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देसी पोर्न कहानी में पढ़ें कि कैसे एक न्यूज़ एंकर की चुदाई के बाद बाक़ी दोनों लड़कियाँ भी नंगी होकर उस बेडरूम में आ गयी. फिर तीन न्यूज़ एंकर ने मिल कर कैसे मुझे रगड़ा.
दस पंद्रह मिनट तक हम आराम करते रहे. मेम रानी ने एक झपकी भी मार ली.
मैं उठ कर बाथरूम गया और एक तौलिया भिगो कर उससे अपने लंड, झांटें और मेम रानी की चूत प्रदेश को अच्छे से साफ़ किया.
गीला तौलिये के स्पर्श से रानी की झपकी टूट गयी. जाग के उसने मुझे घसीट के अपने से लिपटा लिया और मेरी छाती से मुंह लगाकर गहरी गहरी साँसें भरने लगी. मैं भी चुपचाप इस मधुर आलिंगन का आनंद लेने लगा.
“रुस्तम!” रानी की घंटियां बजने जैसे मीठी आवाज़ आयी. टीवी की एंकर थी इसलिए उसकी आवाज़ तो मस्त होनी ही थी.
“रुस्तम नाम कैसा लगा तुझे?” “मेम रानी, तूने नाम रखा तो ख़राब कैसे हो सकता है … मस्त नाम है … मज़ा आया ये नाम सुन के.” “बताऊँ ये नाम क्यों रखा?” रानी ने इतराकर पूछा. “हाँ मेमरानी बताइये?”
“बताऊंगी मगर पहले मेरे साथ इतनी इज़्ज़त से बात करना बंद कर … अब तेरी रानी बन गयी हूँ तो जैसा सब रानियों से बात करता वैसे ही मेरे साथ कर … नहीं तो ये पक्षपात हो जायगा … तू चुदाई का रुस्तम हैं न इसलिए ये नाम दिया मैंने … हा हा हा रुस्तम ए चुदाई.”
मैं हंसा- बहुत बढ़िया नाम ढूंढा तूने मेमरानी … तूने हुक्म दिया था न कि तू मालकिन और मैं ग़ुलाम … उसी तरह से बात कर रहा था मैं तो.
“यार रुस्तम, मुझे ना चुदाई में रोल प्ले करके बहुत मज़ा आता है … मैं तो तुझे बिना बताये रोल प्ले कर रही थी मालकिन और ग़ुलाम का … मैं तुझको परखना चाहती थी. ये देखना चाहती थी कि तू ग़ुलाम बनने में खुश हो रहा था या सिर्फ मेरी चूत के लालच में ड्रामा कर रहा था … यू पास्ड विद डिस्टिंक्शन रुस्तम.”
देखे पाठकों और पाठिकाओं, आपने मेमरानी के लटके झटके! ये तो बहुत ही बिंदास लौंडिया थी! बिना बताये रोल प्ले! क्या बात है! ये सब हुस्न वालों के नखरे हैं.
किन्तु चूतनिवास का तो जन्म ही लड़कियों को असीम आनंद देने के लिए हुआ है.
खैर अच्छा ये हुआ कि रानी ने मुझे पास कर दिया और वो भी डिस्टिकंशन के साथ. अगर कहीं फेल कर देती तो चूतनिवास के लिए डूब मरने वाली बात हो जाती.
मेम रानी बोली- यार रुस्तम, बड़ी प्यास लग रही है … ज़रा जा न किचन में … फ्रिज से एक लिमका ले आएगा? दोनों पिएंगे एक ही बोतल से.
मैं किचन में गया और फ्रिज से एक बोतल लिम्का की निकाली और उसको खोल कर वापिस मेम रानी के पास आ गया. मेमरानी ने एक बड़ा सा घूंट लिया और बोतल मेरी तरफ बढ़ा दी.
मैंने बोतल नहीं ली और कहा- मेमरानी … मैं कोई भी ड्रिंक अपने आप नहीं लेता … तू सिप ले और उसको मेरे मुंह में डाल दे … मैं तो कोल्ड ड्रिंक और दारु सब कुछ इसी तरीके से पीता हूँ. मेम रानी ख़ुशी से मस्तायी- आय हाय … तू तो यार लड़की का पूरा स्वाद लेता हैं … बहनचोद ड्रिंक भी लड़की के मुंह से!
मैं हँसते हुए बोला- रानी, मुझे किसी भी ड्रिंक में कोई आनंद नहीं आता … हाँ जब रानी के मुंह से होकर लिम्का, वाइन, बियर या व्हिस्की मिलती है तो क्या कहने … बहनचोद दारू न हो तो भी नशा चढ़ जाता है … रानी के मुंह में चक्कर लगा के तो सादा पानी भी नशीला हो जाता है.
रानी मुझसे लिपट के लिम्का पीने लगी और मुझे पिलाने लगी.
मुझे तो मज़ा आ ही रहा था. परन्तु लगता है कि मेमरानी मुझसे भी ज़्यादा मज़ा पा रही थी. वो मेरे मुंह में लिम्का डालकर चुम्बन ले लेती थी. मेरे बालों को सहला रही थी. थोड़ी थोड़ी देर में लौड़े को चूम लेती थी या गोलियों पर हाथ फेर देती थी.
लिम्का ख़त्म होते होते मेम रानी की चुदास फिर से परवान चढ़ गयी थी. खाली हुई लिम्का की बोतल एक तरफ को फेंक के रानी ने लौड़े पर हाथ फिराया और लंड को चूमने लगी. “रुस्तम यार मेरा तो फिर से मूड बन रहा है … क्या बोलता तू? हो जाए एक और राउंड?”
रानी ने खड़े हो चुके लौड़े की खाल को पीछे सरका कर सुपारा नंगा कर दिया और दूसरे हाथ से झांटों में उंगलियां घुमाने लगी. घुंघरू की हल्की हल्की सी आवाज़ें फिर शुरू हो गयीं. “मेम रानी हो जाए मैडम जी … एक क्या, आपका हुक्म हो तो एक क्या दो, तीन, चार कितने राउंड चाहिए उतने हो जायँगे … बंदा हाज़िर है आपकी खिदमत में.”
मेम रानी ने डांट लगाई- इतना लालच न कर रुस्तम … मुझे ही चार बार चोद देगा तो वो दो दो रंडियां जिनका ये घर है, वो क्या माँ चुदवाएंगी? मेरा घर में घुसना बंद कर देंगी माँ के लौड़े … एक ही राउंड से काम चला लूंगी.
तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और बेबी रानी गुड्डी रानी के साथ दाख़िल हुई. दोनों रानियां नंगी थीं और दोनों के चेहरे तमतमाए हुए थे जैसे काफी. शायद खूब मस्ती से समलैंगिक चुदाई करके आयी थीं.
जब देखा मेमरानी लंड से खेल रही है तो बेबी रानी मटक के बोली- ओह हो ओह हो … क्या बात है पिंकी … लगता है हमारा आशिक़ तुझे पसंद आ गया? मेमरानी ने हंसकर कहा- हाँ आ गया … इसका नाम मैंने रुस्तम रख दिया है और इसके हथियार का नाम नाग … और ये मुझे मेम रानी कहा करेगा.
गुड्डी रानी किलस के बोली- बहनचोद कितना शोर मचाया तूने … पता है बाहर लिफ्ट तक तेरी चिल्लाने और घुंघरू की छम छम का हल्ला मच रहा था … पड़ोसी भी क्या सोचते होंगे कि पता नहीं कौन से डांस की प्रैक्टिस हो रही है जिसमें इतना चीख़ना पड़ता है … हरामज़ादी शांति से नहीं चुद सकती तू?
मेमरानी ने कहा- अरे अब तो हो गयी न चुदाई पूरी … और कुतिया तू कम चिल्लाती है क्या जो मुझ पर इल्ज़ाम लगा रही कमीनी. रानी ने इतना कह कर सब घुंघरू खोल के रख दिए- अब खुश? अब छम छम नहीं होगी.
बेबी रानी बोली- जब काफी देर तक छम छम नहीं सुनाई दी तो हम समझ गए कि चुदाई पूरी हो गयी … इसलिए हम आ गए तुम तोता मैना की जोड़ी का हाल चाल देखने … और आज से हम भी तुझको मेम कहा करेंगी … मगर तेरे रुस्तम को मैं तो राजे ही कहूँगी.
गुड्डी रानी ने कहा- मैं भी राजे ही बोलूंगी … अब क्या प्रोग्राम है रंडी तेरा … कुछ चुदाई हमें भी नसीब होगी या नहीं.
मेमरानी ने बाद नाज़ ओ अंदाज़ से इठला कर कहा- हाँ मेरी जान, ज़रूर होगी लेकिन एक बार मैं और चुद लूँ फिर तुम दोनों … ओके ना?
गुड्डी रानी को यह बात ज़रा भी पसंद नहीं आयी और उसने नाक भौं सिकोड़ के ये दर्शा भी दिया. गुड्डी रानी भी तो थी ही सुपर हसीन तो उसपर यह सब हाव भाव बड़े मनमोहक लगते थे. मेम रानी ने कहा- अरे नाराज़ क्यों होती है कुतिया … ग्रुप चुदाई करेंगे न … बारी बारी से. बेबी रानी ने ये बहस आगे नहीं बढ़ने दी- ओके पिंकी … ओके … ग्रुप चुदाई ओके!
गुड्डी रानी ने मुंह तो बनाया मगर बोली कुछ नहीं.
खैर अब ग्रुप चुदाई का हिसाब किताब आगे बढ़ाया गया. मेरा लंड यानि मेम रानी का नाग, न जाने कब से अकड़ा हुआ चूत की प्रतीक्षा करते करते दुखी हो गया था.
मेम रानी घुटनों के बल मेरी तरफ पीठ करके बैठ गयी. मैंने भी घुटनों पर बैठ कर पीछे से उसकी रिसती हुई चूत में लंड घुसा दिया. धीरे धीरे से खूब आनंद लेते हुए चूत के हर इंच का स्वाद चखते हुए लौड़ा पूरा जड़ तक घुसाया.
गुड्डी रानी उसके सामने टाँगें चौड़ी करके अधलेटी सी हो गयी. दो मोटे तकिये उसने पीठ के पीछे लगा लिए. अब मेम रानी आगे को झुक कर घुटनों और कुहनियों पर टिकी हुई थी और उसका मुंह गुड्डी रानी की चूत पर था.
उधर बेबी रानी गुड्डी रानी के पेट पर सिर रख कर उसके मम्में चूसने लगी. साफ़ लगता था ये तीनों आपस की ग्रुप चुदाई में पारंगत थीं और भली भांति जानती थी कि क्या कैसे करना है.
याद आया … कि मुझे बेबी रानी ने बताया भी था ये तीनों जब लेस्बी करती तो एक त्रिकोण का आकार बन जाता है. यानि, एक का मुंह दूसरी की चूत पर, दूसरी का मुंह तीसरी की चूत पर और तीसरी का मुंह पहली की चूत पर.
यह तभी संभव है जब तीनों एक त्रिकोण के रूप में आपसे में हो जाएं.
खैर चुदाई के बाद मुझे इनका यान त्रिकोणीय चुदाई का दृश्य भी देखने को मिला. वाकई में बहुत कामुक नज़ारा था.
चुदाई मैंने हमेशा की तरह हल्के हल्के धक्कों से की. चूत चाटने की लपड़ लपड़ की आवाज़ आने लगी. मेमरानी ने भी अपनी गांड आगे पीछे करते हुए मेरे धक्कों से धक्के मिलाये.
जैसा मैं अक्सर करता हूँ मैंने धक्कों की धुन ताल सेट कर दी. जब मेम रानी आगे को चूतड़ करती तो मैं पीछे को करता जिससे लौड़ा लगभग पूरा ही बाहर आ जाता. और जब रानी के नितम्ब पीछे आते तो मैं धमक से आगे को शॉट ठोकता. इस तरीके से धक्का बहुत ही पावरफुल लगता था. लंड की पूरी लम्बाई बाहर से रानी की चूत के अंतिम छोर तक जाकर ठक्क करती.
गुड्डी रानी ने अब सिसकारियाँ भरनी शुरू कर दी थी. उसकी चूत और चूचे दोनों जो चूसे जा रहे थे. मेमरानी कभी कभी मुंह से कुछ अजीब सी घूं घूं करती करती दबादब गुड्डी रानी की चूत को जीभ से चोदने में लगी थी.
इनकी बढ़ती हुई उत्तेजना को देखते हुए मैंने धक्के तेज़ तेज़ लगाने शुरू कर दिए.
बहनचोद पीछे से चोदते हुए मेम रानी के मस्त सुन्दर रेशमी से नितम्ब देख देख कर मेरी हवस भी जंगल की आग जैसे भड़क गयी थी. कितना आनंद आएगा इन मस्त चूतड़ों पर जीभ फिराकर. इस कल्पना से ही धक्कों की रफ़्तार और भी तेज़ हो गयी. रस से सराबोर भग में लंड के प्रहार से हमेशा की तरह फच फच्च फच फच फच्च होने लगी. मेरी पोजीशन कुछ ऐसी बनी हुई थी कि मैं चूतड़ों तक मुंह नहीं ले जा सकता था वर्ना तो अब तब चाट चाट के घिस डाला होता. फिर भी मैंने एक हाथ से दोनों नितम्बों पर एक एक चांटा मारा. रानी ने ख़ुशी से ज़ोर से एक किलकारी मारी. अब मैंने रानी के चूतड़ों पर हाथ फेरना, सहलाना, चूचों की तरह निचोड़ना और बीच बीच में एक थपकी मरना शुरू कर दिया. मेम रानी मस्ती से बौरा गयी और लगी हम्म हम्म हम्म करके गुड्डी रानी की चूत में जीभ ठोकने.
इधर मैं तो दनादन धक्के पर धक्का मारे ही जा रहा था. गुड्डी रानी भी आनंद में डूबी हुई आहें भर रही थी.
अब वो ज़ोर ज़ोर से चूत को उछालने लगी थी. बड़ा मदमस्त वातावरण हो चुका था.
मेमरानी ने एक पल के लिए चूत से मुंह हटाया और चिल्लाई- रुस्तम चला दे अब हवाई जहाज़ … झड़ने वाली हो रही मैं. इतना बोल के उसने फिर से मुंह गुड्डी रानी की चूत से चिपका दिया. गुड्डी रानी भी पुकारी- तू भी तेज़ कर पिंकी … मैं भी झड़ी … आआह आआह ह..ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह आआ आआआ आआआ … आआ आआआ.
इधर मैंने सच में चुदाई की स्पीड हवाई जहाज़ जैसे तेज़ कर दी. फच फच्च फच्च फच फच्च फच्च्च फच फच्च फच्च्च बहुत ज़ोर ज़ोर से हो रही थी.
अचानक मेम रानी ने एक ऊँची आवाज़ में तीन चार बार आह आह आह की, चूत में रस का फुव्वारा छूटा और रानी झड़ गई.
मैंने खूब सारे शॉट टिकाये और झड़ गया. मेम रानी तो वहीं गिर पड़ी.
मैं खुद को संभाल के गिरा तो नहीं मगर लेट ज़रूर गया.
तब तक बेबी रानी के झड़ने की आवाज़ भी आ गयी. सबसे कम मज़ा उसी को मिला था मगर वो अपनी चूत को लगातार उंगली से रगड़ती रही थी.
इस प्रकार ये मेमरानी का मेरी रानी बनने का प्रकरण समाप्त हुआ. इसके बाद पहले बेबी रानी और फिर गुड्डी रानी को भी ऐसे ही चोदा जैसे मेम रानी को चोदा था ग्रुप चुदाई में.
मैं इनके घर दो दिन रहा. दो दिन और लगभग सारी रात यूँ ही चुदाई का सिलसिला चला.
शाम को रेड वाइन पी गयी जिसे मैंने तीनों रानियों के मुंह से पिया. एक बार तीनों के चूचुक से बारी बारी लुढ़का के वाइन का रसास्वादन किया. तीनों को हिसाब से बराबर बराबर चुदाई मिली. कुछ रोल प्ले भी हुए जिनमें सबसे ज़्यादा दिलचस्प था मेमरानी का मुग़ल-ए-आज़म वाली अनारकली का रोल प्ले करके चुदना.
इसका वर्णन मैं अगली कहानी में करूँगा. उसके लिये पाठक पाठिकाएं थोड़ी प्रतीक्षा करें. बहुत मस्त प्रसंग है वो. बहुत आनंद आएगा. तीन तीन रानियों को दो दिन चोद के मैं अपने घर वापिस आ गया.
हमेशा की तरह ये देसी पोर्न कहानी भी मेरी मल्लिका ऐ आलिया, मेरी बेग़म जान और समस्त रानियों की महान महारानी को समर्पित है.
चूतनिवास [email protected] मेरी देसी पोर्न कहानी पर अपनी राय जरूर प्रकट करें. धन्यवाद.
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