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मेरा नाम पार्थ है। मैं 21 साल का हूँ। मैं अंतर्वासना का नियमित पाठक हूँ। यहाँ पर कोई कहानी सच्ची, तो कोई झूठी लगती हैं, पर मजा आता है।
आज मैं आप लोगों को अपने पहले चुदाई के अनुभव के बारे में बताने जा रहा हूँ, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है। कोई गलती हो तो माफ़ करना।
पहले अपने बारे में थोड़ा बता दूँ। मैं एक आम लड़का हूँ। मैं गुजरात में रहता हूँ, बीसीए का छात्र हूँ, पढ़ाई में अच्छा हूँ, पहले मैं एक पढ़ाकू किस्म का लड़का था लेकिन कॉलेज में आते ही मेरी दोस्ती कुछ बुरे लड़कों के साथ हो गई, जो हर लड़की को बुरी नज़र से देखते थे, उनके साथ रह कर मेरी नज़र भी खराब होती गई, फिर मैं भी हर लड़की को बुरी नज़र से देखने लगा। मेरी नज़र हमेशा लड़कियों के वक्ष पर ही चली जाती, हर लड़की को चोदने के सपने देखने लगता लेकिन मुट्ठ मार कर ही काम चलाना पड़ता।
तो अब कहानी पर आते हैं, आज से करीब एक साल पहले की बात है, कॉलेज की छुट्टियों में मैं अपने गाँव नाना के घर गया था। सबसे मिलकर हम बहुत खुश थे।
मेरे दो मामा हैं, छोटे मामा और मामी अलग घर में रहते हैं, नाना-नानी के साथ मेरे बड़े मामा-मामी रहते हैं।
छोटी मामी जिनका नाम पायल है, दिखने में बहुत सुन्दर हैं, मैंने उनको कभी बुरी नज़र से नहीं देखा था।
लेकिन एक दिन मैं किसी काम से छोटे मामा के घर गया था, मैंने देखा कि मामी कपड़े धो रही थीं। वो पूरी गीली हो चुकी थीं। जब वो उठी तो उनके शरीर से चिपके हुए कपड़े देखकर मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। पहली बार मैंने मामी के शरीर को गौर से देखा और देखता ही रह गया।
‘क्या फिगर थी मामी की! क्या बताऊँ?’ ‘क्या हुआ पार्थ? कुछ काम था क्या?’
मामी की आवाज़ सुनकर मेरा ध्यान भंग हुआ- वो… वो… मैं यह देने के लिए आया था। मम्मी ने भेजा है। कहकर मैंने बॉक्स मामी को दिया।
बॉक्स देने के बहाने पहली बार मैंने उनके नाजुक हाथों को छुआ, छूते ही मुझे मानों करंट सा लगा। मामी के हाथ मक्खन जैसे मुलायम थे।
और फिर मैं घर आ गया लेकिन मेरा दिल अब मामी को चोदने के सपने देख रहा था।
अब मैं रोज मामी के घर जाने लगा और बातें करने लगा। मैं मामी से काफी घुल-मिल गया था। मामी भी मुझसे मजाक करने लगी थीं।
एक दिन में मामी के घर पर था। हम दोनों बातें कर रहे थे कि बारिश शुरु हो गई।
‘अरे यार, इस बारिश को भी अभी गिरना था!’ कहकर मामी खड़ी होकर जाने लगीं। ‘अरे पार्थ चल ना, मेरे साथ छत पर कपड़े लेने के लिए, वरना गीले हो जाएँगे।’
मैं भी मामी की मदद करने के लिए उनके साथ चल दिया। ‘अच्छा है कि तेज बारिश नहीं हो रही। जल्दी से कपड़े लेकर नीचे चले जाते हैं।’ मामी का इतना कहना था कि बारिश ने अपना रुख दिखाना शुरु कर दिया और बारिश तेज़ होती गई।
हम दोनों पूरे भीग चुके थे। मैंने मामी की ओर देखा तो उनके गीले कपड़े के अंदर उनकी ब्रा साफ नज़र आ रही थी।
मैं तो बस मामी की गोलाईयों को देखता ही रहा। वह पूरी गीली थीं और उनके कपड़े उनके शरीर से चिपक गए थे।
मैं तो बस इस नज़ारे को देख रहा था कि मामी बोलीं- क्या देख रहे हो पार्थ? मैं चौंक गया- क…क…क… कुछ भी… तो नहीं…’ ‘जो देखना था वो दिखा?’ ‘मा…मी… क…क…क…क्या बोल… रही ह्…ह्…हो?’ ‘मुझे सब पता है। पिछले कुछ दिनों से तेरी नज़र ठीक नहीं है मेरे ऊपर! क्या इरादा है?’ ‘वो… वो…’
‘अब झूठ बोलने की जरूरत नहीं है। मेरे सीने को, मेरी चूचियों देखते रहते हो ना हर बार! मुझे सब पता है।’ ‘मामी… सॉरी मामी… सॉरी…’ ‘अच्छा! चोरी पकड़ी गई तो सॉरी बोलने लगा?’ मैं कुछ भी कहने की हालत में नहीं था। ‘इतने अच्छे लगते हैं मेरे दुद्दू?’
मामी की बात सुनकर मुझ में थोड़ी हिम्मत आई, और अपनी चुप्पी तोड़कर बोला- मामी आप तो पूरी की पूरी मुझे बहुत अच्छी लगती हो। ‘क्यों? कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है?’ ‘नहीं है मामी।’ ‘कभी किसी लड़की को नंगी किया है या देखा है?’ ‘नहीं मामी, मैंने सिर्फ़ वीडियो में ही लड़की को नंगी देखा है।’ ‘मुझे नंगी देखना चाहेगा?’ ‘हाँ मामी!’ मैं ख़ुशी से मामी को अपने गले से लग गया। ‘अरे आराम से… आराम से!’
मैंने मामी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
मैं बता नहीं सकता कि मुझे कितना अच्छा लग रहा था। लगा कि मैं ज़मीन पर नहीं ज़न्नत में हूँ। मुझे यह तक ध्यान नहीं रहा कि मैं और मामी अभी तक छत पर ही हैं। मैं उनके होंठो को चूसता गया और मेरे दोनों हाथ मामी के दोनों दुद्दुओं पर थे।
क्या मुलायम बोबे थे मामी के! मैं उन्हें कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा। मामी भी मेरे चुम्बन का जवाब देने लगी थीं। मैं जोर-जोर से मामी के उरोजों को मसलने लगा। मामी को दर्द हो रहा था और मुझसे छूटने की कोशिश भी कर रही थीं मगर कामयाब नहीं हो पाईं। मैंने मामी को नीचे लिटा दिया और उनके कपड़े उतारने लगा।
थोड़ी ही देर में मामी मेरे सामने बिल्कुल नंगी लेटी थीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उनके दुद्दुओं देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उन पर टूट पड़ा। मैंने उनके एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा और काटता भी जाता था। मामी दर्द के मारे कभी-कभी चिल्ला देतीं पर मैं अपने होंठों से उनके होंठों का रसपान कर रहा था, तो उनकी आवाज़ बाहर नहीं आ पाती।
करीब 5-6 मिनट तक मैं उन्हें ऐसे ही चूमता रहा, फिर मामी ने मुझे धक्का देकर मुझे नीचे लिटा दिया और वो मेरे ऊपर आ गईं। अब मेरे कपड़ों की बारी थी, मामी को ज़्यादा देर नहीं लगी मुझे नंगा करने में और मैं भी मामी के सामने नंगा होकर लेट गया।
हम दोनों लेटे थे, अगर कोई खड़ा था तो वो था, मेरा लंड जो मामी की चूत में जाने को बेकरार था। मामी मेरा लंड पकड़कर हिलाने लगी और फिर उसे मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मेरी हालत खराब हुई ज़ा रही थी, थोड़ी ही देर में मेरे लंड से माल निकलने को हुआ और मैंने मामी के मुँह से अपना लंड निकाल कर उनके सीने के दूधिया उभारों पर रख दिया। मेरे लंड की पिचकारी उनके दुद्दुओं पर गिरी। मैं निढाल होकर मामी के ऊपर पसर गया।
थोड़ी देर बाद होश आया तो देखा कि हम लोग अभी भी छत पर ही थे।
मैंने उठकर मामी के होंठों पर फिर से अपने होंठ रख दिए और चूसना चालू कर दिया। थोड़ी देर चुम्मा-चाटी के बाद हम दोनों अलग हुए। बारिश अभी भी चल रही थी, पर कम हो गई थी। हम दोनों खड़े हुए और कपड़े उठाकर नीचे आ गए।
कमरे में आते ही मैंने मामी को पकड़ा और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनके ऊपर आ गया। मैंने अपना लंड मामी की चूत पर रखा और जोर से धक्का दिया। मामी की चूत कसी हुई थी तो उनके मुँह से चीख निकल गई पर मैंने अपने होंठों से उसे दबा दिया। दर्द के मारे मामी की आँखों से आँसू भी निकल आए।
मुझे उनकी इस दशा से पता चल गया कि उनकी बहुत दिनों से चुदाई नहीं हुई है।
मैं धक्के लगाता गया और मामी दर्द सहते हुए चुदती रही। थोड़ी देर बाद मामी का दर्द कम हुआ और वो मेरा साथ देने लगी और चूतड़ उछाल-उछाल कर चुदाई का मजा लेने लगीं।
कुछ देर चुदाई करने के बाद मेरा माल निकलने को आया तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो मामी ने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। ‘मामी… मेरा निकलने वाला है।’ ‘मेरे मुँह में निकाल दे।’
मैंने अपना सारा माल मामी के मुँह में निकाल दिया। मामी सारा माल चाट गईं। और मुझ से लिपटकर रोने लगीं- ‘आज बरसों बाद मेरी चूत की प्यास बुझी है, तेरे मामा इसे नहीं मिटा पाते हैं।’ ‘एक बात पूछूँ मामी?’ ‘पूछ ना!’ ‘शादी से पहले कभी चुदी थीं तुम?’ ‘हाँ! मेरे कॉलेज के बॉय-फ्रेंड ने मुझे कई बार चोदा था, उसके सभी दोस्तों से भी बारी-बारी चुदवाया था मैंने!’
‘कभी किसी ने गांड मारी है?’ ‘हाँ मेरे बॉय-फ्रेंड ने एक बार मारी थी।’ ‘मुझ से मरवाओगी?’ ‘तुझे जो करना है, वो कर अब तो मैं तेरी ही हूँ।’ फिर मैंने मामी की गांड भी मारी।
मामी ने मुझे अपनी कॉलेज में हुई सारी चुदाई की कहानी बताई कि कैसे वो एक साथ कई लड़कों से चुदी थीं। ‘मामी! तुम्हारी कहानी सुनकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।’ ‘तो उसकी प्यास बुझा दे।’
और एक बार फ़िर चुदाई का प्रोग्राम शुरु हुआ। फ़िर मैं अपने घर चल गया। जाते-जाते मामी के होंठों को चूमता गया। रास्ते में मुझे एक दोस्त मिला- अरे पार्थ! एक नई पोर्न वीडियो डाउनलोड की है यार! मैं मन ही मन हँस दिया और बोला- नहीं चाहिए! मेरे पास उससे भी बेहतर है।
मेरा दोस्त कुछ समझ नहीं पाया और मैं उसको कुछ समझाना भी नहीं चाहता था। फिर तो जब भी टाईम मिलता मैं मामी के घर जाकर उनकी चुदाई करता। फ़िर छुट्टियाँ खत्म होने पर मैं अपने परिवार के साथ शहर आ गया। लेकिन दिल तो अभी भी गाँव में ही अटका हुआ है।
तो यह थी मेरी सच्चा और पहला चुदाई का अनुभव। आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी? मुझे जरूर बताइएगा। आपके ईमेल का इन्तज़ार रहेगा। [email protected]
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