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तो कहानी शुरु करते है। उन दिनों मैं एक शख्स के साथ काम करता था, जो नगर सेवक के चुनाव में खड़ा था। मेरे कहने पर उसने झाड़ू-पोचे के लिये एक औरत को नियुक्त किया था, जो उसी के घर में काम करती थी। वह शादी-शुदा औरत थी और तीन लड़को की मां थी। वो देखने में भी काफी सुंदर थी। अब आगे की कहानी उसकी ज़ुबानी-
पहले ही दिन वह साड़ी पहनकर ऑफिस में दाखिल हुई थी और बिना कुछ कहे झाड़ू लेकर सफाई करने लगी थी। वो देखने में काफी अच्छी थी, लेकिन उस दिन हमारे बीच कुछ बातें नहीं हुई थी और मैंने भी कोई बात करने की कोशिश नही की। दूसरे दिन उसने आते ही अपना परिचय देते हुए कहां था-
काम-वाली: मेरा नाम स्नेहा है। जिसका मतलब होता है प्यार ! मैं आप को बहुत प्यार करूंगी और आपकी दोस्त बनकर रहूंगी ।
उसकी ये बात सुन कर मैं चकित सा रह गया था। मेरी उम्र उस वक्त 65 साल की हो चुकी थी और किसी ने मेरे साथ ऐसी बातें नहीं की थी। मैं उसकी इस तरह की बात से काफी प्रभावित हो गया था। हम दोनों के बीच कम से कम 30 साल का अंतर था और उस हिसाब से हमारे बीच एक ही रिश्ता हो सकता था, और वह रिश्ता था बाप बेटी का।
मैं इसी सोच को लेकर आगे बढ़ रहा था । फिर हम दोनों काफी नजदीक आ गये थे और हम दोनों आपस मे अपनी सारी बातें शेयर करते थे । एक बाप-बेटी वाला स्पर्श और मस्ती मज़ाक हमारे बीच शुरू हो गया था। मैं उसके हाथ पकड़ता था और उसके गालों को सहलाता था और उसको अपने शरीर से दबोचता था। इस सब पर स्नेहा ने कोई एतराज़ नहीं जताया था। मुझे भी इस सब में मज़ा आता था।
वह जब भी पैसे की मांग करती थी, तो मैं उसकी मदद भी करता था । मैं किसी ना किसी बहाने से उसको छूने की कोशिश करता था। एक बार मैंने सिर दर्द का झूठा बहाना बनाया था और उसने मेरे सिर को अपने हाथों से दबाया था। उसका ये स्पर्श मुझे अच्छा लगा था। बाद में उसने मुझे कुछ कहा, जिस्से मैं अचरज में पड़ गया। वो बोली-
स्नेहा: मुझे भी सिर दर्द हो रहा हैं। आप भी मेरे सिर को दबाइये।
फिर मैं तुरंत ही उसका सिर दबाने लगा था। फिर कुछ देर बाद उसने शिकायत की-
स्नेहा: मेरी छाती में दर्द हो रहा हैं ।
मैं उसके बारे में कुछ कहूं, या अपनी कोई प्रतिक्रिया प्रदर्शित करू, उसके पहले उसने अपने ब्लाऊज़ के ऊपर के दो हुक्स खोल दिए। अब मुझे उसका यौवन उभार साफ दिख रहा था ! उसे देख कर मैं विचलित हो गया और एक पल मेरे मन में ख़्याल आया, कि मैं उसको बोलूं-
मैं (मन में): लाओ मैं तुम्हारी छाती पर बाम लगा देता हूं।
मेरा दिल तो कर रहा था, कि उसी वक्त कुछ कर डालूं, लेकिन मैं ये बोलने का साहस नहीं जुटा पाया। यह उसकी तरफ से एक आहवाहन था। फिर वो खुद अपनी छाती की मुरम्मत करने लगी। जो भी हो, लेकिन उसके बाद काफी कुछ बदल गया था। एक बार उसने कोई गल्ती की थी, तो मैंने उसको कहा था-
मैं: मैं तुम्हे बाद में सज़ा दूंगा।
यह सुन कर वह कुछ अधीर सी हो गई थी। फिर वो मुझे बोली-
स्नेहा: मुझे अभी सज़ा करो।
वह उस वक्त ज़मीन पर सोई हुई थी। मैंने उसको इशारा करके अपने पास बुलाया और वह फौरन उठ कर मेरे पास आ गई। फिर मैंने उसको कहा-
मैं: मेरे गालों को पप्पी करो।
उसने फट से मना कर दिया। तब मैंने जबरन उसके गालों को चूम लिया। उस वक्त मेरा एक हाथ उसके स्तनों को फंफोस रहा था। मैंने हल्के से उसके स्तनों को दबाया और उसको नज़दीक खींच कर उसकी गांड को सहलाने लगा। इस पर उसने मुझसे सवाल किया-
स्नेहा: आपने कहां-कहां हाथ डाला ?
उस वक्त मुझे उसकी आंखों में रोष दिखाई दिया था और मैंने उसकी माफी भी मांगी थी। फिर कुछ दिन बाद उसने मुझे अपने घर बुलाया था और उस दिन भी उसने वहीं सवाल दोहराया था ।
स्नेहा: क्या आपको यह सब करना अच्छा लगा था?
पहले तो मैं चुप था, लेकिन फिर मैंने कहा-
उस वक्त मैंने कहां था: अगर तुम्हें अच्छा लगा, तो अच्छा, नहीं तो बुरा ।
फिर उसने खुद कबूल किया था-
स्नेहा: मुझे भी अच्छा लगा था ।
बस उस दिन से हमारे रिश्ते की दिशा , भाषा और बहाव बदल गया था। दो-तीन दिन बाद मैं उसके घर मे गया और घर में कोई नहीं था। फिर उसने मुझे घर के भीतर लेकर दरवाजा बंद कर दिया । मैं अंदर जाकर गद्दे पर बैठ गया। वह भी तुरंत मेरे बाजू में आकर बैठ गई और फिर मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर, उसको अपनी तरफ खींच लिया।
उस वक़्त वह खड़ी हो गई। उसने टी-शर्ट पहन रखी थी। फिर फट से उसने अपनी टी-शर्ट ऊपर कर ली और अपने दोनों स्तनों को मेरे मुंह के सामने रख दिया। यह एक आहवाहन था। मैंने पहले उसके दोनो स्तनों को अपने हाथों से दबाना शुरू किया। फिर मैंने उसकी चूचियों को मसलना शुरू किया और उनको बारी-बारी से मुंह में लेकर चूसने लगा । मैं बता नहीं सकता, कि मुझे कितना मज़ा आ रहा था। इस पर फिर उसने सवाल किया –
स्नेहा: यह क्या कर रहे हो ?
मैंने बिल्कुल सहजता से उत्तर दिया –
मैं: एक छोटे बच्चे की तरह तुम्हारा दूध पी रहा हूं ।
मेरा इस तरह बात करना उसको अच्छा लगा था। मैंने उसको अपनी बाहों में जकड़ कर उसके होंठो को चूमना शुरू कर दिया। इस पर स्नेहा ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी, बल्कि मुझे वादा किया कि-
स्नेहा: मैं हमेशा आप को अपना दूध पिलाऊंगी।
उसकी बातों ने मुझे बहुत ही खुश कर दिया था और अब मैं अगली मुलाकात का इंतज़ार कर रहा था। फिर दो दिन के बाद, मैं फोन करके उसके घर पहुंच गया। मैं आगे होने वाले रोमांच के लिए बहुत ही उत्सुक था और मेरा रोम-रोम उसके बारे में सोच रहा था।
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