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प्रेषक : आसिफ़
मेरा नाम आसिफ़ है, मेरी उम्र 19 साल है, मैं एक अच्छी कद काठी का लड़का हूँ, इन्दौर का निवासी हूँ। मैं एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट हूँ। मैं अपनी सच्ची कहानी आप सब के सामने रख रहा हूँ। यह अभी दो महीने पहले की ही बात है।
बचपन से ही सैक्स में मेरी बहुत रूचि रही है। मैंने अपनी स्कूल में काफी लड़कियों को चोदा था। स्कूल के दिनों में मेरी एक गर्लफ्रेंड थी, जिसको मैंने काफी बार स्कूल के अंदर ही चोदा था। स्कूल छोड़ने के बाद हम दोनों का ब्रेकअप हो गया और तब से लेकर आज तक मैंने किसी को नहीं चोदा।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। मुझे अपने एक दूर के चाचा की लड़की (अब्बू के चचा की पोती) बहुत पसंद है। जिसका नाम मरजीना(बदला हुआ नाम) है। वह बहुत सुन्दर है। मैं हमेशा उसे चोदने के बारे में सोचता था।
मेरे चाचा का घर हमारे घर के बिल्कुल पास में था। मरजीना रोज हमारे घर पर आती थी। और मैं उससे खूब मजाक करता था,और मजाक-मजाक मैं उसे ऐसी जगह छू लेता था जहाँ पर हाथ नहीं लगाना चाहिए।
लेकिन उसने कभी इस बात का विरोध नहीं किया बल्कि हमेशा हँसती रहती थी। मुझे लगा उसको ये सब अच्छा लगता है।
इसलिए मैंने एक दिन उससे हिम्मत करके कहा- मैं तुम्हें चूमना चाहता हूँ।
वो चौंक गई और वहाँ से चली गई। बाद में मुझे बहुत पछतावा हुआ कि मैंने ये क्या कह दिया। उसने मुझसे बात करनी बंद कर दी। उसने हमारे घर आना भी कम कर दिया था।
पर कुछ दिन बाद सब सामान्य हो गया, उसने मुझसे बात करना शुरू कर दिया। लेकिन उसने कभी उस दिन के बारे में बात नहीं की, और मैंने भी सोच लिया कि अब ऐसी गलती नहीं करूँगा।
लेकिन मैं जब भी उसको देखता था तो पागल हो जाता था और हमेशा उसको चोदने के बारे में सोचता रहता था।
एक दिन किस्मत मुझ पर मेहरबान हुई। मैं कॉलेज गया था और पीछे से मेरे सब घर वालों को अचानक अहमदाबाद जाना पड़ा क्योंकि मेरे मामा की तबियत ख़राब होने की खबर आई थी। मेरे एक्जाम थे इसलिए जब पापा ने मुझे कॉल किया तो मैंने जाने के लिए मना कर दिया।
सब घर वाले अहमदाबाद चले गए। जब मैं कॉलेज से आया तो मेरे घर पर लॉक लगा था। मेरे घर की चाभी चाचा के घर पर थी इसलिए मैं चाभी लेने वहाँ गया, मैंने देखा मरजीना घर की सफाई कर रही थी।
मैंने कहा- मरजीना, घर की चाभी दे दो।
मरजीना ने मुझे चाभी लाकर दी और बोली- तुम्हारी मम्मी कहकर गई है कि तुम्हें चाय बनाकर दे दूँ, तुम अंदर आ जाओ।
मैं बोला- नहीं मैं पहले नहाऊँगा, फिर चाय पिऊँगा।
वो बोली- ठीक है, मैं तेरे घर आकर चाय बना कर दे दूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मेरे मन में अभी तक कुछ भी गलत ना था। मैं नहा कर निकला और थोड़ी देर में मरजीना आई। मैं उसे देखता रह गया क्योंकि वो अब एक मैक्सी पहन कर आई थी जबकि थोड़ी देर पहले वो गंदे कपड़ों में घर की सफाई कर रही थी। उसके इस बदले रूप से मुझे लगा कि मरजीना भी वही चाहती है जो मैं चाहता हूँ।
मरजीना बोली- चाय बना दूँ?
और मैं जैसे सपने से जागा और कहा- हाँ, अब बना दो, मैं नहा चुका हूँ।
मरजीना रसोई में चाय बनाने चली गई।
मैं अब अपने ही काबू में नहीं था, मैंने सोच लिया अगर उसको बुरा लगे तो लगे और मैं किचन की तरफ चल दिया। मैं आपको बता दूँ मरजीना का फिगर 32-28-24 होगा।
मैंने पीछे से उसको देखा उसके चूतड़ मस्त लग रहे थे, मैंने आगे बढ़ कर उसकी कमर पकड़ ली और उसके मम्मों पर हाथ रख दिया।
मरजीना चिल्लाई- ये क्या कर रहे हो?
मैं बोला- जानेमन, मैं आज रुकने वाला नहीं हूँ, मुझे करने दो जो मैं चाहता हूँ।
वो बोली- आसिफ़ भाई, तुम गलत कर रहे हो।
मैंने फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो चीखना चाहती थी पर मैंने उसका मुँह अपने मुँह से बंद कर दिया। मैं उसके उरोजों को सहलाने लगा। वो मना करती रही पर मैं अपना काम करता रहा।
मुझे आज बहुत ख़ुशी हो रही थी कि जिस लड़की को मैं इतना पसंद करता हूँ आज वो मेरी बाँहों में है। वो दबी जुबान से कहने लगी- प्लीज मुझे छोड़ दो।
मैंने कहा- देख चुदना तो तुझे है ही, इससे तो अच्छा है कि तू मेरा साथ दे और खुद भी मजे ले और मुझे भी दे।
मैंने उसकी मैक्सी ऊपर कर दी और उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बोबे सहलाने लगा। अब उसका विरोध कुछ धीमा पढ़ रहा था, वो सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने फिर उसकी मैक्सी को हटा दिया, अब वो भी मेरा थोड़ा-थोड़ा साथ दे रही थी।
वो अब मेरा मुँह अपने बोबे पर दबा रही थी, कुछ देर बाद वो ज्यादा गरम हो गई, मैंने उसकी ब्रा उतारकर उसके बदन से अलग कर दी और उसके नंगे संतरों को मसलने लगा।
वो आनन्द भरी सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने अपने होंठों से उसके एक मम्मे के चुचूक चुभलाना शुरू किये और दूसरे हाथ से मैं उसके दूसरे मम्मे को दबा रहा था।
मुझे बोबे चूसने में बहुत मजा आया। वो भी गर्म होकर मेरा मुँह अपनी चूचियों में दबाने लगी। उसको गर्म होते देख मैंने उसकी पेंटी हटानी चाही।
लेकिन उसने मना कर दिया और बोली- शादी के बाद मेरा पति क्या सोचेगा? प्लीज मुझे चोदना मत।
मैंने उसकी बात मानते हुए कहा- मैं तुझे चोदूँगा नहीं बस तेरी चूत चाटूँगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वो मान गई और फिर मैंने उसकी पेंटी उसके बदन से अलग कर दी। उसकी चूत देखकर मैं होश में नहीं रहा। अपना आपा खो कर मैं टूट उसकी चूत पर पड़ा और उसकी बुर को चाटने लगा।
उसकी बुर पर एक भी बाल नहीं था और एकदम गुलाबी थी, अगर कोई बुड्ढा भी देख ले तो उसका भी खड़ा हो जाये।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर तक डालकर उसे चोदा और उसके दाने को चूसा, वो और गर्म हो गई और मेरे मुँह को अपनी चूत में दबाने लगी। मुझे भी उसका ऐसा करने से बहुत मजा आया।
वैसे मैंने कई लड़कियों के साथ सैक्स किया है, लेकिन मरजीना की बात ही अलग है।
आखिरकार मरजीना से भी रहा नहीं गया और उसने मुझे कहा- चोद दे मेरे भाई राजा, फाड़ दे मेरी चूत को। तोड़ दे अपनी बहन की चूत की सील को।
यह सुन कर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा और मैंने फिर देर न करते हुए अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया। लंड थोड़ा सा अन्दर जाते ही वो चीख पड़ी क्योंकि उसकी चूत अभी तक कुँवारी थी। मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और एक और धक्का दिया और लंड पूरा अन्दर सरक गया।
मैं थोड़ी देर रुका और जब मैंने देखा अब उसका दर्द कम हो गया है, तो मैंने धक्के मारने शुरू किये। कुछ ही धक्कों के बाद उसको भी अब मजा आने लगा। वो भी नीचे से अपने चूतड़ों को उठा कर मेरा साथ देने लगी। थोड़ी देर बाद उसने मेरी कमर को जोर से पकड़ा और झड़ गई।
मैंने धक्के लगाना जारी रखा और थोड़ी देर बाद में भी झड़ गया।
उसने मुझे कहा- ये क्या कर दिया तूने? अब मैं किसी को क्या मुँह दिखाऊँगी।
मैंने कहा- देख मरजीना, तू मुझे बहुत अच्छी लगती है। इसलिए मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और तुझे भी तो मजा आया न?
वो बोली- मजा तो आया लेकिन दुनिया वाले क्या कहेंगे?
मैंने उसको समझाया- जब दुनिया को पता ही नहीं चलेगा तो कोई क्या बोलेगा?
उसने पास आकर मुझे चूम लिया और मुस्कुराने लगी।
उसके बाद जब भी हमको मौका मिला, हमने चुदाई जरूर की, जब वो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली थी तो हमने शादी करने का निश्चय कर लिया, वैसे तो हमारा रिश्ता जुड़ने में कोई सामाजिक रुकावट नहीं थी पर हमारे घर वाले नहीं रजामन्द हुए तो हमने घर से भाग कर शादी कर ली ! हम अब बहुत खुश हैं।
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