचने लगा कहीं मैंने हाँ बोला तो यह मुझे पिटवा न दे और मैं न कहता हूँ, तो कहीं ऐसा न हो कि ये मुझसे सेट होने के चक्कर में हो और न हो।
मैं बड़ी ही मुश्किल फंस गया था। फिर मैंने सोचा इसको सच बता ही देता हूँ, जो होगा देखा जायेगा।
मैंने लवीना से कहा- हाँ ! वो गुड़ मैंने ही मारा था, क्यों क्या हुआ?
लवीना मेरी बार सुनकर मुस्कराने लगी और मुझसे बोली- नहीं ! बस ऐसे ही पूछ रही थी।
लवीना की यह बात सुनकर मेरी जान में जान आई और मुझे इस बात का एहसास भी हो गया था कि यह मुझसे अब पट चुकी है।
मैं लवीना से बोला- अभी कुछ देर पहले तुमने पूछ रही थी कुछ खाने के लिये?
लवीना ने कहा- हाँ, कहा तो था मैंने !
तो मैंने कहा- अब मुझे कुछ भूख सी लग रही है तो कुछ खाने के लिए ले आओ मेरे लिए।
लवीना ने कहा- क्या लेकर आऊँ? खाने में अभी तो कुछ बना भी नहीं है।मैंने लवीना से कहा- एक काम करो, नीचे बूंदी के लड्डू बन रहे हैं, वही ले आओ।
लवीना ने कहा- पर वहाँ पर तो सब होंगे, मैं कैसे लेकर आ सकती हूँ।
मैंने कहा- अब यह तुम जानो कि कैसे लेकर आओगी।
लवीना कुछ सोचते हुए नीचे चली गई, फिर कुछ देर बाद ही वो चार लड्डू अपनी चुन्नी में छुपा कर ले आई और मुझे देती हुई बोली- आज मैंने पहली बार ऐसा काम किया है सिर्फ तुम्हारे लिए।
मैंने लवीना की तरफ देखा और मैं लड्डू खाने लगा और वो मेरे सामने खड़ी रही तब लास्ट का लड्डू बचा तो मुझे याद आया कि लवीना भी सामने खड़ी है। मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और मैंने उससे कहा- लो तुम भी खाओ लड्डू !
तो उसने मना कर दिया और बोली- आप ही खा लो।
मैंने वो आखिर का लड्डू भी खाकर खत्म कर दिया। फिर मुझसे लवीना ने पूछा- और कुछ चाहिए तो बोलो !
मैंने लवीना को मना कर दिया- अब कुछ नहीं चाहिए।
इसके बाद वो जाने लगी, जैसे ही वो जाने को हुई तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। लवीना ने मेरी तरफ देखा और मुझसे बोली- क्या करते हो? कोई देख लेगा।
मैंने लवीना से कहा- अभी यहाँ पर कोई नहीं है, जो हमें देखे ! सब तो नीचे काम में व्यस्त हैं।
लवीना बोली- फिर भी कोई आ गया तो?मैंने उससे कहा- कोई नहीं आएगा और अगर तुमको ज्यादा डर लग रहा है तो एक मिनट रुको और फिर मैं कुर्सी से उठा और उसका हाथ पकड़े हुए उसको कमरे के अन्दर ले गया।
लवीना मेरे साथ चुपचाप मेरे साथ कमरे में आ गई। कमरे के अन्दर पहुँच कर मैंने लवीना का हाथ छोड़ दिया और अपने दोनों हाथ फैला कर मैंने लवीना से कहा- आई लव यू लवीना।
लवीना ने जब मेरे मुंह से यह सुना तो मुस्कुराने लगी और साथ ही मेरी बांहों में आ गई- सच साजन? जो अभी आपने कहा वो सब सच है न?
मैंने उसका चेहरा अपने दोनों हाथ में पकड़ कर कहा- हाँ ! जो मैंने कहा वो सच है। मैं तुमको प्यार करता हूँ !
और कहने के साथ ही उसके थिरकते हुये होंठों को चूम लिया। वो शर्म से फिर मेरे लगे लग गई, मेरे हाथ उसकी कमर पर लिपटे हुए थे, मैंने लवीना से कहा- पर तुमने अभी तक मेरी बात का जवाब नहीं दिया।
लवीना मुझसे लिपटे हुए बोली- मैं आपकी बांहों में हूँ, और अब भी मेरा जवाब पूछ रहे हो?
लवीना का जवाब सुनकर मैं बहुत खुश हो गया और मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुए उसके कूल्हों पर आ गए। फिर मैं उसके मोटे मोटे चूतड़ों अपने हाथ से दबाने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
ऐसा करने से मेरा लंड भी खड़ा हो गया था, जोकि उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था। मैं लवीना के चूतड़ सहलाते हुए उसको चूमने लगा। लवीना की सांसें तेज होने लगी थी। तभी मुझे सीढ़ी पर किसी की ऊपर चढ़ने की आवाज़ आई तो जल्दी से हम दोनों अलग अलग हो गए।
लवीना अपनी सांसें नियंत्रण करने लगी और मैं जल्दी से कमरे से बाहर निकल कर म्यूजिक सिस्टम पर पहुँच गया। जैसे ही मैं म्यूजिक सिस्टम पर पहुंचा, तो देखा सीढ़ी से मेरी दीदी ऊपर आ रही थी कुछ सामान लेने के लिए। कुछ देर बाद दीदी सामान लेकर नीचे चली गई, तो लवीना भी नीचे जाने लगी।
मैंने लवीना को रोका और बोला- आज रात को मिलोगी?
लवीना ने कहा- मैं तो ऊपर ही सोती हूँ, तुम आ जाना रात को ! अगर मेरी छोटी बहन मेरे साथ नहीं सोई तो।
मैंने लवीना से कहा- मुझे बता देना जैसा भी हो।
उसने कहा- ठीक है ! मैं तुमको बता दूंगी और इतना कह कर वो भी नीचे चली गई।
फिर मैं बैठा हुआ उसके बारे में ही सोचता रहा। लवीना का गोरा बदन, पांच फुट तीन इंच की लम्बाई और उसके उरोजों का आकार बत्तीस रहा होगा। चेहरा थोड़ा सा लम्बा, बाल उसके कूल्हों को छूते हुए, बड़ी ही मस्त लगती है वो ! जब वो चलती तो ऐसा लगता जैसे हिरणी जंगल में घूम रही हो।
कहानी अगले भाग में समाप्त होगी।
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