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सभी को देविन का प्रणाम. मेरे पड़ोस में एक नए किरायेदार रहने के लिये आए. वो एक बिहारी परिवार था. पति पत्नी और उन का एक साल का लड़का. वे लोग मेरे घर के पीछे वाले घर में ही रहते थे. जब मैंने उसे देखा तो मेरे मन उसे देख कर पता नहीं क्या होने लगा.
वो क्या बम थी यार! देख कर लगता नहीं था कि एक बच्चे की माँ है. मस्त चूचियाँ थीं, गान्ड देख कर कोई भी पागल हो जाए, एकदम गोरा चेहरा. लाल रंग की साड़ी में कयामत लगती थीं.
मेरे घर की छत उन की छत से लगी हुई है और काफी ऊँचाई पर है. मैं वहाँ से अकसर वहाँ रहने वाली औरतों को नहाते देखता था, क्योंकि उनके बाथरूम पर छत नहीं थी. मैं जब भी देखता तो उनको नंगी देख कर मुठ जरूर मारता था. कई सालों से यहीं चल रहा था. लेकिन मुझे नहीं पता था कि मेरी छत से ही मुझे एक दिन चूत मिल जाएगी.
एक दिन सुबह मैं जब छत पर था, तो मैंने देखा कि मेरे पड़ोस वाली नई भाभी छत पर नहाने की तैयारी कर रही थीं. उसके हाथ में उसका ब्लाउज व पेटीकोट था. ब्रश करते हुए वो बाल्टी में पानी भरने लगी.
मैं उसे छत पर से देख रहा था. फिर उसने अपनी साड़ी उतारी और ब्लाउज भी उतार दिया वो बस ब्रा और पेटीकोट पहन कर मेरे सामने थीं.
मैं देखता ही रह गया उसे. मेरी पैन्ट में मेरा लन्ड जोर-जोर से उफान मार रहा था. मेरा मन पर उसे पूरा देख कर मुठ मारने का था. मैं वहीं खड़ा होकर उसे नहाते देख रहा था. उसने अपनी ब्रा भी उतार दी. क्या मस्त चूचियाँ थीं उसकी. उसने फिर अपना पेटीकोट को चूचियों के ऊपर बाँधा और नहाने लगी. पानी डालने के बाद उसने सारे बदन पर साबुन लगा लिया और अपने पेटीकोट को नीचे कर हाथ अन्दर कर मसलने लगी.
उसके दोनों चूचे मेरे सामने साबुन में नाच रहे थे. मैं देखता रहा. कुछ देर बाद जब वो नहा चुकी, उसने अपना पेटीकोट नीचे किया तो उसकी चूत मुझे नजर आने लगी.
एक दम से साफ थीं. वहाँ पर एक भी बाल नहीं था. वो उठी और तौलिए से अपना बदन पोंछ्ने लगी. फिर उसने अपने कपड़े पहने और अन्दर चली गई. फिर मैं वहीं पर मुठ मार कर अपना माल निकाल कर नीचे आ गया.
फिर तो मैं रोज ही भाभी के नहाने का इन्तज़ार करता रहता और उसे नहाते हुए देखता रहता. 10-15 दिन बाद मैं जब उसे नहाते हुए देख रहा था, तो भाभी ने मुझे छत पर देख लिया. मेरी तो गान्ड फट कर हाथ में आ गई. मुझे लगा कि वो मेरे घर पर बता देगी. मैं ऊपर से नीचे आ गया और घर से बाहर चला गया.
काफी देर बाद वापस आया, लेकिन डर लग रहा था. बेटा आज गान्ड पिटाई जरूर होगी. पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. मेरी जान में जान आ गई.
लेकिन चंचल मन मान नहीं सकता ना! अगले दिन फिर सुबह छत पर पहुंचा, तो कुछ देर बाद वो नहाने के लिए आ गई. उसने ऊपर देखा ही नहीं. मुझे लगा कि वो आज फिर से मुझे ना देख ले, इसलिए आज मैं सावधान था.
जैसे मुझे लगे उसकी नजर पड़ने वाली है, मैं पीछे हो जाता. वो नहा रही थीं और मैं मजे लेकर उसे देख रहा था.
पर आज उसे देख कर लग रहा था कि वो कुछ अलग अन्दाज में नहा रही है. उसने अपना पेटीकोट आज ऊपर नहीं बल्कि अपनी चूचियों के नीचे ही कर रखा था. उसके गोरे-गोरे चूचे देख कर आज अलग ही मजा आ रहा था.
कुछ देर बाद उसने साबुन अपने हाथों पर रगड़ा और अपनी चूत पर लगाने लगी. पेटीकोट को पूरा ऊपर कर वो हाथों से अपनी चूत में अन्दर डाल कर साफ कर रही थीं. मुझे उसकी चूत साबुन के झागों में से नजर आ रही थीं. फिर उसने पानी डाल कर साबुन साफ किया. वही चिकनी चूत मेरे सामने आ गई.
मैं तो देखता ही रह गया. वो खड़ी हो गई और अपना पेटीकोट नीचे गिरा दिया और पानी डालने लगी. अब वो मेरे सामने पूरी तरह से नंगे बदन नहा रही थीं. कभी वो अपने चूचे मलती, कभी अपनी चूत पर हाथ से साफ करती.
मैं तो आज पूरा जोश में था. मेरे मन में उसे चोदने का ख्याल था. पर मुझे नहीं लगता था की चूत भी मिलेगी इसकी. बस अब वो रोज मुझे अपने शरीर के दर्शन कराती थीं.
मैं समझ चुका था कि वो जानबूझ कर ये सब कर रही है, क्योंकि जब मैं उसे नहाते हुए देखता था तो वो बड़ी चालाकी से मुझे देखती थीं कि मैं वहाँ पर हूँ या नहीं. फिर वो मुझे अपना सब कुछ दिखा देती.
एक दिन जब मैं घर आया, तो देखा कि भाभी अपने लड़के के साथ मेरी माँ के साथ बैठी है. मेरी फट गई मुझे लगा कि ये आज मरवा देगी, पर वो मुझे देख कर हँस पड़ी. उसे देख कर मैं सीधा अन्दर चला गया.
मेरी माँ बोली- यह मेरा लड़का है. “हाँ मैंने देखा है, इसे कई बार… क्या करता है यह?” “यह तो अभी पढ़ ही रहा है. इकलौता है ना तो इसे कोई कमी नहीं होने देते. अब तो ये ही है बस घर में.”
मैं यह सब अन्दर से सुन रहा था. तभी उसका लड़का रोने लगा. मेरी माँ ने कहा- बेटा इसे रसोई से कुछ बिस्कुट ला के दे दे. “जी माँ, अभी लाया!” और मैं रसोई से बिस्कुट ले आया और उसके बेटे को अपनी गोद में ले लिया और उसके साथ खेलने लगा. वो भी मेरे कमरे में आ कर वहीं खेलता रहा.
कुछ देर बाद भाभी जाने लगी. वो अन्दर आई और मुझे देख कर मुस्कुराने लगी और अपने बेटे को गोद में उठा लिया और बाहर आ गई.
“भाभी लगता है गोलू इस से हिल-मिल गया है… इसके पास जा कर रोया ही नहीं!” उसने मेरी माँ से कहा. “हाँ बेटी, ये भी बच्चों से बहुत प्यार करता है!” “हाँ, तभी ये भी उसके पास जा कर नहीं रोया… ” और वो अपने बेटे को चूमने लगी. फिर मुझे कहने लगी- तुम्हें जब भी गोलू से मिलना हो, घर आकर मिल लेना…” “हाँ बेटा कभी जाना हो चले जाना और उसे यहाँ ले आना, यहीं पर खेलता रहेगा.”
और वो चली गई पर मुझे चुदाई का न्यौता दे गई. मैं सोचता जाने की, पर नहीं जाता. मैं उससे कुछ कहूँ और वो मेरी माँ को कह दे… बस यही डर था.
दो दिन बाद इतवार को मैं अपनी छत पर था. तब उसने मुझे ऊपर देखा. मुझे लगा कि अब यह कुछ देर बाद नहाएगी. उसने मुझे आवाज दी- देविन सुनो जरा! “हाँ भाभी जी, बोलो क्या हुआ?” “यह गोलू कुछ भी काम नहीं करने दे रहा, तुम इसे अपने घर ले जाओ. मैं अपना काम पूरा कर के इसे ले आऊँगी.” “मैं अभी आ रहा हूँ.”
मैंने सोचा ‘वाह’ आज तो किस्मत साथ दे रही है. चल बेटा. फिर मैं उनके घर आ गया. भाभी ने कहा- अरे देविन गोलू कुछ भी नहीं करने दे रहा है. तुम इसे सम्भाल लोगे! या घर ले जाओ भाभी को दे देना.” “नहीं भाभी मैं देख लूँगा गोलू को.” “ठीक है यहीं पर रूक जाओ या घर ले जाओ!” “नहीं, मैं यहीं आपके यहाँ पर ही रूक जाता हूँ.” “सही है… तुम रूम में टीवी देखते रहना. यह भी खेलता रहेगा.”
मैं तो यहीं चाहता था. मैं अन्दर आ गया गोलू को लेकर और टीवी आन कर देखने लगा. गोलू भी वहीं खेल रहा था. भाभी अपना काम करने लगीं. आधे घंटे बाद भाभी अन्दर आ गईं. और बोलीं- अगर आज तुम ना होते तो ये गोलू कुछ भी काम नहीं करने देता. “हाँ भाभी ये तो है. बच्चा है ये, इसे क्या पता!” “बस देविन थोड़ी देर और, मैं नहा लूँ फिर तुम चले जाना!” और ये कह कर वो मेरी तरफ ऐसे देखने लगीं, जैसे कह रही है कि तुम रोज छ्त से देखते हो. आज सामने से देख लेना. मैं भी यहीं सोच रहा था. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थीं. मैंने कहा- ओ के भाभी जी.”
उसने अपने कपड़े अल्मारी से निकाल कर गेट पर पर्दा लगा दिया और हल्का सा गेट बन्द कर दिया. बाहर पानी चला दिया. पानी की आवाज मेरे कान में साफ सुनाई दे रही थीं.
मैंने खिड़की से झाँक कर देखा. वो पेटीकोट को पकड़ कर ब्रश कर रही थीं. काले शीशे की वजह से वो मुझे नहीं देख सकती थीं. फिर वो बैठ कर पानी अपने ऊपर डालने लगी.
अब उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया था. उसे पता था मैं उसे जरूर देखूँगा. वो मुझे दिखा दिखा कर अपने हाथ से चूत को रगड़ रही थीं. और मैं उसे देख रहा था. वो भी बार-बार गेट की तरफ देख रही थीं. उसने साबुन अपने पूरे बदन पर लगा कर अपने 36 नाप की चूचियों को मसलने लगी. मेरा बुरा हाल हो रहा था. उसे देख कर मन कर रहा था कि मुठ मार कर झाड़ दूँ या इसे अभी चोद डालूँ. क्या मस्त चूत! क्या मस्त चूचियाँ! क्या मस्त गांड है यार…!!
तभी पता नहीं, गोलू गेट से निकल कर बाहर चला गया और अपनी माँ की ओर जाने लगा. मैं देख कर चौंक गया- अरे ये कब चला गया…” मुझे लगा कि वो गीला हो जाएगा पर भाभी नहा रही थीं. तभी भाभी की आवाज आई- देविन गोलू को अन्दर कर लो, यह भीग जायेगा.”
मैं आवाज सुन कर बाहर भागा. भाभी मेरे सामने एकदम नंगी खड़ी थीं और रूक कर उसे देखने लगा. वो मेरे लोअर में लन्ड के उभार को देख रही थीं. क्योंकि मेरा लंड उसे देख कर अब भी खड़ा था. तभी- देविन तुम अन्दर ले जाओ गोलू को. मैंने उसे उठाया- शैतान बाहर कैसे आ गया.
फिर मैं अन्दर आ गया. कुछ देर बाद भाभी पेटीकोट में ही अन्दर आ गई. ऊपर बस तौलिया लपेट रखा था. उसे देख कर मेरी हालत खराब हो चुकी थीं.
मेरी तरफ देख कर वो मुस्कुरा दीं, और मैं गांडू कुछ नहीं कर रहा था. वो अपने कपड़े अन्दर ही ले कर आ चुकी थीं और मेरी ओर अपनी कमर करके खड़ी हो कर ब्रा पहनने लगीं और मेरी पैंट फटने को हो रही थी.
ब्लाउज पहन कर भाभी मेरी ओर आई और मेरी टी-शर्ट को पकड़ कहने लगी- तुम छत से जो देखते हो मुझे सब पता है. मैं डर गया- पर भाभी माँ से मत कहना ये सब, नहीं तो पता नहीं क्या सोचेगी मेरे बारे में! “नहीं बताऊँगी, पर तुम से जो पूछूँगी सही बताओगे बोलो?” “हाँ पूछो भाभी.” और वो हँसने लगी- ठीक है ये बताओ तुमने मेरा क्या-क्या देखा है? मैं समझ गया ये मेरे साथ मजे ले रही है- मैंने भाभी आपका सब कुछ देखा है. वो मुस्कुरा दीं- क्या-क्या? सब बता दो नहीं तो…! मैंने कहा- आपका ऊपर का नीचे का!
“अरे देविन खुल कर बता, मैं भाभी को नहीं बता रही ये सब. बोल ना!!” मैं भी खुश हो गया. जब ये ही बोल रही है तो क्यूँ शरमाऊँ, मैंने कहा- आप की पहाड़ जैसी चूचियाँ, आपकी गांड, आपकी चूत… सब कुछ. “क्या छत से सब दिखता है?” “नहीं पूरा तो नहीं पर कुछ तो दिख ही जाता है भाभी.” अब मुझे डर नहीं लग रहा था. “देखने से क्या होता है?” “वो मेरा लंड खड़ा हो जाता है.” “और फिर क्या करते हो?” वो मेरे चेहरे को देखने लगी. “मैं उसे हिला कर अपना माल निकाल देता हूँ.” “कैसे?” “क्क्क्क् कैसे!! भाभी ये मैं कैसे बताऊँगा आपको?” “अरे घर पर भी तो करते होगे. अब भी तुम मुझे देख रहे थे और तुम्हारा लंड भी खड़ा है.” यह कह कर उसने मेरे खड़े लंड पर हाथ रख दिया. “नहीं वो तो मैं बाथरुम जा कर करता हूँ.” “तो कोई बात नहीं, इधर मैं कर देती हूँ.” उसने मेरा लोअर नीचे करके मेरा लन्ड हाथ में ले लिया.
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं. मेरा एकदम खड़ा लन्ड आसमान को देख रहा था. उसका हाथ लगते ही मेरा लन्ड और टाईट हो गया. ये देख कर उसने कहा- वाह, ये तो बहुत बड़ा है. तेरे भईया का भी इतना बड़ा नहीं है. तुमने इसे इतना बड़ा कैसे किया? “यह तो अपने आप ही इतना बड़ा है भाभी.” वो खुश हो गई. उसकी आँखों में मुझे वासना नजर आ रही थी. “चलो आज मैं तुम्हें सब कुछ खुद ही दिखा देती हूँ, ताकि तुम छत पर परेशान ना हो.”
उसने अपना ब्लाउज खोला और अपनी ब्रा भी उतार दी और मेरे लन्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी. मेरा सीना उसकी चूचियों से हल्का सा छू भर रहा था और वो खड़े हो कर मेरी आँखों में देखती हुई मेरे लन्ड को हिला रही थी. मेरा हाथ पकड़ कर उसने अपनी चूचियों पर रख कर खुद ही दबाने लगी. अब मुझ से नहीं रहा गया मैं भी उसकी चूचियों को दबा रहा था. वो भी मेरे दबाने का पूरा मजा ले रही थीं.
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी. वो मेरे सीने से लग कर मेरे बालों को पकड़ कर मेरा मुँह अपने सीने में गड़ाने लगी. मैंने उसके निप्पल को मुँह में भर लिया और चूसने लगा. वो बोली- देविन जोर से चूसो इन्हें. मैं भी जोर से चूसने लगा. काफी देर तक मैं उसके निप्पलों को चूसता रहा. वो मेरी मुठ मार रही थी. फिर वो नीचे आकर मेरा लन्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
मुझे काफी मजे आ रहे थे क्योंकि मेरी इच्छा जो पूरी हो रही थी. मैं उसका सर पकड़ कर लन्ड पर दबाने लगा. वो और जोर से चूसने लगी. मैंने देखा वो अपनी चूत हाथ से मसल रही थी. वो उठी और अपना पेटीकोट खोल दिया और मुझे बैड पर गिरा दिया. मेरे पैरों में से लोअर पूरा निकाल दिया. मेरे लन्ड को चूसने लगी. मुझे लगा जैसे वो नशे में हो. वो पूरे जोश में आकर ये सब कर रही थी.
फिर वो भी बैड पर आ गई और मेरे पैरों के ऊपर चढ़ कर बैठ गई. उसने लन्ड को पकड़ा अपनी कमर उठा चूत पर लगा कर नीचे बैठ गई. “आ… आ… आ ह… ह ह्ह्ह… ह…” मेरा पूरा लन्ड उसकी चूत में घुस चुका था.
वो जोर से मेरे खड़े लन्ड पर कूदने लगी. मैं भी जोर लगा रहा था, पर वो मेरे ऊपर थी. वो जोश में बोल रही थी- आह्ह्ह्ह… ह्ह… आ ह्ह… ह्ह्ह… देविन आज मेरी चूत को पूरा सही लन्ड मिला है… मेरी पूरी प्यास बुझा देना आज.” मैं भी जोश में बोला- हाँ भाभी आज आपकी चूत का कर्ज जरूर पूरा करुंगा… ले ले मेरा पूरा लन्ड अपनी चूत में.” वो ऐसे ही मेरे लन्ड पर 10 मिनट उछलती रही… फिर नीचे बैड पर लेट गई. “आ जा देविन आज फाड़ दे मेरी चूत को.”
मैं उठ कर उसके पैरों के बीच में आ गया और अपना लन्ड पकड़ कर उसकी चूत पर लगा, जोर से धक्का मार दिया. मेरा पूरा लन्ड उसकी चूत में समा गया. मैं उसके ऊपर झुका और उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा. उसने भी मुझे कन्धे से पकड़ लिया. मैं जोर लगा कर उसे चोद रहा था. उसके हर झटके के साथ हिलती उस की चूचियों ने मुझे पागल कर दिया. मैं और जोर से उसे चोदने लगा.
“आअ देविन आज तुम्हें पूरा मजा दूँगी. अब छत से मत देखना… आह्ह्ह… अह्ह्ह… आह… हाह… ह्ह… अह और जोर से करो ना देविन और तेज और तेज… आह्ह्ह आह ह्ह्हा आह्ह्ह्ह आह्ह मर गई तेरे लन्ड पर तेरी भाभी.”
20 मिनट के बाद भाभी ने मुझे जोर से पकड़ा- मैं तो गईईई… ईईई देविन और वो झड़ने लगी.” मैंने भी जोरदार धक्के मारते हुए अपना पूरा माल उसकी चूत में डाल दिया. उसके बाद हम दोनों निढाल होकर एक दूसरे की बाँहों में बाँहें डाल कर बेसुध हो गए. कुछ देर हमारी आँखें खुलीं, एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा उठे, दोनों की मनोकामनाएं पूरी हो गई थीं.
फिर मैं अपने कपड़े पहन कर घर आ गया.
फिर तो कई बार मैंने भाभी को जी भर कर चोदा.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी जरूर बताना. फिर कोई और भी किस्सा आप को बताऊँगा. [email protected]
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