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रोहित पुणे वाले
दोस्तो, मैं फिर से आ गया हूँ अपनी कहानी ‘मेरी दीदी के कारनामे’ का अगला हिस्सा लेकर !
इस भाग ‘चाची का राज़’ जानने के लिए के लिए मुझे हज़ारों मेल आए, उन सभी मेल्स के लिए मैं आप सब का शुक्रगुजार हूँ।
यह कहानी सौ प्रतिशत सच्ची है।
तो बात तब की है, जब मैं दीदी के यहाँ से रक्षाबन्धन मना कर वापिस अपनी घर आ गया था।
इधर मैंने भी अपने घर के पास की ही एक लड़की पटा ली थी और उसे खूब चोदता था। अब मैं भी इन सब मामलों में तेज़ हो चला था.. चूत का ऐसा चस्का लगा था कि अब तो हर चलती फिरती औरत मुझे नंगी दिखाई देती थी..
खैर धीरे धीरे होली के दिन नज़दीक आया और एक दिन चाची का फोन आया था.. मम्मी से बात करने के बाद उन्होंने मुझसे बात की और होली पर गाँव आने को बोला.. मुझे अचानक से वो सब बातें याद आ गई जो दीदी ने चाची को बोली थी-
“ज़्यादा बकवास मत करो चाची, वरना अगर तुम्हारे बारे में घर में बता दिया तो तुम घर से निकाल दी जाओगी..”
अब मैं उस राज को जानने के लिए बेकरार हो रहा था तो मैंने हाँ कर दी और ज़िद करके घर वालों को भी मना लिया। और मैं पहुँच गया अपने गाँव करीब दस दिन की छुट्टियाँ बिताने लिए..
घर पहुँचा तो देखा शादी के माहौल के विपरीत इस समय वहाँ बहुत कम लोग थे, बस दादा-दादी, चाची और उनका छोटा बेटा जो स्कूल जाता था..
मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई थी.. घर पहुँच कर मैं सबसे मिला… दादा-दादी का आशीर्वाद लेने के बाद मैं घर के अंदर गया और वहां चाची से मिला।
हमारे गाँव में लगभग हर रिश्ते देवर-भाभी जीजा-साली के साथ साह्त चाची-भतीजे, मामी-भांजे आदि में भी थोड़ा गंदा मज़ाक चलता है…
चाची इस वक़्त एक 38 साल की औरत थी, काफ़ी गोरी और पतले शरीर की औरत थी, पतले से मेरे मतलब यह कि आज भी वो किसी कमसिन लड़की की तरह लगती थी.. एकदम पतली सी कमर… उनकी फिगर थी 34-30-37
लेकिन उनके उभारों में बहुत सेक्सी उफ़ान आ चुका था… ख़ासतौर से कूल्हों में.. कई बार घर के काम करते वक़्त वो पूरी झुक कर कुछ उठाती थी तो पीछे से उसके चूतड़ों का उभार इतना कामुक लगता था कि मैं तो बस लंड रगड़ कर रह जाता था..
मगर इस बारे मेरे इरादे कुछ और ही थे…
तो जैसे ही मैं घर के अंदर गया, चाची मुझे देख कर बहुत खुश हुई.. और मैं उन्हें देख कर !
चाची ने उस वक़्त साड़ी पहनी हुई थी और शायद घर के कम करने की वजह से वो अस्त व्यस्त हो गई थी… और सामने से चाची का लाल रंग का ब्लाउज़ और उसमें उनकी काली ब्रा का कप साफ साफ झलक रहा था..
मेरी लंड ने पाजामे में ही एक ठुनक मारी.. तभी शायद चाची ने मेरी नज़रों को पढ़ और अपना पल्लू से अपनी चूचियों को ढक लिया..
लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था.. मैंने चाची के पैर छुए और फिर खड़ा हुआ और बोला- चाची, कितने साल हो गये थे आपसे मिले, और आप तो हर दिन और सुंदर होती जा रही हो !
इतना कहते ही मैंने चाची को अपनी बाहों में भर कर गले लगा लिया.. उनकी चूचियाँ सीधे मेरी छाती में आकर गड़ी.. और मेरे हाथ उनकी पीठ पर चल रहे थे..
कुछ पल मैं चाची के जिस्म की गर्मी को महसूस करना चाहता था.. इधर नीचे मेरे छोटे नवाब भी कुछ जाग चुके थे.. मैं चाची से अलग होने से पहले उन्हें एक बार थोड़ा ज़ोर से दबा दिया जिसकी वजह से चाची के मुँह से हल्की सी आह निकल गई..
फिर हम दोनों अलग हुए और चाची मेरे खाने और सोने का इंतजाम करने लगी। मैं हर वक़्त चाची के साथ रहने की कोशिश करने लगा।
रात हुई तो चाची ने मुझसे पूछा- तू कहाँ सोएगा?
मैं तुरंत ही दोहरे अंदाज में थोड़ा आशिकाना अंदाज में बोला- आपके साथ ही सोऊँगा चाची जान..
चाची के मुख पर हल्की सी मुस्कान आई… मुझे लगा कि चलो मेरे मामला बन रहा है।
चाची भी मुझे छेड़ते हुए बोली- अभी तो बच्चा है रे.. अपनी चाची के साथ सोने के सपने बाद में देखना.. चल जा नहा कर आ जा.. मैं छत पर दोनों का बिस्तर लगा देती हूँ..
मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हुआ.. और फिर मज़ाक करते हुए बोला- चाची जान.. अब तुम्हारा यह भतीजा मर्द चुका है.. मौका तो देकर देखो… फिर अगर कुछ कम लगे तो मेरा मुँह पर कालिख मल देना…
यह सुन कर अचानक से चाची के चेहरे के भाव बदल से गये और कुछ गंभीर होती लगी..
मैं जल्दी से माहौल को हल्का करने के लिए अपने टीशर्ट उतार कर मस्ती में अपनी बॉडी उनको दिखाते हुए बोला- क्या बोलती हो चाची? है पूरे मोहल्ले में किसी के मेरी तरह कट्स..ऐसे सेक्सी बॉडी?
यह कहकर मैं मजाकिया तौर पर अपनी शरीर को दिखाने लगा..
यह देख कर चाची हंस पड़ी और बोली- तू कभी नहीं सुधरेगा !
और घर के बाकी काम करने में लग गई।
अब मेरा काम तो हो चुका था, मैंने चाची को अपने इरादे बता दिए थे और चाची को भी अब एहसास हो चुका था..
दोस्तो, वो कहते हैं ना.. आदमी कुछ भी कर ले, लेकिन एक औरत उसकी नियत उसकी शक्ल देख कर बता सकती है.. और मुझे पक्का यकीन था कि चाची मेरी नियत तो पहचान चुकी है.. अब देखना यह होगा कि मेरी कहानी कितनी आगे बढ़ती है..
रात हो चुकी थी, दादा-दादी दोनों ही घर के बाहर वाले हिस्से में सोते थे, मैंने खाना खाया और ऊपर छत पर चला गया सोने.. 16 घंटे की सफ़र की वजह से पूरे शरीर में दर्द हो रहा था..
करीब एक घंटे बाद चाची भी ऊपर आ गई.. उनके हाथ में एक कटोरी थी जिसमें कोई तेल भरा हुआ था..
मैं बोला- चाची, यह क्या लाई हो?
चाची- तेरी मालिश करनी है ना.. इतने लंबे सफ़र से आया है तू, अंग अंग दुख रहा होगा तेरा, तो थोड़ा मालिश कर दूँगा तो सुबह एकदम ठीक हो जाएगा सब वरना 2-3 दिन दुखी रहेगा।
दोस्तो, यह अक्सर होता है गाँव में, चाची इसी तरह मम्मी की भी मालिश करती थी जब भी वो गाँव जाती थी..
चाची का प्यार देख कर तो एक बार मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया कि तू कितना गंदा सोचता हूँ अपनी चाची के बारे में जो मुझसे इतना प्यार करती है..
तभी चाची ने मुझे हिलाते हुए बोला- चल पाजामा और टीशर्ट उतार..
अब मैंने अंदर फ्रेंची पहन रखी थी… तो मुझे शर्म आ रही थी.. मैं बोला- चाची, अब मैं बड़ा हो गया हूँ.. मैं ऐसे नंगा नहीं हो सकता.. मुझे शर्म आ रही है।
कुछ सोच कर चाची बोली- रुक तू एक मिनट..
वो नीचे गई और नीचे से चाचा का एक छोटा सा रात में पहनने वाला कच्छा ले आई और बोली- ये ले, इसे पहन ले..
मैंने साइड में जाकर कपड़े बदल लिए.. और अब सिर्फ़ उस कच्छे में था.. अंदर फ्रेंची भी नहीं..
फिर चाची ने मेरी एक बाजू बैठ कर मेरे हाथों की मालिश की, मालिश करते वक़्त चाची में मेरे हाथ अपनी गोद में रख लिया ताकि उन्हें मालिश करने में आसानी हो.. और मेरा हाथ चाची के नंगे पेट छूने लगा… और तभी चाची की साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया लेकिन चाची ने उस पर ध्यान नहीं दिया।
चाची के पेट पर मेरा हाथ बार बार छू रहा था.. इस एहसास ने मेरे छोटे नवाब को फिर से जागने पर मजबूर कर दिया..
तभी मेरे अंदर का शैतान जागा और मैंने चाची के पेट पर हाथ फेरते हुए फिर से आशिकाना अंदाज में कहा- हाय चाची जान, आप तो बिल्कुल ठंडी हो गई हैं.. लगता अब जवानी की गर्मी नहीं रही हमारी चाची जान में..
चाची बोली- चुप कर… मुझे बुढ़िया बोलता है.. जैसे जमाने की सारी जवानी तुझमें ही घुस गई है..
अब मैं चाची के पेट पर बेशर्मी से हाथ फिरा रहा था.. और चाची की कुछ बोल नहीं रही थी…
मेरा हाथ अब चाची की चूचियों के बिल्कुल नीचे था.. तभी चाची मेरे ऊपर झुक गई और तेल की कटोरी जो मेरी दूसरी बाजू मेरे सिर पीछे रखी हुई थी, उसमें हाथ डुबोने लगी..
ऐसा करते हुए एक पल के लिए उनकी ब्लाउज़ के अंदर कसी हुई चूचियाँ मेरे होठों पर रगड़ रही थी..
मैंने भी नाटक करते हुए थोड़ा हड़बड़ते हुए चाची की नंगी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया और बोला- आहह चाची…
चाची तेल लेकर वापिस बैठी और बोली- क्या हुआ लल्ला, मैं तेल ले रही थी.. तुझे कहीं लगा क्या..
मैं बोला- हाँ…
वो थोड़ा गंभीर हुई, बोली- कहाँ लगा?
मैं बोला- वो…
वो बोली- बोल ना..
मैं फिर रंगीन मिज़ाज़ में बोला- आपके हुक मेरे गालों पर रगड़ गए..
चाची थोड़ा शर्मा गई और बोली- दिखा, खरोंच तो नहीं आई ना.. दिखा लल्ला..
चाची ने मेरे गालों पर हाथ लगा कर देखा, फिर वापिस मालिश शुरू कर दी और अब वो मेरी छाती की मालिश कर रही थी..
मैं बोला- चाची एक बात बोलूँ.. मारोगी तो नहीं?
वो बोली- नहीं.. बोल?
“एक बार और तेल लो ना..!” यह बोल कर मैं बिल्कुल एक भूखे शेर की तरह उनकी चूचियों की तरफ देखने लगा।
एक पल बाद चाची बोली- लल्ला तू बहुत शैतान हो गया है..
और मेरी छाती की निपल पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए..
“आअह्ह्ह्ह्ह…!”
मुझे इतना दर्द हुआ कि मेरे मुँह से चीख निकल गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
चाची हंसने लगी और बोली- और परेशान कर अपनी चाची को !
मैं बोला- चाची, अब मैं बच्चा तो रहा नहीं कि आप मुझसे जीत जाओ.. मेरे अंदर के मर्द को ललकारो मत.. वरना बहुत भारी पड़ेगा…
अब माहौल चाची-भतीजे के मज़ाक से, एक औरत आदमी के बीच जलती हुई आग का रूप ले रहा था।
चाची ने मेरी चुनौती का मज़ाक उड़ते हुए मेरी दूसरी निपल को ज़ोर से दबा दिया..
“आहह…”
मैं फिर से चीख उठा और चाची फिर हंसते हुए बोली- मुझे मालूम है दूबे लोग कितने बड़े मर्द होते है.. सब एक नंबर के डरपोक..
वो अपने पति के लिए बोल रही थी शायद..
अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था… मैंने चाची की नंगी कमर पर चूतड़ों से ज़रा से ऊपर, एक ज़ोरदार चूंटी काट ली.. चाची बिल्कुल ऐंठ गई दर्द के मारे..
मैं बोला- कैसे लगा चाची जान? और लो मुझे जैसे मर्दों से पंगा..
चाची थोड़ा नाक चढ़ाते हुई बोली- बस इसी लायक हो तुम सब दूबे जात के मर्द…
मुझे अब लग रहा था चाची मुझे उकसा रही है पहल करने के लिए.. लेकिन मेरी गाण्ड फट रही थी कि कहीं मेरी सोचना ग़लत हुआ तो..
अब चाची मेरी मालिश करते हुए बार बार मेरी निपल्स को हल्के से कुरेद देती या फिर दबा देती जिसके वजह से मैं पागल होता जा रहा था..
दूसरी तरफ मैं भी अब चाची की नंगी कमर और पेट पर हाथ फिरा रहा था..
तभी चाची ने एक फिर ज़ोर से निप्पल दबाया।
मेरी हल्की सी चीख सुन कर हंसते हुए फिर तेल लेने के लिए आगे झुकी..
मुझे ऐसा लगा जैसे यह मेरे लिए न्यौता हो चाची की तरफ से !
इस वक़्त चाची कमर बिल्कुल मेरे मुँह के ऊपर थी.. और चाची किसी कुतिया की तरह झुक कर तेल ले रही थी..
मुझे और सबर नहीं हुआ और मैंने एक ज़ोरदार थप्पड़ मार दिया चाची की साड़ी में उभरे हुए चूतड़ों पर..
क्या रूई सी मुलायम गांड थी चाची की !
“ओइइ माँ…!” चाची के मुँह से हल्की चीख निकल गई और बोली- यह क्या कर रहा है लल्ला.. शर्म नहीं आती तुझे?
मैं बोला- अब इतना ललकरोगी मेरी मर्दानगी को यही होगा ना? क्यूँ दर्द हुआ या नहीं?
चाची सुन कर फिर हंसने लगी और बोली- मर्द मर्द ही करता रहेगा तू.. लेकिन मर्द वाली बात नहीं आई है तुझमें..
यह बात मुझे बहुत बुरी लगी..
मैं गुस्से में उठकर बैठ गया और चाची का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। इस बार चाची मेरी गोद में लेटी हुई थी.. उनका एक हाथ मरोड़ कर मैंने पीछे पकड़ रखा था..
मैं बोला- रूको, मैं दिखाता हूँ मर्दों वाली बात..
और उनके चूतड़ों पर एक और थप्पड़ मारा…
“आआअह्ह्ह्ह्ह…!”
“बोलो हुआ दर्द? हुआ मर्द के हाथ का एहसास?”
उनके मुँह से फिर से हंसी निकल गई, वो बोली- छोड़ मुझे लल्ला.. मेरी साड़ी गंदी हो रही है तेल से..
उनकी हंसी मेरी मर्दानगी की धज्जियाँ उड़ा रही थी।
मैं बोला- अब जब तक आप मुझे मर्द नहीं मानोगी तब तक आप ऐसे ही रहोगी..
और मैंने एक बार फिर से उनके कूल्हों पर थप्पड़ मार दिया।
चाची चुहकी.. मगर कुछ ना बोली.. मैंने अपना हाथ इस बार चाची की गांड से हटाया नहीं.. मगर चाची के चूतड़ों को सहलाता रहा.. फिर एक से थप्पड़..
चाची- उहह.. छोड़ मुझे लल्ला.. हाथ दुख रहा है !
मैंने एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा और फिर थोड़े से चूतड़ सहला कर चाची की छोड़ दिया…
जैसे ही चाची बैठी, मैंने देखा कि उनके ब्लाउज़ का मेरी तरफ वाला हिस्सा पूरा तेल में सन गया.. जिससे उनके स्तन और भी सेक्सी लग रहे थे..
चाची कुछ नहीं बोली और फिर से मालिश करने लगी और इधर उधर की बातें शुरू हो गई.. लेकिन अब मेरा हाथ चाची की कमर और कूल्हों दोनों पर चल रहा था..
अब मुझे यकीन हो चुका था कि चाची भी वही चाहती है जो मैं चाहता हूँ.. तभी मैं मज़ाक के तौर पर हल्के से चाची की चूची पर हाथ लगाते हुए बोला- अरे चाची, ये तो पूरा तेल लग गया आपके ब्लाउज़ पर..
मेरे हाथ लगते ही चाची तुरंत चिहुक उठी और मेरा हाथ अपनी चूचियों से हटा दिया.. बोली- कोई बात नहीं, सुबह साफ कर दूँगी..
फिर चाची पैरों की तरफ जाकर मेरे पैरों की मालिश करने लगी.. मैंने अपना घुटना मोड़ रखा था जिसकी वजह से चाची जब भी मेरी जाँघों की तरफ आती उनकी चूचियाँ मेरी घुटने से दब जाती थी।
अब शायद चाची भी गर्म हो रही थी, उनका हाथ मालिश करते करते मेरे कच्छे के काफ़ी अंदर तक आ रहा था.. सच कहूँ तो मेरे आण्डों से बस एक इंच दूर तक.. मेरा लंड अब कच्छे में झटके मारने लगा था जो चाची भी देख पा रही थी.. लेकिन वो कुछ बोली नहीं..
कुछ बाद वो खड़ी हुई और तेल की कटोरी नीचे रखने गई।
इतनी अच्छी मालिश के बाद मुझे बहुत नींद आ रही थी मगर चाची के साथ ऐसा मौका बार बार नहीं मिलता इसीलिए मैं जागने की कोशिश कर रहा था।
तभी चाची वापिस आ गई और अपनी साड़ी खोलने लगी और फिर बस पेटीकोट और ब्लाउज़ में आकर मेरी बाजू वाले बिस्तर पर लेट गई।
फिर हम बातें करने लगे..
हम दोनों के बीच अभी भी 3-4 फीट का फासला था जिसकी वजह से मैं कुछ नहीं कर पा रहा था..
मैं बोला- चाची आपकी आवाज़ नहीं आ रही अच्छे से.. मेरी बिस्तर पर आओ ना..
चाची ने कुछ सोचा फिर उठ कर मेरे बिस्तर पर आ गई..
और मैं आते चाची को अपने बाहों में भर लिया और फिर चाची इठलाती हुई अपनी बातें करनी लगी।
अब हालात ऐसे थे कि मैं एक मर्द की तरह अपनी औरत के साथ चिपक लेटा हुआ था.. वो भी मेरी बाहों में समाए जा रही थी..
इस वक़्त मैं सीधा पीठ के बल लेटा हुआ था और चाची मेरी तरफ करवट लेकर अपना सिर मेरे कंधे पर रख कर और अपना हाथ मेरी नंगे पेट पर फैला रही थी..
तभी मैं बड़े ही गंभीर और प्यार वाले लहजे में बोला- ज़्यादा ज़ोर से तो नहीं लगा था ना?
चाची भी अब एक प्यार में खोई औरत की तरह बाते कर रही थी- नहीं, बस थोड़ा सा.. इतनी ज़ोर से मारेगा तो थोड़ा तो दर्द होगा ना..
इतना सुनते ही मैं बोला- लाओ, मैं सहला देता हूँ..
और मैं एक हाथ से चाची के चूतड़ पेटीकोट के ऊपर से सहलाने लगा।
चाची के मुँह से एक कामुक आह निकल गई.. चाची ने पेटीकोट के नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी.. यह मुझे चाची की मुलायम गांड को हाथ लगते ही पता चल गया था।
अब चाची और गर्म होने लगी थी..उनका हाथ फिर मेरी निपल्स को कुरेद रहा था.. जिससे मैं भी और गर्म हो रहा था।
अब आख़िरी हमला करने का वक़्त आ गया था..
मैंने चाची को बोला- चाची…
अपना मुँह मेरी तरफ उठाते हुए चाची बोली- हाँ…
इस वक़्त चाची और मेर होंठों के बीच सिर्फ़ 2-3 इंच का फ़र्क था.. मैं बिना कुछ बोले चाची की आँखों में देखता रहा.. कुछ पलों में चाची ने शरमा कर अपना मुँह नीचे कर लिया।
मैंने उनकी ठुड्डी पकड़ कर उनका चेहरा ऊपर उठाया और बोला- चाची आप दुनिया की सबसे सुंदर औरत हैं.. मैं बता नहीं सकता कि आप मुझे कितनी पसंद हैं..
चाची कुछ ना बोली.. बस शर्म के मारे आँखें बंद कर ली और ह्म्म्म्म किया..
इस वक़्त उनकी गुलाबी होंठ थोड़ा काम्प रहे थे… हम दोनों एक वक़्त बहुत आगे निकल चुके थे.. अब बस इस बात की अपनाने की देर थी..
मैंने आगे बाद कर चाची के काम्पते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए। और फिर हम दोनों एक दूसरे को जन्म-जन्म के प्यासे की तरह चूमने लगे..
अब चाची आहें भरने लगी थी… अह्ह्ह्ह्ह…
मैं अपनी जीभ चाची के मुँह में घुसाने लगा.. और फिर उसकी जीभ से अपनी जीभ लिपटाने लगा..
फिर उनके जीभ की अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.. बहुत मीठा स्वाद था चाची की मुँह का..फिर कभी उनके निचले होंठ को चूसता कभी ऊपर के…
काफ़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे को चाटते चूसते ही रहे..
फिर मैंने धीरे से चाची की चूचियो को मसलना शुरू किया.. हाथ लगते ही चाची के मुँह एक कसक भरी आह निकली।
आआआहह… मानो मेरे हाथ लगाने से चाची के अंदर तूफान उमड़ पड़ा हो..
फिर मैंने चाची के एक हाथ पकड़ कर अपने छोटे नवाब पर रख दिया..
और उसे चाची सहलाने लगी..
माहौल ऐसा हो गया था कि अब बस एक दूसरे की गर्म साँसें महसूस हो रही थी.. बीच बीच में चाची की आह.. ईश… आ रही थी..
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था…
मैंने आगे बढ़कर चाची के पेटीकोट का नाड़ा खोलना चाहा तो चाची ने मेरा हाथ पकड़ लिया…
बोली- यहाँ नहीं.. बस ऐसे ही कर..
मैं तो वैसे ही बहुत गर्म हो चुका था.. अभी तो बस चूत में लंड घुसाने की ललक थी..
मैंने तुरंत चाची की नीचे लिटाया और खुद उनके ऊपर आ गया.. चाची ने अपने पेटिकोट ऊपर करके मुझे अपने जन्नत के सुख से भरी चूत में घुसने का निमंत्रण दे ही दिया..
रात के 2 बज रहे थे.. ऊपर से मैं थका हुआ था.. चूत देखने का मौका भी नहीं मिला.. मैं ज़ोर ज़ोर से उनकी चूचियाँ दबाने लगा… और फिर से उनको चूमने लगा।
उधर नीचे चाची ने मेरा लंड हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर 2-3 बार रगड़ा..
“आईईइ.. अह्ह्ह्ह… मा…” चाची खुद मचल उठी.. वो बहुत ज़्यादा गर्म हो चुकी थी…
तभी उन्होंने लंड अपनी चूत रानी के मुहाने पर रखा और फिर मेरे कूल्हों को हाथों से दबा कर घुसने का इशारा किया..
फिर क्या था.. मैंने एक ही ज़ोरदार धक्के में आधे से भी ज़्यादा लंड चाची की चुदी चुदाई, खेली खाई फ़ुद्दी में उतार दिया..
चाची के मुँह से एक वासना, उमंग और तड़प भरी आहह निकल गई.. उईई ईई मा… आह ह्ह्ह…
फिर दूसरा झटका मारते ही पूरा लंड चाची की चूत ने निगल लिया।
चाची की चूत की भट्टी की तरह उबल रही थी.. और उनकी चूत ने काफ़ी पानी छोड़ दिया था..
फिर मैं बेतहाशा झटके मारने लगा.. और वहाँ हम दोनों की भारी सांसों और कामवासना की आहों वाली आवाज़ आ रही थी.. आहह… ओह्हह्ह.. आह्ह्ह.. ह्म्म्ममम.. आह… मा.. अह्ह्हह… चाची ने मुझे बहुत जोर से दबा लिया…
तभी एक ही मिनट में चाची का शरीर अकड़ा और चाची की चूत ने काफ़ी सारा पानी छोड़ दिया.. शायद 2 घंटे से चल रही छेड़छाड़ की वजह से चाची बहुत ज़्यादा गर्म हो चुकी थी.. अब उनकी चूत थोड़ी खुल गई थी और पानी निकल की वजह से ढीली भी लग रही थी..
अलग ही तरह की आवाज़ आ रही थी चुदाई में… फ़च फच्च…फच्च… फच्च…फच्चफच्च… अहह.. ओह्ह्ह्ह्ह्ह !
करीब 2-3 मिनट की चुदाई करते ही मैं भी अकड़ने लगा और अपना सारा माल चाची की उबलती चूत में उड़ेल दिया और मैं वहीं ढेर हो गया और चाची के ऊपर ही लेट गया।
कुछ देर हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे.. तब तक मैं आधी नींद में जा चुका था.. चाची ने मुझे अपने ऊपर से हटाया… और खुद खड़ी हो गई.. 2 पल के लिए चाची की नंगी गांड मेरी नज़रों के सामने थी.. नींद में ही मैंने सोचा- अब तो इसे भी ज़रूर मारूँगा.. अब चाची मेरी हो चुकी है..
और मैं सोने लगा.. चाची ने अपने कपड़े ठीक किए..फिर मेरे पास आकर मेरे लंड को साफ किया.. और मुझे कच्छा पहना कर मेरे पास लेट गई.. और फिर हम सो गये..
सुबह हुई तो मैं बहुत खुश था लेकिन चाची ने जो बोला, उसने मेरी सारी खुशियों पर पानी फेर दिया..
मैं चाची को छेड़ते हुए बोला- क्यूँ चाची अब तो मर्द मानती हो ना?
चाची बोली- क्या लल्ला? कैसे मर्द बनते हो..? तुमसे तो कुछ भी ढंग से नहीं हो पाता..
और वो हंसने लगी.. मैं शर्म के मारे वहीं गड़ गया…
लेकिन यह तो मेरा पहले दिन था.. अगले दस दोनों में चाची ने मुझे इस खेल का माहिर खिलाड़ी बनाया.. और चाची का वो राज़ भी मुझे पता चला.. जो मुझे चाची ने ही बताया।
जानने के लिए अन्तर्वासना पढ़ते रहिए !
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