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लेखक : रोहित
मित्रों मैं रोहित, उम्र 28 वर्ष, कुल मिलाकर मुझे हैंडसम कहा जा सकता है। यूँ मैंने कई लड़कियाँ ठोकी हैं लेकिन उन कहानियों की शुरुआत मैं सुप्रिया नाम की लड़की की कहानी से करना चाहता हूँ जिसे मैंने अपनी निजी रण्डी बनाकर सबसे लंबे समय तक और सबसे ज्यादा चोदा है।
मैं लखनऊ में अकेले रह कर जॉब करता हूँ। सुप्रिया अपने गाँव से लखनऊ के ही एक इंस्टीच्यूट में कोई प्रोफेशनल कोर्स करने आई थी। सुप्रिया अभी ताजी-ताजी जवान हुई मस्त देसी माल थी। गोरा रंग, मस्त चूचियाँ और सबसे शानदार थी उसके चूतड़ जो लाखों में एक थे।
इस हसीन लौंडिया से मेरी मुलाकात एक पार्टी में हुई तो पता चला कि वो भी मेरे मूल जिले की ही है। इसी बात के चलते हम दोनों काफी देर तक बात करते रहे। पता चला कि उसकी शादी तय हो गई है लेकिन दो साल बाद होनी है। मैंने सोचा कि यह अगर पट जाए तो दो साल तक इसकी जवानी का रसपान किया जा सकता है।
मैं ठहरा पक्का लौंडियाबाज, मैंने उसे पटाने की कोशिश शुरू कर दी। पार्टी एक बड़े घर में थी, हम दोनों बात करते हुए एक खाली कमरे में आ गए। काफी देर तक बातें करते-करते कुछ सेक्सी बातें होने लगी। वह स्मार्ट बनने के चक्कर में बढ़-बढ़ कर बात कर रही थी। मैं भाँप गया कि गाँव से निकली यह लौंडिया लखनऊ के उत्तेजक माहौल में अब तक तो बची है लेकिन आगे बच नहीं पाएगी और कोई न कोई इसे चोद देगा।
मुझे लगा कि सुप्रिया चुदाई का आनन्द लेना चाहती है, लण्ड का स्वाद चखना चाहती है, चुदवाना चाहती है लेकिन किसी गड़बड़ी से डरती है। मैंने किसी बहाने से उसका हाथ पकड़ा तो वह उत्तेजना से काँपने लगी। मैं समझ गया कि रास्ता साफ है। मैंने उसे अपने करीब खींच कर उसके होंठों पर होंठ रख दिये। वह मुझसे बेल की तरह लिपट गई, उसके रसीले होंठों से उसकी जवानी का रस चूसते हुए मैंने उसकी चूचियों और कूल्हों को खूब मसला।
पहली बार किसी पुरुष के इस स्पर्श ने उसे बेसुध कर दिया। उसे पता ही नहीं चला कि उसके कपड़े कब उतर गये। उसे होश तब आया जब मैंने उसके सेक्सी ज़िस्म से अन्तिम वस्त्र यानि उसकी कच्छी उतारनी शुरू की, उसने मुझे रोकते हुए कहा- अभी पैंटी मत खोलिए।
मैं रुक गया और उसे चूम-चाट कर और मस्त चूचियाँ दबा कर उत्तेजित करने लगा। वह खूब गर्म हो गई, तब मैंने कहा- बिना पैंटी उतारे मजा नहीं आएगा।
लौंडिया ने कहा- ठीक है, उतार लीजिए।
मैं उसकी पैंटी उतारते ही दंग रह गया। अभी उसकी काली झाँटें ही नहीं उगी थी, बस भूरे भूरे रोम से थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
शानदार !
मैंने उसकी मस्त गाण्ड के नीचे एक तकिया लगाया और अपनी ब्रीफ के अलावा सारे कपड़े उतारे और उसकी शानदार, अनछुई चूत पर अपने होंठ रखे और फिर जीभ को इस्तेमाल करने लगा, साथ ही उसकी रेशमी जाँघों को सहलाते हुए अपने हाथ ऊपर करते हुए उसकी चूचियों पर पहुँचा कर उन्हें मसलने लगा।
इस दोतरफा हमले से उसके चूत ने शीघ्र ही अपना अमृत छोड़ दिया और सुप्रिया निढाल पड़ गई। अब मुझे केवल यही करना था कि अपनी ब्रीफ उतार कर उसकी चूत में पेल दूँ लेकिन मैं रुक गया, मैंने सोचा यह सही मौका नहीं है, इसकी सील तोड़ने में यह कहीं जोर से चीख पड़ी तो लेने के देने पड़ जाएँगे, अब यह पट गई ही है, अब कोई अच्छा मौका पाकर पूरे इत्मिनान से इसका अक्षत यौवन हरुँगा।
सुप्रिया की उत्तेजना भी झड़ जाने के बाद खत्म हो गई थी, वह भी झेंपी और शर्माई सी उठी और कपड़े पहनने लगी।
जब वह उठी तो मेरे सामने उसकी शानदार गाण्ड आ गई जो लाखों में एक थी। मेरे मुँह में पानी आ गया और लंड टनटना गया। अब मुझे उसकी गाण्ड मारने मेँ ज्यादा दिलचस्पी हो गई लेकिन उसके पहले उसकी चूत चोदकर उसे अपने लंड की दीवानी बनाना था। अब उसकी गाण्ड मेरा प्रमुख लक्ष्य थी।
खैर हमने चुपचाप अपने कपड़े पहने और मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों में लेकर कहा- सॉरी ! आज एक गलती होते-होते बची।
लेकिन सुप्रिया ने मेरा चुम्बन लिया और कहा- कोई बात नहीं, आगे भी ऐसा हो सकता है।
मैं समझ गया कि लौंडिया मेरे हत्थे चढ़ गई, मैंने उससे मुस्कुराते हुए कहा- मैं वादा करता हूँ कि तुम्हारा उद्घाटन मैं ही करूँगा।लौंडिया ने मुस्कुरा कर सहमति में सर हिलाया और हम कमरे से बाहर आकर पार्टी में शामिल हो गये।
हम दोनों के लिए यह आश्चर्यजनक था कि पहली मुलकात के डेढ़ घंटे के भीतर इतना कुछ हो गया।
कहानी के अगले भाग में मैं बताउंगा कि कैसे सुप्रिया की प्रथम चुदाई हुई।
कहानी का शीर्षक होगा ‘सुप्रिया का उद्घाटन’
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