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मेरा नाम अंजू, उम्र 19 साल, जयपुर की रहने वाली हूँ। मेरे बदन के अंगों की बनावट बहुत ही आकर्षक है। मेरा फिगर 36-30-38 था, मुझे देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था। आज मैं अपनी पहली चुदाई के बारे में आप को बताना चाहूँगी कि मेरे साथ किस तरह घटना घटी और मैं चुद गई।
यह बात जब की है जब मैं 18 साल की थी। मैं कक्षा 12 में पढ़ती थी। स्कूल के पास होने के कारण मैं अपने चाचा के पास रहती थी, चाचा की किराने की दुकान थी।
चाचा रोज सुबह 5 बजे दुकान खोलते थे, कभी चाचा लेट हो जाते थे तो मुझे दुकान खोलनी पड़ती थी क्योंकि दुकान घर के नीचे ही थी।
मेरी एक क्लास में एक लड़का पढ़ता था, उसका नाम चंदू था। मैं उससे बहुत प्यार करती थी, हम रोजाना चुपचुप कर मिला करते थे।
एक दिन चाचा तबीयत खराब थी तो दुकान मैंने खोली, सर्दी का मौसम था इसलिए अंधेरा रहता था उस समय मैंने मौका पाकर चंदू को फोन कर बुला लिया, चंदू वहाँ आ गया और हम बातें करने लगे। बात करते करते चंदू मुझे चूमने लगा, चुम्बन करते-करते उसने अपना हाथ मेरे स्तन पर रखा और दबाने लगा।
मैंने उसका हाथ हटा दिया और उससे कहा- कोई देख लेगा।
उसने मुझसे कहा- हम दुकान के अंदर चलते हैं, वहाँ कोई नहीं देखेगा।
तो मेरा भी मन चुदने का कर रहा था, इसलिए हम दुकान के अंदर चले गए, हमने शटर गिरा दिया और अंदर हम दोनों मज़ा लेने लगे। इतने चाचा नीचे आ गए दुकान का शटर गिरा देख कर चाचा को शक हुआ, चाचा ने शटर खोलने की कोशिश की लेकिन शटर अंदर से बंद था, आवाज़ सुन कर हम घबरा गए।
चाचा ने मुझे आवाज़ लगा कर शटर खोलने के लिए कहा। मैंने चंदू को शक्कर की बोरी के पीछे छुपा दिया और शटर खोला।
चाचा अंदर आ गए और पूछा- अंदर क्या कर रही थी?
तो मैं कोई जवाब नहीं दे पाई, अंदर जाकर देखा तो चंदू फटाफट भाग निकला, चाचा को सारी बात समझ आ गई।
चाचा ने मुझे डांटा और पापा को सब बताने को कहा तो मैं डर गई।
मैंने चाचा को कहा- आप कुछ भी कर लो पर मेरे पापा से मत कहना।
तो चाचा ने मुझे डाँट कर भगा दिया, लेकिन तब से मैंने देखा कि चाचा मुझे किन्हीं और नज़रों से देखने लगे थे।
उस दिन के बाद मैंने सोचा कि चाचा सब भूल चुके है लेकिन मैं ग़लत थी। एक दिन चाची अपने मायके चली गई, तो घर पर मैं और चाचा ही बचे थे, तो मैंने चाचा के लिए रात्रि को खाना बनाया, खाना खाने के बाद मैं सोने अपने कमरे में जा रही थी।
चाचा ने मुझे पीछे से पकड़ और कहा- उस दिन तुमने कहा था कि तुम कुछ भी कर लेना इसलिए मैंने तुम्हारे पापा को नहीं बताया, उस दिन से मैं तुम्हें चोदने के सपने देखता था, लेकिन तुम्हारी चाची होने के कारण मैं कुछ नहीं कर पाता था, पर आज मैं मौका हाथ से जाने नहीं दूंगा।
और चाचा मेरे स्तन दबाने लगे। मैं चाचा से छोड़ने के लिए विनती करने लगी लेकिन चाचा ने मेरी एक नहीं सुनी और सलवार के ऊपर से मेरी चूत के ऊपर हाथ फेरने लगे।
मैं गर्म होने लगी, चाचा पक्के खिलाड़ी थे। उन्होंने भाँप लिया कि मैं गर्म हो चुकी हूँ।
उन्होंने अपना लंड निकाल कर मेरे हाथ में दिया और कहा- इसे चूसो।
मैंने पहले मना किया पर चाचा के कहने पर मैंने उसको चूसना चालू किया। मुझे उसको स्वाद थोड़ा अजीब लगा पर बाद में मज़ा आने लगा।
मैं लंड की चमड़ी को आगे-पीछे करने लगी। चाचा के मुँह से ‘आह उह आह; जैसी सिसकारी निकलने लगी, मैं भी थोड़ी गर्म होने लगी थी।
अचानक मुझे लंड पर कुछ चिकना और गर्म सा महसूस होने लगा। मुझे भीनी-भीनी सी खुशबू आने लगी, और उनका सारा माल पी गई,
अब मुझे नीचे कुछ गर्म महसूस होने लगा, चाचा नीचे मेरे चूतड़ पर हाथ फेरना चालू कर दिया और मेरी चूत में एक उंगली घुसा दी, मैं ज़ोर से चिल्लाई पर उन्होंने मेरा मुँह बंद कर दिया और कुछ देर रुकने के बाद उंगली को और अंदर डाल दिया।
मेरे मुँह से ‘आ… उ… आह… ह… हह…’ आवाजें निकलने लगीं।
चाचा ने गति बढ़ा दी और मेरा शरीर अकड़ने लगा। मुझे एक अजीब सी कशिश महसूस हुई और मेरा रज भी निकलने लगा।
अब चाचा ने मुझे छोड़ दिया और कहा- तू मुझे रात को आकर मिलना।
मैं वहाँ से चली गई, अब चाचा और में रात होने का इंतजार करने लगी, मुझे डर लग रहा था क्योंकि चाचा का लंड इतना बड़ा था कि मैं परेशान हो रही थी कहीं मेरी चूत फट ना जाए। रात हुई, मैंने चाचा के लिए खाना बनाया, चाचा दुकान से घर पर आए और हमने खाना खाया।
अब चाचा ने मुझे से पानी माँगा, मैंने उन्हें रसोई से पानी लाकर दिया। चाचा ने अपने जेब मे से एक गोली निकाली।
मैंने चाचा से पूछा- यह किस चीज़ की गोली है?
चाचा ने बोला- जानेमन, तुझे आज स्वर्ग की सैर कराने के लिए इसे लाया हूँ !
और चाचा ने गोली खा ली।
‘चाचा ने खाई गोली, खड़ी हुई उनकी लोली !’
फिर चाचा ने मुझे पकड़ लिया मैं चुदना तो चाहती थी पर अभी तैयार नहीं थी पर चाचा मुझ पर सवार हो गए। मुझे बेड पर पटका और मुझे चूमने लगे। मैं दरवाजा बंद करना भूल गई थी इसलिए उनका विरोध करने लगी।
मैंने चाचा से बोला- कोई आ जाएगा !
पर चाचा पर गोली का असर कुछ ज़्यादा ही हो गया था और उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ कर निकाल दिए। अब मैं चाचा के सामने केवल पेंटी और ब्रा में थी। चाचा ने खुद के कपड़े भी निकाले और अपना अंडरवियर भी निकाल दिया।
वे लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे। उन्होंने मेरी पेंटी को उतार दिया और अपना मुँह चूत पर रखा और चूसने लगे मेरा विरोध कम हुआ।
अब चाचा ने देरी ना करते हुए अपना लंड मेरी चूत पर रखा और ज़ोर से धक्का लगाया, चाचा का लंड आधा अंदर चला गया। मेरी चीख निकल गई मेरे आँसू आने लगे। मैंने चाचा से लंड बाहर निकालने को कहा।
चाचा ने एक ना सुनी और एक और झटका लगाया मुझे ज़ोर से दर्द होने लगा, मैं तड़पने लगी और चाचा ज़ोर-ज़ोर से लंड आगे-पीछे करने लगे। मुझे दर्द हो रहा था, मैं कराह रही थी।
कुछ देर बाद धीरे-धीरे मुझे अच्छा लगने लगा था, मैं भी अब गर्म हो गई थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब मेरे मुँह से आह… उःह… हआ… आअ… हह… आह… अह… अह… आह… आवाजें आने लगीं।
मैं चाचा का साथ दे रही थी। मैं नीचे से चूतड़ उछाल कर चुद रही थी। हम दोनों का शरीर अकड़ने लगा। मैं इस बीच दो बार झड़ गई थी।
चाचा ने स्पीड बढ़ा दी और अपना वीर्य अंदर ही छोड़ दिया। चुदने के बाद मैं उठ कर बाथरूम जाने लगी, तो मैंने देखा कि
मेरी चूत से खून निकलने लगा और बंद नहीं हुआ। चाचा मुझे हॉस्पिटल ले गए। फिर एक दो दिन बाद चाची भी आ गईं।
उन्होंने मुझसे पूछा- यह सब कैसे हुआ?
मैंने बहाना बना दिया कि मैं गिर गई थी, इसलिए चोट आ गई।
अब जब भी चाची गाँव जाती तो चाचा मौका देख का चौका मार देते थे।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे बताए ताकि मैं अपनी अगली कहानी लिख सकूँ।
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