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नमस्कार दोस्तो, मैं शुभ रोहतक हरियाणा से फिर से हाजिर हूँ अपनी दूसरी कहानी लेकर! मेरी पहली कहानी ऋतु के चुदाई के नखरे को आप लोगों ने बहुत सराहा। उसके लिए आप सभी का धन्यवाद। मेरे पास काफी मेल भी आए और मैंने लगभग सभी मेल्स का उत्तर भी दिया। अब कहानी पर आता हूँ।
बात लगभग डेढ़ साल पहले की है। सर्दी का मौसम था। मैं रजाई में घुस कर अपनी गर्लफ्रेंड से फ़ोन पर बात कर रहा था। वो बहुत सेक्सी थी। उसका फिगर 33 28 32 था। रंग गोरा। उसका नाम जिया था (बदला हुआ नाम ) बात करते-करते चुदाई का विषय शुरु हो गया।
मैंने कहा- आ जाओ ना जान मेरी बाँहों में। वो बोली- लो आ गई, अब बताओ क्या करोगे? मैंने कहा- तुम्हें प्यार करूँगा!
और इन्हीं बातों में मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उससे कहा- सच में आ जाओ न, मेरे पास आज रात मेरे पास ही रुक जाना। खूब चुदाई एन्जॉय करेंगे, न किसी का डर होगा और न किसी की चिंता। तो वो बोली- यार, आ तो जाऊँगी लेकिन रिस्क है, किसी को पता चल गया तो? मैंने कहा- किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। जिया बोली- ठीक है, आ जाओ मुझे लेने।
मैं उसे लेने गया। शाम का समय था, थोड़ी-थोड़ी रोशनी थी। मैंने कहा- अभी तो घर नहीं चल सकते थोड़ा अँधेरा होने दो फिर चलेंगे।
हम समय बिताने के लिए ‘विशाल मेगा मार्ट’ में घुस गए। वहाँ से कुछ शॉपिंग भी की हमने। अब अँधेरा हो गया था और सर्दी के कारण धुंध भी छाने लगी थी।
मैंने उसे गाड़ी में बैठाया और अपने घर की तरफ चल दिया। मैंने अपने एक दोस्त को पहले ही फ़ोन कर के बोल रखा था कि जैसे ही मैं घर में आऊँ, तू दरवाजा खोल देना और मैं जिया को सीधे अपने कमरे में भेज दूँगा।
मैंने घर पहुँचने से पहले ही उसको कॉल कर के बोल दिया कि मैं दो मिनट में पहुँचने वाला हूँ। उसने पहुँचने से पहले ही घर का मेन-गेट खोल रखा था। मैंने गाड़ी सीधे गैरेज में घुसा दी और जिया को अपने कमरे तक छोड़ कर आया। मैं आपको बता दूँ, मेरा कमरा पहली मंजिल पर है और घर वाले नीचे ही रहते हैं।
सब कुछ सही और योजना के मुताबिक ही हुआ। जिया मेरे कमरे में पहुँच चुकी थी, मैंने अपने दोस्त को शुक्रिया कहा, वो चला गया। अब हम दोनों कमरे में अकेले थे।
हमने एक-दूसरे को बाँहों में लिया और बहुत लम्बा और जोर से चूमा। हम दोनों का दिल धक्-धक् कर रहा था क्योंकि कुछ तो डर लग रहा था और कुछ उत्तेजना थी। हम दोनों एक-दूसरे को चूमते हुए एक-दूसरे को मसल रहे थे।
अगले ही पल मम्मी ने नीचे से आवाज लगाई- आज खाना नहीं खाना क्या?’ हम दोनों अलग हो गए और मैंने उत्तर देते हुए कहा- थोड़ी देर में नीचे आ रहा हूँ।’ मैंने जिया को कहा- मैं नीचे से खाना लेकर अभी आता हूँ, तब तक तुम फ्रेश हो जाओ और कपड़े बदल लो।
मैं नीचे गया, थोड़ी देर घर वालों से बात की और उनको बोला- मैं आज ज्यादा थका हुआ हूँ तो खाना ऊपर ही ले क़र जाऊँगा।
खाना लेकर ऊपर पहुँचा और उसे देखता ही रह गया। उसने गुलाबी नाईट-सूट पहना हुआ था, क्या क़यामत लग रही थी। चूचियाँ ऐसे उभरी हुई लग रही थीं, जैसे कच्चे आम।
मेरे तो मुँह में पानी आ गया। बस दिल कर रहा था कि पकड़ कर निचोड़-निचोड़ कर इन्हें चूसूँ। मैंने खाना एक तरफ रखा और उसके साथ लिपट गया। जिया बोली- ऐसी भी क्या बेचैनी है। आज पूरी रात मैं तुम्हारे पास ही तो हूँ। थोड़ा तो सब्र करो।
लेकिन मुझ से तो सब्र हो ही नहीं रहा था। उसकी बात मान कर मैं उस से अलग हुआ। मैंने कहा- चलो तो मैं भी कपड़े बदल लेता हूँ और फ्रेश हो जाता हूँ; तब तक तुम खाना लगा लो।
मैं फ्रेश हो कर वापिस आया और हमने खाना खाया। खाना खा कर हम रजाई में घुस गए और एक-दूसरे को बाँहों में समा लिया। वो आज मेरे साथ नहीं है, लेकिन मैं उसको सच में बहुत प्यार करता था और आज भी करता हूँ। हम एक-दूसरे को बाँहों में ले कर प्यार भरी बातें कर रहे थे।
लेकिन तभी मेरे भाई ने बाहर से आवाज दी और बोला- मुझे सर दर्द की दवाई लेनी है, दरवाजा खोल। मेरे भाई की आवाज सुन कर तो हम दोनों की फट गई।
जिया बोली- अब क्या करें? अब क्या होगा? मैंने कहा- तुम चुप रहना और मुँह ढक कर लेटी रहना, मैं देखता हूँ।
मैं पहले तो चुपचाप लेटा रहा। जब वो 2-3 बार मेरा नाम लेकर बोल चुका तो मैंने धीमी आवाज में उत्तर दिया- क्या बात है यार? रात को तो चैन से सोने दिया कर।’ मैंने ऐसे उत्तर दिया जैसे कि मैं सच में बहुत गहरी नींद में सोया हुआ हूँ। वो बोला- मेरे सर में दर्द है, मुझे गोली चाहिए। मैंने कहा- रुक, मैं देता हूँ।
मैं बिना कपड़ों के जिया के साथ लेटा हुआ था। मैंने उठ कर चादर लपेट ली और बिना लाइट ऑन किए ही कमरे के बाहर ही गोली देकर उसे रफूचक्कर किया। उसके जाते ही मैंने फट से दरवाजा बंद किया और जिया के ऊपर लेट गया।
मैं उसके सीने पर सर रख लेट गया। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने कहा- क्या डर लग रहा है? वो बोली- डर भी नहीं लगेगा क्या?
मैंने उसको चूमा और उसके मम्मों को चूसने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी। बड़ा मजा आ रहा था। उसकी सिसकारियाँ सुन कर तो मुझे और भी ज्यादा जोश आ गया। मैं उसकी गर्दन, गाल, कान, होंठ इन सभी जगह बुरी तरह काटने लगा।
उसके मुँह से बस यही आवाजें निकल रही थीं- आअह्ह्ह… आअह्ह… आअह्ह… और वो भी पूरे जोश में आ गई थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी।
हम दोनों का बुरा हाल था। हम एक-दूसरे को खाने पे तुले हुए थे। मैं उसके मम्मे चूसने लगा और उसकी टाँगें खोल अपना लंड उसकी गर्म चूत पर रगड़ने लगा। मैंने उसे 69 वाली पोज़ में आने को बोला। उसने बिना देर किए वैसा ही किया।
वो मेरा लंड बड़े ही शौक से और प्यार से चूस रही थी और मैं भी उसकी चूत को बुरी तरह अंदर तक जीभ डाल क़र चूस रहा था। दोनों ही अपने अपने काम में मस्त थे।
जब वो मेरे लंड को पूरा मुँह में लेती, तब तो मेरा लंड और अकड़ जाता। बड़ा मजा आ रहा था कसम से। ऐसा दिल कर रहा था कि बस उसके मुँह को ही चोदता रहूँ और सारा रस मुँह में ही भर दूँ। दोनों एक-दूसरे को इस तरह चूसे जा रहे थे जैसे जन्म-जन्म के प्यासे हों…
जब मैं पूरा लंड उसके मुँह में डालता तो उसके गले तक जा रहा था और उसके मुँह से बस ‘गू..गु…’ की आवाज निकल रही थी।
वो अपनी चूत को मेरे मुँह पर जोर-जोर से रगड़ने लगी। मैं समझ गया कि अब यह झड़ने वाली है। मुझे भी जोश आ गया और मैं भी जिया के मुँह को जोर-जोर से चोदने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! थोड़ी देर में ही हम दोनों ढेर हो गए, वो मेरे सारे माल को पी गई। कुछ समय के लिए हम एक-दूसरे को ऐसे ही बाँहों में बाँहे डाले लेटे रहे।
ऐसे ही बात करते हुए वो मेरे पूरे बदन पर हाथ फिरा रही थी, मेरा फिर से खड़ा हो गया, मैं उसको फिर से चूमने लगा। वो भी मेरा बराबर साथ देने लगी। अबकी बार मैंने उसको अपने ऊपर लेटा लिया उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा। उसकी आवाजें मुझमें और भी ज्यादा जोश भर रही थीं। वो तो बस जोर-जोर से ‘सी…सी..’ करने लगी। अब उससे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था, मुझ से बोली- डाल दो न! अब क्या क़र के मानोगे?
मैंने कहा- करना तो क्या है… बस मजे लेने हैं और मजे देने हैं…! जिया बोली- तो दो ना मजे! मना कौन क़र रहा है? यह बोल कर मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सैट किया।
मैंने अपना खंजर उसकी चूत में धीरे से उतार दिया। उसके मुँह से ‘आह्ह’ निकली और मुझे थोड़ा रुकने का इशारा किया। लेकिन मैं कहा रुकने वाला था। एक जोर का झटका मारा और अपना पूरा लौड़ा उसकी गीली चूत में डाल दिया। उसने थोड़ी जोर से चीख मारी। ‘आराम से करो… जान लोगे क्या?’ मैंने कहा- चुदाई का असली मजा तो हल्के-हल्के दर्द में ही है। इसे ‘फील’ करो जान।
अब तो वो बस मदहोश हो चुकी थी और साथ देने लगी। चुदाई का घमासान युद्ध शुरु हो चुका था। दोनों तरफ से चुदाई की बराबर गोलाबारी हो रही थी।
मैं उसके चूतड़ों को पकड़ कर मसल रहा था और नीचे से कमर उठा-उठा कर उसको चोदे जा रहा था और उसके भी कहने ही क्या हैं… मेरे लंड पर चूत को ऐसे पटक कर मार रही थी जैसे सारी कमी आज ही पूरी करेगी। मैं उसकी कमर में बाँहे डाल कर बुरी तरह चोद रहा था। पूरे कमरे में उसकी कामुक आवाज गूंज रही थी, जो कि मेरे जोश को और बढ़ावा दे रही थी।
उसके चूतड़ पटकने पर फच-फच की आवाज आ रही थी। हमें काफी देर हो गई थी। मेरा माल निकलने वाला था, उससे पहले ही वो तेज़-तेज़ झटके लगाने लगी। मैं समझ गया कि उसका निकलने वाला है, मैंने भी उसके कूल्हों को पकड़ के ताबड़तोड़ धक्के लगा दिए और हम एक साथ झड़ गए।
वो मेरे सीने पर सर रख मेरे ऊपर ही ढेर हो गई। हम दोनों ने इतने जोर से चुदाई की थी कि शरीर ढीला पड़ गया था। आधी रात भी हो गई थी। हमें बात करते-करते कब नींद आई, पता ही नहीं चला। आगे क्या हुआ उसके लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। कहानी जारी रहेगी। कहानी कैसी लगी, मुझे अपने जवाब जरूर भेजें! [email protected]
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