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लेखिका : कविता लालवानी सहयोगी : टी पी एल करीब एक घंटे के बाद हम अलग हुए और नितिन ने मुझे सिर्फ सलवार और कमीज पहना दी और मेरी ब्रा तथा पैंटी को बाथरूम में डाल दी, बाद में उसने पजामा और टी-शर्ट पहनी और रसोई से खाना लाया। हम दोनों ने मिल कर खाना खाया और उसके बाद हम अपने अपने बिस्तर पर जाकर सो लगे तब मैंने नितिन से दीदी और जीजाजी के आने तक वह मेरे ही कमरे में मेरे साथ ही सो जाने के लिए कह दिया ताकि रात में मुझे बाथरूम जाने आने में उसकी मदद मिल सके।
नितिन मान गया वह मेरे पास आ कर लेट गया, उसने अपना एक हाथ मेरे चूचियों पर रख दिया और मैंने भी उसके लौड़े को पकड़ लिया, हम बहुत देर तक बातें करते रहे और फिर सो गए। बातों बातों में नितिन ने मुझसे चुदाई के बारे टोहने कि कोशिश की लेकिन मैंने उसे टाल दिया और बात आगे नहीं बढ़ने दी। मैं अपनी कमजोरी की वजह अभी ऐसा कुछ नहीं करना चाहती थी जिससे मैं दुबारा बीमार पड़ जाऊँ !
हम दोनों के बीच यह सहलाने, मसलने, हिलाने और चूसने अथवा चाटने का सिलसिला अगले पांच दिनों तक इसी तरह चलता रहा तथा हमने अपनी इस दिनचर्या को सिर्फ शरबत पीने तथा रबड़ी खाने तक ही सीमत रखा।
छ्टे दिन दीदी का फोन आया तो उन्होंने बताया कि वे लोग सात दिन बाद अगले इतवार रात तक ही वापिस आ पाएँगे क्योंकि जीजाजी बड़े हैं इसलिए वह सभी रीति रिवाज समाप्त होने के बाद वहाँ के सारे काम काज का जायजा लेकर और छोटे भाइयों को समझा कर ही लौटेंगे !
फिर दीदी ने यह भी बताया कि अगले दिन दो सप्ताह हो जायेंगे इसलिए मुझे एक बार फिर डाक्टर को बुला कर दिखने की सलाह भी दी! उनके ऐसा कहने पर मैंने डाक्टर साहिब को फोन किया और उन्हें आकर मुझे देख जाने को कहा, तो उन्होंने अगले दिन शाम को चार बजे तक आने की बात कही। तब मैंने नितिन को सब बता दिया और कहा कि वह अगले दिन चार बजे से पहले ही घर पहुँच जाये और डॉक्टर के आने पर मेरे पास ही होना चाहिए।
अगले दिन शाम को 4 बजे डॉक्टर साहिब आये और मेरा चेकअप करके बताया की मेरी बिमारी बिल्कुल ठीक हो गई है, अब मेरा स्वास्थ्य भी पहले से बहुत बेहतर हो गया था, अब मैं उठ बैठ सकती थी तथा नहा धो भी सकती थी।
उन्होंने यह भी कहा कि मुझे अभी अपने खाने पीने का ध्यान रखना होगा और आराम भी करना होगा तथा मैं सिर्फ घर में ही चल फिर सकती हूँ। डॉक्टर साहब के जाने के बाद मैंने सीमा को कह दिया कि अगले दिन से उसे जल्दी आने की जरूरत नहीं है और जैसे पहले आती थी वैसे ही आया करे !
सीमा के जाने के बाद मैं उठकर बाथरूम गई और बाद में नितिन के कमरे में उसके पास जा कर बैठ गई। नितिन बिस्तर पर बैठा पढ़ रहा था तो मैं भी उसी के पास बैठे बैठे लेट गई। आधे घंटे के बाद नितिन का काम समाप्त हो गया तो वह भी मेरे पास लेट गया और मेरे चेहरे पर हाथ फेरने लगा। अचानक उसने मेरे चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर मेरे होंठों को चूम लिया, मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने भी नितिन को के सिर को पकड़ कर उसके होंठों पर एक जोर का चुम्बन ले लिया !
फिर क्या था नितिन मेरे साथ लिपट गया और अपने होटों को मेरे होटों से भिड़ा कर बार बार चूमने लगा। हम बहुत देर तक एक दूसरे की जीभ को भी मुँह में ले कर बारी बारी चूसते रहे और एक दूसरे का चुम्बन लेते रहे।
उस रात को खाना खाने के बाद हम दोनों नग्न हो कर एक ही बिस्तर पर लेट गए! नितिन कभी मेरे चूचियों को चूसता और कभी उन्हें हाथों से मसलता, बीच बीच में वह अपने हाथों से मेरी चूत और चूत के बालों को सहला भी देता !
मैं भी उसके लौड़े और टट्टों से खेलती रही, कभी आगे पीछे हिलाती, कभी मरोड़ती, कभी सुपारे को खाल से ढक देती और कभी बाहर निकाल कर उसे जीभ से चाट लेती ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
इस तरह आधे घंटे तक हम एक दूसरे के गुप्तांगों से खेलते रहे और रोज की तरह के एक दूसरे को चूसते एवं चुसाते रहे। जब हम दोनों ने अपनी अपनी शरबत और रबड़ी की टंकियां खाली कर दी तब सीधे हो कर एक दूसरे से लिपट के सो गए।
सुबह नितिन की नींद खुली तब वह रसोई में जाकर चाय बना लाया और हम दोनों ने चाय पी। फिर हम दोनों एक ही बाथरूम में घुस गए और एक दूसरे के सामने मूता भी और हगा भी !
बाद में नितिन ने मुझे खूब साबुन लगा कर नहलाया, उसने हर जगह हाथ लगा लगा कर मसला और मस्ती ली। मैंने भी उसे खूब साबुन लगाया और उसके लौड़े और टट्टों को रगड़ रगड़ नहलाया! फिर हमने एक दूसरे को कपड़े पहनाये, दोनों ने मिल के नाश्ता बनाया और खाया।
दाखिले के लिए कालेज जाने से पहले नितिन मेरे पास बाय कहने आया और मेरे मेरे चूचियों को दबाया तथा मेरा कस कर चुम्बन भी लिया। जब वह मेरा चुम्बन ले रहा था तब मैंने भी उसके लौड़े और टट्टों को कस के दबा दिया, जिससे वह एक दम ‘सी सी’ कर उठा था।
नितिन के जाने के बाद मैं कुछ देर के लिए मैंने बिस्तर पर आराम किया और सीमा के आने पर उठ कर उसको काम समझाया तथा उसके साथ रसोई का काम समेटने में लग गई। दोपहर को जब सीमा काम खत्म कर के चली गई तो मैं नितिन का इन्तजार करते हुए फिर बिस्तर पर लेटे लेटे सो गई।
तीन बजे के बाद नितिन आया, मुझे जगाया, तब हम ने खाना खाया और फिर उसी के कमरे में लेट कर एक दूसरे के गुप्तांगों से छेड़खानी करते हुए सो गये। पांच बजे नींद खुली तो मैंने उठ के कपड़े पहने और बाहर वाले कमरे आ कर बैठ गई, नितिन ने भी कपड़े पहने और पढ़ने बैठ गया।
साढ़े पांच बजे सीमा आई और उसने हमें चाय पिलाई, फिर रात का खाना बनाया और बाकी का काम समेट कर चली गई। सीमा के जाने के बाद मैंने ब्रा और पैंटी सहित अपने सब कपड़े उतार दिए और निकर तथा बनियान पहन कर नितिन के पास बिस्तर पर लेट गई! नितिन पढ़ाई के साथ साथ अपने एक हाथ से मेरे चूचियों और चुचूकों को मसलता रहा।
जब वह पढ़ कर उठा तो हम दोनों ने मिल बैठ कर खाना खाया तब खाने के दौरान नितिन ने सुझाया कि उस रात हम उसी के कमरे में सोयें !
मुझे नितिन का सुझाव अच्छा लगा क्योंकि मैं इतने दिनों से दिन भर अपने कमरे में पड़ी पड़ी उकता गई थी इसलिए मैंने झट से हाँ कह कर उसके बिस्तर को दोनों के सोने के लिए ठीक-ठाक किया। इस दौरान नितिन ने अपने कपड़े उतार दिए और फिर मेरी निकर तथा बनियान उतार कर मुझे भी नग्न कर दिया और मुझसे चिपट गया। बातों ही बातों में नितिन ने बताया कि उसने मुझे और दीदी को छोड़ कर और किसी भी लड़की या औरत को नग्न नहीं देखा था !
मुझे और दीदी को वह अक्सर बाथरूम में नहाते हुए देखा करता था !
जब मैंने पूछा कि कैसे देखता था तो उसने बताया कि जब मैं अथवा दीदी नहाने जाती थीं तो अक्सर अपने बाथरुम का दरवाज़ा आधा खुला छोड़ देती थीं और तब वह चुपके से हमारे कमरे में आकर उस आधे खुले दरवाज़े में से झांक कर हमें नहाते हुए देखा करता था। उसने यह भी बताया कि दीदी तो चूत के बाल हमेशा साफ़ रखती है और उसने कई बार उन्हें शेव करते हुए भी देखा था! उसने यह भी बताया कि उसका किसी भी लड़की या औरत के साथ कोई भी सम्बन्ध नहीं था और मैं पहली लड़की हूँ जिसे उसने छुआ था, हाँ उसने दीदी के पास लेटे लेटे उनके चूचियों पर कई बार हाथ रख कर सोया था!
उसने बताया कि लड़कियों से क्या और कैसे करना होता है इसके बारे में उसे कुछ भी पता नहीं है और इसीलिए उसे डर लगता है कि अगर वह बाहर किसी लड़की से सम्बन्ध बनाए तो वह कहीं उसका मजाक ना उड़ाए ! इसलिए उसने इस बारे में मुझे उसकी सहायता करने का आग्रह किया ताकि बात घर में ही रहेगी।
जब मैंने उससे पूछा कि किसी तरह की सहायता चहिये तो उसने मेरे साथ चुदाई करने की इच्छा प्रकट की।
मैंने भी उसे बताया कि मैं तो पहले कभी चुदी नहीं इसलिए मुझे भी इस बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं है तो उसने कहा कि वह भी पहली ही बार करेगा। जब उसने बताया कि उसने इन्टरनेट पर इस बारे में बहुत कुछ देखा हुआ है तब मैंने भी उसे बताया कि इन्टरनेट पर तो मैंने भी बहुत कुछ देखा है पर कुछ करने को डर लगता है।
इसके बाद हम रोज की तरह किस करते रहे और चूत और लौड़े को चूसते रहे ! नितिन की बातों और चुसाई के कारण मैं बहुत गर्म हो गई और मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने नितिन के कान में कहा कि मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है और उसको मिटाने के लिए कुछ करे !
तब नितिन ने उठ कर मुझे सीधा किया और मेरी टांगों को चौड़ा कर के मेरी चूत को चूसने लगा! वह बार बार मेरे भगांकुर पर जीभ फेरने लगा जिस की वजह से मैं आह्ह्ह… आहह्ह्ह… और सी.. सी.. सी.. की आवाजें निकालने लगी, मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा भड़कने लगी, तब मैंने नितिन से कहा कि अब और सहा नहीं जाता और अब यह आग तो उसके लौड़े की बौछार से ही बुझेगी !
तब नितिन ने मेरी दोनों टाँगें ऊपर उठा कर अपने कंधों पर रखा और अपने लौड़े को मेरी चूत के मुँह पर रख कर उसे अंदर डालने के लिए धक्का लगाने लगा लेकिन उसका लौड़ा बार बार फिसल जाता था!
कई बार कोशिश करने के बाद भी जब नितिन को सफलता नहीं मिली तो उसने मुझसे मदद के लिए इशारा किया। तब मैंने हाथ नीचे करके नितिन के लौड़े को पकड़ कर चूत के मुख पर लगा दिया और उसे धक्का लगाने को कहा।
नितिन ने जैसे ही आहिस्ता से धक्का लगाया तो उसका लौड़ा फिसला नहीं और मेरी चूत के मुँह पर टिक गया, अगले धक्के लगने से उसका सुपारा मेरी चूत के अंदर घुसने लगा और मेरी चूत में हल्का दर्द हुआ !
मैंने उस दर्द को बर्दाश्त कर लिया और मैंने नितिन को धक्का लगाते रहने को कहा! जैसे ही नितिन ने एक और धक्का लगाया तो उसका आधा सुपारा चूत के अंदर चला गया और मेरी ‘उईई…’ करके चीख निकल गई, मुझे लगा कि मेरी चूत फट रही थी और वह दर्द मुझ से सहन नहीं हो रहा था !
नितिन ने पूछा भी कि क्या वह लौड़े को हटा ले लेकिन मैंने उसे मना कर दिया और धक्का लगाने को कहा। इस बार नितिन ने थोड़ा जोर से धक्का लगाया और उसका पूरा सुपारा मेरी चूत के अंदर चला गया और मेरे मुँह से तो ‘उईई…माँ… उईई…माँ…’ की चीखें निकल गई। मैंने उन चीखों के बीच में ही नितिन को थोड़ा रुकने को कहा।
लगभग पांच मिनट रुकने के बाद मुझे कुछ आराम मिला तो मैंने नितिन को फिर से धक्के लगाने को कह दिया। जब उसने अगला धक्का लगाया तो उसका लौड़ा मेरी चूत में दो इंच घुस गया था और दर्द के मारे मेरी चीखें पूरे कमरे में गूँज गई ! मैं तड़पने लगी और मेरे आंसू निकल आये ! इस बार नितिन रुका नहीं और एक और धक्का मार कर अपने आधा लौड़ा मेरी चूत के अंदर घुसा दिया।
अब तो मैं हाथ पैर पटकने लगी, उईई…माँ… उईई…माँ… करके चीखें मारने लगी और नितिन को गालियाँ भी देने लगी। नितिन का लौड़ा अब सुपारे समेत चार इंच मेरी चूत में था इसलिए वह कुछ देर के लिए रुक गया। जब मैं शांत हुई तो मुझे लगा कि मेरी चूत से कुछ रिस रहा था, मैंने अपना हाथ अपनी चूत पर लगाया और उँगलियाँ को खून से लथपथ देखा तो मैं घबराह गई लेकिन फिर सोचा कि जब ओखली में सिर दिया है तो डरना किस बात का, यह तो होना ही था !
इसके बाद नितिन ने मुझे शांत देख कर एक और धक्का पूरे जोर से लगा दिया और पूरा का पूरा आठ इंच का लौड़ा मेरी चूत के अंदर घुसा दिया !
इस बार भी मुझे दर्द भी हुआ और मैं उईई…माँ… कर के चीखी भी लेकिन वह दर्द अब मुझे मीठा लगने लगा था!
अब नितिन ने आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगाने शुरू कर दिए और कुछ ही देर के बाद उन्हें तेज भी कर दिया ! मुझे आनन्द आने लगा था और मैं भी उसके धक्कों का साथ देने लगी थी। लगभग दस मिनट की तेज चुदाई के बाद मेरी चूत एकदम सिकुड़ गई और नितिन के लौड़े को जकड़ लिया।
उसे धक्के लगाने में दिक्कत होने लगी थी तब वह थोड़ी देर के लिए रुका और मेरे ढीले होने का इंतज़ार करने लगा। जब उसे ढीलापन महसूस होने लगा तो वह फिर से धक्के लगाने लगा। इस बार वह बहुत तेज धक्के लगा रहा था और मैं उसे अधिक तेज, और अधिक तेज, शाबाश नितिन बहुत तेज़, की आवाजें लगा कर प्रोत्साहित करती रही !
इसी तेज धक्कों में अचानक नितिन का लौड़ा फड़फड़ाया और मेरी चूत भी एकदम से सिकुड़ी और हम दोनों की एक साथ चीख निकली उन्ह… उन्ह्ह.. आह्ह… आह्ह्ह… उईई… उईई… आह्ह्ह… आह्ह्ह… और नितिन के लौड़े ने बरसात कर दी !
पहले एक बौछार, फिर दूसरी बौछार तथा उसके बाद तीसरी, चौथी, पांचवीं, छठी बौछार… और फिर मैं गिनती ही भूल गई ! पता नहीं नितिन ने कितनी ही बौछारें करी, मेरी चूत में तो जैसे बाढ़ आ गई थी जिससे मेरी सारी आग बुझ गई। हम दोनों बहुत थक गए थे इसलिए नितिन ने मेरी टाँगें अपने कंधों से उतारी और निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गया, मेरी चूत भी ढीली होने लगी थी और उसका सिकुड़ा हुआ लौड़ा अब एक टल्ली (सुकड़ा हुआ लौड़ा) बन कर मेरी चूत से बाहर निकलने लगा था।
लगभग पांच मिनट के बाद नितिन को साँस में साँस आई तब वह मेरे ऊपर से हटा तथा अपनी टल्ली को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाला।
पन्द्रह मिनट के बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम गए और एक दूसरे को धोया तथा साफ़ किया, तब मैंने देखा कि नितिन की टल्ली एकदम लाल हो गई है और उस पर नीले रंग कि नसें उभर आईं हैं! जब मैंने नितिन को इस बारे में बताया तो उसने कहा कि इतनी रगड़ाई के कारण यह तो होना ही था।
फिर कमरे में आकर नितिन ने मुझे लिटाया और मेरी चूत को ध्यान से देखा और बताया के वह भी काफी खुल गई थी, उसके बाहर का भाग बहुत लाल हो गया था तथा सूज भी गया था, अंदर का भाग गुलाबी रंग का हो गया था।
इस चुदाई से मुझे इतना आनन्द तथा संतोष मिला था कि मैंने पागलों कि तरह नितिन को अपने पास खींच कर लिटा लिया और उसे और उसकी टल्ली को चूमने लगी !
नितिन भी मुझे और मेरी चूत को चूमता रहा और फिर हम दोनों एक दूसरे को लिपट तथा चिपट के नींद के आगोश में खो गए !
आप सब मित्रों से अनुरोध है कि आप सब मेरे साथ घटी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दीजिए !
सिर्फ प्रतिक्रिया ही दीजियेगा, दोस्ती या यौन सम्बन्ध का अनुरोध मत कीजियेगा !
अंत में मैं अपनी सखी टी पी एल के प्रति भी बहुत आभार प्रकट करना चाहूँगी, जिसने मेरी कहानी को सम्पादित किया और उसमें सुधार करके आपके लिए अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने में मेरी सहायता की !
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