This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
मेरा नाम राकेश है, मेरी पढ़ाई के बाद मुंबई में दस हजार रुपए की मेडिकल रेप्रिजेंटटिव की नौकरी लग गई थी। मुझे औरतों को पटा कर और फंसा कर चोदने का शौक था। पाँच-छः औरतें पढ़ाई के समय से फंसी हुई थी, महीने में 4-5 बार उनसे चुदाई का मज़ा ले लेता था।
उनमें से एक औरत सीमा ने मुंबई में मेरी एक आदमी मोहन से बात कराई जो उसकी सहेली गीता का पति था और एक चाल में रहता था। मोहन से मेरा चार हजार रुपए में रहना और खाना तय हो गया। मैं मुंबई आ गया, मोहन मुझे लेने आ गया था।
35 साल का मोहन एक होटल में वेटर था। उसकी चाल में हम लोग आ गए। वहाँ उसकी बीवी गीता और वो अकेले रहते थे।
गीता करीब तीस बरस की होगी, दिखने में बुरी नहीं थी, चूचे मोटे-मोटे बाहर को निकले हुए थे और चुदाई में मस्त मज़ा देने वाली औरत लगती थी। बच्चे उनके गाँव में रहते थे। घर में सिर्फ एक कमरा, रसोई और छोटा सा बाथरूम था। बातचीत होने के बाद मैंने मोहन को एक महीने का पेशगी दे दिया।
रात को मोहन मुझे देसी दारु के अड्डे पर ले गया, मैं दारु नहीं पीता था पर मोहन ने एक बोतल देसी शराब की पी।
वापस आकर हम दोनों ने खाना खाया। रात को जमीन पर गद्दे बिछा कर हम सब सोने लगे। मुझे छोटे से कमरे मैं बड़ी बेचैनी हो रही थी। मैं थका हुआ था इसलिए मुझे जल्दी नींद आ गई।
थोड़ी देर बाद कमरे में हलचल की आवाज़ से मेरी नींद खुल गई। गयारह बज़ रहे थे, मैंने पलट कर देखा तो मोहन गीता के ऊपर चढ़ कर उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा था, उसने ब्लाउज उतार दिया था। मैं बगल में लेटा था, गीता की दोनों मोटी चूचियाँ बाहर निकल आई थीं। मोहन उसकी चूचियाँ खोल कर दबाते हुए चूसने लगा।
मोटी मोटी दबती हुई नंगी चूचियाँ देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।
इस बीच गीता ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल लिया और पेटीकोट ऊपर पेट तक चढ़ा लिया। मोहन ने अपनी लुंगी खोल दी।
गीता ने उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर लगा लिया, मोहन ने जाँघों से जांघें चिपकाते हुए लण्ड अंदर को ठोका। एक उह… की आवाज़ सी गूंजी, लण्ड अंदर गीता की चूत में घुस चुका था।
मोहन अब गीता को चोद रहा था, गीता अब चुद रही थी और उसकी उह… उह… उह्ह… आह… और चोदो… उई… उई… जैसी आहें छोटे से कमरे में गूंज रही थीं। उसके दोनों स्तन मोहन ने पकड़ रखे थे, उन्हें मसल रहा था।
मैं महीने में 5-6 बार औरतों की चूत मारता था इसलिए मुझे औरत का स्वाद पता था। पिछले 15 दिन से मैंने किसी की चोदी भी नहीं थी। यह सब देखकर मेरा बुरा हाल हो रहा था, न मैं आँख बंद कर पा रहा था न पूरी तरह से खोल पा रहा था।
5 मिनट बाद दोनों का खेल ख़त्म हुआ। उसके बाद मोहन खर्राटे भरने लगा, गीता भी सो गई। मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैंने बाथरूम में जाकर मुठ मारी तब जाकर मुझे नींद आई।
अगले दिन मुझे नौकरी पर जाना था। सुबह सात बजे मैं उठ गया, गीता एक सस्ती सी धोती में उसी कमरे में कपड़े प्रेस कर रही थी। बिना ब्रा के ब्लाउज से उसकी दोनों चूचियाँ बाहर निकल रहीं थीं, जैसे कि पूछ रही हों कैसी लग रही हैं !
उसने मुझे और मोहन को नाश्ता कराया। मोहन सुबह साढ़े सात बजे जाता था और रात को आठ बजे तक आता था।
मोहन और हम एक ही ट्रेन से गए मेरा ऑफिस पास में था और फील्ड वर्क था। रात को मैं नौ बजे वापस आ गया। मोहन ने सबको यह बता रखा था मैं उसके चाचा का लड़का हूँ।
अगले दिन से मुझे सुबह नौ बजे निकलना था और मेडिकल रेप्रिजेंटटिव के काम से डॉक्टर्स से मिलना था।
अगले दिन शुक्रवार मोहन की छुट्टी थी, उसने बताया होटल में उसका ऑफ शुक्रवार को रहता है। मेरी छुट्टी रविवार को होती थी।
दो दिन बाद सन्डे को मेरा ऑफ था। शनिवार को मोहन ने मुझे बताया कि पास में सन्डे बाज़ार लगता है, कल गीता के साथ बाज़ार चले जाना।
अगले दिन सुबह सात बजे मोहन चला गया जब मेरी नींद खुली तब तक नौ बज़ रहे थे।
गीता मुझे देखकर बोली- मैं नहा कर आती हूँ।
गीता ने मेरे सामने ही अपनी साड़ी उतार दी और अंदर बाथरूम मैं चली गई। थोड़ी देर बाद बाहर निकल कर बोली- ओह, अंदर तो अँधेरा है, मैं तो भूल गई थी आज 9 से 10 बिजली बंद है।
मुस्कराते हुए बोली- अब तो अँधेरे में ही नहाना पड़ेगा !
और उसने अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए उसकी आधी से ज्यादा चूचियाँ बाहर निकल आईं थीं।
मैं बाहर की तरफ जाने लगा।
गीता पेटीकोट का नाड़ा ढीला करते हुए मुस्करा कर बोली- आप बाहर क्यों जा रहे हैं, आप तो आप मेरे देवर हैं, यहीं बैठिये ना !
और उसने पीछे मुड़ कर अपना ब्लाउज़ उतार दिया, अपनी गर्दन घुमा कर बोली- इसे गंदे कपड़ों की डलिया में डाल दीजिए ना !
उसके मुड़ने पर मुझे उसकी एक चूची पूरी दिख गई थी ! क्या सुंदर स्तन था। देखकर लण्ड में पूरी आग लग गई थी !
इसके बाद उसने अपना पेटीकोट ऊपर चढ़ा कर स्तनों को ढकते हुए बांध लिया, पीछे से उसकी मांसल जांघें और नंगी पीठ पूरी दिख रही थी।
मेरा लण्ड यह देख कर हथोड़ा हो गया था, मन कर रहा था कि पीछे से उसकी चूत में घुसा दूँ।
इसके बाद वो मेरी तरफ मुड़ी, उसने पेटीकोट अपने वक्ष पर बाँध रखा था, उसकी आधी चूचियाँ खुली हुई थीं और थोड़ी सी निप्पल भी दिख रही थीं, मुझे झुककर अखबार देकर बोली- आप अखबार पढ़ें, मैं जल्दी से नहा कर आती हूँ। उसके बाद चाय साथ पीयेंगे।
वो बाथरूम में घुस गई। नहा कर जब वो बाहर आई तब मैं शेव बना रहा था, मेरी पीठ उसकी ओर थी, उसके बदन पर सिर्फ तौलिया बंधा हुआ था।
मेरे पीछे बेशर्म होते हुए उसने अपना तौलिया खोल लिया और दोनों स्तन खोलकर पोंछने लगी, शेविंग के शीशे में उसकी दोनों नंगी चूचियाँ हिलती हुई मुझे दिख रही थीं, मेरा लण्ड हिचकोले खा रहा था।
पेटीकोट पहनने के बाद स्तनों पर तौलिया डालकर वो मेरे सामने आकर बोली- भैया, चाय बना लेती हूँ, फिर हम दोंनो हाट चलते हैं। तौलिये में से हिलती अर्धनग्न चूचियाँ देखकर लण्ड लुंगी में पगलाने लगा था।
गीता भाभी चाय बनाकर मुझे चाय देने लगीं तो मेरा हाथ अनजाने में उनके स्तनों से टकरा गया। हाथ हटाते हुए मेरे मुँह से सॉरी निकल गया।
हँसते हुए गीता बोली- भैया, आप भी कितने शर्मीले हैं, जरा सा हाथ लग गया तो शरमा रहे हैं। इनके जीजाजी तो जब भी आते हैं, बार-बार जानबूझ कर मेरी गेंदें दबा देते हैं। वो तो मैं ज्यादा लिफ्ट नहीं देती, नहीं तो चोदे बिना नहीं छोड़ें।
गीता भाभी पेटीकोट में सामने बैठी हुई थीं, ऊपर सिर्फ उन्होंने तौलिया डाल रखा था, उससे केवल निप्पल ढकी हुई थीं, दोनों उरोज बगल से खुले दिख रहे थे।
गीता चहकते हुए बोली- इनका तो हाल ही मत पूछो ! आपने भी देख ही लिया होगा कि रात को रोज़ अपना लण्ड अंदर घुसा कर ही मानते हैं।
चाय पीते पीते मुझसे बोली- मैं तो सोच रही थी कि आप घर में रहेंगे तो कुछ हंसी मजाक करेंगे, लेकिन आप तो बहुत शर्मीले हैं। आपकी शर्म देखकर तो मेरे को भी शर्म आने लगी है। सीमा तो बता रही थी आपकी कई औरतों से यारी है, कुछ हमें भी किस्से बता दो ना।
मुझे लगा कि भाभी मस्ती के मूड में हैं, मैंने कहा- भाभी सच बताऊँ या झूठ?
भाभी अंगड़ाई लेते हुए बोली- जल्दी से सच बताओ !
अंगड़ाई लेने से उनका तौलिया सरक गया और उनका एक स्तन बाहर निकल आया जिसे उन्होंने हँसते हुए फ़िर से तौलिये से ढक लिया।
मैंने कहा- अब तक बीस से ज्यादा औरतों का स्वाद चख चुका हूँ। लेकिन जबरदस्ती किसी से नहीं की और जिसकी एक बार मार ली उसने दुबारा खुद कह कर अपनी चुदाई करवाई है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
भाभी बोली- सच?
बातचीत में भाभी ने जानबूझ कर तौलिया नीचे गिरा दिया, अब उनके दोनों सुंदर स्तन खुल कर बाहर आ गए थे। मुझसे रहा नहीं गया मैंने दोनों स्तनों को प्यार से पकड़ कर धीरे से दबाया और उनके चुचूक चूसते हुए कहा- आपकी चूचियाँ बहुत सुंदर हैं।
भाभी मेरे सर को सहलाते हुए बोलीं- याहू ! अब आया असली मज़ा !
रसीले स्तन दबाने और चूसने से मेरा लण्ड लुंगी में फड़फड़ा रहा था। गीता ने मेरी लुंगी की गाँठ खोल दी और मेरा लण्ड हाथ में पकड़ते हुए बोली- आह क्या मोटा लोड़ा है ! देवर जी इससे तो चुदने में मज़ा ही आ जाएगा।
गीता लेट गई और अपना पेटीकोट उठा कर बोली- एक बार चोद ही दो ! फिर दोस्ती पक्की हो जाएगी।
मैं बोला- नेक काम में देरी क्यों !
और उनकी चूत पर लण्ड लगा दिया। लण्ड पूरा अंदर तक एक बार में ही घुस गया। गीता की आह कमरे में गूंज उठी।
हम दोनों अब चुदाई का खेल खेल रहे थे। लौड़ा बहुत देर से अंगड़ाई ले रहा था, उसने थोड़ी देर में ही हार मान ली और 18-20 धक्कों में ढेर हो गया।
मैंने गीता को अपनी बाँहों मैं चिपकाते हुए कहा- दूसरे राउंड में मज़ा ज्यादा आएगा।
गीता ने मुझे हटाते हुए अपना मुँह मेरे लण्ड पर रख कर एक लण्ड पप्पी दी और बोली- अब तो इसकी दोस्ती मेरी फ़ुद्दी से हो गई है। आज इतने से ही काम चला लो, समय मिलने पर पूरा मज़ा करेंगे। यहाँ एक बार लफड़ा हो चुका है इसलिए सावधान रहना पड़ता है। मुझे मन मारकर उठना पड़ा।
हम दोनों तैयार होकर हाट में घर का सामान खरीदने चले गए।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000