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प्रेषक : रॉकी
आज ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, वो भी इस हालत में। मेरा लंड एकदम लोहे की छड़ की तरह कठोर हो गया था।
मुझे प्यास भी लग रही थी। मैं पानी पीने के लिये उठा, इतने में रेशमा भी बाहर आ गई।
भीगा-भीगा सा उसका बदन, भीगे-भीगे से उसके बाल, बालों से टपकतीं चेहरे को भिगोती पानी की बूंदे, संगमरमर सा गोरा बदन। रेशमा किसी परी से कम नहीं लग रही थी।
एक किस्म से मैं उसके बदन को घूर रहा था। वो भी मुझे देख रही थी कि मुझे क्या हो गया है। अचानक उसकी नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ गई।
शायद उसका कुंवारा मन भी बहक गया था तभी तो वो भी एकटक मेरे लंड को घूरे जा रही थी।
फ़िर जैसे मुझे होश आया और मैं बाथरूम के अंदर घुस गया। फ़िर वोही कहानी, मैंने अपना लंड निकाल, मुठ मारी और ठंडा हो कर बाहर आ गया। मैंने देखा कि रेशमा बिस्तर पर लेटी हुई है, हालांकि अभी वो अभी जाग ही रही थी।
मैं भी उसकी बगल में जाकर लेट गया। नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। शायद उसका भी यही हाल था। क्योंकि दोनों चुदाई से अनजान थे।
अब मेरा दिल कर रहा था कि रेशमा को चोद दूँ, पर दिल डर रहा था।
कहीं यह सब रेशमा के दिल में ना हो तो खामखाह ही बेइज्जती हो जाएगी। इसके लिये रेशमा का रज़ामंद होना बहुत ज़रूरी था।
मन मसोस कर मैं भी लेट गया पर नींद कोसों दूर थी।
वासना जब दिमाग पर हावी हो जाती है, तो इन्सान अच्छा-बुरा, रिश्ते-नाते सब भूल जाता है।
आज मेरे साथ भी वही हो रहा था। मैंने देखा कि रेशमा सो गई है। मैंने अपना हाथ उठाया और उसकी नंगी टाँग पर रख दिया जैसे ये सब नींद में हो रहा हो।
धीरे-धीरे मैंने हाथ को सरका कर निक्कर के ऊपर उसकी चूत पर रख दिया। मेरी हिम्मत बढ़ रही थी, अब मेरा हाथ उसके गोरे पेट पर सरकते हुए उसकी चूची पर आ गया। मेरी गांड भी फ़ट रही थी।
मैंने देखा कि रेशमा अभी भी सो रही है तो मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबाना चालू कर दिया।
रेशमा थोड़ी सी कुनमुनाई तो मैंने झट से अपना हाथ हटा लिया।
अब मेरी हिम्मत बढ़ गई थी। अब मैंने धीरे से रेशमा की निक्कर का नाड़ा ढीला कर दिया।
उसकी निक्कर को थोड़ा सा नीचे किया तो उसकी चिकनी गुलाबी चूत की दरार सी नज़र आई।
मैं पहली बार इतने करीब से चूत को देख रहा था। मैंने निक्कर को थोड़ा सा और नीचे करना चाहता था पर डर था कि कहीं रेशमा जाग ना जाये।
इतने में रेशमा ने करवट ली और मेरी तरफ़ गांड करके सो गई। मैं अब कुछ नहीं कर सकता था।
मन मसोसकर रेशमा से सट कर सो गया। आधी रात को अचानक मेरी नींद खुली तो अपने ऊपर कुछ दबाब सा महसूस हुआ।
मैंने देखा कि रेशमा की नंगी टाँग मेरी नंगी टाँग पर चढ़ी हुई है।
मेरे लंड पर फ़िर तूफ़ान आना शुरू हो गया। मैं चुपचाप लेटा रहा। रेशमा फ़िर हल्की सी हिली। अब उसकी टाँग मेरे लंड के ऊपर थी।
अब मेरा अपने आप पर नियंत्रण खत्म हो चुका था। मैंने फ़िर अपना हाथ रेशमा की चिकनी टाँग पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।
रेशमा की तरफ़ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मेरा हौसला बढ़ गया। मैंने धीरे से अपना हाथ रेशमा की निक्कर में घुसा दिया।
‘अहा !’ क्या चिकनी चूत थी !
मेरे हाथ की उंगलियाँ चूत की दरार के अंदर तक थिरक रही थीं। असीम आनन्द आ रहा था। अब मेरी बीच वाली उंगली रेशमा की चूत के छेद तक पहुँच चुकी थी।
मैंने उंगली अंदर घुसानी चाही तो चूत टाईट होने की वज़ह उंगली घुस नहीं सकी।
अब मैंने रेशमा की निक्कर को नीचे सरका दिया। रेशमा की चिकनी चूत मेरे सामने थी।
मैंने भी अपनी निक्कर को नीचे सरकाया और अपने लंड को रेशमा की चूत पर रगड़ने लगा।
मेरा लंड पहली बार किसी चूत को स्पर्श कर रहा था। अब तक मेरा दिल खुल गया था। धीरे-धीरे मैंने अपने लंड को चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया।
अचानक वही हो गया जिसका डर था। रेशमा ने अपनी आँखें खोल दीं। वो मेरे लोहे जैसे लंड और अपनी खुली हुई चूत को बारी-बारी देख रही थी।
मेरी तो मानो गांड ही फ़ट गई थी। मेरा चेहरा किसी पिटी हुई गांड की तरह हो गया था।
डर के मारे मेरा लंड भी बैठ गया। कुछ देर तक मेरे लंड को देखने के बाद रेशमा ज़ोर से हँसी और बोली- भैया मज़ा आ रहा था, रुक क्यों गये?
इसका मतलब वो इतनी देर से सोने का नाटक कर रही थी। मेरे लंड में फ़िर जान आ गई।
मैंने रेशमा को अपने सीने से लगा लिया और बेतहाशा चूमने लगा। अब रेशमा भी मेरा साथ दे रही थी।
अब मैंने उसकी बनियान भी उतार दी। साथ ही खुद भी नंगा हो गया। अब हम दोनों नंगे थे।
नाईट बल्ब की रोशनी में रेशमा का अंग-अंग चमक रहा था। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से रगड खा रही थीं, हम दोनों की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं।
अब मेरे हाथ चूचियों की गोलाई नाप रहे थे। मैंने चूचियों को चूसना चालू कर दिया। मेरा एक हाथ उसकी चिकनी चूत को सहला रहा था।
रेशमा पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। अब वो भी मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे कर रही थी।
मैंने घुमा कर रेशमा को अपने ऊपर ले लिया। उसके पूरे शरीर का भार मेरे ऊपर था। उसकी चूत मेरे लंड को ऊपर से रगड़ रही थी।
वो मेरे पूरे बदन को पागलों की तरह चूम रही थी। उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने गालों के ऊपर घुमाने लगी।
उसने लंड के सुपाड़े को बहर निकाला और मेरे गुलाबी सुपाड़े पर अपनी जीभ घूमाने लगी।
मैंने उसे अपनी तरफ़ इस तरह से घुमा लिया कि अब हम दोनों 69 वाली पोज़ीशन में आ गये।
अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत। थोड़ी देर बाद मुझे मुँह में कुछ नमकीन सा पानी महसूस हुआ। इसका मतलब रेशमा झड़ रही थी।
अब मुझे भी महसूस हुआ कि मेरा पानी अब निकलने वाला है तो मैंने लंड को रेशमा के मुँह से बाहर खींच लिया।
अब मैंने रेशमा को सीधा किया और उसकी चूचियों को चूसने लगा। कभी मैं उसकी चूचियों को चूसता, कभी उसके होंठों को।
मैंने अपनी ज़ीभ रेशमा के होंठों में घुसा दी। अब हम दोनों एक-दूसरे की ज़ीभ को ऐसे चूस रहे थे, जैसे आइस्क्रीम को चूसते हैं।
मैंने अपनी ज़ीभ रेशमा की चूत मैं घुसा दी। मेरी ज़ीभ चूत के अंदर लपलपा रही थी। बीच-बीच में मैं चूत के दाने को दांतों से काट भी लेता।
पूरा कमरा सिसकारियों से गूंज़ रहा था। रेशमा भी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर अपनी चूत चुसवा रही थी।
मज़े की बात ये थी कि इतनी देर से हम दोनों ने एक भी शब्द नहीं बोला ।
रेशमा चुप्पी तोड़ते हुए बोली- भैया अब सहन नहीं हो रहा है।
इतना सुनते ही मैंने उसकी टाँगें खोल दीं और अपने लंड का टोपा रेशमा की चूत पर रखकर हल्का सा झटका मारा तो लंड फ़िसल कर बाहर आ गया।
चुदाई के मामले में हम दोनों ही अनुभवहीन थे। मैं उठा और अलमारी से क्रीम निकाल कर ले आया। मैंने ढेर सारी क्रीम अपनी उंगली में लगाई और उंगली चूत के छेद में घुसा दी।
रेशमा हल्की सी उछली। अब मैं उंगली को धीरे-धीरे चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
कमरे में रेशमा की कामुक आवाज़ गूंज़ रही थी।
“ओह भैया… फ़क्क मी।”
मैंने भी ढेर सारी क्रीम अपने लंड पर लगाई और लंड को रेशमा की चूत पर टिका दिया।
जैसे ही मैंनें लंड को हल्का सा झटका दिया करीब आधा इंच लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया। रेशमा दर्द से बिलबिला उठी।
मैंने रेशमा के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और एक ज़ोर का झटका दिया। करीब आधा लंड रेशमा की चूत में घुस चुका था।
रेशमा ज़ोर से चीखी पर उसकी चीख अंदर तक ही घुट कर रह गई। मैं भी वहीं रुक गया।
रेशमा की आँखें फ़टी हुई थीं और उनसे झमाझम आँसू बह रहे थे। रेशमा की चूत की झिल्ली फ़ट चुकी थी और उससे खून बह रहा था।
मैंनें रेशमा के होंठों को चूमना शुरू कर दिया साथ ही उसकी चूचियों को भी मसल रहा था।
थोड़ी देर में वो नोर्मल हो गई। अब धीरे-धीरे मैं लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
अब रेशमा को भी मज़ा आ रहा था। मेरा लंड रेशमा की चूत में गपागप जा रहा था। वो भी अपने चूतड़ उछाल कर चुद रही थी। पूरा कमरा सिसकारियों और फ़च-फ़च की आवाज़ से गूंज़ रहा था।
अचानक रेशमा ने मुझे धक्का दिया और मुझे नीचे करके खुद ऊपर आ गई। उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर टिका कर गप से बैठ गई।
उसके दोनों हाथ मेरी टाँगों के ऊपर थे और वो उछल-उछल कर चुदवा रही थी।
उसकी सुर्ख लाल चूत जैसे मेरे लंड को खा रही थी। मेरे दोनों हाथ उसके चूतडों की गोलाईयों पर घूम रहे थे।
करीब 35-40 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों का बदन ऐंठा और दोनों एक साथ झड़ गये।
उसकी चूत का पानी और मेरा वीर्य मेरे लंड से होता हुआ बेड तक फ़ैल चुका था। रेशमा निढाल हो कर मेरे ऊपर गिर गई।
काफ़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद रेशमा बाथरूम जाने के लिये उठी तो दर्द की वज़ह से लड़खड़ा गई।
मैं उसे पकड़ कर बाथरूम ले गया। वो बड़ी मुश्किल से चल पा रही थी। बाथरूम में जाकर हमने शावर चालू कर दिया।
रेशमा की चूत फ़ूल कर पाव रोटी बन गई थी। हम एक-दूसरे को साफ़ कर रहे थे।
जैसे ही रेशमा ने मेरे लंड पर साबुन लगाया मेरा लंड एक बार फ़िर खड़ा हो गया।
ठंड़े पानी से नहाने के कारण अब रेशमा की जान में जान आ गई थी। अब रेशमा मेरे लंड को मसल रही थी और मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर घुमाने लगा।
हम दोनों फ़िर चुदाई के लिये तैयार हो गये। रेशमा घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैंने उसे फ़र्श पर ही लेटा दिया। उसके दोनों घुटने मोड़ कर उसकी छाती से लगा दिये।
रेशमा की लाल चूत इस प्रकार नज़र आ रही थी जैसे कि कोई सुर्ख गुलाब खिला हुआ हो।
मैंने अपना लंड रेशमा की चूत के ऊपर रखा और एक झटके से पूरा अंदर डाल दिया।
रेशमा को हल्का सा दर्द हुआ पर वो सहन कर गई। अब मैं उसे धकाधक चोद रहा था।
रेशमा भी बड़बड़ा रही थी, “भैया अपनी बहन को चोद दो ! ओह भैया इतने दिन पहले क्यों नहीं चोदा, फ़ाड़ दो अपनी बहन की चूत।”
“ले अपने भाई का लण्ड, आज तेरी चूत फ़ाड़ कर ही छोडूंगा।” यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
करीब 25 मिनट की धकापेल चुदाई में रेशमा दो बार झड़ चुकी थी और शायद वो थक भी चुकी थी।
मुझे लगा कि अब मेरा भी निकलने वाला है तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। रेशमा ने मेरा लंड हाथ में ले लिया आगे-पीछे करने लगी।
5-7 झटकों के बाद लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। रेशमा का चेहरा वीर्य से भीग गया। हम दोनों ने एक-दूसरे को साफ़ किया और लिपट के सो गये।
सुबह हमारी चुदाई क एक और दौर चला। कहते हैं कि इश्क़ और मुश्क़ छुपाए नहीं छुपते हैं।
अगर हमारी चुदाई की बात खुल गई तो समाज़ में बड़ी बदनामी होगी। इसलिये हम दोनों ने फ़ैसला किया कि यह हमारी आखिरी चुदाई है।
इसका मतलब यह नहीं कि हम आगे से चुदाई नहीं करेंगे। हमने एक-दूसरे से वायदा किया कि वो अपनी सहेलियाँ मुझसे चुदवायेगी और मैं उसे अपने दोस्तों से चुदवाऊँगा।
मैं अपनी व रेशमा की चुदाई की और कहानियाँ आपके सामने लाऊँगा, मगर यह कहानी प्रकाशित होने के बाद। तब तक बाय-बाय।
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