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गीता भाभी आहें भरने लगीं, उनकी चुदाई शुरू हो गई थी, स्तनों को दबाते हुए चूत धक्के पर धक्के खा रही थी, गीता चुदाई का मज़ा ले रही थी।
थोड़ी देर बाद उसकी चूत और मेरे लण्ड ने साथ साथ पानी छोड़ दिया। भाभी को सीधा कर मैंने अपनी बाँहों में चिपका लिया, मेरे से लिपटते हुए बोलीं- आह बड़ा मज़ा आया।
इसके बाद गीता और मुन्नी उठ कर चाय बनाने लगी। चाय पीते पीते गीता बोली- मुन्नी को चुदने में मज़ा आ गया, इसे तो सजा के बदले मज़ा मिल गया।
मैंने कहा- भाभी, अभी तो एक पारी हुई है, सजा तो इसे दूसरी पारी में मिलेगी जब इसकी चुन्नी चुदेगी।
मुन्नी भाभी से चिपक कर बोली- गीता तुमने मुझे बदनामी से बचा लिया है, मैं किसी भी सजा के लिए तैयार हूँ।
कुछ देर बातें करने के बाद मैंने अपने पप्पू की तरफ इशारा करते हुए मुन्नी से कहा- इसे मुँह में चूसना है।
मुन्नी इतराते हुए बोली- मैं नहीं चूसती !
मैंने कहा- चूसोगी तो तुम आज ही ! और अपनी मर्ज़ी से ! आओ पहले तुम्हें गर्म करता हूँ !
मैंने उसे लेटा दिया और उसकी चूत की फलकों पर अपना मुँह लगा दिया और दाने को होंटों में दबा कर चूसने लगा। औरतों को कैसे गर्म किया जाता है, मुझे यह कला आती है, थोड़ी देर में ही उसका बुर-रस बहने लगा।
अब मैं अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर घुसा कर चूत को चाटने लगा उसने मुझे अपने से कस कर चिपका लिया और भींचते हुए बोली- आह… बड़ा मज़ा आ रहा है… अब चोद दो… देर न करो…मेरा लण्ड हथोड़ा हो रहा था, मैंने निप्पल चूसते हुए कहा- पहले मेरा लोड़ा चूसो !
और मैंने उसके मुँह पर अपना लोड़ा रख दिया। काम की गर्मी से पागल मुन्नी ने लोड़ा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी।
इस बीच मैं उसकी गांड में उंगली घुमाने लगा। गांड पूरी टाइट हो रही थी। मैं अपने साथ जेली ट्यूब लाया था पास पड़ी पैंट से मैंने ट्यूब निकाली और उसकी गांड में पिचका दी, पूरी गांड क्रीम से भर गई।
मुन्नी प्यार से मेरा लण्ड चूसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद मुन्नी को उठा कर तकियों के ऊपर मैंने घोड़ी बना दिया और उसकी गांड पर ढेर सारा थूक डाल कर उसकी टांगें चोड़ी करते हुए सामने पड़े तकियों के ढेर के ऊपर उसे लेटा दिया उसकी गांड का छेद मेरे लण्ड के सामने था।
इसके बाद मुन्नी की गांड पर लोड़ा छुला कर मैंने सुपाड़े से गांड के मुँह पर ठक ठक करी और सुपारा गांड में घुसा दिया। मुन्नी जब तक कुछ समझती, लोड़ा उसकी गांड में प्रवेश कर चुका था, बिना देर किये पूरी दम लगा कर सेकंड्स में लोड़ा आधा अंदर तक उसकी गांड में पेल दिया और उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़ ली।
अब मुन्नी की गांड मेरे कब्ज़े में थी, मुन्नी जोर से चीख पड़ी और लोड़ा बाहर निकालने की कोशिश करने लगी।
लेकिन अब कोई फायदा नहीं था उसकी कुंवारी गांड खुल गई थी और मेरा लण्ड उसमें घुसा हुआ था। मैंने उसकी चोटी खींचते हुए उसकी गांड चोदनी शुरू कर दी और कहा- तूने मेरी भाभी को झूठा रंडी साबित किया, ऊपर से दो हजार रुपए भी लिए, यह उसकी सजा है, अब गांड में अंदर लोड़ा लेने की कोशिश कर, नहीं तो और दर्द होगा।
यह सुन कर भाभी का सर गर्व से तन गया था।
मुन्नी की गांड बहुत तंग थी, आधे लोड़े के बाद लोड़ा अंदर घुस ही नहीं पा रहा था, दर्द के मारे मारे मुन्नी चीख रही थी, उसकी आँखों से पानी आ रहा था।
मैं गांड चोदने के साथ साथ मुन्नी की गांड खोद भी रहा था मुझे पूरा लोड़ा उसकी गांड में जो डालना था।
मेरी जीत तभी थी जब मुन्नी की गांड पर मेरे टट्टे तबला बजाते, मुझे सफलता मिल रही थी और मेरा लोड़ा मुन्नी की गांड में धीरे धीरे और अंदर घुसने लगा था मुन्नी अब एक बकरी बनी हुई थी और दर्द से चीख रही थी और लोड़ा बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रही थी।
उसकी गांड की आज सुहागरात मन रही थी, एक चोदु की तरह थोड़ी देर में मैंने लगभग पूरा लोड़ा उसकी गांड में पेल दिया था।
वो गद्दों और तकियों पर फिसल गई थी। मैं उसकी गांड मारने का पूरा मज़ा ले रहा था।
थोड़ी देर बाद लोड़ा बाहर निकाल कर मैंने उसे कुछ राहत दी, इसके बाद मैंने झुककर उसकी चूचियाँ दबाते हुए दुबारा उसकी गांड में नंगा लण्ड पेल दिया।
मेरी पकड़ के आगे वो बेबस थी, अब गांड चुदवाने के अलावा उसके पास कोई रास्ता नहीं था, आँखों से आंसू टपकाते और दर्द से चीखती हुई मुन्नी ने अपनी गांड चुदवाने की सहमति दे दी और मेरे कहे अनुसार लोड़ा गांड में अंदर लेने लगी।
गांड चोदने में मुझे बहुत ताकत लगानी पड़ रही थी। कुछ देर बाद लोड़ा पूरा अंदर घुस गया और मेरे टट्टे उसके चूतड़ों से टकराने लगे, अब मुझे गांड चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था।
मुन्नी को भी गीता के अपमान की सजा मिल रही थी।
5 मिनट करीब तक उसकी गांड चोदने के बाद मेरा लण्ड-रस उसकी गांड में बह गया।
मुन्नी निढाल होकर नीचे गिर गई।
गरीबी और मज़बूरी आदमी के वाकयी दो सबसे बड़े रोग होते हैं। मुन्नी की गांड भी इस रोग का शिकार हो गई थी।
भाभी ने आकर मुझे बाँहों में भर लिया और मेरे ऊपर पप्पियों की बारिश कर दी और बोली- सच, तुमने मेरी बेइज्ज़ती का बदला ले लिया। वाह, मज़ा आ गया ! क्या गांड मारी है ! कुतिया के आंसुओं से पूरा बिस्तर गीला हो गया, आह… आज मेरा बदला पूरा हो गया।
मुन्नी दर्द से कराह रही थी, भाभी ने उसको थोड़ा चलवाया और पेशाब करवाया, इसके बाद वो मेरे पास आकर लेट गई।
मैंने भाभी से कहा- आप इसकी गांड की सिकाई के लिए गर्म पानी करके आधे घंटे बाद आना। मुझे मुन्नी को अब थोड़ा प्यार करना है। भाभी दूसरे कमरे में चली गईं।
मैंने लेट कर मुन्नी को अपने बदन से चिपका लिया, उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसे देखते हुए बोला- मुन्नी, गांड बहुत दुःख रही है ना?
मुन्नी रुआंसी सी होती हुई बोली- बड़ा दर्द हो रहा है।
मैंने उसे अपने से चिपकाते हुए उसके बाल सहलाए और बोला- गांड का दर्द 2-3 दिन में ठीक हो जाएगा। अब तुम बदनामी से भी बच जाओगी और दुबारा जब गांड में लण्ड लोगी तो दर्द भी नहीं होगा और मज़ा चूत से भी ज्यादा आएगा।
मुन्नी कस कर चिपकती हुई बोली- मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मैं रंडी न बन जाऊँ।
मैंने उसके होंटों पर पप्पी लेते हुए कहा- क्या बात करती हो ! तुम तो रंडी बनने से बच गई हो।
मुन्नी बोली- मैंने पैसे वापस करने को हाँ तो कर दी है लेकिन मैं पैसे कैसे वापस करुँगी? और पैसे वापस नहीं हुए तो आपके साथ साथ आपके दोस्त भी मुझे चोदेंगे ! रंडी तो मुझे बनना ही पड़ जाएगा।
मुन्नी को सीधा करते हुए मैंने उसकी चूत की फलकों को सहलाया और बोला- तुम्हारी चूत तो अब मेरे लोड़े की दोस्त है, इसको अपने दोस्तों से क्यों चुदवाऊंगा ! वो तो भाभी को खुश करने के लिए मैंने कहा था।
मुन्नी मुझसे चिपकते हुए बोली- सच?
मैंने उसे चिपकाते हुए कहा- सौ फीसदी सच।
उसके कान में मैंने धीरे से कहा- मुझसे तो प्यार से चुदोगी न?
मुन्नी ने दुबारा अंगड़ाई ले रहे मेरे लोडे को पकड़ते हुए कहा- आपसे चुदने में तो मुझे बड़ा आनन्द आता है, आज भी बड़ा आनन्द आ रहा था लेकिन आपने मेरी गांड मारकर मेरा सारा मज़ा ख़त्म कर दिया, गांड बहुत दुःख रही है और आज तो आपने मेरी चूत में अपना रस भी नहीं डाला। अगर आप मुझसे थोड़ा भी प्यार करते हैं तो एक बार मेरी चूत में अपना रस डालिए न ! आपका घोड़ा भी खड़ा हो गया है।
मैंने मुन्नी को बाँहों में भरते हुए उसकी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया और उसके निप्पल उमेठते हुए कहा- तुम्हें एक इनाम देना है। इनाम में नौकरी करना पसंद है?
मुन्नी बोली- मुझ पाँचवीं पास को नौकरी कौन देगा?
मैंने उसके होंटों को चूमते हुए कहा- नौकरी मैं दिलवाऊँगा।
मैंने मुन्नी से कहा- एक नौकरी है।
मुन्नी बोली- क्या करना होगा?
मैंने कहा- एक लेडी डॉक्टर की दुकान पर सुबह 10 से शाम 3 बजे तक क्लीनिक पर मरीजों को संभालना है, चार हजार रुपए देगी। मुन्नी खुश होते हुए बोली- सच? मैं तो तैयार हूँ।
इसके बाद मुन्नी और मैं दोनों आपस में चिपक गए और मैं उसकी चूत चोदने लगा। हम दोनों एक साथ झड़े और मैंने पूरा रस उसकी चूत की टंकी में भर दिया।
इसके बाद भाभी आ गईं उन्होंने मुन्नी की गांड की सिकाई गर्म पानी से कर दी और उसको बचे हुए दस हजार रुपए दे दिए।
इसके बाद हम सब लोग तैयार होकर वापस चाल में आ गए।
अगले दिन मुन्नी के पति वापस आ गए और 5-6 दिन बिना किसी हंगामे के निकल गए।
भाभी मुझसे बहुत खुश थीं और उन्होंने मुझे अपनी चूत का फ्री लाइसेंस दे दिया था। हर 2-3 दिन में एक बार उनकी चूत मार लेता था।
मुन्नी-भाभी की दोस्ती हो गई थी, जब मैं घर वापस आता था तो राखी, भाभी और मुन्नी अक्सर बातें करती दिख जाती थीं।
मुन्नी मुझे देख कर एक मीठी मुस्कान देती थी।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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