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मेरे प्यारे भाइयो और प्यारी प्यारी भाभियो! मैं आज फिर हाज़िर हूँ आप सबके सामने मेरी नयी कहानी लेकर जो मेरी सच्ची आपबीती है।
आप सबने मेरी पिछली अन्तर्वासना हिंदी कहानी चलती कार में लड़की की चुदाई पढ़ी और बहुत सराही।
ये कहानी है मेरी और मेरी एक दूर के रिश्ते की भांजी की जिसका नाम है किट्टू।
यूँ तो किट्टू देखने में शरीर से कुछ ख़ास नहीं लगती. पर जब मैंने उसके साथ सेक्स किया तो उसकी उम्र कोई 19 साल रही होगी, जिस कारण से मैं उसको चोदने को इतना लालायित हुआ। वो जब भी मुझे मिलती तो एक अलग अंदाज़ में बात करती और उसका रुझान बड़े लोगों वाली बात पर होता जैसे मेरी गर्लफ़्रेंड, उसका बॉयफ़्रेंड और जाने क्या क्या। उसकी बातों से ही मैंने अनुमान लगाया कि इसकी चूत आसानी से मिल सकती है।
फिर क्या था … मैंने फ़ील्डिंग लगानी शुरू की। मैं अपनी भानजी की चूत लेने के लिए इसलिए भी उत्सुक था क्योंकि मैंने इतनी छोटी लड़की की चूत कभी नहीं ली थी।
एक दिन बातों बातों में मैंने उससे पूछ लिया- कभी सेक्स किया है? तो वो शर्मा कर जाने लगी.
पर मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसके हाथ को अपने लण्ड पर रख दिया। पहले तो वो शर्माती रही पर थोड़ी देर बाद उसने आराम से मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड को सहलाया और मौक़ा देख कर वहाँ से भाग गयी।
उसके भागने से पहले मैंने उसके छोटे चूचों पर भी हाथ फेर दिया. पर जैसा मैंने बताया कि उसका शरीर कुछ ख़ास आकर्षक नहीं था. तो उसके चूचों में कुछ आनंद नहीं था। ख़ैर, बात एक कदम आगे तो बढ़ी ही थी।
कुछ समय बाद मुझे उसके घर जाने का मौक़ा मिला।
उसका घर बहुत बड़ा महल सा है और दो मंज़िल बना है. जिसमें नीचे उनकी शानदार और विशाल बैठक है. और कुछ कमरे हैं जो मैंने हमेशा बंद ही देखे हैं। रहने के सब कमरे ऊपर।
मैं वहाँ पहुँचा तो किट्टू मुझे नीचे ही मिल गयी। मैंने मौका देख कर एक हल्की सी थपकी उसकी गांड पर मारते हुए उसकी पप्पी ले ली। वो थोड़ा सकपकाई तो मैंने उससे बाथरूम के लिए पूछा।
मेरे इरादों का जरा भी ज्ञान ना होते हुए उसने बाथरूम की तरफ़ इशारा किया. तो मैंने कहा- अगर चल के दिखा देगी तो बहुत ज़ोर पड़ जाएगा या तेरे पैर घिस जाएँगे? किट्टू- सामने ही तो है मामा जी! मैं- रहने दे, मैं ना जाता! अपने घर जाकर ही फ़्रेश हो जाऊँगा।
इतना कहना था कि किट्टू बाथरूम की तरफ़ चल पड़ी। मैंने चारों तरफ़ देखा तो कोई नहीं था।
किट्टू ने बाथरूम का दरवाज़ा खोला ही था कि मैंने उसको पीछे से पकड़ा और उसको तक़रीबन गोद में उठा कर अंदर ले गया। किट्टू कुछ कहती, उससे पहले ही मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख उनको चूसना चालू किया।
इतने में उसने लाइट जला दी और छूटने का प्रयास करने लगी। मैंने अपना लण्ड जो अब तक टनाटन हो चुका था, उसको भी बाहर निकाल लिया था।
किट्टू बड़बड़ाती हुई मुझसे थोड़ी बहस सी करने को हुई. मैं- क्या कर रही है? कोई सुन लेगा। किट्टू- जाने दो ना मामा जी, प्लीज़। मैं- अच्छा चली जाना। दो मिनट तो रुक ना।
किट्टू दो मिनट के नाम पर थोड़ी सहज हुई तो मैंने अपना लण्ड उसके हाथ में पकड़ा दिया। वो फिर से थोड़ी सकपकाई पर उसने अपना हाथ मेरे लण्ड से हटाया नहीं।
उसके व्यवहार से मैं समझ गया कि ये इसका पहली बार नहीं जब इसने लण्ड देखा या पकड़ा है. पर हमें क्या, हमें तो छोटी उम्र की चूत चाहिए यारो। मैंने किट्टू के हाथ से अपने लण्ड को थोड़ा सहलाना शुरू किया।
किट्टू- ये क्या कर रहे हो आप? मैं- एक बार इसको ख़ालिस सहला दे जान। उस दिन तो ऊपर से ही हाथ फेर के चली गयी थी तू। किट्टू- उस दिन … किस दिन? मैं- अच्छा, भूल भी गयी? किट्टू- आपको लगा होगा, मैं क्यूँ सहलाती इसको?
इस समय मैं उसके चुचों को मुट्ठी में भरने की कोशिश कर रहा था पर उसकी छाती कुछ सपाट सी ही थी तो मैंने उसकी टॉप को ऊपर कर उनको देखने की सोची।
उधर किट्टू अपने ना ना के नाटक में ही लगी थी पर उसने मेरे लण्ड पर पकड़ बना ली थी और उसकी आँखें भी चमक रही थीं।
मैं- एक बार इसको मुँह में ले के देख, मज़ा आ जाएगा। किट्टू- पागल हो क्या? इसको भी कोई मुँह में लेता है? मैं- तो सीधे चूत में लेगी क्या मेरी जान? किट्टू थोड़ा ग़ुस्सा दिखाते हुए- छी … मुझे छोड़ो … बाहर जाना है।
मैं- यार, मतलब चूत में जाने से पहले इसको गीला करना पड़ता है तो अक्सर लड़कियाँ इसको चूस के ही गीला करती हैं। चल, चूस ना एक बार! किट्टू अपना हाथ झटकती हुई- बकवास ना करो। मैं- चल छोड़, एक बार अपने बूब्ज़ दिखा देगी तो जाने दूँगा। और इससे पहले की कोई आये, तू जल्दी से मुझे खुश कर और चलती बन!
किट्टू को शायद समझ आ गया था कि मैं उसको ऐसे जाने नहीं दूंगा तो उसने अपनी टीशर्ट को जरा ऊपर करके मुझे इशारा दिया।
मैंने जरा भी देर ना करते हुए, उसकी टीशर्ट को शमीज के साथ पकड़ा और एक झटके के साथ उसके कपड़ों को उसके शरीर से अलग कर दिया।
उसने नहीं सोचा था कि मैं कुछ ऐसा कर दूंगा पर अब तो चिड़िया ने खेत को चुग ही लिया था।
इससे पहले वो कुछ कहती या करती, मैंने अपने होंठ उसके चूचों पर रख दिए और उनको चूसने लगा। उसके चूचे भले कुछ विकसित नहीं हुए थे पर उसके निप्पल का साइज सही था।
मैंने एक बार उसके निप्पल पर काट भी लिया जिस पर उसने मेरे लण्ड को ज़ोर से दबा दिया और एक चिहुंक सी भरी।
किट्टू- देख लिया जो देखना था आपने। अब मेरे कपड़े वापस करो, मुझे बाहर जाना है। मैं- एक बार मेरे लण्ड को अपने मुँह में और भर ले, मेरा दिन बन जाएगा मेरी जान।
किट्टू थोड़ा गुस्से में- मैंने कहा ना, मैं ये सब काम नहीं करती। मैं- तेरी मर्ज़ी है। जाना ही है तो चली जा, रोका किसने है तुझे।
किट्टू- मेरे कपड़े तो वापस दो। मैं- कपड़े चाहिए तो पहले लण्ड चूसना पड़ेगा। किट्टू- ये बदतमीज़ी क्यों कर रहे हो आप? मैंने आपके कहने पर अपने बूब्स दिखा तो दिए आपको!
मैं- देख, तलवार मियान से निकल चुकी है और अब ये खून पी कर ही वापस जायेगी। तेरी मर्ज़ी है, मुँह में ले ले वरना चूत में भी डाल सकता हूँ मैं इसको।
किट्टू मरती क्या ना करती … उसने धीरे धीरे मेरे लण्ड को सहलाना शुरू किया। मैंने उसको नीचे बैठने का इशारा किया तो उसने अजीब सा मुँह बनाया पर वो फिर नीचे बैठ गयी।
अब उसने थोड़ी ना नकुर सी की तो मैंने उसके सिर को पकड़ कर लण्ड की तरफ को खींचा और लण्ड को उसके होंठों से लगा दिया। उसने मुँह को छिटका तो मैंने उसके कपड़ों को दिखा कर उसको याद दिलाया कि उसके पास सिवाए मेरा लण्ड चूसने के कोई और चारा नहीं है।
बकरे की माँ कब तक खैर मनाती! किट्टू- ये मेरा पहली बार है, तो ज्यादा मीन-मेक ना निकलना। और हाँ, एक बार मतलब बस एक बार ही होगा।
आखिरकार किट्टू ने अपना मुँह खोला और उसके उस भट्टीनुमा मुँह में मेरे लण्ड को पहली बार जगह मिली।
वो थोड़ी बनावटी खांसी सी करती हुई मेरे लण्ड को चूस रही थी जैसे किसी को जबरदस्ती चूसना पड़ रहा हो पर उसके हाथों की पकड़ मेरे लण्ड पर ऐसी थी जैसे कोई माहिर खिलाड़ी हो।
मैंने भी देर ना करते हुए कह दिया- मुँह तो ऐसे बना रही है जैसे पहली बार चूस रही हो। किट्टू- क्या मतलब है आपका?
मैं- हम उड़ती चिड़िया के पंख गिन लेते हैं किट्टू रानी। तेरे लण्ड को पकड़ने के अंदाज़ से ही मैं समझ गया था कि तू इस काम में माहिर है। किट्टू- ऐसा तो कुछ नहीं जैसा आपको लग रहा है। ये तो मैं कभी कभी वो वाली वीडियो देख लेती हूँ।
मैं- वो वाली मतलब? कौन सी वाली? किट्टू- अरे वही वाली … जिसमें यू नो … मैं- बोल बोल … कौन सी वाली? किट्टू- वो सेक्स वाली … जिसको आप ब्लू फिल्म कहते हो।
मैं- अहा … किसके साथ? किट्टू- अरे … किसके साथ का क्या मतलब? मैं- मतलब ये कि अपने बॉयफ्रेंड के साथ देखती है या सहेली के साथ। किसी के साथ तो देखती होगी ना?
किट्टू- अकेली होती हूँ, तब देखती हूँ। और आप कुछ ज्यादा ही दिमाग चला रहे हो। मैं- पहली बार किसने दिखाई थी? किट्टू- है मेरी एक सहेली … समझे ना आप।
मैं- चल फिर, एक बार जैसे उसमें चूसते देखा है, वैसे ही चूस के भी दिखा दे मेरी जान! इस पर अपनी जीभ तो फेर, तभी तो मज़ा भी आएगा।
किट्टू का मुँह मुझे बहुत गरम महसूस हो रहा था और मैं चाहता था कि आज इसमें मुँह में ही अपना माल गिरा दूँ. पर आप सब तो जानते ही हो कि मेरा माल ऐसे ही नहीं निकलता। खैर, थोड़ा और लण्ड अंदर जाने पर किट्टू को उबकाई सी आयी और उसने खांसते हुए मेरे लण्ड को अपने मुँह से बाहर कर दिया।
मेरा लण्ड उसके थूक के कारण पूरा लिसलिसा हो चुका था और चमक रहा था।
किट्टू के भी होंठों से उसके थूक की राल नीचे को टपकने ही वाली थी। उसकी आँखों में पानी आ गया था जैसा धसका लगने से होता है। उसकी सांसें फूली हुई थी।
आप सोच सकते हैं कि किट्टू मेरे सामने तकरीबन नंगी खड़ी थी. अभी अभी मेरा लण्ड चूस के उठी थी. उसका बदन तेज़ साँसें लेने की वजह से ऊपर नीचे हो रहा था. मुँह से राल टपक रही थी. और वो इस समय किसी काम की देवी से कम नहीं लग रही थी।
इतने में ऊपर से किट्टू की दादी की आवाज़ आयी और किट्टू उठ खड़ी हुई।
मैंने भी देर ना करते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख उनको थोड़ी देर चूसा और फिर किट्टू को उसके कपड़े थमा, खुद के कपड़ों को ठीक कर बाथरूम से बाहर आ गया।
मैं ऊपर गया, अपना काम निपटाया और वापस चलते हुए फिर किट्टू को इशारा करके नीचे मिलने को कहा।
पहले तो उसने अपनी नज़र बचायी पर फिर जाने उसको क्या समझ आया, वो मेरे पीछे पीछे ही नीचे उतर आयी।
मैं- मज़ा आया ना किट्टू रानी? अगली बार मिलेगी तो तुझे जन्नत की सैर कराऊंगा। किट्टू- आप फालतू मत बोलो। मैं आपसे दोबारा कभी नहीं मिलूंगी। आप मेरे मामा लगते हो और मेरे बारे में आपकी ऐसी सोच है, मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा। आपकी अगली बार कभी नहीं आएगी।
मैं- तो एक बार फिर चल मेरे साथ बाथरूम में, अभी काम निपटा देता हूँ। किट्टू- छी। मैं- रही बात मामा होने की, तो किसी ना किसी ने तो तेरी चूत खोलनी ही है। तो वो खुसनसीब मैं क्यों नहीं हो सकता?
मेरी इस बात से किट्टू पैर पटकते हुए वहां से चली गयी और मुझे कुछ करने का मौका नहीं मिला।
मैं चाहता तो था कि कम से कम एक बार और किट्टू के होंठों को चूस लेता पर अगली बार का इंतज़ार तो करना ही पड़ेगा. और फिर सिर्फ होंठ चूसना ही तो मेरा लक्ष्य नहीं था। मुझे तो इसकी चूत पीनी थी। अब अगला कदम सिर्फ इंतज़ार करना था.
अभी उसकी चूत चाटने की मेरी तमन्ना अधूरी ही रह गई थी।
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अन्तर्वासना हिंदी कहानी का अगला भाग: ठरकी मामा ने की सेक्सी भांजी की चुदाई-2
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