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प्रेषक : रवि
मेरा नाम रवि है, उम्र 20 बरस और मैं एक सादा सा दिखने वाला लड़का हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मुझे आप सबकी आपबीती पढ़ कर बहुत अच्छा लगता है।
मैं भी आप सबको ऐसी ही एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो मैंने आज तक किसी को नहीं बताई है।
यह बात पिछ्ली गर्मियों की है, जब मैं अपने मामा के वहाँ छुट्टियाँ मनाने गया था। मेरे मामा की एक लड़की है, जिसका नाम सुनीता है।
वो दिखने मैं खूबसूरत, उम्र में मुझसे तीन साल बड़ी है। धन की कमी की वजह से मामा उसकी शादी अभी नहीं कर पा रहे हैं। उसके दो भाई हैं दोनों अभी बाहर पढ़ाई कर रहे हैं। मैं अक्सर बिना बताए ही वहाँ चला जाता हूँ।
इस बार भी मैंने वहाँ खबर नहीं की थी। मैं दोपहर के वक्त मैं वहाँ पहुँचा। मामा-मामी खेतों में गए हुए थे।
जैसे ही मैं वहाँ पहुँचा, मैंने देखा कि वहाँ कोई नहीं था। मैंने सोचा कि सुनीता तो यहीं होगी। मैं सुनीता के कमरे की तरफ़ गया देखा कि दरवाजा खुला हुआ था और सुनीता लेटी हुई थी।
उसका कुर्ता हल्का सा ऊपर को उठा हुआ था और उसने एक हाथ सलवार में दे रखा था। उसने अपनी आँखें बन्द की हुई थी। और मुँह हल्का सा खुला हुआ था और धीमी-धीमी आवाज रही थी।
मैं उस नजारे को देखता ही रह गया। किसी लड़की को इस तरह मैंने पहले कभी नहीं देखा था। उस नजारे को देखते ही मेरा लण्ड तन गया। तेइस बरस की उम्र में लड़की ऐसे ही फाड़ू लगती हैं
यहाँ तो मामला ही कुछ और था। उसकी कमर क्या गजब लग रही थी और वो अपनी चूत में उंगली करते हुए ऐसे मुँह बना रही थी मानो उसकी चुदाई हो रही हो।
कमरे में उसकी आनन्द भरी सीत्कार गूँज रही थी, और इधर मेरा लण्ड फ़ुफ़कारना शुरु हो गया था।
लगभग पंद्रह-बीस मिनट के बाद सुनीता ने यह सब बन्द किया। गर्मी की वजह से उसका बदन पसीने से भीग गया था।
मैंने भगवान को धन्यवाद दिया और उसके कमरे में घुस गया। मुझे देखते ही उसके होश उड़ गए। उसने तुरन्त अपने कपड़ों को ठीक किया।
उसने हड़बड़ा कर मुझसे पूछा- अरे रवि तुम कब आए?
मैंने भी अन्जान बनते हुए कहा- बस अभी अभी-अभी पहुँचा हूँ। मामा-मामी कहाँ हैं?
सुनीता पसीना पोंछते हुए बोली- वो तो खेत में काम करने गए हैं, तुम बैठो ना!
मैं उसके पास ही बैठ गया और पूछा- क्या बात है? इतना पसीना कैसे आ रहा है?
तो वो हँस के बोली- कुछ नहीं अभी बिजली चली गई थी तो गर्मी से आ गया।
इस तरह से दिन भर हम बातें करते रहे और शाम को मैं जल्दी सोने चला गया, पर मैं सो नहीं पाया। बार-बार मुझे वो सब याद आ रहा था। कितना सुन्दर बदन था उसका।
जैसे-तैसे मैं रात को सो गया, पर सुबह मैंने सोच लिया कि आज कुछ तो करना ही है।
दोपहर में जब मामा-मामी चले गए, तब मैं सुनीता के कमरे में गया, वहाँ वो बेड पर लेट कर पढ़ रही थी।
मैं जाकर उसके पास बैठ गया और उससे पूछा- अरे यार, एक बात बताओ तुम्हारा कोई बॉय-फ़्रेंन्ड नहीं है क्या?
वो हँस कर बोली- क्यों? तुम्हें उससे क्या काम है?
मैं बोला- काम तो कुछ नहीं, बस सोच रहा था कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी होगी जो उसको तुम जैसी लड़की मिल गई।
सुनीता मुझे घूरते हुए, ”अच्छा मैं और अच्छी रहने दे ! मुझे तो मुझमें ऐसा कुछ खास नजर नहीं आया आज तक।”
”नहीं यार सच मैं तुम बहुत सेक्सी हो।” मैंने उसकी कमर पर हाथ रखते हुए कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसने कुर्ता पजामा पहना हुआ था। मेरा हाथ उसकी कमर को सहलाने लगा।
वो मेरे हाथ पकड़ कर बोली- क्या कर रहे हो? मुझे गर्लफ़्रेण्ड समझ रहे हो क्या?
मैंने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा- काश, आप मेरी गर्लफ़्रेण्ड होती तो…!
”तो ! तो क्या…?” वो मेरी आँखों में देखती हुई बोली।
मैंने कहा- तो आपको बताता कि आप कितनी खूबसूरत हो…!
उसने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ पकड़ते हुए कहा- चलो आज मैं तुम्हारी गर्लफ़्रेण्ड हूँ, अब बताओ मैं कितनी खूबसूरत हूँ?
एक जवान लड़की ऐसा मौका कैसे जाने देती। उसे भी आखिर चुदाई की जरूरत होती है।
मैं समझ गया आज मौका है, वो भी तड़प रही है….और मैंने उसे बाँहों में भर कर उसके होंठों को चूम लिया !
उसने पहले मुझे दूर हटा दिया, फ़िर मुझे देख मुस्कुराई और वो बेड पर लेट गई। मैंने उसके होंठों और गालों पर चुम्बनों की बौछार कर दी।
उसने अपने बदन को पूरी तरह मेरे हवाले कर दिया… और मैं एक प्यासे की तरह उस पर टूट पड़ा।
उसके होंठों को चूमने का मजा मैं बता नहीं सकता…!!
फ़िर मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसे पूरी तरह से नंगी करके बेड पर लिटा दिया।
उसका नंगा बदन देख मेरा लण्ड पूरी तरह तन गया… क्या बदन था उसका! गोल-गोल दो नारंगी जैसे स्तन, गोरी और पतली कमर, रसीली नाभि… और नीचे योनि प्रदेश में घुंघराले काले बाल, उसने अपने नीचे के बाल साफ़ नहीं किए थे।
मैंने उसकी जाँघों पर अपना एक पैर रख कर उसकी चूची को चूसना शुरु कर दिया और एक हाथ उसकी कमर और नाभि के साथ कलाकारियाँ दिखाने लगा।
इस तरह की हरकतों से वो बुरी तरह गर्म हो गई और मुझसे लिपट गई।
इससे पहले कि मैं कुछ समझता उसने मेरा गर्म तना हुआ लण्ड अपनी चूत में ‘आह्ह’ की आवाज के साथ घुसवा लिया और मेरे सीने को चूमती हुई कमर हिला कर चुदने लगी।
हम दोनों ने एक-दूसरे को सहयोग करना शुरु कर दिया।
मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर एक बार देखा, उसकी आँखों में नशा नजर आ रहा था। मैंने उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चुदाई शुरु कर दी।
इस तरह वो और मैं एक-दूसरे का आनन्द लेने लगे। मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी पिछाड़ी को सहलाना शुरु किया।
इतनी अच्छी गोलाइयाँ कि मजा आ गया। मैंने उसके नितम्बों को अपने हाथों से बुरी तरह मसल दिया, और उधर उसकी चुदने की रफ़्तार बढ़ने लगी।
फ़िर मैंने उसे सीधा लेटा दिया और अपना लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
उससे लिपट कर उसे चूमने लगा। कभी उसके चूचियों को चूमता तो कभी उसकी सुन्दर गर्दन पर… और साथ ही धक्कों के साथ चुदाई भी करता।
काफ़ी देर चुदाई करने के बाद मुझे लगने लगा कि मैं अब झड़ने वाला हूँ। अब मैंने चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी। उसके मुँह से भी ‘आह-आह’ की आवाजें तेज होने लगी।
और एक जोर के झटके के साथ ही हम दोनों एक-दूसरे से कस कर लिपट गए और मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।
हमारी साँसें तेज-तेज चल रही थीं। दोनों के बदन पसीने से भीग गए। मेरा लण्ड ढीला होकर उसकी चूत के दरवाजे से बाहर आ गया।
सुनीता बेड से उतर कर अपने बाल ठीक करने लगी।
मैंने उससे कहा- मजा आया है ना?
सुनीता ने थोड़ा शरमाते हुए कहा- हाँ रहने दे… मुझे तो मजा आना अभी शुरु हुआ था…
मैं बेड से उतर कर उसे पीछे से पकड़ते हुए, ”अच्छा तो एक बार फ़िर आजमा कर देख लो !”
उसने खुद को छुड़ाते हुए, ”नहीं बस काफ़ी हो गया, अब तेरे मामा मामी आते ही होंगे।”
मैंने कहा- तो ठीक है, आज रात को…!
उसने मेरी बात बीच में ही काटते हुए, ”मैं तुम्हारी गर्लफ़्रेण्ड नहीं हूँ, जो बार-बार तुम मेरी लेते रहोगे !”
मैंने उसको पकड़ कर उसकी चूत में उंगली डालते हुए, ”अच्छा ! क्या बोली?”
उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए, ”प्लीज अभी छोड़ो, फ़िर कभी…”
मैं उसके होंठों को चूमते हुए, ”तो आज रात अपनी सुहागरात होगी।”
रात की कहानी अगले भाग में…
तब तक के लिए सुनीता की चूत आपके लिए…बाय !
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