माँ को चोद कर बेटी की फैंटसी पूरी की-2

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मैंने अपनी पड़ोसन लड़की को दस रात रोज चोदा. अब उसकी मम्मी की चुदाई की बारी थी. इस सेक्स हिंदी स्टोरी में पढ़े कि कैसे मैंने अपनी पड़ोसन के साथ सेक्स शुरू किया.

मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी के पिछले भाग माँ को चोद कर बेटी की फैंटसी पूरी की-1 में आपने पढ़ा कि मैंने रात भर पड़ोस की जवान लड़की को उसी के घर में चोदा.

अब आगे सेक्स हिंदी स्टोरी:

सोनू के पापा को 10 दिन तक हॉस्पिटल में रखा गया. उन दस दिनों में मैं हर रोज रात को सोनू के साथ उनके घर सोता रहा और दस रातों को मैंने तरह तरह के आसनों से सोनू को चोद चोद कर उसकी चूत को पूरा खोल दिया और उसे पूरी औरत बना दिया.

11वें दिन हॉस्पिटल से सोनू के पापा को डिस्चार्ज किया गया. डिस्चार्ज करते समय उन्हें दवाइयां दीं गईं. और डॉक्टरों ने हिदायत दी कि अब उन्हें अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना है. कोई मेहनत का काम नहीं करना है.

डिस्चार्ज के वक्त उनके साथ मैं और सोनू की मम्मी थे.

डॉक्टरों ने उन्हें इन्फेक्शन से बचाने के लिए अलग कमरे में रखने को कहा.

साथ ही डाक्टरों ने बताया कि सेक्स करते समय आदमी की दिल की धड़कन बढ़ जाती है और उस काम में मेहनत भी होती है, अतः सेक्स से पूरा परहेज रखना है.

यह सुनकर सोनू की मम्मी मृणाल का चेहरा उतर गया क्योंकि सोनू की मम्मी जिस उम्र में थी उस उम्र में औरत को सेक्स की बहुत जरूरत होती है.

हम सोनू के पापा को एम्बुलेंस से घर ले आये और उन्हें अलग से तीसरे कमरे में लिटा दिया.

जैसा कि पहले बताया था उनके दो बेडरूम तो इकट्ठे थे जिनके बीच में दरवाजा था परंतु तीसरा बेडरूम उनसे बिल्कुल अलग था. डॉक्टरों के मुताबिक घर पर उनका इलाज़ चलने लगा. मैं अपने कमरे में रहने लगा.

लेकिन सोनू की मम्मी उदास रहने लगी. मैं उनके छोटे मोटे काम करता रहा.

मैंने सोनू को बता दिया कि डॉक्टरों ने उसके पापा को सेक्स न करने की सलाह दी है. सोनू यह जानकर खुश हो गई और बोली अब तो बात बन जाएगी, तुम मम्मी को पटा लो.

आखिरकार वह दिन आ गया. लगभग एक हफ्ते बाद सांय को सोनू की मम्मी को किसी फंक्शन में बस से जाना था. जहां जाना था वो जगह शहर से 50 किलोमीटर दूसरे शहर में थी. सोनू की मम्मी ने मुझसे पूछा- राजू! क्या तुम सांय को मेरे साथ चल सकते हो? हम रात को ही वापिस आ जाएंगे. मैंने तुरंत हाँ कर दी.

सोनू की मम्मी ने उस दिन गज़ब का मेकअप किया हुआ था. वे सुंदर तरीके से सजी धजी थीं. उन्होंने एक सुंदर चमकीला पिंक साटन का लंहगा और स्लीवलेस टॉप पहने थे. टॉप के नीचे उनका चिकना, नंगा, गुदाज़ पेट और उसमें अंदर को धंसी उनकी नाभि गज़ब ढा रहे थे.

स्लीवलेस ब्लाऊज में से उनकी गोल गुदाज़ सुंदर, नर्म बांहें बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

लंहगे में उनकी सुन्दर गांड और ब्लाउज में उनके बड़े मम्मे उभर कर बाहर आ रहे थे. उन्होंने मदहोश करने वाला परफ्यूम लगा रखा था. मैंने भाभी को कहा- भाभी! बहुत दिनों बाद आपके चेहरे पर रौनक आई है, आज तो आप बहुत ही सुन्दर लग रही हो.

भाभी ने पूछा- क्या और दिनों में मैं आपको सुंदर नहीं लगती? मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है, आप बहुत सुंदर हो लेकिन आज तो आप हॉट लग रही हो. भाभी ने मेरी तरफ़ प्यासी आंखों से देखा और मुस्करा दी.

हम ऑटो से बस स्टैंड गए. वहाँ से हम दोनों बस से लगभग फक्शन की जगह 6 बजे पहुंच गए.

शगुन देकर और खाना खा कर लगभग 8 बजे वहां से वापिस चल पड़े.

जब हम बसस्टैंड पहुंचे तो वहाँ केवल लास्ट बस बची थी और उसमें भी बैठने की कोई जगह नहीं थी. हम टिकट लेकर बस में खड़े हो गए.

भीड़ बढ़ती गई. लोग एक दूसरे से सटने लग गए. मैं भाभी के आगे खड़ा था, भाभी मेरे पीछे बस के बीच में लगे पोल को पकड़ कर खड़ी हो गई. उनके पीछे एक आदमी था.

बस चल पड़ी. जब भी बस में झटका लगता तो वह आदमी भाभी के ऊपर गिरने लगा. भाभी उससे असहज हो रही थी.

अगले स्टॉप पर और सवारियां चढ़ी, भीड़ और बढ़ गई. आदमी भाभी की कमर से सट गया. भाभी ने मुझसे कहा- राज! तुम मेरे पीछे आ जाओ, यह आदमी मुझसे सटा हुआ खड़ा है. मैंने भाभी से कहा- भीड़ ज्यादा है, अब वह भी क्या करे, मैं पीछे आया तो मेरा भी वही हाल होगा. भाभी बोली- जो कह रही हूँ, वह करो, अनजान आदमी से तो अपना ही अच्छा है.

यह सुनते ही मेरे मन की मुराद पूरी हो गई. वैसे भी मैं सोच रहा था कि मैं भाभी के पीछे होता तो अच्छा था. मैं भीड़ को हटाते हुए भाभी के पीछे आ गया.

अब पोजीशन ये थी कि भाभी की दोनों जांघों के बीच सीट का हैंडल था और उनके दोनों हिप्स मेरी जांघों में फिट थे. भाभी के बड़े और गुदाज़ हिप्स इतने सेक्सी थे कि उनके स्पर्श से ही मेरा लण्ड तनकर खड़ा हो गया. मैंने भाभी से कहा- भाभी मेरे ऊपर पीछे से दबाव पड़ रहा है. भाभी बोली- कोई बात नहीं, तुम चिंता मत करो, मैं कम्फ़र्टेबल हूँ.

अब मैं भाभी की ओर से आश्वस्त हो गया था.

मैंने अपनी छाती को पूरी तरह से भाभी की गर्म गुदाज़ कमर पर सटा दिया और भाभी के चूतड़ों का मज़ा लेने लगा.

भाभी मेरे स्पर्श से पूरी चुदासी हो गई और मजा लेने लगी. मेरी सांसें गर्म हो चुकी थी जो भाभी की गर्दन पर लग रही थी.

धीरे धीरे मैंने भाभी के चिकने लंहगे में जगह बनाई और लण्ड को भाभी के दोनों हिप्स की गहराई में रख दिया.

भाभी ने चूतड़ों से थोड़ी हरकत करके लण्ड के लिए ठीक से जगह बना दी. बस में अंदर अंधेरा था. मैंने अपनी हरकत बढ़ाई और भाभी के चूतड़ों की साइड पर हाथ फिराया. भाभी कुछ नहीं बोली.

मैं बस के हर झटके के साथ भाभी की पीछे से चुदाई करने लगा. भाभी ने सीट के हैंडल को अपनी चूत में अड़ा रखा था. मेरा लण्ड मेरी पैंट में ज्यादा सीधा नहीं हो रहा था. मैंने देखा भाभी पूरा आनंद ले रही थी.

मैंने धीरे पैंट की जिप खोली, लण्ड को बाहर निकाला और लंहगे को पूरा भाभी के चूतड़ों में ठूंसते हुए लण्ड को अंदर तक अड़ा दिया. भाभी ने एकदम अपनी गर्दन पीछे मेरी तरफ अड़ा दी.

मैंने भाभी के कान में धीरे से कहा- भाभी आप बहुत हॉट हो. इतना सुनते ही भाभी सिहर उठी और उन्होंने उल्टे पोजीशन में ही अपना गाल मेरे गाल पर रगड़ दिया.

लण्ड को थोड़ा और अंदर तक लेने के लिए भाभी ने अपने पांव को थोड़ा खोला. पाँव खोलते ही मेरा पूरा 8 इंच का मोटा लण्ड भाभी के लंहगे को अंदर धकाते हुए आगे की ओर निकल गया. भाभी की चूत में बस का पोल लगा था और पीछे पोल जैसा ही मेरा लौड़ा लगा था.

भाभी पूरी मस्ती में थी. मैंने दोनों हाथों से भाभी के नर्म पेट की साइडों को पकड़ा और धीरे धीरे लण्ड को आगे पीछे करना शुरू किया. भाभी प्यार से ऐसे ही चुदने लगी.

तभी बस रुकी और हमारा स्टॉपेज आ गया, भाभी मेरे आगे से निकल गई.

मैंने झट से लण्ड को पैंट के अन्दर किया और भाभी के पीछे नीचे उतरने लगा.

भाभी का मकान स्टॉपेज के पीछे ही था. भाभी बिना बोले आगे आगे चलती रही और मैं उनके पीछे चलते हुए उनके घर के अंदर चला गया.

अन्दर जाते ही भाभी भैया के कमरे में चली गई और मैं भाभी के बेडरूम के बाथरूम में पेशाब करने चला गया. चूंकि लण्ड खड़ा था अतः पेशाब आने में देर लग रही थी. लण्ड पिछले एक घंटे से अकड़कर अपनी पूरी तूफानी शेप में खड़ा था.

मैंने दरवाजा बन्द नहीं किया था.

कुछ देर बाद पेशाब करके जब मैं बाथरूम से बाहर आने को हुआ तो मुझे लगा कमरे में कोई है.

मैंने धीरे से दरवाजे की दरार में से देखा तो पाया कि वहाँ भाभी कपड़े बदलने लगी थी. वे ड्रेसिंग टेबल के सामने केवल एक सुंदर लाल पैंटी और टॉप में खड़ी थी और उनका लंहगा नीचे जमीन पर उनके पाँव में पड़ा था.

मैं दरवाजे पर रुक गया और नज़ारा देखने लगा.

भाभी की गुदाज़ गोरी टांगें, उनकी गोरी कमर और लगभग नंगे नितम्ब मेरे सामने थे. दरअसल भाभी ड्रेसिंग टेबल में अपनी सुंदरता को निहार रही थी. शायद मेरे कई बार तारीफ करने से भाभी आत्ममुग्ध हो गई थी.

शीशे में भाभी कभी अपनी चुचियाँ को देखती तो कभी मुड़ कर अपनी पीठ और नंगी सुन्दर टांगों को देखती.

अपना हाथ भाभी ने नीचे पैंटी के ऊपर से चूत पर रखा और नीचे झुक कर देखने लगी. भाभी की पैंटी चूत के हिस्से पर से गीली हुई हुई थी. दरअसल बस में चूत पर कई देर तक पोल अड़ा रहा और पीछे मेरा लौड़ा अड़ा रहने से चूत ने पानी छोड़ दिया था जिससे आगे से पैंटी गीली हो गई थी.

भाभी ने अपना हाथ चूत पर दबाकर रख लिया और आंखें बंद कर ली.

कुछ ही देर में जब उन्होंने आंखें खोली तो ड्रेसिंग टेबल के शीशे में से उन्होंने मुझे देख लिया और एकदम मेरी तरफ घूम गई.

भाभी ने अपनी चूत को अपने दोनों हाथों से ढक लिया और धीरे से फुसफुसा कर बोली- तुम यहाँ क्या कर रहे हो, मैं तो समझी थी तुम चले गए? मैं भाभी के पास गया और बोला- भाभी, आप बहुत सेक्सी और हॉट हो.

मैंने उन्हें एकदम बांहों में भर लिया.

भाभी ने चूत पर से अपने हाथ हटाये और अपनी बाहें मेरी कमर के चारों ओर लपेट दी. मैंने भाभी के होठों पर किस कर लिया और बहुत देर तक उनके होंठ चूसता रहा, भाभी भी रिस्पांस देती रही.

भाभी की पीठ और चूतड़ों पर मैंने हाथ फिराया और भाभी के कान में पूछा- मैं जाऊं? उन्होंने ना में सिर हिलाया और मुझे और जोर से जकड़ते हुए बोली- पिछले एक घंटे से तुमने मेरा बुरा हाल कर रखा है, अब थोड़े ना जाने दूंगी.

मैंने भाभी को जोर से जकड़ लिया और उनकी पैंटी में हाथ डाल कर उनकी चूत को अपनी मुठ्ठी में बंद कर लिया.

भाभी की पॉव रोटी सी फूली कोमल चूत मेरे हाथ में भी नहीं आ रही थी. मैंने भाभी की चूत के दाने को अपनी उंगली से रगड़ दिया. भाभी की सीत्कार निकल गई.

एकदम भाभी बोली- छोड़ो, मुझे बाथरूम जाना है, तुम दरवाजा बंद करो. मैंने भाभी को छोड़ दिया.

भाभी बाथरूम चली गई. मैंने कमरे की कुंडी लगा ली, लेकिन बच्चों वाले कमरे जिसमें सोनू थी, के दरवाजे को थोड़ा खुला रहने दिया. कुछ देर बाद भाभी आई तो उन्होंने रात को पहनने का एक छोटा सा स्लीवलेस गाउन जो भाभी के हिप्स से थोड़ा नीचे था, पहन रखा था.

आते ही मैंने भाभी को फिर बांहों में भर लिया. भाभी भी मुझसे लिपट गई.

मैंने भाभी से पूछा- आपके हस्बैंड तो नहीं आ जाएंगे? भाभी बोली- वे जो दवाई लेते हैं उससे आराम करने के लिए जबरदस्त नींद आती है, वे तो सुबह भी नहीं उठते. तुम चिंता मत करो, मैं आते ही उनके कमरे में गई थी, वे उठाने से भी नहीं उठे थे.

मैंने भाभी से पूछा- अब भैया के साथ आप सेक्स नहीं करती क्या? भाभी उदास हो कर बोली- डॉक्टरों ने आपके सामने ही तो मना किया था, वैसे भी हार्ट अटैक की दवाइयों से आदमी का सेक्स खत्म हो जाता है.

मैंने भाभी से पूछा- अभी तो आप भरी जवानी में हो, फिर आपका काम कैसे चलेगा? भाभी बोली- राज, पहले तो डॉक्टरों की बात सुनकर मैं बड़ी उदास हुई थी, लेकिन जब तुम्हारा ध्यान आया तो मन में एक आशा सी जग गई थी और मैं तुम्हारे बारे में हर वक्त सोचती रहती थी. मैं तुम्हें आज जानबूझ कर ही फंक्शन के बहाने साथ ले गई थी. लेकिन तुम तो बस में मुझसे दूर आगे खड़े हो गए थे. यदि मैं न कहती तो कोई और ही मजा ले जाता. तुम तो पक्के बुद्धू हो, लेडी की आंखों को भी नहीं पढ़ सकते.

मैंने कहा- भाभी, आप तो सारे मोहल्ले में सबसे सुन्दर हो, मैं तो कब से आपको चाहता था. भाभी- चाहते थे तो ट्राई तो करते.

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सेक्स हिंदी स्टोरी का अगला भाग: माँ को चोद कर बेटी की फैंटसी पूरी की-3

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